Wednesday, June 4, 2025

मध्यप्रदेश में क्यों है अहिल्याबाई होल्कर का महत्व

देवी अहिल्याबाई के पथ पर मोहन सरकार

18वीं सदी की रानी की याद में 09 महीने तक मनाया जा रहा जश्न

डॉ. दीपक राय, डेली मीडिया गैलरी, 30 मई 2025 भोपाल। 

मध्यप्रदेश में इन दिनों नया माहौल देखने को मिल रहा है। यह जितना राजनीतिक दिखता है, उससे कहीं अधिक यह सामाजिक और सांस्कृतिक है। 18वीं सदी की मराठा रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर की याद में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार व्यापक आयोजन कर रही है। अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में 'महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन' को संबोधित करने आ रहे हैं। महासम्मेलन में दो लाख से अधिक महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है, जिनमें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्य, लाडली बहना योजना के लाभार्थी और उद्यमी शामिल होंगी। इसके कई महीनों पहले से ही राज्य में सांस्कृतिक स्मृतियों को संजोने के आयोजन लगातार हो रहे हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रखर चेहरा रहीं देवी अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द इस अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव ने ली है। उनकी कहानी को अपनी सरकार के विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण की योजनाओं से जोड़ा है। मुख्यमंत्री बने हुए एक वर्ष भी नहीं हुए थे और मुख्यमंत्री ने सितंबर 2024 से 9 महीने नौ महीने तक चलने वाले अभियान को प्रारंभ कर दिया था। ऐतिहासिक रूप से पूजनीय अहिल्याबाई को शोध, शैक्षणिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, विकासात्मक आयोजन से मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में पहुंचा दिया है। अहिल्याबाई, अपनी प्रशासनिक प्रतिभा के अलावा, कई मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए लिए एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं। सुशासन से 


