Monday, December 23, 2013

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Tuesday, December 17, 2013

सोशल नेटवर्किंग पर क्यों मचा है बवाल

 ९ दिसंबर 2012 को प्रकाशित
सोशल नेटवर्किंग पर क्यों मचा है बवाल

बाल ठाकरे पर टिप्पणी हो या फिर ममता बनर्जी का कार्टून विवाद। सभी मामलों में फेसबुक उपयोग करने वालों पर तेजी से कार्रवाई हो गई। मुंबई में दो लड़कियों को गिरफ्तार कर धारा लगाने में पुलिस ने इतनी फूर्ती दिखाई मानों देश का सबसे बड़ा मामला हो। इतनी सख्ती अन्य मामलों में दिखाई जाती तो शायद अपराध की दर न बढ़ती। खैर भारत हो चाहे पूरी दुनिया हर जगह इन दिनों सोशल साइट्स धूम मचा रही हैं। गांव हो या शहर हर जगह लोग इससे जुड़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा तादाद है युवाओं की। फेसबुक पर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर लोग अपने विचार प्रकट कर रहे हैं, लेकिन नियमों के अभाव में वे फंस जाते हैं।
इंटरनेट सामग्री का उपयोग करते समय बहुत सी सावधानियां रखनी जरूरी हैं। विगत दिनों भारत में हुईं ताबड़तोड़ कार्रवाईयों को देखते हुए हम पेश कर रहे हैं स्पेशल रिपोर्ट...
भारत में बढ़ी फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या
4 फरवरी 2004 से फेसबुक की शुरुआत
९५.५
करोड़ से ज्यादा है भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया में फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की संख्या
८.३
करोड़ फर्जी अकाउंट वाले सक्रिय
४.५८
करोड़ लोगों के दो-दो अकाउंट हैं
१५.८
करोड़ लोग जुड़े हैं
अमेरिका में

४.८
करोड़ लोग जुड़े हैं भारत में (अगस्त 2012 के आंकड़ों के अनुसार)



आईटी एक्ट 66-ए का कौन-कौन हुआ शिकार
०2 दिसंबर 2012
को एयर इंडिया के दो कर्मचारियों की फेसबुक में कमेंट के चलते गिरफ्तारी के बाद किरकिरी झेलने वाली मुंबई पुलिस ने अब उस आदमी के खिलाफ शिकायत दर्ज की है जिसने इन दोनों के खिलाफ लिखित शिकायत पुलिस में दे थी। शिकायतकर्ता सागर कार्निक ने केबिन क्रू मेंबर मयंक मोहन शर्मा और केवीजे राव के खिलाफ की थी जिसके आधार पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था। अब पुलिस ने दोनों की शिकायत पर कार्निक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मई में शर्मा और राव को गिरफ्तार किया गया था।
28 नवंबर, 2012
फेसबुक पर राज ठाकरे और मराठी भाषी लोगों के खिलाफ कथिततौर पर आपत्तिजनकर टिप्पणी के लिए सुनील विश्वकर्मा नामक शख्स गिरफ्तार
मई, 2012
मजदूर नेता के खिलाफ फेसबुक पर लिखने वाले एयर इंडिया के दो कर्मचारी केवीजे राव, मयंक शर्मा गिरफ्तार


20, नवंबर
मुंबई में बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई बंद पर फेसबुक कमेंट करने को लेकर दो युवतियां गिरफ्तार
अक्टूबर 2012
पी चिदंबरम के बेटे कार्तिक चिदंबरम के खिलाफ टिप्पणी करने पर पुदुचेरी के उद्योगपति रवि श्रीनिवासन गिरफ्तार
सितंबर, 2012
संसद और नेताओं पर कार्टून बनाने वाले असीम त्रिवेदी गिरफ्तार


अप्रैल, 2012
फेसबुक पर ममता बनर्जी का कार्टून पोस्ट करने को लेकर प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र पश्चिम बंगाल में जादवपुर यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार

