Wednesday, November 30, 2011

कन्या की आवश्यकता, सरकारी नौकरी

  राजपूत, क्षत्रिय, कलार, 30 वर्ष, 5 फीट 8 इंच, सरकारी नौकरी, 20 हजार रुपए मासिक वेतन, एमबीए, पीएचडी युवक हेतु सुंदर कन्या की आवश्यकता है। 
 
जी हां
यह एक विज्ञापन है। ऐसा विज्ञापन मैं कई लोगों के लिए बनाता हूं, क्योंकि लोगों को लगता है पत्रकार है अच्छा बनाएगा। अकसर ऐसे विज्ञापन रविवार को ही छपते हैं।
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रविवार सुबह 6 बजे
अचानक फोन घनघनाने लगे
लड़की वाले: जी....... हम बैतूल से बोल रहे हैं......... हां जी वो पेपर में पढ़ा था आपका बेटा कौन सी नौकरी करता है
लड़के के पिता: जी हां सरकारी नौकरी में हैं हमारा लड़का
लड़की वाले: अच्छा साब कितनी तन्खा है।
लड़के वाले : 20 हजार रुपए महीने (15 है तो 5 बढ़ा दिए, ऐसा भी होता है)
लड़की वाले: सर, उपरी कमाई भी होगी कुछ
लड़के वाले: जी हां वो तो हर सरकारी नौकरी वाले की होती है
दोनों हंसते हैं.......
लड़के वाले: आपकी बेटी कहां तक पढ़ी है
लड़की वाले: जी एमटेक है, बैंक की नौकरी की तैयारी कर रही है
लड़के वाले: बढ़िया, हम तो सुंदर बहू ढृूंढ रहे हैं, देखिए भाग्य में जो लिखा है वही होगा।
लड़की वाले: हमें तो कैसा भी लड़का चलेगा बस सरकारी नौकरी में हो।
लड़के वाले : हां साब आज कल सरकारी नौकरी कहां मिलती है। टार्च लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलते।  हमारे यहां तो रिश्तों की लाइन लगी है पर सोच रहे हैं, शादी एक बार करनी है अच्छे (थोड़े घमंड से) से ही करेंगे।
लड़की वाले: साहब हम तो शादी जैसी कहेंगे वैसी ही कर देंगे।
(न नाम पूछे न पता, शादी तक बात पहुंच गई, देखिए विडंबना। बात बढ़ती जा रही है अब देखते हैं आगे क्या होता है)
लड़के वाले: साहब वो फोटू भेज देते तो लड़की देख लेते हम।
लड़की वाले: पता लिखवा देना जी, अरी ओ सोनू की मम्मी पेन डायरी देना , अरे साब जरा रुकिए हां। अब बोलें पता .........
लड़के वाले : जी ठीक है हम बताते हैं
(फोन कटा नई कि दूसरा वेटिंग में आ जाता  है)
हलो जी कहां से बोल रहे हैं........
लड़के वाले: हम तो भोपाल से चतुर्वेदी बोल रहे हैं आप कौन
लड़की वाले: जी वो लड़के-लड़की के बारे में बात करनी है।
लड़के वाले: जी जी ........
सुबह से इतने फोन आ रहे हैं कि क्या बताएं
आपकी बेटी कैसी दिखती है
लड़की वाले: साब फेयर कलर है, खाना बनाना भी जानती है बीए कर रही है, लड़की है जितनी जल्दी हो तो ससुराल भेज दो। अच्छा है
लड़के वाले: हां साब
लड़की वाले: लड़का की तन्खा बताइए
लड़के वाले: साहब 20 हजार रुपए महीना है और उपरी कमाई भी है फारेस्ट में है न लड़का।
लड़की वाले: हां समझ गए एक सागौन बेंचा नई कि हजार रुपए मिल जाते हैं
हा हा.......हा दोनों हंसते हैं।
लड़के वाले: आप शादी कैसी करेंगे।
लड़की वाले: हम तो बड़े खेत-बाड़ी वाले हैं , बड़ी लड़की की दार हमनें इंडिका दिए थे, दामाद मास्टर थे। अब तो और अच्छी करेेंगे।
लड़के वाले: फिर भी बजट तो बताएं
लड़की वाले: अरे साब हमें तो सरकारी नौकरी वाला लड़का चाहिए। 15 लाख रुपए तो कम से कम खर्चा करेंगे ही।
लड़का वाले: जी ...जी...
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ऐसे ही कई फोन, लड़के वाले तो फूले नहीं समाए
500 रुपए के विज्ञापन के कारण मप्र छत्तीसगढ़ के लाखों के आफर आ गए।
जी हां आजकल सरकारी नौकरी पढ़, सुनकर ही लोग बेटी के लिए रिश्ते तय कर देते हैं, लड़का की योग्यता की छोड़िए, जोड़ी से मतलब नहीं।
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क्यों पसंद आते हैं सरकारी नौकर
- लोगों को पता है उपरी कमाई होगी
- कंप्यूटर आॅपरेटर भी है तो 10 रुपए तो एक लेटर के ले ही लेगा
- मनरेगा में पंचायत सचिव है तो प्रमाण पत्र के 5-5 रुपए ले लेगा
- पोस्ट मास्टर है तो पेंशन निकलवाने आने वाले बुजुर्गों से 5 से 10 रुपए ले लेगा
-इंजीनियर है तो बिना पैसे बिल्डिंग की डिजाइन पास नहीं करेगा
-डॉक्टर है तो सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीज को कहेगा, प्राइवेट में आना
-रेलवे में टिकट कलेक्टर है तो, बिना टिकट वालों को 50 रुपए में सीट दे देगा
-रेलवे में गार्ड है तो खुद जमीन में सो जाएगा, 200 रुपए में खुदकी सीट दे देगा
- अगर संविदा मास्टर भी है तो सरकारी स्कूलों में बच्चों से मार्कशीट के 5-5 रुपए ले लेगा
बाकी बड़ी नौकरियों को छोड़िए साहब इतना भ्रष्टाचारी दामाद के लिए तो कोई भी अपनी फूल सी बेटी सरकारी नौकर को दे ही देगा, भले ही बेटी पांच फीट की हो और दामाद 6.9 का।
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शहर में रहेगी बेटी
आजकल मां-बापों की सोच बन गई है कि हमारी बेटी ससुराल से दूर ही रहे। अगर शहर में लड़का नौकरी कर रहा है तो बेटी हमेशा शहर में रहेगी। सास-ससुर तो बोझ बन जाते हैं। मां-बाप इस बात को भूल जाते हैं कि हमारे भी बेटे हैं।
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प्राइवेट वाले और किसानों का क्या

अगर कोई बड़ी सॉफ्टवेयर या अन्य कंपनी में काम करता है तो उसको तो लड़की मिल ही जाएगी। लेकिन अगर लड़का कम तन्खा वाली प्राइवेट नौकरी कर रहा तो तो शादी तो भूल ही जाए। मार्केट में उसकी कम वैल्यू है। अगर लखपति किसान भी है और वो वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर 50 हजार रुपए महीने कमाता है तो, 10 हजार रुपए वाले सरकारी नौकर से पीछे है। सरकारी तो सरकारी है।
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नोट: उपर लिखा गया लेख पूर्णत: व्यवहारिक है। लेखक ने इसे देखा और समझा है, लेकिन किसी की वास्तविक   जिंदगी से इसका कोई सरोकार नहीं है।

Sunday, August 21, 2011

दो ड्राइवरों ने ले ली 10 यात्रियों की जान

  ड्राइवरों नें कुछ इस तरह जलाइं एक दूसरे की बसें




कई यात्री गंभीर रूप से झुलसे
मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल
बस में 40 लोग सवार थे
 बाद वाली बस को पेट्रोल डालकर जलाया गया
सवारी ढोने को लेकर हुआ विवाद
आग लगाते समय यात्रियों को बस में बंद कर दिया गया था
घटना के मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश
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  इस वीभत्स घटना में आरोपियों को फांसी मिले भी तो कम है, आखिर बेकसूरों की जान वापस कैसे आएगी। हां हमारे मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए सहायता देने की बात कही है। 
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बड़वानी जिले के बालसमुद के पास रविवार को दो बस चालकों में हुए विवाद के बाद दोनों बसों में आग लगा दी गई, जिसके चलते 10 निर्दोष यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई और कम से कम 10 अन्य व्यक्ति बुरी तरह झुलस गए। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।अपुष्ट सूत्रों के अनुसार मृतक संख्या काफी ज्यादा हो सकती है। बताया जाता है कि जिस बस को बाद में आग लगाई गई उसमें 40 लोग सवार थे। इस बस को पेट्रोल छिड़ककर आग लगाई गई। घटना के मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए गए है।
राजमार्ग क्रं. 3 पर रविवार दोपहर को सेंधवा से इंदौर जा रही निजी यात्री बस (सांईकृपा बस  क्रं. एमपी-09-एफए-2717) तथा आरजे-09-पीए-1442 अशोक ट्रेवल्स के परिचालकों में सवारी ढोने को लेकर हुए विवाद हुआ। ग्राम जामली स्थित टोल प्लाजा पर कहा सुनी हुई। विवाद में अशोक ट्रेवल्स के कर्मचारी ने टोल प्लाजा से लगभग 5 किमी दूर स्थित बालसमुद परिवहन चौकी के समीप पीछे से आ रही सांईकृपा ट्रेवल्स  बस को रोककर  मुख्य द्वार पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। बताया जाता है कि यह बस मां शारदा टेवल्स से अटैच है, विवाद में हुई आगजनी की घटना से घबराए कुछ यात्री बस से उतर कर भागने में कामयाब रहे, वहीं अन्य कई लोग बुरी तरह से झुलस गए। प्रत्यक्षदर्शियों राजेश मुजाल्दे के अनुसार लगभग 4.30 बजे अशोका ट्रेवल्स से उतरे एक कर्मचारी ने सांईकृपा टेवल्स की बस को रोका और उसमें आग लगाई। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के चलते घटना के समय बस में लगभग 40 से अधिक यात्री सवार थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आग इतनी भयानक थी कि उसके समीप जाकर यात्रियों को बचाने की कोशिश भी नहीं कर पाए। अफरा-तफरी के माहौल में बस में कितने यात्री उतर पाए और कितने यात्रियों की जीवनलीला जल कर समाप्त हो गई, इसका उस समय अंदाजा तक नहीं लगाया जा सका। 