राष्ट्रवाद से सुशासन की झलक भी उनके कार्यकाल में प्रमुख रूप से देखी गई। 9 महीनों के दौरान मध्यप्रदेश के महेश्वर, चित्रकूट, इंदौर, उज्जैन, ओंकारेश्वर और ओरछा जैसे शहरों में अहिल्याबाई पर आाधारित लोक और नृत्य प्रदर्शन, कला प्रदर्शनियाँ, नाट्य नाटक आयोजित किए हैं। शोध गोष्ठियां हुई हैं। उनके जीवन पर एक राज्य प्रायोजित फिल्म और एक स्मारक पुस्तक को मंजूरी दी गई है। नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर उनकी प्रतिमाएँ लगाने की योजना बना रही है।अहिल्या बाई द्वारा पुनर्स्थापित मंदिरों (वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर सहित) की 234 जल रंग चित्रों की प्रदर्शनी और उनके नाम पर एक प्रकाश और ध्वनि शो आयोजित किया। मराठी साहित्य अकादमी अहिल्याबाई से संबंधित दस्तावेजों का अनुवाद कर रही है। कुछ दिनों पहले इंदौर में अहिल्याबाई के सत्ता के केंद्र राजवाड़ा पैलेस में आयोजित कैबिनेट बैठक में सीएम डॉ. यादव ने अभियान से संबंधित 3,876 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी और ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करने के लिए उनके नाम पर एक युवा प्रशिक्षण कार्यक्रम को मंजूरी प्रदान की। महिला स्टार्ट-अप नीति पर काम चल रहा है, जिसमें अहिल्याबाई पर प्रदर्शनियों में महिला कारीगरों और उद्यमियों को प्रमुखता से दिखाया जाएगा। कई राज्यों में भाजपा शासित सरकारें हैं। भाजपा के पास देश में नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी ने अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव को दी है। यादव ने अहिल्याबाई की कहानी को अपनी सरकार के विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ा है। मध्यप्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में पहली बार ऐसा हो रहा है, जबकि बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहे हैं, खुद प्रधानमंत्री जिसका साक्षी बन रहे हैं। लंबे समय, करीब 17 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर भाजपा—राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन का चयन किया, यह कम आश्चर्यजनक नहीं था। यह संयोग है कि इंदौर, भाजपा के कद्दावर नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ है, जिन्हें पहले संभावित मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था। एक समय हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरी उमा भारती भी ऐसा कुछ नहीं कर पाईं थीं। सरकारी स्तर पर धार्मिक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक का उत्सव पहले कभी नहीं देखने को मिला। अब डॉ. मोहन यादव ने अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाकर, उन्हें विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ा है। हिंदुत्व के पंथ में अहिल्याबाई के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने वाले पहली बार मुख्यमंत्री बने व्यक्ति के लिए यह आयोजन एक अतिरिक्त बोनस है। महिला सशक्तिकरण का यह अभियान देश में डॉ. मोहन यादव के बढ़ते कद की ओर इशारा करता है। ​हिन्दुत्व, मंदिर पर जितना हमला मुगलों ने बोला, और उन मंदिरों की जिस तरह अहिल्याबाई ने पुनर्स्थापना कराई। खुद मोहन यादव कहते हैं कि मुगलों ने हमारे देवस्थानों को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया। अहिल्याबाई होल्कर को छोड़कर बड़े शासकों ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। सीएम की यह सोच भारत के सांस्कृतिक इतिहास को बनाए रखने के लिए "स्वदेशी" रियासतों की प्रशंसा करने के भाजपा के कथन से जोड़ता है। कुछ लोग कहते हैं कि देवी अहिल्याबाई का इस्तेमाल भाजपा और आरएसएस राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं। लेकिन संघ के कार्यकर्ता अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं कि हम देवी अहिल्याबाई के  सामाजिक और धार्मिक योगदान, उनके शासन मॉडल का जश्न मना रहे हैं। समाज को इन सबके बारे में पता चले, इसमें गलत क्या है?भाजपा के एक नेता कहते हैं कि हम डॉ. अंबेडकर, विवेकानंद और 1857 के विद्रोह जैसे राष्ट्रीय नायकों का जश्न मनाते हैं। संघ ने इन सभी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का स्मरण किया है। अब पूरे देश को अहिल्याबाई के सुशासन, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बारे में क्यों नहीं जानना चाहिए? वह सिर्फ इंदौर की रानी नहीं थीं। वह देश के लिए सुशासन का नया मॉडल कई वर्षों पहले ही गढ़कर चली गईं। भाजपा सीधे तौर पर अहिल्याबाई उत्सव को राजनीतिक लाभ कमाने की बात नकार रही है, लेकिन क्या यह मोहन यादव की महिला-केंद्रित शासन व्यवस्था का विस्तार है। आने वादे दिनों में भाजपा शासित सभी राज्यों में ऐसे ही उत्सव देखने को मिल सकते हैं। कई राज्यों में देवी अहिल्याबाई के सुशासन की कहानी का प्रसार हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला आधारित सुशासन को आगे बढ़ा रहे हैं, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता तैयार हो रहा है। आपरेशन सिंदूर में महिला नेतृत्व दिखा है। तो क्या यह कहा जा सकता है कि भोपाल में हो रहे महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के बाद मुख्यमंत्री और मजबूत होकर उभरेंगे? ऐसा लग रहा है डॉ. मोहन यादव का भाजपा और संघ में विस्तार का रास्ता भी यहीं से निकलेगा। 