कमेंट, शेयर करने वाले सावधान
साइबर क्राइम मामलों के एक्सपर्ट पवन दुग्गल के अनुसार आईपीसी के साथ-साथ आईटी एक्ट-66 (ए) के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर ऐसा कमेंट जिससे किसी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचती हो या फिर किसी को दुख-पीड़ा होती हो या फिर कमेंट में अश्लीलता है या यह जानते हुए कि जानकारी गलत है, उसे लिखा जाता है तो इस एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है।


इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो कम्प्यूटर या संचार माध्यम से ऐसी जानकारी भेजे, जो सरासर आपत्तिजनक या डरावनी हो

कोई ऐसी जानकारी भेजे, जिसके गलत होने का पता हो, लेकिन फिर भी उसे किसी को चिढ़ाने या परेशान करने, खतरे में बाधा डालने, अपमान करने, चोट पहुंचाने, धमकी देने, दुश्मनी पैदा करने, घृणा या दुर्भावना के मकसद से भेजा जाए


किसी को चिढ़ाने, परेशान करने या ठगने के लिए कोई ई-मेल या ई-मेल संदेश भेजे या ऐसे संदेश के स्रोत के बारे में गुमराह करे


इस धारा के तहत तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों होता है


धारा को जानें
यह धारा 2000 के मूल अधिनियम में नहीं था बल्कि 2008 के संशोधन द्वारा लाया गया था। इस धारा में किसी भी मैसेज, डाटा या सूचना के किसी के द्वारा गलत या आक्रामक या भयोत्पादक लगने अथवा किसी को उस मैसेज या डाटा से परेशानी, अपमानित, कष्ट, असुविधा होने की दशा में तत्काल कोई व्यक्ति तीन साल तक की सजा का हकदार हो सकता है।



सजा का है प्रावधान
दोष साबित होने पर तीन साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अगर ऐसा बयान जिससे कि दो समुदाय में नफरत फैलती हो तो आईपीसी की धारा-505 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि आईटी एक्ट-66 (ए) का दायरा काफी बड़ा है और कुछ भी स्पष्ट नहीं है, इस कारण कोई भी आपत्तिजनक कमेंट लिखना भारी पड़ सकता है।

सही ढंग से नहीं परिभाषा
यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने 21 नवंबर 2012 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दायर करते हुए धारा 66 ए इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट 2000 की वैधता को चुनौती दी है। रिट याचिका में कहा गया है कि इस धारा में जिस प्रकार की व्यापकता तथा विस्तार दिया गया है उससे उसके दुरुपयोग होने की प्रबल संभावना रहती है। याचीगण का कहना है कि इस अधिनियम में कहीं भी गलत, आक्रामक, भयोत्पादक, परेशानी, अपमानित, कष्ट, असुविधा जैसे शब्दों को परिभाषित नहीं किया गया है। इस कारण यह धारा अत्यंत विस्तृत एयर अस्पष्ट हो जाती है जिसके कारण ताकतवर लोगों द्वारा इसका दुरुपयोग करने की पूर्ण सम्भावना रहती है। अमिताभ और नूतन ने विशेष कर बल ठाकरे से जुड़ा शाहीन दाधा प्रकरण, ममता बैनर्जी से जुड़ा प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्र प्रकरण तथा पी चिदंबरम से जुड़ा रवि श्रीनिवासन प्रकरण का उल्लेख किया है। इन तथ्यों के आधार पर इन दोनों ने इस धारा को संविधान की धारा 19(1) (ए) तथा व्यक्ति की स्वतंत्र से जुड़े अन्य मौलिक अधिकारों के विपरीत मानते हुए कोर्ट से इसे अवैधानिक घोषित करने का निवेदन किया है।

दूरसंचार मंत्री ने कहा
दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने फेसबुक गिरफ्तारी मामले में कहा था कि मुझे मामले पर गहरा दुख है। पुलिस को जानकारी नहीं है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था।

