Saturday, January 29, 2011

बेईमानों की कविता

  ये बेईमान भी कैसे-कैसे होते हैं।
खुलती है इनकी पोल जब अति करते हैं।
छापा पड़ा घरों में देखिए
सरकारी इंजीनियर करोड़पति होते हैं।
मध्यप्रदेश मे भी खूब बेईमान दिखे यारो
विधुत मंडल के इंजीनियर भी करोड़ों में खेलते हैं।
जब उस सड़क पर दीपक चले तो रो दिए
गड्ढे भी अपनी दुदर्शा पर रोते हैं
हमारे कमजोर पुल भी इंजीनियरों को कोसते हैं।
जिस देश में बहती हो गरीबी
जहां करोड़ों लोग भूखे पेट सोते हैं।
उन हरामियों को तो देखों
करोड़ों रुपए के बंगलों में नींद की गोली लेते हैं।
इन्हें नीद भी आए तो कैसे राय
इनके पैसे तो बैंक में भी सुरक्षित नहीं होते हैं।
गांव में स्कूल भी बनवाना हो तो
रिश्वत लेकर ये इंजीनियर घटिया बिल्डिंग पास कर देते हैं।
20-25 हजार की नौकरी करने वाले नौकर,
तभी तो कार-बंगला और ऐश भी करते हैं।
नेताओं से मिलकर बांटते हैं रिश्वत
रिश्वत मिले तो लूट लें मां की ईज्जत
इनके लिए रिश्ते-नाते भी कहां होते हैं।
अपनी परिवार भला रहे तो सब भला,
बांकी लोग इनके दुश्मन होते हैं।
लोग जिंदगी भर मेहनत कर नहीं बना पाते आशियाना (घर)
क्योंकि ये बेईमान ही सबका पैसा अपने पास रखते हैं।
दौलत की कमी नहीं है मेरी भारत माता है पास,
कोई 100 रुपए को तरसा, तो कोई करोड़ों पर खेलते हैं।
का अड्डा बन गया है देश
वरना राय भी कहां ऐर-गैर लिखते हैं।
-दीपक राय, उपसंपादक भोपाल।
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अरबपति निकले दो इंजीनियर

  शिवपुरी स्थित रामनिवास शर्मा का निवास, जहां शुक्रवार को (28 जनवरी 2011)छापा मारा गया।




