Devi Ahilya bai Holkar and information Dr. Deepak Rai


स्वावलंबी महिला, सशक्त राष्ट्र और मध्यप्रदेश

विश्लेषण लेख
डॉ. दीपक राय
डेली मीडिया गैलरी भोपाल
31 मई 2025
महिला सशक्तिकरण की शुरुआत महिला सुरक्षा से होती है। शारीरिक सुरक्षा, शैक्षणिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा। इन सभी के संयुक्त होने के बाद ही नारी सशक्त बनती है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लाखों महिलाओं की उपस्थिति। इसके अलग-अलग मायने निकाले जाने चाहिए। एक तो ये कि केंद्र की कई योजनाओं के संचालन में मप्र अव्वल है। दूसरे कुछ राजनीतिक पक्ष भी हैं। लोकमाता देवी अहिल्याबाई के नाम पर महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन संभवत: देश का ऐसा पहला आयोजन है, जहां से भाजपा नारी सशक्तिकरण का नया चैप्टर शुरू कर रही है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश को ही इस विशेष आयोजन के लिए चुना है? इस सवाल का जवाब हमें खोजना चाहिए। मध्यप्रदेश का इतिहास महिलाओं के मामले में समृद्धता से भरा रहा है, यह महिलाओं के शासन की भूमि है, महिला शौर्य की गाथा यहां की मिट्टी में सौंधी खुशबू बिखेरती है। रानी दुर्गावती, रानी अवंतिबाई, रानी कमलापति जैसे दर्जनों नाम हैं, जो प्रमाणित करते हैं कि मध्यप्रदेश नारी सशक्तिकरण का केंद्र रहा है। देवी अहिल्याबाई एक ऐसा नाम है जो मुगलों के आक्रमण के दौरान भी महिला शासन की मजबूत नींव बनी रही। उनके शासनकाल में महिला स्वावलंबन और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का नया अध्याय लिखा गया। 18वीं सदी के दौर में उनका सुशासन पूरी देश-दुनिया में चर्चित रहा।
वर्तमान मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार महिलाओं के लिए जो प्रयास कर रही है, उसमें देवी अहिल्याबाई के शासन की  झलक पेश करने की कोशिश है। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई बार सार्वजनिक मंचों से कहते रहे हैं कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता उनकी प्राथमिकता है। इस दावे की कितनी सच्चाई है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना : मध्यप्रदेश में जन्म लेने वाली बेटी के जन्म के बाद लखपति बन जाती है।  50 लाख 41 हजार 810 से ज्यादा बेटियां  पंजीकृत हैं।
सुपोषण की पहल : मप्र में कुपोषण की दर 60 प्रतिशत से घटकर 33 तक प्रतिशत आ गई है। 97 हजार से अधिक आंगनबाड़ी में 81 लाख बच्चे, महिलाएं, किशोरियां दर्ज हैं।
महिलाओं का बजट : मोहन सरकार ने वर्ष 2024- 25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 26560 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। पिछले वर्ष की तुलना यह 81 प्रतिशत ज्यादा है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ :  छात्रवृत्ति, साइकिल, स्कूटी, 12वीं के बाद शिक्षा हेतु 25 हजार रुपये सहित कई प्रोत्साहन सरकार दे रही है।
शक्ति रूपा : बेटी को सशक्त बनाने के लिए शक्तिशाली बनाना पड़ता है। सशक्त वाहिनी कार्यक्रम से 11 हजार बालिकाओं को कोचिंग आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया गया है।
लाड़ली बहना योजना :  योजना के लिए 18994 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य की 1.25 करोड़ महिलाएं इसका लाभ ले रही हैं।
सरकार हर माह 1250 रुपए की राशि भेज रही है। 1 करोड़ 27 लाख से अधिक बहनों के खातों में सीधे कुल 28 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अंतरित की जा चुकी है। 
मोहन यादव कहते हैं कि सरकार "भगवान श्रीराम की संस्कृति" में विश्वास करती है, जहां वचन निभाना ही धर्म होता है। यह योजना केवल पैसा देने की व्यवस्था नहीं, बल्कि बहनों - में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और गरिमा की भावना को भी - मजबूत कर रही है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना : इस योजना में गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है, मप्र योजना के संचालन में कई वर्षों से अग्रणी राज्य है।
2024-25 में लगभग 6 लाख 30 हजार 929 हितग्राही महिला पंजीकृत हैं।
पीएम उज्जवला योजना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना से महिलाओं को धुंआ से मुक्ति मिली है। मप्र में लाखों महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर दिए गए हैं। 26 लाख से अधिक बहनों को गैस रिफिलिंग के लिए 30 करोड़ 83 लाख रुपए की सहायता दी गई है। 
हर घर नल से जल : प्रदेश के हर घर तक नल से पीने का शुद्ध जल पहुंचाया जा रहा है। 