गुस्साई भीड़ ने लगाई आग
अचानक हुई इस घटना से परिवहन चौकी तथा ग्राम सालीकला के ग्रामीणजन एकत्रित हो गए। घटना की सच्चाई से अवगत होने पर गुस्साई भीड़ ने दूसरी बस आरजे-09-पीए-1442  में भी आग लगा दी। जिसमें कोइ भी हताहत नहीं हुआ।
बड़वानी एसपी आरएस मीण ने बताया कि आपसी विवाद में बस चालक और परिचालक ने पेट्रोल डालकर दूसरी बस को आग लगाई है, जिसमें 10 लोगों की मौत हो चुकी है। फरार दोषियों की खोजबीन आरंभ कर दी गई है। मंदसौर स्थित बस मालिक से इस संबंध में पूछताछ की जा रही है।

एक ही परिवार के चार जले
इस घटना एक ही परिवार के चार सदस्यों के जल जाने की समाचार प्राप्त हुए है। बताया जा रहा है कि राजेन्द्र पिता बाबूराव खोरी निवासी धार अपने पिता बाबूराव खोरी (62), माता सुमन (55), पत्नि मनीषा (28), पुत्री साक्षी (3) तथा पुत्र अमन 6 माह के साथ सेंधवा में अपने छोटे भाई की ससुराल अरूण मेवाड़े के घर रविवार दोपहर 1 बजे के लगभग पहुंचे थे। जो सांईकृपा बस से वापस लौट कर धार जा रहे थे। घटना के बारे में राजेन्द्र ने बताया कि आगजनी के पश्चात उन्होंने अपने 6 माह के पुत्र को खिड़की से फेंक कर स्वयं भी कूद गए, लेकिन अपने माता-पिता, पत्नि तथा पुत्री को बचाने का प्रयास भी किया, लेकिन आग का शोला बन चुकी बस में वह दूसरी मर्तबा घुस नहीं पाया। जिससे उनके पूरे परिवार की मौत हो गई। शासकीय अस्पताल में पहुंचे नर कंकालों में 8 कंकाल उम्र दराज तथा दो कंकाल बच्चों के बताया गए हैं। घटना में अस्पताल में पहुंचे कंकालों में एक कंकाल की स्थिति दिल दहलाने वाली थी। 

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प्रारंभिक जानकारी नें पता चला हैं कि जलाई गई बस शारदा ट्रेवल्स इंदौर की है। वही दूसरी बस रिषीराज ट्रेवल्स की बताई जा रही हैं। इन दोनों बसो के मालिकों में पहले से विवाद चल रहा हैं। घटना के एक घंटे पहले भी विवाद हुआ था। इसके बाद घटना को अंजाम दिया गया हैं। इस मामाले में आरजे 09 पीए 1442 के चालक तरूण सोनी, कंडक्टर दिलीप शर्मा दोनो निवासी मंदसौर और एक अन्य कंडक्टर राजकुमार निवासी गुना के खिलाफ हत्या और आगजनी का मामला दर्ज कर लिया गया हैं। फिलहाल आरोपियों की तलाश की जा रही हैं।
अनुराधा शंकर,  आईजी इंदौर रेंज 

Saturday, August 6, 2011

ये कैसी स्वतंत्रता

  आजादी के 64 साल बीत गए हैं। भारत की जनता ने खोया ज्यादा है, पाया कम। हां लेकिन यह सच है कि खोने-पाने के इस गणित में कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने बहुत कुछ पा लिया। उनमें से एक हैं हमारे देश के नेता और अफसर। इन दोनों की जुगलबंदी का ही नतीजा है कि अब जिसके घर भी छापा पड़ता है करोड़पति निकलता है। भले ही भारत में लाखों लोग दो वक्त की रोटी को तरसते हों, पर ये नेता-अफसरों को कोई चिंता नहीं। उन्हें तो रहने को बंगला, खाने में 56 भोग हर दिन मिलता है। अब देखिए हम में से भी 90 फीसदी लोग ऐसे मिल जाएंगे जो गरीबी पर बात नहीं करना चाहते। गरीब, झुग्गीझोपड़ी वालों की तस्वीर दिखाना पसंद नहीं करते। हमें तो सिर्फ अपनों से मतलब हो गया है। अपनी नौकरी करो, वेतन पाओ, किसी से क्या करना है। ऐसी मानसिकता कहां ले जाएगी, जरा सोचिए। कुछ दिनों पहले की बात है इंदौर संभाग में पदस्थ एक इंजीनियर के घर छापा पड़ा तो उसके पास 5 करोड़ रुपए की दौलत मिली, बंगला 80 लाख से कम का नहीं, कार भी दो-दो। भोपाल में भी ऐसे आईएएस अधिकारी सामने आए जिन्होंने जिंदगी भर रिश्वत ली, बस और कुछ नहीं। पकड़े जाने के बाद भी उन्हें जेल नहीं हुई। बेबसी देखिए देश के विभिन्न जेलों में कैद कुल 70 फीसदी व्यक्ति विचाराधीन कैदी की श्रेणी में आते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनपर मामूली अपराध दर्ज हैं या फिर बेकसूर हैं। पर क्या करें, कई दिनों से जेल में सड़ रहे हैं। ऐसा देश है मेरा। हमारे देश को जितना अंग्रेजों ने नहीं लूटा उतना हमारे नेता और अफसरों ने लूटा है। मैं विश्वास से कह सकता हूं कि  मप्र के सभी सरकारी इंजीनियर जो 90 से पूर्व में भर्ती हुए हैं, उनकी इमानदारी से तलाशी ली जाए तो 50 प्रतिशत से अधिक अनुपातहीन संपत्ति के मालिक हैं। ऐसे ही हैं आईएएस व अन्य अधिकारी। नेताओं की बात करना ही बेकार है, सांप के बिल में कौन हाथ डाल सकता है। साहब यह कोई बकवास नहीं है। हो सकता है कई लोगों को यह पढ़ने में बोझ लग रहा हो पर क्या करें। सच्चाई से रूबरू कराना तो काम ही है हमारा। अगर भारत को वाकई स्वतंत्र कराना है तो हमें लड़ना होगा उन नेताओं से जो भ्रष्टाचार के पितामह है, उन अफसरों से जो विभागों को अपने पिता की संपत्ति समझने की गलती कर बैठे हैं। याद दिला दूं 16 अगस्त से भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना हजारे भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं। सरकारी लोकपाल पास हो गया तो गलत हो जाएगा। इसलिए इतना दबाव बनाना होगा कि जनलोकपाल ही पास हो। इस 15 अगस्त पर प्रतिज्ञा लें कि अन्ना का सहयोग करेंगे। सड़कों पर उतरेंगे। वैसे ही जैसे कि मिस्र में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को हटाने जनता सड़कों पर उतरी थी। वैसे ही जैसे कि यमन में जनता सड़कों पर आई थी, सीरीया, लीबिया (खाड़ी देश) से भी हम सीख सकते हैं। आइए शामिल होते हैं अन्ना के जन आंदोलन में, ताकि आने वाले कल में हम वाकई स्वतंत्रता की सांसें ले सकें और गर्व से कह सकें कि ‘हम आजाद हैं’।
  ‘जन लोकपाल कानून कोई पूरी व्यवस्था को ठीक कर देने का दावा नहीं है..यह तो सिर्फ इतनी सी पहल है भ्रष्टाचार करने वाले अफसर और नेताओं को जेल भेजा जाए....बस इतना सा है ये अभियान...... आइए इसमें साथ चलें..शायद हम और आप मिलकर इसे आन्दोलन बना सकें... जिससे वह भारत निकल सके जो हम आजादी के 63 साल बाद होना चाहते हैं...’

अन्ना के अभियान  से जुड़ने के लिए इस नंबर पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं
02261550789

Saturday, April 2, 2011

आप क्या कर रहे हैं किसान भाई



    जो जमीन जिंदगी दे रही है, और जो जवान जमीन को अपना जमीर समझ रहा है। उसी की वजह से ही सारी दुनिया जीवित है। जीं हां मैं बात कर रहा हूं किसानों की, वो ही इंसान जो हर हाल में मेहनत करता है और अनाज पैदा करता है। उसी अनाज को खरीदकर देश की 80 फीसदी जनता खाती है। किसान को पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने जय जवान की संज्ञा दी थी। पर अब वह किसान भी लोभ में अंधा होता जा है। अपने खेतों तबाह करने में वह आगे बढ़ता ही जा रहा है। खेतों की नरवाई हटाने (गेहूं की कटाई के बाद बचा नीचे का कचरा) वह खेतों को आग लगा देता है, जिससे पूरा खेत जल जाता है और खेत एकदम साफ हो जाता है। पर इस काम को करने के बाद खेतों को जो नुकसान पहुंच रहा है उससे किसान अंजान है। आपको बता दें कि खेतों पर आग लगाने से खेतों की उर्वरा क्षमता कम हो जाती है। पर क्या करें किसानों को इस बात की जानकारी नहीं है या फिर वे किसी की बातें मानते ही नहीं।
क्या होता है नुकसान
-खेतों को साफ करने आग लगाने से मिट्टी भी जल जाती है।
-साथ ही जमीन में रहने वाले सूक्ष्म जीव जो कि फसलों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं वे भी नष्ट हो जाते हैं। -जमीन की उर्वरा क्षमता कम हो जाती है।
-भूमि की जल धारण क्षमता कम होती है
ऐसे ही हजारों नुकसान होते हैं
ये करें किसान भाई
किसान भाईयों अगर आप अपने खेतों से उत्पादन हर  साल बढ़ाना चाहते हैं तो मेरी सलाह मानें या फिर कृषि अधिकारियों से मिलें। आप लोग गेहूं की कटनी के बाद रोटीवेटर से खेत जुतवाएं, इससे जो भी कचरा है वह जमीन के काफी अंदर पहुंच जाएगा। एक से दो साल के अंदर वह खाद बन जाएगा और फसल के लिए वरदान होगा। रोटीवेटर चलवाने में सिर्फ अधिकतम 400 रुपए एकड़ खर्च आएगा, लेकिन फायदा हजारों का।
खेतों को जलाना अपराध है
खेतों में आग लगाने के लिए जिला कलेक्टर नियम बनाते हैं। वे उन किसानों पर जुर्माना लगा सकते हैं जिनके खेतों में आग लगती है।