छापों में अरबों की काली कमाई उजागर
लोकायुक्त पुलिस और आयकर विभाग ने प्रदेश में कई स्थानों पर मारे छापे, बेहिसाब संपत्ति का किया खुलासा
शिवपुरी/भोपाल/ग्वालियर 29 jan
सड़क विकास प्राधिकरण भोपाल के महाप्रबंधक आलोक चतुर्वेदी और उपयंत्री रामनिवास शर्मा के भोपाल, विदिशा, शिवपुरी तथा ग्वालियर स्थित घर तथा दफ्तरों पर लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने छापामार कार्रवाई की। इस कार्रवाई में अब तक 3.13 करोड़ कीमत की चल-अचल संपत्ति मिली है।
लोकायुक्त पुलिस ने चारों जगह शुक्रवार सुबह एक साथ छापे मारे। भोपाल में आलोक चतुर्वेदी के निरूपम रॉयल पाम कॉलोनी जाटखेड़ी में कार्रवाई हुई। एसपी लोकायुक्त बीपी चन्द्रवंशी ने बताया कि कार्रवाई के दौरान दो डुप्लेक्स, जाटखेड़ी में ही चार मंजिला गर्ल्स हॉस्टल, मानसरोवर कॉम्पलेक्स, होशंगाबाद रोड में एक दुकान तथा जाटखेड़ी के केसरी गांव में 45 एकड़ जमीन मिली है। इसके अलावा इंडिका कार, मोटरसाइकिल भी मिली है। वहां से मिली कुल संपत्ति 1 करोड़, 94 लाख 70 हजार रुपए कीमत की बताई गई है। श्री चन्द्रवंशी ने बताया कि ग्वालियर के गोविंदपुरी स्थित सपना मेंशन के डुप्लेक्स नंबर चार पर जब लोकायुक्त टीम पहुंची तो पता चला कि यह डुप्लेक्स एक साल पहले ही बिक चुका है। भोपाल स्थित मकान से एसबीआई की एक ब्रांच के लॉकर की चाबी भी मिली है।
श्री चन्द्रवंशी ने बताया कि आलोक चतुर्वेदी चंूकि ग्वालियर के निवासी हैं, इसलिए यहां भी कार्रवाई करना पड़ी।
विदिशा से मिला वाहनों का जखीरा
विदिशा में आलोक चतुर्वेदी के रिश्तेदार उपयंत्री रामनिवास शर्मा के कई ठिकानों पर दबिश देकर वहां से पांच डंपर, बुलेरो कार, एक मारुति वैन, टाटा सफारी, एक जेसीबी मशीन, पानी का टैंकर, दो टैÑक्टर, मैक्स 100 (लोडिंग वाहन ) बरामद हुए हैं।
शिवपुरी में दफ्तर पर छापा : लोकायुक्त पुलिस ने शिवपुरी में उपयंत्री रामनिवास शर्मा के मकान तथा आलोक चतुर्वेदी तथा रामनिवास शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से संचालित इंफ्रा डेवलपर प्रतिष्ठान पर भी छापा मारा। शिवपुरी में हुई कार्रवाई के दौरान एक मारुति वैन, तीन स्कूटी सहित 1 करोड़ 18 लाख 40 हजार की संपत्ति बरामद होना बताई है।
प्रकरण दर्ज : रामनिवास शर्मा के मकान से इलाहाबाद बैंक, सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया, स्टेट बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ बडौदा आदि शाखाओं के तमाम बैंक खाते, लाकर आदि मिले हैं और इन लॉकरों को सील किया जा रहा है। रामनिवास शर्मा और आलोक चतुर्वेदी पर प्रथमदृष्टया ही अनुपात हीन सम्पत्ति का पता चला है। इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। 
  1.5 करोड़ नगद और 6 किलो सोना मिला. 30 jan
1.5 करोड़ मिले नगद
  नोटों की गिनती जारी
ल्ल छह किलो सोना मिला, समदड़िया ग्रुप का भी नाम आया, ढाई दर्जन बैंक खातों का खुलासा
प्रशासनिक प्रतिनिधि, भोपाल
जबलपुर में शंकरलाल केमतानी और उनके सहयोगी समूहों पर आयकर छापों की कार्रवाई में नित नए खुलासे हो रहे हैं। जबलपुर के व्यापार जगत के जाने-माने नाम समदड़िया समूह के निवेश से जानकारी से जुड़े दस्तावेज भी आयकर विभाग के हाथ लगे हैं। इस छापे का सबसे बड़ा खुलासा यह है कि इन सभी समूहों ने ‘आॅन मनी हवाला’ करके आयकर विभाग की आंखों में धूल झोंकी और अनेक प्रोजेक्ट्स में करोड़ों रुपए अलग-अलग नामों से निवेश किए। केमतानी सहित अन्य दोनों समूहों के कर्ता-धर्ताओं से आयकर विभाग को करीब डेढ़ करोड़ रुपए नगद और 6 किलो सोना मिल चुका है।
आयकर विभाग ने शुक्रवार को केमतानी समूह और उनके सहयोगियों शंकर मनचानी और रामचंद्र खटवानी के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर छापे मारे थे। कार्रवाई शनिवार को भी जारी रही, जो रविवार को भी जारी रह सकती है। केमतानी और उनके दोनों सहयोगी समूहों के प्रतिष्ठानों, निवास और साइट आफिस से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हो रहे हैं, जिनमें कई दूसरे व्यापारिक समूहों, प्रदेश के कद्दावर नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के निवेश की जानकारी हैं। इनमें कुछ रजिस्टर भी हैं जिनमें फ्लैट, दुकान बेचने की फर्जी इंट्रियां बताई जा रही हैं। सभी 20 ठिकानों पर चल रही कार्रवाई में विभाग को अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपए नगद मिल चुके हैं। नगदी के अलावा केमतानी, मनछानी और खटवानी के परिजनों के निवास और अन्य ठिकानों से अब तक 6 किलो सोने के जेवरात मिल चुके हैं। इसके अलावा ढाई दर्जन से ज्यादा बैंक खातों और करीब एक दर्जन बैंक लॉकरों की जानकारी विभाग को मिल चुकी है।
क्या है आन मनी हवाला
आन मनी हवाला यानी अपने पैसों को किसी और के नाम से निवेश करना। आयकर सूत्रों के मुताबिक इसके जरिए इन समूहों के कर्ताधर्ताओं ने न सिर्फ जबलपुर में बल्कि कटनी, सतना और कान्हा में बड़ी संख्या में प्रापर्टी खरीदी है। अपने पैसों को दूसरे नामों से निवेश किया और रजिस्ट्री अपने और परिजनों के नाम से कराई। इस तरह गड़बड़ियों के सबूत छापों के दौरान आयकर टीमों को मिले हैं।
समदड़िया ग्रुप का 60 प्रतिशत तक निवेश
मुस्कान ग्रुप के प्रोजेक्ट के करीब आधा दर्जन प्रोजेक्ट में समदड़िया ग्रुप की 60 प्रतिशत तक भागीदारी है लेकिन वास्तविक दस्तावेजों में इस भागीदारी को छुपाया गया है। बताया जाता है कि आयकर विभाग ने करीब 6 महीने में जबलपुर में ही मुस्कान ग्रुप के ठिकानों पर सर्वे की कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में मिले दस्तावेज के आधार पर ही इस बार छापे मारे गए हैं। समदड़िया समूह मुख्यत: ज्वैलरी का काम करता है लेकिन इसके कई दूसरे धंधे भी हैं।
6 करोड़ सरेंडर, केमतानी की मां बीमार
देर रात तक मुस्कान ग्रुप के मालिक शंकर मनचानी ने आयकर विभाग के सामने छह करोड़ रुपए की कर चोरी कबूल करते हुए इतनी राशि सरेंडर कर दी है। कार्रवाई के दौरान केमतानी ग्रुप की कौशल्या केमतानी को सीने में दर्द की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