स्व सहायता समूह : स्व सहायता समूह ने प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया है।  उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद पूरी दुनिया में ऑनलाइन बिक रहे हैं। महिलाओं में उद्यमिता का गुण विकसित किया जा रहा है।
वन स्टॉप सेंटर : राज्य में 57 वन स्टाप सेंटर हैं जहां पर संकटग्रस्त महिलाओं को काउंसिलिंग, कानूनी सलाह, अस्थायी आश्रय मिल रहा है। 
सशक्त सुरक्षा प्रणाली : महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को इमरजेंसी सेवा 112 से जोड़ा गया है। एक कॉल पर तुरंत मदद मिलती है। एक वर्ष में ही 82552 महिलाओं को इसका लाभ मिला है।
शक्ति सदन : मप्र में 13 जिलों में 14 शक्ति सदन संचालित हैं, जहां पर कठिन परिस्थितियों में फंसी महिलाओं और बच्चियों को सुरिक्षत आश्रय मिलता है। यह सुविधा सभी संभागों में प्रारंभ होगी।
फांसी की सजा : महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश में आरोपियों को फांसी की सजा का प्रावधान है। 
लखपति दीदी : 
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी और आत्मनिर्भरता बढ़ी है। बीपीएल श्रेणी की लाखों महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है, वे लखपति बन चुकी हैं। 
देवी अहिल्याबाई नारी सशक्तिकरण मिशन : महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए एकीकृत प्रयास के तहत यह मिशन शुरू किया गया है। इससे का जीवन बेहतर और आत्मनिर्भर होगा।
लोकल से ग्लोबल : प्रदेश की 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य कर रही हैं। वे लोकल से ग्लोबल तक की यात्रा तय कर रही हैं।
हाइजीन और सैनिटेशन योजना : 19 लाख बालिकाओं को हाइजीन और सैनिटेशन योजना से आर्थिक संबल मिला है। इससे न केवल उनकी स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ी है।
सरकारी सेवाओं में आरक्षण : सरकारी सेवाओं में महिलाओं का आरक्षण 33% से बढ़ाकर 35% किया है। शिक्षा विभाग में भी 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। 
नेतृत्व के अधिक अवसर मिलने की दिशा में बड़ा कदम है।
नशामुक्त अभियान : महिला सम्मान और आध्यात्मिक मूल्यों की पवित्रता के लिए 19 स्थलों को पूर्ण नशामुक्त किया गया है।
महिला उद्यम क्रांति : एमएसएमई विकास नीति और ड्रोन दीदी योजना के अंतर्गत महिला उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन देने की नीति  है। वे आधुनिक उद्योगों में भागीदारी कर रही हैं।
मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना  से 30 हजार से अधिक एसएचजी को कम बयाज में 648 लाख रुपए का लोन अनुदान दिया है।
स्टार्टअप से सशक्तता : मध्यप्रदेश में वर्ष 2024-25 में महिला स्टार्ट-अप्स की संख्या में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 
संख्या 4012 से बढ़कर 5230 हो गई। "मध्यप्रदेश स्टार्ट-अप नीति एवं क्रियान्वयन योजना 2025" में सरकार ने महिलाओं के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है।
निकायों में महिला आरक्षण : 
निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण नारी शक्ति को दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना :  प्रदेश में 6 लाख बेटियों का विवाह या निकाह किया गया है। सरकार 55 हजार की राशि  प्रत्येक जोड़े को देती है।
वरिष्ठजन  : बुजुर्ग महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन का प्रावधान है। हर बुजुर्ग को आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जा रहा है।
इन योजनाओं को देखकर लगता है कि क्या मोहन यादव देवी अहिल्याबाई होल्कर के प्रशासकीय गुणों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
वैसे भी महिला आधारित योजनाओं के कारण, मध्यप्रदेश का महिला सशक्तिकरण मॉडल देशभर में चर्चित है। लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना योजनाओं को अन्य राज्यों ने जस की तस लागू किया है।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2 लाख महिलाओं की उपस्थिति वाला महासम्मेलन मप्र और सीएम मोहन यादव की राजनीतिक यात्रा की नई दिशा दशा तय करेगा। यह महासम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नारी सशक्तिकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उच्च प्राथमिकता का विषय है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महिलाओं को 33% आरक्षण और ऑपरेशन सिंदूर में महिला नेतृत्व इसका प्रबल उदाहरण है। महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर मोहन यादव देश के अन्य राज्यों से आगे निकलते दिख रहे हैं। अभी तो ऐसा ही दिख रहा है।



Article about Devi Ahilya Bai Holkar Dr. Deepak Rai