आईऐ देखें खेत जलाने से क्या-क्या जला, कितने किसान लुटे


घटना 30 मार्च की
-होशंगाबाद के डोलरिया, बघवाड़ा और माखननगर के गांव गनेरा में 30 मार्च को 25 एकड़ से ज्यादा की गेहूं की फसल राख हो गई। बघवाड़ा के पांच मकान भी आग में स्वाहा हो गए। -डोलरिया गांव में 30 एकड़ फसल आग की चपेट में आ गई।

-रायसेन के गोलवानी गांव में 30 मार्च को दोपहर 12 बजे लगी आग में 150 बकरियां, 5 बछड़े, दो गाय और 50 से ज्यादा मुर्गे-मुर्गियां जल गइं।
घटना 29 मार्च की
-29 मार्च को होशंगाबाद जिले के बाबई, सोहागपुर सहित कई गांवों में लाग लगी, जिसमें 1550 एकड़ क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान सिखाड़ गांव के किसानों को हुआ
-1000 एकड़ की फसल खाक हो गई। इसके अलावा रैपुरा, चीचली, खिड़िया, जमुनिया में करीब 500 एकड़ क्षेत्र में फसल जल गई। काजलखेड़ी गांव में भी दो एकड़ फसल और तीन एकड़ की नरबाई जल गई।
-सोहागपुर गांव में भी भूसा बनाने की मशीन से निकली आग के कारण 37 एकड़ गेहूं की फसल खाक हो गई।
-कलेक्टर निशंत  वखड़े ने नरवाई जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 

-परवलिया थाना क्षेत्र के ग्राम कुराना में 30 मार्च की सुबह 9 बजे खेत में आग लग गई, जिसमें 33 एकड़ की गेहूं की फसल खाक हो गई।
-बैरागढ़ के थाना खजूरी के ग्राम र्इंटखेड़ी में भी 30 मार्च को दो-दो एकड़ में गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई।
-30 मार्च को ही ग्राम भौरी बकानिया में बद्रीप्रसाद के खेत में भी आग लग गई।

घटना 28 मार्च की
-28 मार्च को हरदा जिले के नांदरा में सैकड़ों एकड़ की गेहूं की फसल खाक हो गई। दोपहर एक बजे लगी आग पर रात 10 बजे काबू पाया जा सका।
-गांव के 50 से अधिक मकान भी जल गए। आग 15 किलोमीटर दूर स्थित आदमपुर, गोयत, गुल्लास, शमशाबाद, कांमियाखेड़ा, करवाना तक पहुच गई। यहां चार लोग झुलस गए और दो महिलाओं के पैर फ्रेक्चर हुए हैं।
-आदमपुर में भी भूसा निकालने की मशीन से चिंगारी निकली थी। तहसीलदार अलका एक्का के अनुसार 500 एकड़ की फसल जली
घटना 31 मार्च की
-भिण्ड के गोहद क्षेत्र के ग्राम धमसा के खेतों में गुरुवार को अचानक आग लग जाने से 12 किसानों का अनाज जलकर राख हो गया। मौके पर पहुंची चार दमकलों ने छह घंटे में आग पर काबू पाया।
-गोहद के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एसएल सोनी ने बताया कि ग्राम धमसा निवासी रमेश गोस्वामी के खेत में गुरुवार शाम अचानक आग लग गई थी।
-आग से 12 किसानों का करीब 100 क्विंटल से अधिक गल्ला जलकर राख हो गया।

-भिण्ड जिले के गोहद क्षेत्र के ग्राम धमसा के खेतों में गुरुवार को अचानक आग लग जाने से 12 किसानों का अनाज जलकर राख हो गया। गोहद के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एसएल सोनी ने बताया कि ग्राम धमसा निवासी रमेश गोस्वामी के खेत में गुरुवार शाम अचानक आग लग गई थी।12 किसानों का करीब 100 क्विंटल से अधिक गल्ला जलकर राख हो गया। 

Monday, March 28, 2011

सात बहनों को बड़ी दिक्कत से मिला भाई


  सड़क पर पड़ी प्रसूता महिला
  रायसेन जिले के बाढ़ेर गांव में 7 बहनों को एक भाई मिला। माजरा यह है कि गांव की काशीबाई की उम्र 32 साल है, पहले ही उनकी 7 बेटियां हैं 27 मार्च को इन 7 बहनों को एक भाई भी मिल गया, लेकिन बड़ी कठिनाई से। विदिशा से पास होने के कारण काशीबाई को प्रसव के लिए अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन बच्चे के पैदा होने को जैसे ग्रहण लग गया हो। विदिशा में इतनी सुरक्षा व्यवस्था थी, मानो ऐसा लग रहा था कि कंस का पहरा हो। चारों तरफ पुलिस वाले। काशीबाई की सास, पति आटो से प्रसूता को अस्पताल ले जा रहे थे कि ‘बदनाम’ पुलिस ने आटो रोक दिया। पति, सास ने लाखों मिन्नतें की साहब हमारी बहू को बच्चा होने वाला है, अस्पताल जाने दो। लेकिन पुलिस वालों ने उन्हें अस्पताल नहीं जाने दिया, जबकि पुलिस वाले प्रसूता को तड़पते देख रहे थे। भगवान न करे कि उस वक्त ड्यूटी पर मौजूद पुलिस वालों की बीबी, बेटी, के साथ भी ऐसा हो। क्योकि प्रसव पीड़ा वे पुलिस वाले क्या जानें यह तो एक मां बनने वाली महिला ही जान सकती है। पुलिस वाले चाहते तो आटो को अस्पताल जाने दे सकते थे। अगर उन्हें शहर आ रहे नेताओं की इतनी  ही चिंता थी तो उन्होंने यह क्यों नहीं सोचा कि मुख्यमंत्री खुद चाहते हैं कि हर प्रसव अस्पताल में सुरक्षित रूप से हो। खैर ऐसे पुलिस वालों ने ही पुलिस को बदनाम किया है। यह मामला विधानसभा में भी उठा। इस मामले पर कार्रवाई होना लाजिमी है।
  खबर इस प्रकार है-
विदिशा में प्रसव पीड़ा से तड़प रही एक महिला को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों ने मात्र 200 मीटर दूर अस्पताल तक नहीं पहुंचने दिया। खुद प्रसूता, उसकी सास व पति पुलिसवालों के सामने खूब गिड़गिड़ाए लेकिन वे नहीं पसीजे। करीब आधा घंटे तक तड़पने के बाद उस महिला की चौराहे पर ही डिलीवरी हो गई। दरअसल, रविवार को विदिशा में अंत्योदय मेले में शिवराजसिंह चौहान, सांसद सुषमा स्वराज, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा सहित दर्जनों नेता शहर में आने वाले थे, इसलिए रास्तों पर कड़ी सुरक्षा की गई थी। पुलिस वाले इनकी सुरक्षा में तैनात थे। उसी समय रायसेन के ग्राम बाढ़ेर निवासी प्रहलाद सिंह अहिरवार अपनी 32 वर्षीय पत्नी काशीबाई को ऑटोरिक्शा से जिला अस्पताल ले जा रहा था। नीमताल चौराहे पर खड़े पुलिस जवानों ने उसे रोक लिया। प्रहलाद व उसकी मां कस्साबाई ने पुलिसवालों को प्रसूता की हालत के बारे में बताया लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

Thursday, March 10, 2011

साक्षात्कार का सच

मप्र लोक सेवा आयोग के दफ्तर के नंबर दो गेट पर मैं
 यह है छोटू जो कि अपनी मम्मी के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर का इंटरव्यू देने आया था। नहीं-नहीं आप गलत समझ रहे हैं, इसकी मम्मी इंटरव्यू देने आइं थीं।

इंटरव्यू देकर आफिस से बाहर निकलतीं एक अभ्यार्थी।

 तारीख 7 मार्च दिन सोमवार मैं मप्र की व्यवासयिक राजधानी इंदौर में था। यहां पर ही मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी- पीएससी) का प्रमुख कार्यालय है। पुरानी बिल्डिंग टूटे गेट, बुजुर्ग सुरक्षा गार्ड हैं। पेड़-पौधे तो बहुत थे, पर गर्मी के मौसम में पतझड़ के कारण पेड़ों से पत्तियों का बेक्रअप हो रहा है। (बे्रकअप= फिल्म लव आजकल के बाद यह शब्द ज्यादा प्रचलित हुआ है, दो प्रेमी-प्रेमिका का जब प्यार से मन भर जाता है तो वह आपसी सहमति से अपना प्यार का रिश्ता तोड़ लेते हैं)। लेकिन यहां पर सबसे अच्छा है वो है इस इमारत की नींव यानी यहां से कई अधिकारी निकले हैं। जो इस बिल्डिंग के अंदर बैठे हैं वे भी उम्रदराज हैं पर उनका ज्ञान तो आपार है कोई भी विषय क्यों न हो, पढ़ाई के दिग्गजों की हवा निकाल देते हैं।

  इसे भी जानिए
  मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग वैसे तो अधिकारियों को पैदा करने की फैक्ट्री मानी जाती है परंतु प्रारंभ से ही यहां पर धांधली के आरोप प्रतिभागी लगाते रहते हैं। ऐसा ही मेरे सामने भी हुआ जब मैं इंदौर स्थित पीएससी के हेड आॅफिस पहुंचा। वहां पर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू चल रहे थे। कई लोग वहां पहुंचे किसी ने टाई लगाई थी, वहीं कई युवतियां, महिलाएं साड़ी पहनकर आर्इं थीं। कई प्रतिभागियों को जब पता चला कि मैं जर्नलिस्ट हूं तब वे बोले भाई साहब आप ऐसी खबर छापिए जिससे पीएससी वाले लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के नंबर दिखाएं क्योंकि ऐसा न करने से धांधली(सेटिंग) का डर बना रहता है।
उन लोगों को मैंने कहा हां हम प्रयास करेंगे कि ऐसी खबर बनाएं इसके बात कुछ विशेषज्ञों से मेरी बात हुई जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि यह एक गोपनीय प्रक्रिया है और भर्ती में कोई घपला नहीं होता।
आप भी जान सकते हैं अपने नंबर
मैं आपको बता दूं कि धांधली का पता लगाना तो संभव नहीं लगता पर आप अपने नंबर जान सकते हैं वो भी सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाकर। जी हां आरटीआई ही ऐसा हथियार है जिससे आप लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के नंबर जान सकते हैं। अगर कोई आरटीआई से जानकारी न दे तो हाईकोर्ट का दरवाजा खुला है। पर हां दूसरों के नंबर नहीं जाने जा सकते, ऐसे में प्रतिभागी अपना आंकलन कैसे कर सकता है। अत: साक्षात्कार का सच जानना आज भी मुश्किल ही है।