लॉकर में मिले छह लाख
पीसं, ग्वालियर। मप्र सड़क विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक आलोक चतुर्वेदी के भोपाल स्थित एसबीआई के लॉकर से लोकायुक्त टीम को छह लाख नगद मिले हैं, जबकि शिवपुरी का लॉकर खाली मिला है। जांच टीम को भोपाल के गर्ल्स हॉस्टल से शराब की बोतलें बरामद हुई हैं। भोपाल में जांच कर रहे लोकायुक्त निरीक्षक सुरेन्द्र राय शर्मा ने बताया कि शनिवार को एसबीआई की विद्यानगर शाखा में आलोक चतुर्वेदी के लॉकर को बैंक अधिकारियों के सामने खोला गया। लॉकर से सिर्फ 5.95 लाख रुपए नगद मिले हैं। शिवपुरी में रामनिवास शर्मा का लॉकर खाली मिला। जाटखेड़ी स्थित आलोक चतुर्वेदी के आलीशान बंगले में लोहे के पलंग और टेंट हाउस के गद्दे से हैरत है। लोकायुक्त टीम से जुड़े सदस्यों का मानना है कि आलोक चतुर्वेदी के यहां छापामार कार्रवाई की सूचना लीक हुई है।
हालांकि छापों में बरामद दस्तावेजों पर जांच की सुई अटक गई है। 
पीडी अग्रवाल ने किए 9 करोड़ सरेंडर
इंदौर।  आयकर विभाग द्वारा शुक्रवार को पीडी अग्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रालि के चार स्थानों पर किए गए सर्वे में शनिवार को 9 करोड़ रुपए सरेंडर करवाए गए हैं। इसके अलावा इंदौर और उज्जैन के अफसरों ने टीम ने पिछले दो दिनों में लगभग दर्जनभर स्थानों से 22 करोड़ रुपए से ज्यादा सरेंडर करा लिए हैं। इंदौर में चावला कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रालि ने शुक्रवार को 7 करोड़ रुपए सरेंडर किए थे। वहीं बुरहानपुर और ब्यावरा के गारमेंट, ज्वेलर्स और कृषि उपकरण व्यवसायियों से 2.62 करोड़ रुपए सरेंडर करवाए गए हैं। उधर उज्जैन आयकर विभाग के दल ने लगभग 3.40 करोड़ रुपए सरेंडर करवाए हैं।