पुख्ता सबूत हो तब करें टिप्पणी
कानूनी विशेषज्ञ अजय दिग्पाल का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर जब कोई भी सामग्री डाली जाती है तो वह पब्लिक के बीच में चली जाती है और इस तरह उक्त माध्यम से जब कोई आधारहीन और प्रतिष्ठा हनन करने वाले बयान जारी किए जाएं तो इस मामले में पीडि़त पक्ष कानून का सहारा ले सकता है। ऐसे मामले में आईटी एक्ट के तहत पुलिस के सामने शिकायत की जा सकती है। कई बार लोग अपना नाम छिपाकर या बदलकर ऐसी हरकतें करते हैं, यह सोचकर कि कोई क्या बिगाड़ लेगा, लेकिन याद रखें कि इंटरनेट के इस्तेमाल के समय किया जाने वाला कोई भी काम साइबर लॉ के दायरे में होता है। कानूनी जानकार बताते हैं कि जब भी नेट के जरिए कोई बातें लिखी जाएं तो ध्यान रखें कि उसके पक्ष में पुख्ता सबूत आपके पास हों। अगर ऐसी बातें लिखी जाए जिससे लोगों के बीच नफरत फैले या भावनाएं आहत हों तो ऐसा शख्स कानूनी शिकंजे में फंस सकता है।
दिग्विजय ने किया था केस
कांग्रेस के महासचिव व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ मोर्चा खोला था। दिग्विजय ने सोशल नेटवर्किंग साइटों के खिलाफ भद्दी व आपत्तिजनक भाषा लिखने वालों सहित साइट संचालकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत की थी। जांच के बाद पुलिस ने 22 लोगों सहित आठ नेटवर्किंग साइटों के खिलाफ आइटी एक्ट के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कर लिया था।

फेसबुक, गूगल पर पाबंदी लगा सकते हैं : हाईकोर्ट
12 जनवरी 2012
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक इंडिया और सर्च इंजन गूगल इंडिया को चेतावनी दी कि अगर वे अपने वेब पेज से आपत्तिजनक सामग्री नहीं हटाते हैं और उनको रोकने का तरीका अपनाने में विफल रहते हैं तो चीन की तरह वेबसाइटों को 'अवरुद्धÓ किया जा सकता है। फेसबुक और गूगल इंडिया को चेतावनी देते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा, कि 'हिंसक एवं आपत्तिजनकÓ सामग्री को वेब पेज से हटाने और ऐसा करने से रोकने का तरीका विकसित करने को कहा।
गूगल, फेसबुक को हाईकोर्ट का नोटिस 28 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने गूगल और फेसबुक सहित अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों को उनके खिलाफ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और चर्चों की ओर से दायर याचिका के मामले में बुधवार को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेहता की एकल पीठ में सोशल नेटवर्किंग साइटों के खिलाफ दायर याचिका में गूगल, फेसबुक, ब्लागर्स और यू-ट्यूब पर आरोप लगाया गया कि इन साइटों पर ऐसी दुर्भावनापूर्ण सामग्री पेश की जा रही है जो बेहद अपमानजनक है।



क्या है सोशल नेटवर्किंग
ट्विटर, आरकुट, माई स्पेस, गूगल प्लस या लिंक्ड इन जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की फेहरिस्त में फेसबुक सबसे पहले नम्बर पर शुमार है।
संसद में भी मचा था हंगामा
संसद में एक कार्टून को लेकर जमकर हंगामा हुआ। एनसीईआरटी की किताब में प्रकाशित संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के कार्टून पर विपक्ष सहित सरकार के अपनों ने भी नाराजगी जताई। हंगामा इतना बढ़ गया कि सरकार को कार्टून हटाने का निर्देश देना पड़ा। खास बात ये है कि कार्टून एनसीईआरटी की 11वीं क्लास की पुस्तक में 2006 में प्रकाशित हुआ था, लेकिन हंगामा 6 साल बाद हुआ। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने लोकसभा में कहा कि कार्टून वाली किताबों के वितरण और छापने पर रोक लगा दी गई है। अगले साल से यह कार्टून किताबों में नजर नहीं आएगा। एक कमेटी बनाई गई है जो किताबों में शामिल कार्टूनों की समीक्षा करेगी।

