Friday, May 9, 2014

रात की बात …


'''दीपक राय उप संपादकीय''
आज तक मै  प्यार- व्यार के लफ़ड़े मे नहीं पडा, लेकिन कइयों को प्यार मे जीते -मरते देखा / सुना है. मै कम्युनिकेशन प्रोफेशनल हूँ, अब लग रहा  है इस मुद्दे (लव कम्युनिकेशन ) पर मुझे  रिसर्च करनी चाहिए । मै फिलहाल भोपाल से बाहर हूँ। मै जहा रुका  हूँ  वो एक हॉस्टल नुमा बिल्डिंग है, जहॉ के लड़के अधिकतर टाइम अपनी गर्लफ्रेंड से बात करने मे ख़राब कर देते हैं।  कल रात की ही बात है. मै खुले छत में सोने की कोशिस कर रह था।  थोडे दूर सोया लड़का  फ़ोन मे बात कर रह था.   मै और मेरा दोस्त चुपचाप उसकी बातेँ सुन रहे थे।  किसी से बात करते हुए वह कह रह था, '' क्या प्यार का मतलब शादी ही होनी चाहिये। अगर शादी न हो तो क्या प्यार, प्यार नहीं होता। अगर प्रेमी प्रेमिका शादी न करेँ  तो क़्या प्यार खत्म हो जाएगा, ''   सामने वाली क्या जवाब दे रही / रहा था, मुझे सुनाई तो नहीं आ रहा पर मुद्दे मे दम तो थी बॉस। न माँ ना  भाई बहन इस मुद्दे पर बात करते है. नतीजा एक्सीडेंटल होता है।
अब काम की बात.……… भोपाल के सुन्दर वन शादी गार्डेन की घटना को देखिये, प्यार ने क्या गुल खिला  दिया।  अब वो दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे या फ़िर वो एक तरफ़ा प्यार था।  पता नहीं लेकिन दुल्हन कि जान ले लीं. गोली चलाने वाले वाले का  कहना है कि वो दोनों प्यार करते थे, लेकिन लड़की ने शादी किसी और से कर ली।  गुस्से में तमतमाये लड़के ने उसी लड़की को गोली मार दी, जिसे वह बेइंतहा मोहब्बत करता था।  मैने जहा तक पढ़ा सुना है मोहब्बत मे जान दीं जातीं  है, लीं नहीं जाती। मेरा मानना है की प्यार कोइ दिखावे कि चीज नहीं है. उसे महसूस किया जाना चाहिए।