Saturday, January 22, 2011

फांसी



  जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान मृतक किसान के परिजन एवं (इंसेट में) मृतक दाऊ लोधी।














29 jan ko chaphi report
   किसान ने फांसी लगाई
भोपाल। रातीबड़ के एक गांव के किसान ने शुक्रवार को सर्वे और कर्ज के टेंशन में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। रातीबड़ स्थित ग्राम सेमरी निवासी किसान पूरन सिंह अहिरवार (45) की गांव में दो एकड़ जमीन है। उनके दो बेटे दीपक (16) और सूरज (14) क्रमश: नौवीं व सातवीं कक्षा में पढ़ते हैं। पूरन ने शुक्रवार सुबह सात बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पत्नी शीला बाई ने बताया कि पाला से उनकी चना और गेहूं की फसल नष्ट हो गई थी।

पटवारी द्वारा इसका सर्वे नहीं किए जाने से वह परेशान था। इसके चलते पिछले एक महीने से पूरन नेहरू नगर में मजदूरी कर रहा था। पूरन ने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पड़ोसी से एक बोरा गेहूं समेत नकदी भी उधार ली थी। परिजन ने बताया कि पूरन ने कर्ज व फसल नष्ट होने से तंग आकर खुदकुशी की है। इस मामले में थाना प्रभारी एचएस पांडे ने बताया कि पुलिस मर्ग कायम कर मामले की जांच कर रही है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि बीती रात पूरन शराब पीकर घर पहुंचा था। पत्नी द्वारा दरवाजा नहीं खोलने पर उसने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
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फिर चार किसानों पर मंडराई मौत
पीपुल्स संवाददाता, टीकमगढ़/सीहोर/सागर
पाले से खराब फसल से चिंतित किसानों की आत्महत्याओं का दौर जारी है। सीहोर, टीकमगढ़ और सागर में किसानों ने जान देने का प्रयास किया, जिसमें एक की मौत हो गई, जबकि दो की हालत गंभीर बताई जाती है।
टीकगमढ़ के कुडीला थाना अंतर्गत ग्राम हृदयनगर के ग्रामवासी 26 वर्षीय किसान दाऊ लोधी ने कीटनाशक की दवा का सेवन कर लिया। उसकी चार बेटियां हैं, जिनमें से एक तो सिर्फ 6 माह की है। ग्रामवासियों के अनुसार पर उसने साहूकारों से ब्याज पर तीस हजार रुपए एवं सहकारी समिति से पच्चीस हजार रुपए का कर्ज लिया था। फसल से बीज की लागत भी नहीं निकल रही थी।  ग्रामीणों ने बताया कि पिछले काफी दिनों से दाऊ अपनी फसल और बढ़ते कर्ज व ब्याज के चलते परेशान था और इसी वजह से उसने कीटनाशक पिया। सीहोर जिले की नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम इटावा के रहने वाले गंगाराम ने भी जहर पीकर जान देने की कोशिश की।
उधर, सागर की देवरी तहसील में एक किसान ने भी पाले की वजह से बरबाद हुई फसल के चलते जान देने का प्रयास किया।