पहचान नहीं छिपाएंगे तो हल हो जाएगी समस्या


2 दिसंबर को आईटी मंत्री कपिल सिब्बल ने मप्र के भोपाल में आईटी की धारा पर मचे बवाल का जिम्मेदार लोगों को ही ठहराया था। उनका कहना था कि यदि लोग फेसबुक पर अपना नाम, पता और फोटो की सही जानकारी देंगे तो ऐसे अपराध नहीं होंगे।

अन्ना को मिला था समर्थन
देश भर में लाखों लोग अन्ना द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए गए आंदोलन इंडिया अगेंस्ट करप्शन नाम के पेज के साथ फेसबुक पर जुड़े। फेसबुक पर सबसे अधिक युवाओं की संख्या होने से इस आंदोलन को युवाओं का समर्थन भी अधिक मिला।

फेसबुक से तख्तापलट

मिस्र में सरकार का तख्ता पलट कर देने वाले आंदोलन की शुरुआत भी फेसबुक द्वारा ही की गई थी। वायल गोनिम एक आनलाइन कार्यकर्ता ने एक गुमनाम पेज बनाया और लोगों को तहरीर चैक पर इकट्ठा होने की अपील की थी।


फेसबुक, ट्विटर, ब्लैकबेरी ने भड़काया लंदन में दंगा

चार अगस्त 2011 से लंदन में जिस उपद्रव की शुरुआत हुई थी वह तांडव में बदल गई। चार अगस्त की देर शाम उत्तरी लंदन में मार्क डुग्गन को पुलिस ने मार गिराया था। डुग्गन के परिवार ने पुलिस के इस अत्याचार के विरोध में टोटेनहाम के फेयरीलेन पुलिस स्टेशन में शांतिपूर्वक प्रदर्शन शुरू कर दिया, लेकिन उनके प्रदर्शन को जब सोशल मीडिया और ब्लैकबेरी मेसेन्जर की हवा मिली।

पालक भी रहें सावधान

विशेषज्ञों का कहना है कि पालक अपने बच्चों पर सतत निगरानी रखें और बच्चों को सच्चे प्रेम के बारे में समझाएं।
झूठी मोहब्बत का जाल ले रहा जान

4 दिसंबर को देहरादून में शांतनू नामक बच्चे ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसे फेसबुक में कोई लड़की मिली थी,जिससे वह प्यार करता था। 16 साल का शांतनु नेगी यह भी नहीं जान पाया कि प्यार क्या होता है बस भावनाओं में आकर फेसबुक पर मौत की चेतावनी दी और मौत को गले लगा लिया।


फेसबुक के सामने गोली मारी

आगरा में 24 साल के एक युवक ने कनपटी पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। घरवालों के मुताबिक वो लड़का एक लड़की से मोहब्बत करता था, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए और उस लड़की की शादी कहीं और तय कर दी गई। मौत से पहलने उसने अपने फेसबुक पर लिखा, बस सिर्फ 36 घंटे और!
काल गर्ल भी हैं यहां

