डॉ. दीपक राय
डेली मीडिया गैलरी,
भोपाल, 20 मई 2025
डॉ.ओपिनियन : मातृशक्ति के रास्ते सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सफर तय कर रहे डॉ. मोहन यादव
देवी अहिल्या बाई की त्रिशताब्दी पर मध्यप्रदेश में होते आयोजन
दीपक राय, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कुछ ऐसा करने के लिए ललायित दिख रहे हैं जो पहले नहीं हुआ। वे उन नायक और नायिकाओं के योगदान को उजागर करने के लिए काम कर रहे हैं, जिन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत को जमीन पर उतारा। खासकर उन महिलाओं के योगदान को सम्मान दिलाने का प्रयास हो रहा है जिन्हें इतिहास ने भुला दिया। अब उन्हें 'उचित स्थान दिलाया जाए' इसके लिए डॉ. मोहन यादव रोडमैप बना रहे हैं और चलना प्रारंभ भी कर दिया है। दरअसल, देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वी जयंती पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए रणनीति बनाई है। विश्वमांगल्य सभा नामक प्रकल्प के जरिये किया जा रहा यह आयोजन संघ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसका आदर्श वाक्य 'संस्कार, सामर्थ्य, सदाचार और सेवा' है। इसमें भारत का गौरवशाली इतिहास रहीं महिलाओं का इतिहास समाज के सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल, संघ मातृ शक्ति तक सीधा संपर्क बनाना चाहता है। यह संगठन महिलाओं को सनातन संस्कारों, सांस्कृतिक मूल्यों और अनदेखे नायकों की कहानी समाज के सामने लाना चाहता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत इस मुद्दे पर काफी गंभीर हैं। वे स्वयं विश्वमांगल्य की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में संघ के समर्पित कार्यकर्ता डॉ. मोहन यादव कैसे पीछे रह सकते हैं? 31 मार्च को विश्वमांगल्य और मध्यप्रदेश सरकार ने खरगोन के महेश्वर में देवी अहिल्या बाई होल्कर पर आधारित भव्य कार्यक्रम किया। संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, संघ, भाजपा के कई बड़े नेता मौजूद रहे। डॉ. मोहन यादव, संघ की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की धारा के साथ समर्पित होकर उसी वेग में प्रवाहमान हैं।
5 अक्टूबर 2024 की तारीख याद कीजिए, जब मध्यप्रदेश की पूरी सरकार दमोह के सिंग्रामपुर पहुंच गई। सिंगौरगढ़ के किला के पास मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। यह क्षेत्र वीरांगना रानी दुर्गावती की राजधानी है। एक और तारीख है, 24 जनवरी 2025, खरगोन जिले के महेश्वर में मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। महेश्वर यानि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की पावन नगरी। सुशासन की राजधानी। न्यायप्रियता, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण, महिला स्वावलंबन का आदर्श स्थापित करने वाला नाम है— अहिल्या बाई। आज फिर इंदौर में मंत्रिपरिषद की बैठक हो रही है। यह केवल श्रृद्धांजलि मात्र का अवसर नहीं है, बल्कि संघ का समर्थन हासिल करने का माध्यम भी है, जो कि डॉ. मोहन को पहले से हासिल है। यह संघ और मप्र सरकार के बीच परस्पर तालमेल की रणनीति की बानगी है। स्पष्ट संकेत है— देवी अहिल्याबाई, रानी दुर्गावती जैसे चरित्रों से वैचारिक जमीन तैयार की जा रही है। हमें यह याद रहना चाहिए कि संघ के सांस्कृतिक एजेंडे में महिलाएं केंद्र में हैं। अब विश्वमांगल्य संगठन द्वारा, संघ की रणनीति में महिला भागीदारी को नई तरीके से परिभाषित किया जा रहा है। संघ का उद्देश्य स्पष्ट है— महिलाएं सिर्फ संरक्षण की पात्र नहीं हैं, वे सांस्कृतिक प्रचार की वाहक भी हैं। यही कारण है कि अहिल्या बाई का नाम सिर्फ इतिहास ही नहीं, मध्यप्रदेश की सत्ता और राजनीतिक सुशासन का प्रतीक बन गया है। अहिल्या बाई अब एक ऐसा नाम बनकर उभर रहा है जो सत्ता के समीकरण के साथ—साथ नई वैचारिक धुरी भी है। मुखिया मोहन यादव अहिल्या बाई के साथ ही रानी दुर्गावती, रानी झलकारी बाई जैसी विभूतियों को जनता के मन और मस्तिष्क में स्थापित करने का प्रयास कर रही है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि यह नाम देश की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक हैं। अब महाराष्ट्र सरकार भी मध्यप्रदेश से प्रेरणा लेकर लोकमाता देवी अहिल्या के जन्म स्थान में कैबिनेट बैठक करना चाहती है।
आपको बता दूं कि अहिल्याबाई होलकर ने वर्ष 1767 से 1795 तक होलकर वंश के शाही परिवार की सत्ता संभाली और मध्यप्रदेश के महेश्वर से अपना शासन चलाया। देवी अहिल्या बाई का शासन सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए सुशासन का प्रतीक है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, सुशासन, क्षेत्रीय विकास, न्याय प्रबंधन की जब बात की जाती है तो सबसे पहला नाम देवी अहिल्याबाई का आता है। महिलाओं में स्वावलम्बन की सीख देने वाली अहिल्याबाई ने देश भर में धर्म और संस्कृति के उत्थान के कार्यों के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पताका फहराई। अहिल्याबाई का सुशासन मॉडल 'न्यायप्रियता और प्रशासनिक दक्षता', 'पंच परिवर्तन से लोककल्याण', 'सांस्कृतिक पुनर्निर्माण से राष्ट्रजागरण', 'नारी स्वाभिमान-जागरण से समाज उत्थान' और 'सामाजिक कुरीतियों को चुनौतियों और उनका समाधान' को विस्तार रूप देता है।अनुशासनप्रिय शासिका अहिल्याबाई का रणनीतिक दृष्टिकोण दूरदृष्टि से भरा था। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार के साथ ही पुनर्निर्माण को कौन भूल सकता है। सामाजिक भेदभाव समाप्त किया, उनके दरबार में हर जाति और समुदाय के लोग थे। अब मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हीं विषयों पर कार्य करने के लिए एक वर्ष का रोडमैप भी बनाया है। देवी अहिल्या बाई होल्कर के अवदान पर अध्ययन और शोध के लिए कार्य किये जा रहे हैं। उनके महाराष्ट्र स्थित मूल गांव चौड़ी में विशेष दल भेजकर शोध कार्य करवाए जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसका नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे दूरदृष्टि, सुशासन, न्याय, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण और संवर्धन, निष्पक्षता का मॉडल लागू करके सीएम डॉ. मोहन यादव एक आदर्श राज्य की संकल्पना तैयार कर रहे हैं।