28 jan ki report peoples
सदमे से किसान की मौत
शमशाबाद/विदिशा। जिले में सदमे से एक किसान की और मौत हो गई। कर्ज के  बोझ तले इस किसान की तुअर फसल पाले से बर्बाद हो गई थी। जानकारी के अनुसार रमपुरा जागीर निवासी 50 वर्षीय अमरचंद पिता सुंदरलाल साहू के पास 17 बीघा जमीन है। उसने 15 बीघा में तुअर की फसल बोई थी। पांच घंटा थ्रेसर चलाने के बाद मात्र तीन बोरा ही तुअर निकली। मंगलवार को अमरचंद यह तुअर बेचने शमशाबाद मंडी गया था और उसी शाम वह घर लौटा और उसे घबराहट होने लगी। परिवार वाले किसान को जीप से भोपाल लेकर निकले, जहां उसकी रास्ते में ही मौत हो गई। मृतक के बड़े लड़के ने बताया कि पिता पर डेढ़ लाख का कर्ज भी है। उसकी मां पिछले तीन-चार साल से बीमार
चल रही है।

भोपाल के एक निजी अस्पताल के डाक्टरों ने अमरचंद की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है।

 दो किसानों ने लगाई फांसी
22 jan ki report bhaskar

abhi tak kitni gayi jane
दमोह 3

छतरपुर 2

सीहोर 2

छिंदवाड़ा 1

नरसिंहपुर 1

विदिशा 1

बर्बाद फसल के सदमे से गई तीसरे की जान

भास्कर न्यूज & छतरपुर
प्रदेश में शुक्रवार को छतरपुर जिले के दो किसानों ने फांसी लगा ली, वहीं विदिशा जिले में एक की बर्बाद फसल के सदमे से मौत हो गई। दमोह जिले के एक किसान की पत्नी ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।

छतरपुर जिले के ग्राम पंचायत महेबा के पुरवा गांव का किसान लखनलाल कुशवाहा (40) का शव उसी के खेत पर एक पेड़ से लटका हुआ मिला। उसके भाई धरमदास एवं गांव वालों ने बताया लखन के खेत में तुअर की फसल बर्बाद हो गई थी, वहीं उसे बीमारी ने भी घेर लिया थी। वह कर्ज में डूब गया था। उधार वापसी के लिए उसपर दबाव बढ़ता जा रहा था। उसकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी को लेकर भी वह परेशान था। मामले में थाना प्रभारी ओरछा रोड एनएस बैस का कहना है कि परिवारजनों ने पुलिस को दिए बयानों में फसल खराब होने के कारण आत्महत्या करना बताया है।

इसी तरह नाथनपुरवा गांव में भी एक किसान कुंजीलाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों के अनुसार कुंजीलाल फसल खराब होने से परेशान था। ईशानगर थाना प्रभारी एएसआई एसएस खान का कहना है कि मृतक की पत्नी ने उन्हें बताया है कि उसके परिवार पर करीब 3 लाख रु का कर्ज था। इस मामले कलेक्टर ई. रमेश कुमार ने बताया कि कुंजीलाल पेश से कारीगर था। उसने हाल ही में एक प्लाट भी खरीदा था। मैंने एसडीएम और तहसीलदार को मामले की जांच आदेश दिए हैं। लखनलाल की आत्महत्या के कारणों की भी जांच की जा रही है।

Thursday, January 20, 2011

मैं पहुंचा खेतों तक

  ग्राम कलारबांकी के एक खेत में चौपट हुई तुअर की फसल


  खेतों से खरपतवार उखाड़ता एक किसान


  ग्राम कलारबांकी के एक खेत में चौपट हुई तुअर की फसल

  आइए तस्वीरों में आपको दिखाते हैं खेती और खेतों के हाल  कहां फसल अच्छी है और कौन किसान पूरी तरह लुट गया है। ये खेत हैं सिवनी जिले के ग्राम बीसावाड़ी और कलारबांकी के। विगत माह गिरे पाले(3 डिग्री से. से नीचे तापमान) ने जहां किसानों की फसल को खराब कर दिया वहीं हम उन किसानों से मिले जिन्होंने बताया कि उनकी फसल बच गई है क्योंकि वहीं फसल खराब हुई है। जो बहुत पहले ही बो  दी गई थी और जिसकी बालियां निकल गर्इं थीं। इस क्षेत्र में गेहूं लेट बोई गई थी। और यहां फसल अभी छोटी है इसलिए पाला से नुकसान नहीं हो पाया है ।
 वहीं एक फोटो देखें जिसमें तुअर की खड़ी फसल जिसमें अभी दाने पड़े ही थे वह पूरी तरह सूख गई । जिस फसल से किसान को हजारों रुपए मिलते वहां उसे फसल साफ करवाने में ही सौकड़ों रुपए खर्च करने पड़ेंगे ये तुअर की फसल कलारबांकी गांव की है।