एक अध्ययन के मुताबिक 85 प्रतिशत काल गल्र्स ने फेसबुक पर अपने एकांउट बनाए हुए हैं। उन्होंने लोगों को फंसाने और ग्राहकों को लुभाने के लिए कामुक तस्वीरें भी लगाई हुई हैं जिसे वे अपडेट करती रहती हैं।
चीन में फेसबुक-ट्विटर पर बैन
दुनिया में सबसे ज्यादा माइक्रो ब्लॉगर चीन में हैं। चीन में माइक्रोब्लॉगिंग करने वालों की तादाद 27.4 करोड़ को पार कर गई है। यह भी तब है जब यहां ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर बैन है।
पाकिस्तान में लगा था बैन
पिछले साल पाकिस्तान में फेसबुक पर बैन लगा दिया गया था, क्योंकि फेसबुक पर एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी कि लोग अपने तरीके से पैगंबर मोहम्मद की पेंटिंग बनाएं। पाकिस्तान में लगातार विरोध प्रदर्र्शन के बाद फेसबुक को बैन कर दिया गया।
आतंकवादी भी जुड़े हैं
जमात-उद-दावा के नेता हाफिज मोहम्मद सईद फेसबुक के जरिए संदेश देते हैं जहां उन्हें पसंद करने वालों की संख्या 861 है। पंजाब के पूर्व गर्वनर सलमान तासीर की हत्या के दोषी मुमताज कादरी के समर्थन में फेसबुक पर कई पन्ने हैं।

इन मामलों से
जागी सरकार
बाल ठाकरे पर कमेंट करने वाली लड़कियों पर कार्रवाई से गुस्साई महाराष्ट्र सरकार ने ठाणे के पुलिस अधीक्षक और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट न यह कार्रवाई की थी। बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के दिन 18 नवंबर को 21 वर्षीय शाहीन डाढा ने ठाकरे का नाम लिए बगैर फेसबुक पर टिप्पणी की थी।  इस मामले में मजिस्ट्रेट पर भी यह सवाल उठे थे कि उन्होंने मामले को ध्यान से नहीं देखा। उन्होंने यह नहीं देखा कि लड़कियों के खिलाफ क्या आरोप लगे हैं और क्यों। मजिस्ट्रेट ने शाहीन और रेणू को 15-15 हजार रुपए, जबकि शाहीन के चाचा की क्लिनिक में तोडफ़ोड़ करने वालों को 7500 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी।

आईपीएस की मंजूरी के बाद ही दर्ज होंगे मामले

फेसबुक पोस्ट को लेकर आईटी एक्ट की धारा 66 (ए) के तहत हुईं गिरफ्तारियों पर उठे विवाद के बाद सरकार ने 29 नवंबर को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आईटी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, टेलीकॉम डिपार्टमेंट राज्य सरकारों को एक सर्कुलर जारी करने जा रहा है, जिसमें कहा जाएगा कि आईपीएस अफसर से नीचे कोई भी धारा 66 (ए) के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-हम तो चकित हैं

आईटी एक्ट की धारा 66 (ए) के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। इस सिलसिले में एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सोच रहे थे कि इस मामले पर अभी तक किसी ने जनहित याचिका दायर क्यों नहीं की।

केंद्र व तीन राज्यों को फटकार
30 नवंबर को फेसबुक मामले में हुई गिरफ्तारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाते हुए महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है कि पुलिस वालों पर क्या कार्रवाई हुई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी सरकार को भी नोटिस देकर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल में प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा को ममता बनर्जी के एक कार्टून को सोशल नेटवर्किंग साइट पर डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।

Saturday, December 14, 2013

शिवराज सिंह चौहान जीवन परिचय

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शिवराज सिंह चौहान
जन्म    5 मार्च, 1959
जन्म भूमि     जैतगांव, सिहोर जिला, मध्य प्रदेश
अविभावक     पिता- प्रेमसिंह चौहान, माता- सुंदरबाई चौहान
पति/पत्नी     साधना सिंह
संतान    दो पुत्र
नागरिकता    भारतीय
पार्टी     'भारतीय जनता पार्टीÓ, 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघÓ
पद     मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, तीसरी बार

शिवराज सिंह चौहान वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के मुख्यमंत्री हैं। आप भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं।


शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को हुआ। उनके पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और माता सुंदरबाई चौहान हैं। उन्होंने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (दर्शनशास्त्र) तक स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा प्राप्त की। सन् 1975 में मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष। आपात काल का विरोध किया और 1976-77 में भोपाल जेल में बंद रहे। अनेक जन समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन किए और कई बार जेल गए। सन् 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। वर्ष 1992 में उनका श्रीमती साधना सिंह के साथ विवाह हुआ। उनके दो पुत्र कार्तिकेय और कुणाल हैं।
राजनीतिक कैरियर
सन् 1977-78 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने। सन् 1975 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे। सन् 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-83 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।

