Wednesday, November 30, 2011

कन्या की आवश्यकता, सरकारी नौकरी

  राजपूत, क्षत्रिय, कलार, 30 वर्ष, 5 फीट 8 इंच, सरकारी नौकरी, 20 हजार रुपए मासिक वेतन, एमबीए, पीएचडी युवक हेतु सुंदर कन्या की आवश्यकता है। 
 
जी हां
यह एक विज्ञापन है। ऐसा विज्ञापन मैं कई लोगों के लिए बनाता हूं, क्योंकि लोगों को लगता है पत्रकार है अच्छा बनाएगा। अकसर ऐसे विज्ञापन रविवार को ही छपते हैं।
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रविवार सुबह 6 बजे
अचानक फोन घनघनाने लगे
लड़की वाले: जी....... हम बैतूल से बोल रहे हैं......... हां जी वो पेपर में पढ़ा था आपका बेटा कौन सी नौकरी करता है
लड़के के पिता: जी हां सरकारी नौकरी में हैं हमारा लड़का
लड़की वाले: अच्छा साब कितनी तन्खा है।
लड़के वाले : 20 हजार रुपए महीने (15 है तो 5 बढ़ा दिए, ऐसा भी होता है)
लड़की वाले: सर, उपरी कमाई भी होगी कुछ
लड़के वाले: जी हां वो तो हर सरकारी नौकरी वाले की होती है
दोनों हंसते हैं.......
लड़के वाले: आपकी बेटी कहां तक पढ़ी है
लड़की वाले: जी एमटेक है, बैंक की नौकरी की तैयारी कर रही है
लड़के वाले: बढ़िया, हम तो सुंदर बहू ढृूंढ रहे हैं, देखिए भाग्य में जो लिखा है वही होगा।
लड़की वाले: हमें तो कैसा भी लड़का चलेगा बस सरकारी नौकरी में हो।
लड़के वाले : हां साब आज कल सरकारी नौकरी कहां मिलती है। टार्च लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलते।  हमारे यहां तो रिश्तों की लाइन लगी है पर सोच रहे हैं, शादी एक बार करनी है अच्छे (थोड़े घमंड से) से ही करेंगे।
लड़की वाले: साहब हम तो शादी जैसी कहेंगे वैसी ही कर देंगे।
(न नाम पूछे न पता, शादी तक बात पहुंच गई, देखिए विडंबना। बात बढ़ती जा रही है अब देखते हैं आगे क्या होता है)
लड़के वाले: साहब वो फोटू भेज देते तो लड़की देख लेते हम।
लड़की वाले: पता लिखवा देना जी, अरी ओ सोनू की मम्मी पेन डायरी देना , अरे साब जरा रुकिए हां। अब बोलें पता .........
लड़के वाले : जी ठीक है हम बताते हैं
(फोन कटा नई कि दूसरा वेटिंग में आ जाता  है)
हलो जी कहां से बोल रहे हैं........
लड़के वाले: हम तो भोपाल से चतुर्वेदी बोल रहे हैं आप कौन
लड़की वाले: जी वो लड़के-लड़की के बारे में बात करनी है।
लड़के वाले: जी जी ........
सुबह से इतने फोन आ रहे हैं कि क्या बताएं
आपकी बेटी कैसी दिखती है
लड़की वाले: साब फेयर कलर है, खाना बनाना भी जानती है बीए कर रही है, लड़की है जितनी जल्दी हो तो ससुराल भेज दो। अच्छा है
लड़के वाले: हां साब
लड़की वाले: लड़का की तन्खा बताइए
लड़के वाले: साहब 20 हजार रुपए महीना है और उपरी कमाई भी है फारेस्ट में है न लड़का।
लड़की वाले: हां समझ गए एक सागौन बेंचा नई कि हजार रुपए मिल जाते हैं
हा हा.......हा दोनों हंसते हैं।
लड़के वाले: आप शादी कैसी करेंगे।
लड़की वाले: हम तो बड़े खेत-बाड़ी वाले हैं , बड़ी लड़की की दार हमनें इंडिका दिए थे, दामाद मास्टर थे। अब तो और अच्छी करेेंगे।
लड़के वाले: फिर भी बजट तो बताएं
लड़की वाले: अरे साब हमें तो सरकारी नौकरी वाला लड़का चाहिए। 15 लाख रुपए तो कम से कम खर्चा करेंगे ही।
लड़का वाले: जी ...जी...
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ऐसे ही कई फोन, लड़के वाले तो फूले नहीं समाए
500 रुपए के विज्ञापन के कारण मप्र छत्तीसगढ़ के लाखों के आफर आ गए।
जी हां आजकल सरकारी नौकरी पढ़, सुनकर ही लोग बेटी के लिए रिश्ते तय कर देते हैं, लड़का की योग्यता की छोड़िए, जोड़ी से मतलब नहीं।
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क्यों पसंद आते हैं सरकारी नौकर
- लोगों को पता है उपरी कमाई होगी
- कंप्यूटर आॅपरेटर भी है तो 10 रुपए तो एक लेटर के ले ही लेगा
- मनरेगा में पंचायत सचिव है तो प्रमाण पत्र के 5-5 रुपए ले लेगा
- पोस्ट मास्टर है तो पेंशन निकलवाने आने वाले बुजुर्गों से 5 से 10 रुपए ले लेगा
-इंजीनियर है तो बिना पैसे बिल्डिंग की डिजाइन पास नहीं करेगा
-डॉक्टर है तो सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीज को कहेगा, प्राइवेट में आना
-रेलवे में टिकट कलेक्टर है तो, बिना टिकट वालों को 50 रुपए में सीट दे देगा
-रेलवे में गार्ड है तो खुद जमीन में सो जाएगा, 200 रुपए में खुदकी सीट दे देगा
- अगर संविदा मास्टर भी है तो सरकारी स्कूलों में बच्चों से मार्कशीट के 5-5 रुपए ले लेगा
बाकी बड़ी नौकरियों को छोड़िए साहब इतना भ्रष्टाचारी दामाद के लिए तो कोई भी अपनी फूल सी बेटी सरकारी नौकर को दे ही देगा, भले ही बेटी पांच फीट की हो और दामाद 6.9 का।
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शहर में रहेगी बेटी
आजकल मां-बापों की सोच बन गई है कि हमारी बेटी ससुराल से दूर ही रहे। अगर शहर में लड़का नौकरी कर रहा है तो बेटी हमेशा शहर में रहेगी। सास-ससुर तो बोझ बन जाते हैं। मां-बाप इस बात को भूल जाते हैं कि हमारे भी बेटे हैं।
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प्राइवेट वाले और किसानों का क्या

अगर कोई बड़ी सॉफ्टवेयर या अन्य कंपनी में काम करता है तो उसको तो लड़की मिल ही जाएगी। लेकिन अगर लड़का कम तन्खा वाली प्राइवेट नौकरी कर रहा तो तो शादी तो भूल ही जाए। मार्केट में उसकी कम वैल्यू है। अगर लखपति किसान भी है और वो वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर 50 हजार रुपए महीने कमाता है तो, 10 हजार रुपए वाले सरकारी नौकर से पीछे है। सरकारी तो सरकारी है।
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नोट: उपर लिखा गया लेख पूर्णत: व्यवहारिक है। लेखक ने इसे देखा और समझा है, लेकिन किसी की वास्तविक   जिंदगी से इसका कोई सरोकार नहीं है।