Saturday, January 15, 2011

शिवकुमार जी ये क्या कह रहे हैं आप

  दीपक राय सब-एडिटर
एवं किसान भोपाल

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा अब  फिल्म को किसानों की आत्महत्या का कारण बता रहे हैं। उनका दावा है कि किसानों की बदहाली के लिए सरकार नहीं, बल्कि आमिर खान की फिल्म पीपली लाइव ज्यादा बड़ा कारण है। राजधानी में शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि बीते दो माह में दस किसान कर्ज के कारण मौत को गले लगा चुके हैं। ‘
शर्मा जी आप जैसे पढ़े-लिखे (एलएलबी व अन्य मास्टर डिग्री हासिल, सरकारी नौकरी छोड़कर किसानी अपनाई , किसानों के हम की लड़ाई के लिए भोपाल में महाबंद कराया) किसान हितौषी  किसान नेता ऐसा कैसे कह सकते हैं। अधिकतर फिल्में तो किसानों के हितों पर ध्यान रखते हुए बनाई गई हैं। और इन्हीं में से एक है ‘पीपली लाईव’ इस फिल्म के लिए तो आपको आमिर खान की तारीफ करनी चाहिए। उन्होंने किसानों को मोहरा बनाने वाले नेताओं और कुछ मीडिया का सच बताया है। ऐसे नेता मप्र में भी तो हो सकते हैं जो वोट बैंक के लिए किसानों को मोहरा बना रहे हों, हो सकता है कोई ‘तत्व’ हों जो किसानों के मन में आत्महत्या की बातें भर रहे हों। क्योंकि किसान तो अन्नदाता है। अगर वो खाद डालता है तो उतनी जितनी कि इंसान पचा सकता है। कभी आपने ‘गेहूं खाने से मौत’ या ‘दाल ने ली जान’ खबर नहीं पढ़ी होगी। अब तो शिक्षक भी किसान की दाल से फायदा उठाता है वह दाल कम पानी ज्यादा मिलाकर बच्चे को मध्यान भोजन खिलवाता है। इंजीनियर तो बेईमानी के चक्कर में पुल इतना कमजोर कर देता है कि वह पहली बारिश में ही बह जाए।  डाक्टर पैसे के चक्कर में प्रसूता को अस्पताल के बाहर ही छोड़ देता है और उसकी मौत हो जाती है। पुलिस रिश्वत के चक्कर में गरीब को जेल तक भिजवा देती है। बस किसान ही है जो ज्यादा लोभ नहीं करता। इसके बाद भी वह फसल खराब होने पर आत्महत्या नहीं करता। नुकसानी की भरपाई करने किसान रवि के मौसम में ‘चना की भाजी और मक्के की रोटी’ खाकर 3 महीने तक व्यतीत कर देता है। गर्मी में ‘बेर को पकाकर’ भोजन करता है। इसके बाद भी अगर अब आत्महत्या बढ़ीं है तो वह किसानों की कमजोरी को दर्शाती है। या फिर उनका नुकसान बहुत ज्यादा हो गया है। उन्हें नए तरीके से खेती के बारे में जागृत नहीं किया गया है।
ढूढिए वजह तो अच्छा होगा
किसानों की समस्याओं से लड़ने वाले लोगों से गुजारिश है कि वे किसानों के बीच जाकर गहरी रिसर्च करें, ऐसे किसान के पास जाएं, जो खरपतवार नाशी दवा डालता तो है पर, तब डालता है जब खरपतवार बहुत बड़े हो जाते हैं। नियम न जानकर वह नकली दवाएं खरीद लेता है। ऐसे किसानों को जागरुक करके ही समस्याएं कुछ हद तक दूर की जा सकती हैं, न कि फिल्मों को दोष देने से।