मुख्यमंत्री के रूप में
वे वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए। चौहान को 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर विजयश्री प्राप्त की। चौहान को 10 दिसंबर 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसमति से नेता चुना। उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को भोपाल के जंबूरी मैदान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।


जेल भी गए
जेल यात्रा     आपने आपात काल का विरोध किया और 1976-1977 के दौरान भोपाल जेल में निरूद्ध रहे। जन समस्याओं के लिए भी कई बार जेल यात्राएं कीं।
शिक्षा    एमए (दर्शनशास्त्र)

एमएलए    चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद।

समर्पित कार्यकर्ता हैं शिव
शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ताओं में गिना जाता है। वे मध्य प्रदेश के 29वें मुख्यमंत्री हैं।

परिवार
जैतगांव जिला, सिहोर के किरार राजपूत परिवार में जन्म। उनके पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और माता का नाम सुंदरबाई चौहान है। दर्शनशास्त्र से किया और स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा पूर्ण की।
राजनैतिक शुरुआत
1972 में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और फिर इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वैवाहिक जीवन
शिवराज सिंह चौहान का विवाह 1992 में साधना सिंह के साथ सम्पन्न हुआ।

सांसद
सन 1977-1978 में वे अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने और सन 1978 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे। शिवराज सिंह चौहान सन 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-1983 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। श्री चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधान सभा क्षेत्र से विधायक बने और 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बनाए गए। शिवराज सिंह चौहान 1991-1992 मे अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक तथा 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने। सन 1992 से 1994 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव नियुक्त हुए। सन 1992 से 1996 तक संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, 1993 से 1996 तक 'श्रम और कल्याण समिति तथा 1994 से 1996 तक हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रहे।