Saturday, February 19, 2011

मैच देखो और देखने दो


हालाकि दुनिया में कोई मायने नहीं रखता क्रिकेट, फुटबॉल, ओलंपिक खेलों के बादशाह हैं। मात्र 14 देशों के बीच खेले जा रहे खेल ने भारत को गुलाम बना लिया है। इसके बाद भी क्रिकेट वर्ल्ड कप की धूम मची हुई है। इन सभी के बीच में टीवी के सामने भारतीय लोगों को मुफ्त में ज्ञान बांटने की आदत कुछ ज्यादा ही है। जब विलेन हीरो को मारता है तो जनता मन में सोचती है, हीरो मद्दी है, जब सनी देओल चिल्लाता है तो लोग हवा में उड़ जाते हैं तो सिनेमा में बैठा दर्शक बड़ा  ही खुश होता है।
इन सबसे अलग है क्रिकेट।

भारत और बंगला देश के बीच मैच चल रहा है भारत पहले बेटिंग कर रहा है,
एक भाई साहब बोले- देखा अपना सहवाग कमाल कर रहा है।
दूसरे भाई साहब- मैंने तो पांच ओवर बाद ही बोल दिया था आज सहवाग खूब खेलेगा।
दो लोगों की बात खत्म ही नहीं हुआ तीसरे टपक पड़े- आज तो इंडिया जीत ही जाएगी
लेकिन पहले सचिन को उतारना चाहिए, दूसरा नई यार सहवाग ही कमाल कर देगा।
तीसरा- भैया बेटिंग नहीं बॉलिंग देखी बंगला देश की। उखाड़ कर रख देंगे।
अब रहा नहीं गया तो चौथे भाई भी पास आ गए और हां यार कांफिडेंस देखा गंभीर का तभी तो मस्त खेल रहा है, इतने में ही विकेट गिर गया और गंभीर पिच से गायब
कहीं से आवाज आई यार उसको हल्के से प्लेट करना था, तेजी से खेल गया, इसलिए निपट गया।
 भाई साहब किसी महान पुरुष ने कहा है ‘बगैर मांगे सलाह तो देनी ही नहीं चाहिए।’ और क्रिकेट जिसके बारे में बड़े-बड़े कोच हैं अनुभवी खिलाड़ी। तो काहे को अपनी एनर्जी वेस्ट कर रहे हो......
फालतू की बातें
मैच देखों और देखने दो

Monday, February 7, 2011

बड़े काम की चीज है

 
रोटीवेटर
छोटा हार्वेस्टर
रीपर
छोटा ट्रेक्टर
टपक सिंचाई
प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय
ग्रीन हाउस
भोपाल में कश्मीरी ज्यूस
कंडे भी बिक रहे हैं दाई
संतरे लगाओ खूब कमाओ
सफेद मुसली
शराब पीना जरूरी नहीं है
आलू लगाओं लखपति बनो
आवले के लड्डू

कंडे भी बिक रहे हैं दाई
पशुओ के गोबर को गोल-गोल कर कंडे बनाते तो खूब देखे हैं मैंने पर दादी ने कंडों से सिर्फ खाना ही बनाया था। पर मेले के कंडे तो अद्भुत थे ये बिकने रखे थे, बताया गया कि इन कंडों से आप यज्ञ भी कर सकते हैं। अच्छा है एक बढ़िया व्यवसाय शुरू कर सकते हैं किसान।

भोपाल में कश्मीरी ज्यूस
मेले में घूम-घूमकर मैं थक गया आखिर गर्मी का मौसम जो शुरू हो गया है। तो मैं गया मेले में आए कश्मीर के कृषि विभाग के स्टॉल में जहां पर कश्मीर से लाए गए स्पेशल सेब (एप्पल) से ज्यूस बनाकर दिया जा रहा था। वो भी सिर्फ 10 रुपए में क्या बात इतना सस्ता। मैंने भी एक गिलास पीने की ठानी और गटक गया। पता नहीं कश्मीर जाने को कब मिले कम से कम ज्यूस ता पी लिया मैंने।

प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय
मध्यप्रदेश में दो कृषि विश्वविद्यालय हैं एक महाकौशल जबलपुर में और दूसरा ग्वालियर में। जबलपुर में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय और ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय नाम दिया गया है। आपको बता दें 2 साल पहले ही ग्वालियर में कृषि विवि की शुरूआत हुई है। ये दो यूनिवर्सिटी अच्छे कृषि वैज्ञानिक तैयार कर रही हैं। पर खेद की बात यह है कि अधिकतर छात्र मैथ्स-बायो लेकर इंजीनियरिंग मेडिकल में कैरियर बनाना चाहते हैं पर कृषि में उज्जवल भविष्य उन्हें दिखाई नहीं देता। इसका बड़ा उदाहरण है कि कई वैज्ञानिक संस्थानों में कृषि अधिकारियों, वैज्ञानिकों की कमी है। उन्हें अच्छे प्रतिभागी नहीं मिल रहे हैं।

रीपर
यह भी बड़ी काम की छोटी मशीन है आप अपनी टू व्हीलर बाईक में टांगकर एक गावं से दूसरे शहर तक जा सकते हैं। इसका काम भी फसल काटने का है। कीमत सिर्फ 80-90 हजार रुपए। इससे कटाई तो होती है पर फसल गट्ठे बन जाती है। इसके बाद गहाई (फसल से दाने निकालना) अलग से करवानी पड़ती है। इसका उपयोग लोगों ने व्यवसाय के रूप में भी किया है। 400 से 500 रुपए घंटे लेकर लोग दूसरे के खेतों की फसल काटते हैं इससे उन्हें अच्छी आमदनी मिल जाती है।

सफेद मुसली
सफेद मुसली यानी किसानों को करोड़पति बनाने वाली फसल। सफेद मुसली का उपयोग दवाई बनाने में होता है भारत में तो कम पर विदेशों में इसकी कीमत बहुत अधिक है। सफेद मुसली से सेक्स बढ़ाने संबंधी दवाएं बनाई जाती हैं। मध्यप्रदेश में मुसली का अच्छा बाजार न होने से बहुत कम ही लोग लगाते हैं। लेकिन आपको बता दें एक एकड़ में आप 1 लाख रुपए लगाकर 4 लाख रुपए तक कमा सकते हैं। तो क्यों ने इसकी खेती की जाए। वर्तमान में सबसे ज्यादा फायदा देने वाली फसल है सफेद मुसली।


संतरे लगाओ खूब कमाओ

अगर आपके पास पानी की कमी है और आप अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आप संतरे की खेती कीजिए। टपक सिस्टम से सिंचाई करने के बाद संतरे का उत्पादन मध्यप्रदेश के कई जिलों में किसान कर रहे हैं।

टपक सिंचाई
वर्तमान समय में पानी का कम होना, जलस्तर गिरना बड़ी समस्याएं हैं। ऐसे में खेतों की सिंचाई करना एक बड़ी समस्या बनेगी इसलिए अभी सचेत होना जरूरी है। इस समस्या से बचाने हमारे वैज्ञानिकों ने तैयार किया ‘टपक सिंचाई सिस्टम’ इसके द्वारा पानी टपक-टपक के खेतों में गिरता है। खास बात यह है कि इससे पानी की बचत होती है और फसल की जड़ तक पानी जाता है। इस सिस्टम का उपयोग सब्जी, संतरे व अन्य फल वाले बड़े पेड़ों के लिए उपयुक्त होता है। गेहूं, सोयाबीन के लिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। कम लागत, कम पानी में ज्यादा फायदा देने वाला यह सिस्टम  छिंदवाड़ा, बैतूल आदि जिलों के खेतों में आप देख सकते हैं।

आलू लगाओं लखपति बनो
मम्मी लेज की चिप्स खाने हैं , नहीं मुझे तो बिंगो ही चाहिए। जी हां अकसर छोटे बच्चे यही कहते देखे जाते हैं। 10 चिप्स की कीमत 5 रुपए होती हैं। चिप्स बनते हैं आलू से बस ज्यादा कमाने की ललक हो तो कोई भी ईमानदारी से अमीर बन सकता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों से आलू खरीदती हैं जिससे चिप्स बनाए जाते हैं। मुरैना के किसान उन किसानों से अलग है, जो सोयाबीन गेहूं की फसल लगाकर हमेशा खेती-बाड़ी को कोसते हैं। इस किसान ने आलू की खेती की और उत्पादन हुआ तो 1 किलो तक के आलू का उत्पादन किया। अब वह कम ही समय में लखपति बन गया है। किसान और व्यापारी भी आलू की खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

आवले के लड्डू
सबसे ज्यादा विटामिन सी का स्रोत आंवला भी प्रदर्शनी में आया था। प्रदर्शनी में किसानों का आंवले के लड्डू, मिठाईयां देखने को मिलीं। स्टॉल वालों ने बताया कि आप अपने खेतों में आंवला की खेती करें और इस आवला को कंपनियों को बेंचे और अधिक मुनाफा कमाएं। अगर किसान उद्यमी है तो वह खुद की प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकता है और आंवले से उत्पाद बना सकता है।

शराब पीना जरूरी नहीं है
रतलाम के एक किसान ने पहले तो अंगूरों की खेती की, पर जब उसे ज्यादा कमाने की सूझी तो उसने अंगूर से शराब (वाईन) बनाने की ठान ली। और लगा लिया प्लांट। इस फोटो को देखिए इसकी कीमत 150 रुपए तक है। वाईन बनाने वाला किसान जल्द ही अच्छे रुपए कमाने लगा है।

छोटा हार्वेस्टर
आजकल मजदूरों की कमी है ,इसलिए फसलों की कटाई के लिए मशीन ईजाद की गई है, यह ऐसी मशीन है जिससे फसल कटाई, गहाई सब एक साथ जल्दी-जल्दी हो जाती है। और हमें घर में सीधा दाना मिलता है। लेकिन बड़े हार्वेस्टर 15 से 20 लाख रुपए के आते हैं एक मध्यमवर्गीय किसान के लिए उसे लेना संभव नहीं होता, इसलिए हमारे वैज्ञानिको ने छोटा हार्वेस्टर ईजाद कर दिया। इसे हर किसान खरीद सकता है। इसकी कीमत 2 से 3 लाख रुपए तक है। इसे रखने के लिए एक बाईक बराबर जगह की जरूरत होगी।