Thursday, January 13, 2011

‘बेटा खेती नई नौकरी कर’

   दीपक राय, सब एडिटर भोपाल।
बेटा खेती नई नौकरी कर हां यही बात सभी लोग बोलते हैं जब
मैं खेती करने की बात कहता हूं। भले ही क्लर्क की नौकरी क्यों न हो पर खेती न करना। फिर भी मैं खेती करने के इरादे पर अटल रहता हूं। एक बात तो तय है आप क्यों न जज बन जाएं, क्यों न सरकारी वकील या एसपी, कलेक्टर बन जाएं (अगर बेईमान न हुए तो) किसान के बराबर पैसा कभी भी नहीं कमा सकते। पर अब  वही किसान मौत को गले लगा रहा है। एक चपरासी के घर करोड़ों रुपए निकल रहे हैं। क्या हो रहा है यह? ऐसे में युवा खेती से मुंह न मोड़े तो आखिर क्या करे। मेरे गांव के अधिकतर बच्चे खेती न करने की चाह रखते हैं वे 150 दिन में स्कूल में अतिथि शिक्षक बनकर नौकरी करना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में मुझे चिंता सताती है कि अगर हर कोई ऐसा सोचेगा तो फसल कौन उगाएगा। हम खाएंगे क्या?

दिसंबर के आखिर और जनवरी के पहले सप्ताह पड़ी कड़ाके की ठंड ने विगत 50 सालों के रिकार्ड तोड़ दिए। प्रदेश में बर्फ जम गया। मैं तब हतप्रद रह गया जब मेरे चाचा की बेटी ने सुबह-सुबह पौधे की पत्तियों से बर्फनुमा ओस उठाकर मुझे दिखाया। कड़ाके की ठँडक में जहां लोग रजाई में दबकर गहरी नींद ले रहे थे। तब एक किसान जिसने कर्ज लेकर बुआई किया है। एक वह किसान जिसकी तुअर (जिसकी दाल हम खाते हैं) की फसल लगी है, वह रजाई में दबकर भी नींद नहीं लगा पा रहा था। आखिर पाला पड़ा(जब तापमान 3 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है तो ठंडक पौधों की पत्तियों में जमने लगती है। यह खुले इलाके यानी खेतों में ज्यादा होती है। और पूरी तरह  पौधा मरने लगता है।) पड़ा और किसान की फसल तबाह हो गई। अब कर्ज कैसे चुकाए, आने वाले महीने में क्या खाएं क्योंकि फसल तो कुछ भी नहीं बची। मुआवजा तो ऊंट के मुंह में जीरा के समान मिलेगा, पता नहीं वह भी कब मिलेगा। हां यह सच है प्रकृति हमेशा प्रहार नहीं करती वह भी किसानों की हितैषी भी है। पर इस बार तो नुकसान हो ही गया।
अब ऐसे में किसान बनने की चाहत कौन रखेगा। प्रकृति की मार झेल रहे किसान की पीड़ा पर मरहम लगाने की बजाए प्रदेश के कृषि मंत्री का घटिया बयान कि ‘यह तो किसानों के कर्मों का ही फल है’ अगर किसान को कर्मों का फल ऐसे ही मिलता है तो सोचिए भ्रष्ट मंत्रियों को उपर वाला क्या फल देगा। उन्हें इसकी चिंता आज से ही करनी चाहिए।
एक के बाद एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे में खेती कहां तक लाभ का सौदा होगी। ऐसे में कई बार मैं भी सोचता हूं कि किसान सहीं कहता है ‘बेटा खेती नई नौकरी करियो’