लोकसभा सदस्य
ग्यारहवीं लोक सभा में वर्ष 1996 में शिवराज सिंह विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद चुने गए। सांसद के रूप में 1996-1997 में नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति तथा नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य रहे। श्री चौहान वर्ष 1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार बारहवीं लोक सभा के लिए सांसद चुने गए। वह 1998-1999 में प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे। शिवराज सिंह 1999 में विदिशा से ही चौथी बार तेरहवीं लोक सभा के लिये सांसद निर्वाचित हुए। वे 1999-2000 में कृषि समिति के सदस्य तथा वर्ष 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे।
अन्य महत्त्वपूर्ण पद
सन 2000 से 2003 तक शिवराज सिंह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इस दौरान वे सदन समिति (लोक सभा) के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रहे। श्री चौहान 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। शिवराज सिंह पॉचवी बार विदिशा से चौदहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2004 में कृषि समिति, लाभ के पदों के विषय में गठित संयुक्त समिति के सदस्य, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव, केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव तथा नैतिकता विषय पर गठित समिति के सदस्य और लोक सभा की आवास समिति के अध्यक्ष रहे। उन्हें वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान को 29 नवम्बर, 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। प्रदेश की तेरहवीं विधान सभा के निर्वाचन में श्री चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर विजयश्री प्राप्त की। शिवराज सिंह को 10 दिसम्बर, 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसमति से अपना नेता चुना। श्री चौहान ने 12 दिसम्बर, 2008 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की थी। शनिवार को वे लगातार तीसरी बार जंबूरी मैदान पर आयोजित ऐतिहासिक समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
...........
राजनैतिक वंशवाद नहीं, कार्यकर्ता ने दिलाई पहचान
राजनैतिक वंशवाद के कारण नहीं एक कार्यकर्ता के तौर पर मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। उनके व्यक्तित्व में वे सारे गुण है जो उनको इस पद तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है।
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9 साल में पहली रैली, 16 में मिला पद
शिवराज की उम्र 9-10 साल थी। नर्मदा के तट पर एक दिन बूढ़े बाबा के चबूतरे पर उन्होंने हालियों (ग्रामीण मजदूरों) को इक_ा किया और उनसे बोले- दो गुना मजदूरी मिलने तक काम बंद कर दो। मजदूरों का जुलूस लेकर शिवराज नारे लगाते हुए सारे गांव में घूमे। जैत गांव में 20-25 मजदूरों के साथ एक बच्चा नारे लगाते घूम रहा था  'मजदूरों का शोषण बंद करोÓ, 'ढाई पाई नहीं-पांच पाई दो।Ó घर लौटे तो चाचा आग-बबूला हो रहे थे क्योंकि शिवराज के भड़काने से परिवार के मजदूरों ने भी हड़ताल कर दी थी। शिवराज कि पिटाई करते हुए उन्हें पशुओं के बाड़े में ले गए और डांटते हुए बोले- 'अब तुम इन पशुओं का गोबर उठाओ, इन्हें चारा डालो, जंगल ले जाओ।Ó शिवराज ने ये सब काम पूरी लगन से किए पर मजदूरों को तब तक काम पर नहीं आने दिया जब तक सारे गांव ने उनकी मजदूरी नहीं बढ़ा दी।  उन दिनों देश की युवा शक्ति को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जोडऩे का अभियान चल रहा था। शिवराज जी विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। फिर उन्हें मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्र संघ के चुनाव लडऩे के निर्देश मिले। सन् 1975 में 16 वर्ष की किशोर उम्र में वे स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। छात्र हितों और समस्याओं के लिए लागतार संघर्ष  करते करते वे एक प्रखर छात्र  नेता बनने लगे। धारदार और धारा प्रवाह भाषण के बल पर उनकी लोकप्रियता भी बड़ी। वे राष्ट्रीय मुददों पर भी छात्र-छात्राओं के बीच ओजस्वी वाक्कला से जागरण करते थे।

एक साल के विधायक
सन् 1990 में शिवराज सिंह को भाजपा संगठन ने बुधनी से चुनाव लडऩे की अनुमति दी। पिछले 13 सालों से लोकसभा, विधानसभा के अलावा स्थानीय चुनावों में पार्टी का धुआंधार प्रचार करने वाले शिवराज सिंह को पहली बार अपने लिए मत मांगने के लिए अपने मन को तैयार करना पड़ा। प्रचार के दौरान जहां दोपहर हो जाती व गांव के दा-चार घरों से रोटी,प्याज, मिर्ची इकट्ठी करवा लेते और पेट भरकर उनकी प्रचार टोली आगे बढ़ जाती। शिवराज सिंह ने मतदाताओं से एक वोट और एक नोट मांगा। इस नारे को ऐसा समर्थन मिला कि सारा चुनाव खर्च निकल आया।

स्वर्णिम मध्यप्रदेश के दृष्टा
गांव में पले शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था का नजदीक से समझा है। उन्होंने प्रदेश में विकास व सुशासन को गति देकर ऐसा माहौल बनाया कि देश व दुनिया के औद्योगिक घरानों के एजेण्डों में मध्यप्रदेश शामिल हो गया। अब तेजी से प्रदेश में उद्योग धंधे लग रहे है। आओ मध्यप्रदेश बनाए अभियान के जरिये वे आमजन को भी स्वर्णिम मध्यप्रदेश के उद्देश्य में शामिल कर रहे हैं। बीमारू मध्य्रपदेश को जुझारू प्रदेश बनाया जो सुचारू हुआ और अब विकसित प्रदेश के सपने को सकार करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। उनकी मेहनत का परिणाम है कि सन्  2011-12 में मध्यप्रदेश विकस दर 10 प्रतिशत से अधिक होकर देश में सर्वश्रेष्ठ हैं। कृषि विकास दर 18 प्रतिशत हुई। जो म.प्र. के इतिहास में पहली बार हुई।