छोटा ट्रेक्टर
बड़े-बड़े टेÑक्टर तो आपने बहुत देखे होंगे पर यह छोटा ट्रेक्टर मस्त चीज है। अपनी स्वयं की खेती करने के लिए यह अच्छा यंत्र है। आप इससे अपनी खेती आराम से कर सकते हैं। पर इसकी कमी मुझे देखने को मिली आप इसका व्यवसायिक उपयोग नहीं कर सकते। इसके टायर भी छोटे-छोटे हैं जो गीली मिट्टी में फंस सकते हैं और ज्यादा लोड नहीं लेगा। टायर भी जल्द खराब हो सकते हैं। हां लेकिन इतनी सस्ती कीमत में और क्या मिलेगा। इसकी कीमत 2 से 3 लाख रुपए तक बताई गई है।

ग्रीन हाउस
ग्रीन हाउस क्या है और इसका क्या उपयोग है? यह प्रश्न कक्षा पांचवी में मैंने पढ़ा था बड़ा ही आईएमपी यानी परीक्षा में पूछा जाने वाला महत्वपूर्ण प्रश्न हर साल परीक्षा में आता था पर कभी प्रेक्टिकल नहीं बताया गया हमें बनता ही नहीं था। लेकिन मेले में यह बड़ा मॉडल देखने को मिला। ग्रीन हाउस वह घर है जिसके अंदर सूर्य की किरणें प्रवेश तो करती हैं पर घर से बाहर नहीं निकल पातीं। जब किसी क्षेत्र में आत्याधिक ठंड पड़ती है तो वहां खेतों में ऐेसे घर बना दिए जाते हैं जिसमें एक विशेष प्रकार की पॉलीथिन की छत बना दी जाती है। वहां से सूर्य की किरण प्रवेश करती हैं और अंदर की फसल को गर्म   बनाए रखती हैं। जिससे फसल को ठंड से नुकसान नहीं पहुंचता।

रोटीवेटर
इस यंत्र का काम है मिट्टी को पलटना यानी जब किसान हार्वेस्टर या मजदूरों द्वारा फसल को कटवाया जाता है तो नीचे की फसल का भाग बच जाता है, इसे साफ के लिए किसान खेतों में आग लगाता है जिससे कई नुकसान होते हैं जैसे- पर्यावरण प्रदूषण, दूसरे की फसलों में आग लग जाना, जंगलों में आग लगना, किसी का घर जल जाना, और सबसे बड़ी हानि स्वयं किसान को ही होती है। इससे मिट्टी का उपजाऊपन कम होता है। हां रोटीवेटर से यह सब नहीं होता इसे ट्रेक्टर में फंसाकर चलाने से खेत का कचरा मिट्टी के नीचे चला जाता है और एक साल बाद दबे-दबे खाद में बदल जाता है इससे खेत की उर्वरा क्षमता भी बढ़ती है।
   
 

मृदा परीक्षण केंद्र
जिस प्रकार हम दवाई खाने के पहले उसकी एक्सपायरी डेट देखते हैं, डॉक्टर से मिलने से पहले उसकी विशेषज्ञता जांचते हैं उसी प्रकार फसल बोने से पहले मिट्टी का परीक्षण जरूरी होता है। कौन सी मिट्टी में कौन सी फसल अधिक उत्पादन देगी, मिट्टी अम्लीय (एसिडिक) है या क्षारीय (बेसिक) या फिर उदासीन है, यह मृदा परीक्षण के बाद ही पता चलता है। आपका बता दूं भोपाल के गौतम नगर स्थित सरकारी लैब है यहां पर आप अपने खेत की मिट्टी नि:शुल्क चैक करवा सकते हैं। जबलपुर, ग्वालियर, सीहोर, इंदौर, आदि जगह भी यह टेस्ट होते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने कृषि विकास अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं।




नोट- अधिक जानकारी के लिए निकटतम कृषि विभाग के कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं। या फिर मेरे मेल पर संपर्क कर सकते हैं।

Friday, February 4, 2011

भैया सरकारी काम ऐसो ही होत है

-deepak rai 
sub editor and farmer bhoapl
  मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा कृषि मेला है ‘फार्मटेक-2011’ राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राऊंड में विशाल टेंट के अंदर लगे इस मेले में देश-भर से वैज्ञानिक, एनजीओ, संस्थाएं और कई स्टॉल आए हैं। लेकिन खेद किसान ही ’नहीं’ आए।
  यह सरकार की बड़ी असफलता ही कही जाएगी कि वह किसानों को यहां तक लाने में असमर्थ रही।
मेरा विश्लेषण-
क्यों नहीं आए किसान(किसानों से साक्षात्कार पर आधारित)
1. वर्तमान समय में किसानों की फसलों में पानी सिंचाई चल रही है वे इतना महत्वपूर्ण कार्य छोड़कर मेले में कैसे आ सकते हैं।
2. प्रदेश के कई शहर इतनी दूर हैं कि आने-जाने कि दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
3. मेला का पर्याप्त प्रचार-प्रसार नहीं किया गया।
4. किसानों का शासन-सरकार के प्रति निराशा होना।
5. किसानों का सोचना है कि जब पटवारी से प्रमाण पत्र बनवाने में पैसे लगते हैं तो पता नहीं मेले में कितनी लूट मचती होगी।
6. पैसों की दिक्कत, अधिकतर किसान गरीब हैं।





मेला-वेला छोड़ो यार चलों नींद ले लें।

सोलर एनर्जी (सौर उर्जा) से चलने वाला यह पंप वाकई काम की चीज है।


कश्मीर का कृषि विभाग ने भी अपना स्टॉल यहां लगाया है।

मस्त छोटा सा हार्वेस्टर, देखने पर मजा आ गया।


प्रमुख गेट।

कुछ झलकियां घटना स्थल से


3 फरवरी घटना करीब 3 बजे की है
मैं लाल परेड ग्राउंड में प्रवेश कर ही रहा था कि सामने से किसाना चले आ रहे थे, चिल्लाते हुए ‘अरे यार कहन भर के पटेल हैं गंदी गाली.... खाना के पेकट लेन नाने कैसो घुसो बेटा , अपन खे तो मिलोई नई ’ दूसरा किसान ‘तू ही तो मरो जात तो खाना के नाने मैं तो पहलेई कहततो नई लगें लाईन में, देख लओं खान नाने भी नई मिलो और धक्का खाओ वो अलग’
तीसरा साथी
‘अरे रहन दे रे रमेश होटल चलिएं नाश्ता-माश्ता खा लेत हैं’
इतने में एक आदमी की आवाज आई
चलो विदिशा सिहोर की बस चली
इतना सुनते ही भूखे किसान बोल
‘नाश्ता-फास्ता छोड़ो रे घर चलिएं कहां बेकार में फंस गए हीयां’
एक बस सामने आई और वे लोग उसमें बैठ गए।
3.30 बजे
मैं अंदर गया तो सामने ही मारुति वाले की कार जो कई शहरों के शो रूम से उठ गई है हां हां मारुति 800 खड़ी हुई थी। कंपनी उस कार का प्रदर्शन कर रही थी। वहां किसानों की भीड़ देखिए साहब
मैंने पूछा भईया यहां क्या हो रहा है
कई किसान एक साथ बोले पर्ची भर दो पर्ची
एक किसान-‘भईया जा सिलिप भर दो भागन से मारुति मेल जाहे तोम्हे’
मैंने भी सोचा क्यों न भाग्य आजमाया जाए
एजेंट से पर्ची ली और भर दिया, इतने में 4-5 किसान मेरे पास आए ‘भईया पेन दईओ, अरे मेरी स्लिप भी भर दो’ मैंने उनकी कूपन भर दी इतने में एक ने मेरा पेन मांग लिया। एक के बाद एक वह कई स्लिप भरता गया आखिर मुझे ही कहना पड़ा अरे भईया मेहे आफिस जाने है पेन दे दे।
4 बजे
मैं अंदर गया तो कई स्टॉल लगे थे कई सरकारी विभाग के जहां पर ऐसे मॉडल प्रदर्शित थे(बड़े-बड़े टमाटर, अमरूद, अन्य सब्जी आदि) जिन्हें देखकर लगा कि कहां पड़े हैं हम नौकरी में खेती बाड़ी कर कमाया जाए। पर खेद हुआ स्टॉल में जानकारी देने विभाग के विशेषज्ञ नहीं बल्कि लिपिक और चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारियों को बैठा दिया गया था। वे ही जानकारी दे रहे थे। कुछ जगह ही अधिकारियों के दर्शन हुए वे भी आयोजन कराने वालों को कोस रहे थे ‘सालों ने पानी की व्यवस्था तक नहीं करी’
इतने में किसानों का एक समूह आपस में बातें करते हुए मेरे पास से गुजरा
 ‘भईया सरकारी काम ऐसोई होत है’
इतने में मैंने मोबाईल देखा तो 4.30 हो गए थे और मैं आॅफिस के लिए लेट हो गया था मैं सरपट वहां से निकल गया।
4 फरवरी दूसरा दिन
समय 2.30 बजे
 तीन तारीख को छूटे प्रदर्शन देखने में फिर प्रदर्शनी में गया तो बिल्कुल सन्नाटा। आवाज सिर्फ विज्ञापनों की जो टेक्टर वाले, हार्वेस्टर वाले।
किसानों की संख्या 100 भी बड़े मुश्किल से रही होगी।
 प्रदेश के सबसे बड़े मेले का यह हश्र क्या होगा खेती का, किसानों का और सरकार के ऐसे आयोजनों का?

