Saturday, September 7, 2013

'एक था झांसाराम'......


नोट- इस खबर को किसी का मजाक बिल्कुल न समझा जाए। यहां पर एक गंभीर विषय को व्यंगात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया। घटना सच है या नहीं उसकी पुष्टि भी नहीं हुई है।

दीपक राय को अभी-अभी हिंदी मीडिया से खबर मिली है कि 'एक था झांसाराम' रिलीज होने वाली है। फिल्म के रिलीज होने से पहले ही हंगामा मच गया है। खबर है कि फिल्म के हीरो झांसाराम, अंधभक्त अभिनेत्री की गर्दन पर हाथ फेरते, कान छूते दिखाई दे रहे हैं। सहायक प्रोड्यूसर सेवादार रिवा ने पुलिस पूछताछ में बताया कि झांसाराम छोटी-छोटी लोकेशंस कुटिया में ही फिल्म बनाते थे। इसकी क्वालिटी खराब होती थी, इसलिए मैंने अपने मोबाइल से भी कुछ फिल्में बनाई हैं। सेवादार रिवा और झांसाराम ने पुलिस और मीडिया को फिल्म लीक होने का दोषी माना है। फिल्म के हीरो झांसाराम ने कहा- हमें उम्मीद थी कि फिल्म ढेरों आस्कर लाएगी। पर अब हमारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। वहीं पुलिस का कहना है कि 'एक था झांसाराम' पहले हम देखेंगे.. फिर कोर्ट को दिखाएंगे। फिलहाल दीपक राय को खबर मिली है कि फिल्म अटक सकती है।

जहां लेन-देन हुआ वह शिक्षा नहीं

pp singh sir


एमसीयू भोपाल के पत्रकारिता विभाग से दीपक राय लाइव...
आज शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं और रोहित वर्मा पीपी सर से मिलने यूनिवर्सिटी पहुंचे। हमारे साथियों ने एक भाषण गोष्ठी का आयोजन किया। हम पहुंचे तब सर बच्चों को संबोधित कर रहे थे-
शिक्षक और छात्र के बीच सार्थक रिश्ते को उन्हीं के शब्दों में यहां बताना चाहूंगा।
सर ने कहा- शिक्षा सिर्फ सिद्धांतिक नहीं हो, उसे निजी जीवन में उतारा जाए। सिर्फ पुस्तकी ज्ञान ही महत्वपूर्ण नहीं होता।
1. गिव एंड टेक (लेन-देन) जैसा रिश्ता कभी शिक्षक-छात्र में नहीं होना चाहिए।
2. क्लास रूम शिक्षा बेकार- सिर्फ क्लास रूम में पुस्तकी ज्ञान बांट देने से विद्यार्थी संपूर्ण शिक्षा नहीं पा सकता। उसे दुनियाभरी का ज्ञान, अनुभव, और आचरण सिखाना भी अच्छे शिक्षक का कत्र्तव्य है।
3. स्वछंदता- छात्र के मन में बेवजह डर नहीं होना चाहिए। शिक्षक-छात्र में स्वछंदता का वातावरण भी हो, तभी शिक्षक छात्र के टेलेंट को जान सकता है।
4. सर्वगुण संपन्न कोई नहीं- दुनिया में सर्वगुण संपन्न कोई नहीं हो सकता। कोई पत्रकार है तो हो सकता है वह लिखता अच्छा हो, कोई अच्छा वक्ता हो, कोई अच्छा संपादन जानता हो।
5. अपने गुणों को पहचानें- हमेशा अपनी कमियों को ही नहीं देखना चाहिए। अपनी ऊर्जा सकारात्मकता में लगाएं। सोचें कि हमारे अंदर कौन सा गुण है जो अच्छा है।