समाचार इस प्रकार है
(13 जनवरी को पीपुल्स समाचार में  प्रकाशित )
दमोह जिले के ग्राम महलवारा के किसान मोहन रैकवार द्वारा जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या के प्रयास के चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे कि बोरीखुर्द के किसान कन्हैयालाल पटेल (30) ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। दूसरी ओर नरसिंहपुर में तेंदूखेड़ा के कठौतिया निवासी चोखेलाल मेहरा (37) ने रेल से कटकर जान दे दी। बताया जाता है कि आर्थिक तंगी के चलते उसने यह कदम उठाया। रेलवे पुलिस ने उसके पास से सुसाइड नोट बरामद होने को नकारा है। नरसिंहपुर के ही करेली क्षेत्र में एक और किसान धनराज कौरव (55) पिता हरिराम कौरव ने सल्फास खाकर जान देने की कोशिश की, जिसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार इन तीनों ही मामलों में आर्थिक तंगी और पाले की वजह से फसल बर्बाद होने की वजह से अन्नदाताओं ने आत्मघाती कदम उठाया। हालांकि प्रशासन का दावा है कि जांच की जा रही है और आत्महत्या के प्रयासों के कारणों का पता जल्द ही लगा लिया जाएगा। दमोह में पाले से फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
दमोह जिले के हटा थाना अंतर्गत ग्राम बोरीखुर्द के छपरा निवासी कन्हैयालाल पटेल (30) ने बुधवार को सुबह पांच बजे खेत में रखे कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया। उसे इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हटा में भर्ती कराया गया जहां से उसे दमोह जिला चिकित्सालय रैफर कर दिया गया।
कन्हैयालाल के भाई संतोष पटेल ने बताया कि उसके भाई कन्हैया ने सात एकड़ जमीन शिवदयाल अहिरवार से 32,500 रुपए में तथा हटा निवासी शंकर स्वामी की 4 एकड़ जमीन सात बोरा चना में अधिया पर लिया था।  उसके भाई ने इस जमीन पर अरहर और मसूर की बोवनी की थी, लेकिन पाला पड़ने से उसकी संपूर्ण फसल तबाह हो गई।  कन्हैयालाल ने गांव के ही गुड्डू अहिरवार से 10 हजार व परम मिस्त्री से 20 हजार रुपए का कर्ज लिया था। 
तेरहवीं के लिए बेचे बैल
छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में किसान की तेरही के लिए उसके परिजनों द्वारा धन जुटाने के लिए कथित तौर पर एक जोड़ी बैल बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया है। पांढुर्णा तहसील मुख्यालय के गांधी वार्ड निवासी किसान मोतीराम खोड़े ने छह जनवरी को जहर खाया था, नागपुर में उसकी मौत हुई थी। मोतीराम के पुत्र ललित का कहना है कि उसके पिता पर 1.70 लाख रुपए का कर्ज था। ललित ने बताया कि आर्थिक तंगी के बीच 20 जनवरी को होने वाली तेरही भोज के लिए उन्होंने बैल जोड़ी बेचकर रकम जुटाई।
दमोह। मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया पाला पड़ने से हुई फसलों की बर्बादी को पुराने पापों का फल   मानते हैं। उनका कहना है कि खेती में रसायनों का इस्तेमाल बढ़ने से मिट्टी की सेहत खराब हुई है और उसकी प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो चुकी है। ऐसा होने से मिट्टी में नमी नहीं रहती और पाला अपना असर दिखा जाता है।  कुसमरिया ने कहा कि एक ओर जंगल कट गए हैं तो दूसरी ओर गाय का उपयोग कम हो रहा है। संतुलन गड़बड़ाने से यह हो रहा है।
किसानों की बर्बादी उनके पापों का फल
कुसमरिया ने प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ाने से मानव जाति के विलुप्त होने की भी आशंका जताई है। उनका कहना है कि जब डायनासोर विलुप्त हो सकते हैं, तो मानव क्या चीज है। उन्होंने आगे कहा है कि अब सचेत होने का वक्त आ गया है, अब प्रकृति से खिलवाड़ बंद कर उसे प्रसन्न करना होगा। इसके लिए वृक्षारोपण करना होगा, गोपालन को बढ़ावा देना होगा और जैविक खेती को अपनाना होगा। उन्होंने आशंका जताई कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो और भी घातक नतीजे सामने आएंगे।