Saturday, January 29, 2011

बेईमानों की कविता

  ये बेईमान भी कैसे-कैसे होते हैं।
खुलती है इनकी पोल जब अति करते हैं।
छापा पड़ा घरों में देखिए
सरकारी इंजीनियर करोड़पति होते हैं।
मध्यप्रदेश मे भी खूब बेईमान दिखे यारो
विधुत मंडल के इंजीनियर भी करोड़ों में खेलते हैं।
जब उस सड़क पर दीपक चले तो रो दिए
गड्ढे भी अपनी दुदर्शा पर रोते हैं
हमारे कमजोर पुल भी इंजीनियरों को कोसते हैं।
जिस देश में बहती हो गरीबी
जहां करोड़ों लोग भूखे पेट सोते हैं।
उन हरामियों को तो देखों
करोड़ों रुपए के बंगलों में नींद की गोली लेते हैं।
इन्हें नीद भी आए तो कैसे राय
इनके पैसे तो बैंक में भी सुरक्षित नहीं होते हैं।
गांव में स्कूल भी बनवाना हो तो
रिश्वत लेकर ये इंजीनियर घटिया बिल्डिंग पास कर देते हैं।
20-25 हजार की नौकरी करने वाले नौकर,
तभी तो कार-बंगला और ऐश भी करते हैं।
नेताओं से मिलकर बांटते हैं रिश्वत
रिश्वत मिले तो लूट लें मां की ईज्जत
इनके लिए रिश्ते-नाते भी कहां होते हैं।
अपनी परिवार भला रहे तो सब भला,
बांकी लोग इनके दुश्मन होते हैं।
लोग जिंदगी भर मेहनत कर नहीं बना पाते आशियाना (घर)
क्योंकि ये बेईमान ही सबका पैसा अपने पास रखते हैं।
दौलत की कमी नहीं है मेरी भारत माता है पास,
कोई 100 रुपए को तरसा, तो कोई करोड़ों पर खेलते हैं।
का अड्डा बन गया है देश
वरना राय भी कहां ऐर-गैर लिखते हैं।
-दीपक राय, उपसंपादक भोपाल।
  बेईमानों की खबरें पढ़ने पिछला लेख पढ़े।

अरबपति निकले दो इंजीनियर

  शिवपुरी स्थित रामनिवास शर्मा का निवास, जहां शुक्रवार को (28 जनवरी 2011)छापा मारा गया।




















छापों में अरबों की काली कमाई उजागर
लोकायुक्त पुलिस और आयकर विभाग ने प्रदेश में कई स्थानों पर मारे छापे, बेहिसाब संपत्ति का किया खुलासा
शिवपुरी/भोपाल/ग्वालियर 29 jan
सड़क विकास प्राधिकरण भोपाल के महाप्रबंधक आलोक चतुर्वेदी और उपयंत्री रामनिवास शर्मा के भोपाल, विदिशा, शिवपुरी तथा ग्वालियर स्थित घर तथा दफ्तरों पर लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने छापामार कार्रवाई की। इस कार्रवाई में अब तक 3.13 करोड़ कीमत की चल-अचल संपत्ति मिली है।
लोकायुक्त पुलिस ने चारों जगह शुक्रवार सुबह एक साथ छापे मारे। भोपाल में आलोक चतुर्वेदी के निरूपम रॉयल पाम कॉलोनी जाटखेड़ी में कार्रवाई हुई। एसपी लोकायुक्त बीपी चन्द्रवंशी ने बताया कि कार्रवाई के दौरान दो डुप्लेक्स, जाटखेड़ी में ही चार मंजिला गर्ल्स हॉस्टल, मानसरोवर कॉम्पलेक्स, होशंगाबाद रोड में एक दुकान तथा जाटखेड़ी के केसरी गांव में 45 एकड़ जमीन मिली है। इसके अलावा इंडिका कार, मोटरसाइकिल भी मिली है। वहां से मिली कुल संपत्ति 1 करोड़, 94 लाख 70 हजार रुपए कीमत की बताई गई है। श्री चन्द्रवंशी ने बताया कि ग्वालियर के गोविंदपुरी स्थित सपना मेंशन के डुप्लेक्स नंबर चार पर जब लोकायुक्त टीम पहुंची तो पता चला कि यह डुप्लेक्स एक साल पहले ही बिक चुका है। भोपाल स्थित मकान से एसबीआई की एक ब्रांच के लॉकर की चाबी भी मिली है।
श्री चन्द्रवंशी ने बताया कि आलोक चतुर्वेदी चंूकि ग्वालियर के निवासी हैं, इसलिए यहां भी कार्रवाई करना पड़ी।
विदिशा से मिला वाहनों का जखीरा
विदिशा में आलोक चतुर्वेदी के रिश्तेदार उपयंत्री रामनिवास शर्मा के कई ठिकानों पर दबिश देकर वहां से पांच डंपर, बुलेरो कार, एक मारुति वैन, टाटा सफारी, एक जेसीबी मशीन, पानी का टैंकर, दो टैÑक्टर, मैक्स 100 (लोडिंग वाहन ) बरामद हुए हैं।
शिवपुरी में दफ्तर पर छापा : लोकायुक्त पुलिस ने शिवपुरी में उपयंत्री रामनिवास शर्मा के मकान तथा आलोक चतुर्वेदी तथा रामनिवास शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से संचालित इंफ्रा डेवलपर प्रतिष्ठान पर भी छापा मारा। शिवपुरी में हुई कार्रवाई के दौरान एक मारुति वैन, तीन स्कूटी सहित 1 करोड़ 18 लाख 40 हजार की संपत्ति बरामद होना बताई है।
प्रकरण दर्ज : रामनिवास शर्मा के मकान से इलाहाबाद बैंक, सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया, स्टेट बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ बडौदा आदि शाखाओं के तमाम बैंक खाते, लाकर आदि मिले हैं और इन लॉकरों को सील किया जा रहा है। रामनिवास शर्मा और आलोक चतुर्वेदी पर प्रथमदृष्टया ही अनुपात हीन सम्पत्ति का पता चला है। इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। 
  1.5 करोड़ नगद और 6 किलो सोना मिला. 30 jan
1.5 करोड़ मिले नगद
  नोटों की गिनती जारी
ल्ल छह किलो सोना मिला, समदड़िया ग्रुप का भी नाम आया, ढाई दर्जन बैंक खातों का खुलासा
प्रशासनिक प्रतिनिधि, भोपाल
जबलपुर में शंकरलाल केमतानी और उनके सहयोगी समूहों पर आयकर छापों की कार्रवाई में नित नए खुलासे हो रहे हैं। जबलपुर के व्यापार जगत के जाने-माने नाम समदड़िया समूह के निवेश से जानकारी से जुड़े दस्तावेज भी आयकर विभाग के हाथ लगे हैं। इस छापे का सबसे बड़ा खुलासा यह है कि इन सभी समूहों ने ‘आॅन मनी हवाला’ करके आयकर विभाग की आंखों में धूल झोंकी और अनेक प्रोजेक्ट्स में करोड़ों रुपए अलग-अलग नामों से निवेश किए। केमतानी सहित अन्य दोनों समूहों के कर्ता-धर्ताओं से आयकर विभाग को करीब डेढ़ करोड़ रुपए नगद और 6 किलो सोना मिल चुका है।
आयकर विभाग ने शुक्रवार को केमतानी समूह और उनके सहयोगियों शंकर मनचानी और रामचंद्र खटवानी के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर छापे मारे थे। कार्रवाई शनिवार को भी जारी रही, जो रविवार को भी जारी रह सकती है। केमतानी और उनके दोनों सहयोगी समूहों के प्रतिष्ठानों, निवास और साइट आफिस से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हो रहे हैं, जिनमें कई दूसरे व्यापारिक समूहों, प्रदेश के कद्दावर नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के निवेश की जानकारी हैं। इनमें कुछ रजिस्टर भी हैं जिनमें फ्लैट, दुकान बेचने की फर्जी इंट्रियां बताई जा रही हैं। सभी 20 ठिकानों पर चल रही कार्रवाई में विभाग को अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपए नगद मिल चुके हैं। नगदी के अलावा केमतानी, मनछानी और खटवानी के परिजनों के निवास और अन्य ठिकानों से अब तक 6 किलो सोने के जेवरात मिल चुके हैं। इसके अलावा ढाई दर्जन से ज्यादा बैंक खातों और करीब एक दर्जन बैंक लॉकरों की जानकारी विभाग को मिल चुकी है।
क्या है आन मनी हवाला
आन मनी हवाला यानी अपने पैसों को किसी और के नाम से निवेश करना। आयकर सूत्रों के मुताबिक इसके जरिए इन समूहों के कर्ताधर्ताओं ने न सिर्फ जबलपुर में बल्कि कटनी, सतना और कान्हा में बड़ी संख्या में प्रापर्टी खरीदी है। अपने पैसों को दूसरे नामों से निवेश किया और रजिस्ट्री अपने और परिजनों के नाम से कराई। इस तरह गड़बड़ियों के सबूत छापों के दौरान आयकर टीमों को मिले हैं।
समदड़िया ग्रुप का 60 प्रतिशत तक निवेश
मुस्कान ग्रुप के प्रोजेक्ट के करीब आधा दर्जन प्रोजेक्ट में समदड़िया ग्रुप की 60 प्रतिशत तक भागीदारी है लेकिन वास्तविक दस्तावेजों में इस भागीदारी को छुपाया गया है। बताया जाता है कि आयकर विभाग ने करीब 6 महीने में जबलपुर में ही मुस्कान ग्रुप के ठिकानों पर सर्वे की कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में मिले दस्तावेज के आधार पर ही इस बार छापे मारे गए हैं। समदड़िया समूह मुख्यत: ज्वैलरी का काम करता है लेकिन इसके कई दूसरे धंधे भी हैं।
6 करोड़ सरेंडर, केमतानी की मां बीमार
देर रात तक मुस्कान ग्रुप के मालिक शंकर मनचानी ने आयकर विभाग के सामने छह करोड़ रुपए की कर चोरी कबूल करते हुए इतनी राशि सरेंडर कर दी है। कार्रवाई के दौरान केमतानी ग्रुप की कौशल्या केमतानी को सीने में दर्द की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

लॉकर में मिले छह लाख
पीसं, ग्वालियर। मप्र सड़क विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक आलोक चतुर्वेदी के भोपाल स्थित एसबीआई के लॉकर से लोकायुक्त टीम को छह लाख नगद मिले हैं, जबकि शिवपुरी का लॉकर खाली मिला है। जांच टीम को भोपाल के गर्ल्स हॉस्टल से शराब की बोतलें बरामद हुई हैं। भोपाल में जांच कर रहे लोकायुक्त निरीक्षक सुरेन्द्र राय शर्मा ने बताया कि शनिवार को एसबीआई की विद्यानगर शाखा में आलोक चतुर्वेदी के लॉकर को बैंक अधिकारियों के सामने खोला गया। लॉकर से सिर्फ 5.95 लाख रुपए नगद मिले हैं। शिवपुरी में रामनिवास शर्मा का लॉकर खाली मिला। जाटखेड़ी स्थित आलोक चतुर्वेदी के आलीशान बंगले में लोहे के पलंग और टेंट हाउस के गद्दे से हैरत है। लोकायुक्त टीम से जुड़े सदस्यों का मानना है कि आलोक चतुर्वेदी के यहां छापामार कार्रवाई की सूचना लीक हुई है।
हालांकि छापों में बरामद दस्तावेजों पर जांच की सुई अटक गई है। 
पीडी अग्रवाल ने किए 9 करोड़ सरेंडर
इंदौर।  आयकर विभाग द्वारा शुक्रवार को पीडी अग्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रालि के चार स्थानों पर किए गए सर्वे में शनिवार को 9 करोड़ रुपए सरेंडर करवाए गए हैं। इसके अलावा इंदौर और उज्जैन के अफसरों ने टीम ने पिछले दो दिनों में लगभग दर्जनभर स्थानों से 22 करोड़ रुपए से ज्यादा सरेंडर करा लिए हैं। इंदौर में चावला कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रालि ने शुक्रवार को 7 करोड़ रुपए सरेंडर किए थे। वहीं बुरहानपुर और ब्यावरा के गारमेंट, ज्वेलर्स और कृषि उपकरण व्यवसायियों से 2.62 करोड़ रुपए सरेंडर करवाए गए हैं। उधर उज्जैन आयकर विभाग के दल ने लगभग 3.40 करोड़ रुपए सरेंडर करवाए हैं।


Saturday, January 22, 2011

फांसी



  जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान मृतक किसान के परिजन एवं (इंसेट में) मृतक दाऊ लोधी।














29 jan ko chaphi report
   किसान ने फांसी लगाई
भोपाल। रातीबड़ के एक गांव के किसान ने शुक्रवार को सर्वे और कर्ज के टेंशन में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। रातीबड़ स्थित ग्राम सेमरी निवासी किसान पूरन सिंह अहिरवार (45) की गांव में दो एकड़ जमीन है। उनके दो बेटे दीपक (16) और सूरज (14) क्रमश: नौवीं व सातवीं कक्षा में पढ़ते हैं। पूरन ने शुक्रवार सुबह सात बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पत्नी शीला बाई ने बताया कि पाला से उनकी चना और गेहूं की फसल नष्ट हो गई थी।

पटवारी द्वारा इसका सर्वे नहीं किए जाने से वह परेशान था। इसके चलते पिछले एक महीने से पूरन नेहरू नगर में मजदूरी कर रहा था। पूरन ने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पड़ोसी से एक बोरा गेहूं समेत नकदी भी उधार ली थी। परिजन ने बताया कि पूरन ने कर्ज व फसल नष्ट होने से तंग आकर खुदकुशी की है। इस मामले में थाना प्रभारी एचएस पांडे ने बताया कि पुलिस मर्ग कायम कर मामले की जांच कर रही है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि बीती रात पूरन शराब पीकर घर पहुंचा था। पत्नी द्वारा दरवाजा नहीं खोलने पर उसने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
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फिर चार किसानों पर मंडराई मौत
पीपुल्स संवाददाता, टीकमगढ़/सीहोर/सागर
पाले से खराब फसल से चिंतित किसानों की आत्महत्याओं का दौर जारी है। सीहोर, टीकमगढ़ और सागर में किसानों ने जान देने का प्रयास किया, जिसमें एक की मौत हो गई, जबकि दो की हालत गंभीर बताई जाती है।
टीकगमढ़ के कुडीला थाना अंतर्गत ग्राम हृदयनगर के ग्रामवासी 26 वर्षीय किसान दाऊ लोधी ने कीटनाशक की दवा का सेवन कर लिया। उसकी चार बेटियां हैं, जिनमें से एक तो सिर्फ 6 माह की है। ग्रामवासियों के अनुसार पर उसने साहूकारों से ब्याज पर तीस हजार रुपए एवं सहकारी समिति से पच्चीस हजार रुपए का कर्ज लिया था। फसल से बीज की लागत भी नहीं निकल रही थी।  ग्रामीणों ने बताया कि पिछले काफी दिनों से दाऊ अपनी फसल और बढ़ते कर्ज व ब्याज के चलते परेशान था और इसी वजह से उसने कीटनाशक पिया। सीहोर जिले की नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम इटावा के रहने वाले गंगाराम ने भी जहर पीकर जान देने की कोशिश की।
उधर, सागर की देवरी तहसील में एक किसान ने भी पाले की वजह से बरबाद हुई फसल के चलते जान देने का प्रयास किया।

28 jan ki report peoples
सदमे से किसान की मौत
शमशाबाद/विदिशा। जिले में सदमे से एक किसान की और मौत हो गई। कर्ज के  बोझ तले इस किसान की तुअर फसल पाले से बर्बाद हो गई थी। जानकारी के अनुसार रमपुरा जागीर निवासी 50 वर्षीय अमरचंद पिता सुंदरलाल साहू के पास 17 बीघा जमीन है। उसने 15 बीघा में तुअर की फसल बोई थी। पांच घंटा थ्रेसर चलाने के बाद मात्र तीन बोरा ही तुअर निकली। मंगलवार को अमरचंद यह तुअर बेचने शमशाबाद मंडी गया था और उसी शाम वह घर लौटा और उसे घबराहट होने लगी। परिवार वाले किसान को जीप से भोपाल लेकर निकले, जहां उसकी रास्ते में ही मौत हो गई। मृतक के बड़े लड़के ने बताया कि पिता पर डेढ़ लाख का कर्ज भी है। उसकी मां पिछले तीन-चार साल से बीमार
चल रही है।

भोपाल के एक निजी अस्पताल के डाक्टरों ने अमरचंद की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है।

 दो किसानों ने लगाई फांसी
22 jan ki report bhaskar

abhi tak kitni gayi jane
दमोह 3

छतरपुर 2

सीहोर 2

छिंदवाड़ा 1

नरसिंहपुर 1

विदिशा 1

बर्बाद फसल के सदमे से गई तीसरे की जान

भास्कर न्यूज & छतरपुर
प्रदेश में शुक्रवार को छतरपुर जिले के दो किसानों ने फांसी लगा ली, वहीं विदिशा जिले में एक की बर्बाद फसल के सदमे से मौत हो गई। दमोह जिले के एक किसान की पत्नी ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।

छतरपुर जिले के ग्राम पंचायत महेबा के पुरवा गांव का किसान लखनलाल कुशवाहा (40) का शव उसी के खेत पर एक पेड़ से लटका हुआ मिला। उसके भाई धरमदास एवं गांव वालों ने बताया लखन के खेत में तुअर की फसल बर्बाद हो गई थी, वहीं उसे बीमारी ने भी घेर लिया थी। वह कर्ज में डूब गया था। उधार वापसी के लिए उसपर दबाव बढ़ता जा रहा था। उसकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी को लेकर भी वह परेशान था। मामले में थाना प्रभारी ओरछा रोड एनएस बैस का कहना है कि परिवारजनों ने पुलिस को दिए बयानों में फसल खराब होने के कारण आत्महत्या करना बताया है।

इसी तरह नाथनपुरवा गांव में भी एक किसान कुंजीलाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों के अनुसार कुंजीलाल फसल खराब होने से परेशान था। ईशानगर थाना प्रभारी एएसआई एसएस खान का कहना है कि मृतक की पत्नी ने उन्हें बताया है कि उसके परिवार पर करीब 3 लाख रु का कर्ज था। इस मामले कलेक्टर ई. रमेश कुमार ने बताया कि कुंजीलाल पेश से कारीगर था। उसने हाल ही में एक प्लाट भी खरीदा था। मैंने एसडीएम और तहसीलदार को मामले की जांच आदेश दिए हैं। लखनलाल की आत्महत्या के कारणों की भी जांच की जा रही है।

Thursday, January 20, 2011

मैं पहुंचा खेतों तक

  ग्राम कलारबांकी के एक खेत में चौपट हुई तुअर की फसल


  खेतों से खरपतवार उखाड़ता एक किसान


  ग्राम कलारबांकी के एक खेत में चौपट हुई तुअर की फसल

  आइए तस्वीरों में आपको दिखाते हैं खेती और खेतों के हाल  कहां फसल अच्छी है और कौन किसान पूरी तरह लुट गया है। ये खेत हैं सिवनी जिले के ग्राम बीसावाड़ी और कलारबांकी के। विगत माह गिरे पाले(3 डिग्री से. से नीचे तापमान) ने जहां किसानों की फसल को खराब कर दिया वहीं हम उन किसानों से मिले जिन्होंने बताया कि उनकी फसल बच गई है क्योंकि वहीं फसल खराब हुई है। जो बहुत पहले ही बो  दी गई थी और जिसकी बालियां निकल गर्इं थीं। इस क्षेत्र में गेहूं लेट बोई गई थी। और यहां फसल अभी छोटी है इसलिए पाला से नुकसान नहीं हो पाया है ।
 वहीं एक फोटो देखें जिसमें तुअर की खड़ी फसल जिसमें अभी दाने पड़े ही थे वह पूरी तरह सूख गई । जिस फसल से किसान को हजारों रुपए मिलते वहां उसे फसल साफ करवाने में ही सौकड़ों रुपए खर्च करने पड़ेंगे ये तुअर की फसल कलारबांकी गांव की है।

Saturday, January 15, 2011

शिवकुमार जी ये क्या कह रहे हैं आप

  दीपक राय सब-एडिटर
एवं किसान भोपाल

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा अब  फिल्म को किसानों की आत्महत्या का कारण बता रहे हैं। उनका दावा है कि किसानों की बदहाली के लिए सरकार नहीं, बल्कि आमिर खान की फिल्म पीपली लाइव ज्यादा बड़ा कारण है। राजधानी में शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि बीते दो माह में दस किसान कर्ज के कारण मौत को गले लगा चुके हैं। ‘
शर्मा जी आप जैसे पढ़े-लिखे (एलएलबी व अन्य मास्टर डिग्री हासिल, सरकारी नौकरी छोड़कर किसानी अपनाई , किसानों के हम की लड़ाई के लिए भोपाल में महाबंद कराया) किसान हितौषी  किसान नेता ऐसा कैसे कह सकते हैं। अधिकतर फिल्में तो किसानों के हितों पर ध्यान रखते हुए बनाई गई हैं। और इन्हीं में से एक है ‘पीपली लाईव’ इस फिल्म के लिए तो आपको आमिर खान की तारीफ करनी चाहिए। उन्होंने किसानों को मोहरा बनाने वाले नेताओं और कुछ मीडिया का सच बताया है। ऐसे नेता मप्र में भी तो हो सकते हैं जो वोट बैंक के लिए किसानों को मोहरा बना रहे हों, हो सकता है कोई ‘तत्व’ हों जो किसानों के मन में आत्महत्या की बातें भर रहे हों। क्योंकि किसान तो अन्नदाता है। अगर वो खाद डालता है तो उतनी जितनी कि इंसान पचा सकता है। कभी आपने ‘गेहूं खाने से मौत’ या ‘दाल ने ली जान’ खबर नहीं पढ़ी होगी। अब तो शिक्षक भी किसान की दाल से फायदा उठाता है वह दाल कम पानी ज्यादा मिलाकर बच्चे को मध्यान भोजन खिलवाता है। इंजीनियर तो बेईमानी के चक्कर में पुल इतना कमजोर कर देता है कि वह पहली बारिश में ही बह जाए।  डाक्टर पैसे के चक्कर में प्रसूता को अस्पताल के बाहर ही छोड़ देता है और उसकी मौत हो जाती है। पुलिस रिश्वत के चक्कर में गरीब को जेल तक भिजवा देती है। बस किसान ही है जो ज्यादा लोभ नहीं करता। इसके बाद भी वह फसल खराब होने पर आत्महत्या नहीं करता। नुकसानी की भरपाई करने किसान रवि के मौसम में ‘चना की भाजी और मक्के की रोटी’ खाकर 3 महीने तक व्यतीत कर देता है। गर्मी में ‘बेर को पकाकर’ भोजन करता है। इसके बाद भी अगर अब आत्महत्या बढ़ीं है तो वह किसानों की कमजोरी को दर्शाती है। या फिर उनका नुकसान बहुत ज्यादा हो गया है। उन्हें नए तरीके से खेती के बारे में जागृत नहीं किया गया है।
ढूढिए वजह तो अच्छा होगा
किसानों की समस्याओं से लड़ने वाले लोगों से गुजारिश है कि वे किसानों के बीच जाकर गहरी रिसर्च करें, ऐसे किसान के पास जाएं, जो खरपतवार नाशी दवा डालता तो है पर, तब डालता है जब खरपतवार बहुत बड़े हो जाते हैं। नियम न जानकर वह नकली दवाएं खरीद लेता है। ऐसे किसानों को जागरुक करके ही समस्याएं कुछ हद तक दूर की जा सकती हैं, न कि फिल्मों को दोष देने से।

Thursday, January 13, 2011

‘बेटा खेती नई नौकरी कर’

   दीपक राय, सब एडिटर भोपाल।
बेटा खेती नई नौकरी कर हां यही बात सभी लोग बोलते हैं जब
मैं खेती करने की बात कहता हूं। भले ही क्लर्क की नौकरी क्यों न हो पर खेती न करना। फिर भी मैं खेती करने के इरादे पर अटल रहता हूं। एक बात तो तय है आप क्यों न जज बन जाएं, क्यों न सरकारी वकील या एसपी, कलेक्टर बन जाएं (अगर बेईमान न हुए तो) किसान के बराबर पैसा कभी भी नहीं कमा सकते। पर अब  वही किसान मौत को गले लगा रहा है। एक चपरासी के घर करोड़ों रुपए निकल रहे हैं। क्या हो रहा है यह? ऐसे में युवा खेती से मुंह न मोड़े तो आखिर क्या करे। मेरे गांव के अधिकतर बच्चे खेती न करने की चाह रखते हैं वे 150 दिन में स्कूल में अतिथि शिक्षक बनकर नौकरी करना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में मुझे चिंता सताती है कि अगर हर कोई ऐसा सोचेगा तो फसल कौन उगाएगा। हम खाएंगे क्या?

दिसंबर के आखिर और जनवरी के पहले सप्ताह पड़ी कड़ाके की ठंड ने विगत 50 सालों के रिकार्ड तोड़ दिए। प्रदेश में बर्फ जम गया। मैं तब हतप्रद रह गया जब मेरे चाचा की बेटी ने सुबह-सुबह पौधे की पत्तियों से बर्फनुमा ओस उठाकर मुझे दिखाया। कड़ाके की ठँडक में जहां लोग रजाई में दबकर गहरी नींद ले रहे थे। तब एक किसान जिसने कर्ज लेकर बुआई किया है। एक वह किसान जिसकी तुअर (जिसकी दाल हम खाते हैं) की फसल लगी है, वह रजाई में दबकर भी नींद नहीं लगा पा रहा था। आखिर पाला पड़ा(जब तापमान 3 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है तो ठंडक पौधों की पत्तियों में जमने लगती है। यह खुले इलाके यानी खेतों में ज्यादा होती है। और पूरी तरह  पौधा मरने लगता है।) पड़ा और किसान की फसल तबाह हो गई। अब कर्ज कैसे चुकाए, आने वाले महीने में क्या खाएं क्योंकि फसल तो कुछ भी नहीं बची। मुआवजा तो ऊंट के मुंह में जीरा के समान मिलेगा, पता नहीं वह भी कब मिलेगा। हां यह सच है प्रकृति हमेशा प्रहार नहीं करती वह भी किसानों की हितैषी भी है। पर इस बार तो नुकसान हो ही गया।
अब ऐसे में किसान बनने की चाहत कौन रखेगा। प्रकृति की मार झेल रहे किसान की पीड़ा पर मरहम लगाने की बजाए प्रदेश के कृषि मंत्री का घटिया बयान कि ‘यह तो किसानों के कर्मों का ही फल है’ अगर किसान को कर्मों का फल ऐसे ही मिलता है तो सोचिए भ्रष्ट मंत्रियों को उपर वाला क्या फल देगा। उन्हें इसकी चिंता आज से ही करनी चाहिए।
एक के बाद एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे में खेती कहां तक लाभ का सौदा होगी। ऐसे में कई बार मैं भी सोचता हूं कि किसान सहीं कहता है ‘बेटा खेती नई नौकरी करियो’




समाचार इस प्रकार है
(13 जनवरी को पीपुल्स समाचार में  प्रकाशित )
दमोह जिले के ग्राम महलवारा के किसान मोहन रैकवार द्वारा जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या के प्रयास के चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे कि बोरीखुर्द के किसान कन्हैयालाल पटेल (30) ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। दूसरी ओर नरसिंहपुर में तेंदूखेड़ा के कठौतिया निवासी चोखेलाल मेहरा (37) ने रेल से कटकर जान दे दी। बताया जाता है कि आर्थिक तंगी के चलते उसने यह कदम उठाया। रेलवे पुलिस ने उसके पास से सुसाइड नोट बरामद होने को नकारा है। नरसिंहपुर के ही करेली क्षेत्र में एक और किसान धनराज कौरव (55) पिता हरिराम कौरव ने सल्फास खाकर जान देने की कोशिश की, जिसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार इन तीनों ही मामलों में आर्थिक तंगी और पाले की वजह से फसल बर्बाद होने की वजह से अन्नदाताओं ने आत्मघाती कदम उठाया। हालांकि प्रशासन का दावा है कि जांच की जा रही है और आत्महत्या के प्रयासों के कारणों का पता जल्द ही लगा लिया जाएगा। दमोह में पाले से फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
दमोह जिले के हटा थाना अंतर्गत ग्राम बोरीखुर्द के छपरा निवासी कन्हैयालाल पटेल (30) ने बुधवार को सुबह पांच बजे खेत में रखे कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया। उसे इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हटा में भर्ती कराया गया जहां से उसे दमोह जिला चिकित्सालय रैफर कर दिया गया।
कन्हैयालाल के भाई संतोष पटेल ने बताया कि उसके भाई कन्हैया ने सात एकड़ जमीन शिवदयाल अहिरवार से 32,500 रुपए में तथा हटा निवासी शंकर स्वामी की 4 एकड़ जमीन सात बोरा चना में अधिया पर लिया था।  उसके भाई ने इस जमीन पर अरहर और मसूर की बोवनी की थी, लेकिन पाला पड़ने से उसकी संपूर्ण फसल तबाह हो गई।  कन्हैयालाल ने गांव के ही गुड्डू अहिरवार से 10 हजार व परम मिस्त्री से 20 हजार रुपए का कर्ज लिया था। 
तेरहवीं के लिए बेचे बैल
छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में किसान की तेरही के लिए उसके परिजनों द्वारा धन जुटाने के लिए कथित तौर पर एक जोड़ी बैल बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया है। पांढुर्णा तहसील मुख्यालय के गांधी वार्ड निवासी किसान मोतीराम खोड़े ने छह जनवरी को जहर खाया था, नागपुर में उसकी मौत हुई थी। मोतीराम के पुत्र ललित का कहना है कि उसके पिता पर 1.70 लाख रुपए का कर्ज था। ललित ने बताया कि आर्थिक तंगी के बीच 20 जनवरी को होने वाली तेरही भोज के लिए उन्होंने बैल जोड़ी बेचकर रकम जुटाई।
दमोह। मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया पाला पड़ने से हुई फसलों की बर्बादी को पुराने पापों का फल   मानते हैं। उनका कहना है कि खेती में रसायनों का इस्तेमाल बढ़ने से मिट्टी की सेहत खराब हुई है और उसकी प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो चुकी है। ऐसा होने से मिट्टी में नमी नहीं रहती और पाला अपना असर दिखा जाता है।  कुसमरिया ने कहा कि एक ओर जंगल कट गए हैं तो दूसरी ओर गाय का उपयोग कम हो रहा है। संतुलन गड़बड़ाने से यह हो रहा है।
किसानों की बर्बादी उनके पापों का फल
कुसमरिया ने प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ाने से मानव जाति के विलुप्त होने की भी आशंका जताई है। उनका कहना है कि जब डायनासोर विलुप्त हो सकते हैं, तो मानव क्या चीज है। उन्होंने आगे कहा है कि अब सचेत होने का वक्त आ गया है, अब प्रकृति से खिलवाड़ बंद कर उसे प्रसन्न करना होगा। इसके लिए वृक्षारोपण करना होगा, गोपालन को बढ़ावा देना होगा और जैविक खेती को अपनाना होगा। उन्होंने आशंका जताई कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो और भी घातक नतीजे सामने आएंगे।