Saturday, November 2, 2024

How Madhya Pradesh is Ready for Future?



69th Foundation Day of Madhya Pradesh : Status of Industrial Development and Investment?

How Much Dr. Mohan Yadav Ready for Madhya Pradesh?

(Publish in Central Chronicle 02/11/2024)

Dr. Deepak Rai, Research Writer, Bhopal 

Today is the 69th foundation day of Madhya Pradesh. How much industrial development in Madhya Pradesh over the years? This is a big question? CM Dr. Mohan Yadav, who took oath on 13 December 2023, is completing 1 year of his term after 1 month and 12 days. If we exclude the days of code of conduct for Lok Sabha elections, he had only 7.5 months for work. During this time, he has done 5 Regional Investors Summits (RIC) and 'Investment Opportunities in Madhya Pradesh' interactive sessions & Road shows in india's 4 big cities. Now He wants to make Madhya Pradesh a 'Future Ready State'.

In Madhya Pradesh, the initiative of Investors Summit started in the  2007. Till the 2023, 6 summits were held in Indore and Khajuraho. In the  2018, in the Congress government formed for one and a half years, CM Kamal Nath also organized 'Magnificent MP' in Indore. But the current CM Dr. Mohan Yadav is innovating 'Regional Industry Conclave'  in all the divisions of the state.He is visiting big cities of the country and showing the map of future ready Madhya Pradesh to the investors.

The result of this is that industrialists from the country and the world have reached Rewa, Jabalpur, Ujjain, Sagar, Gwalior to join RIC. Investment PROPOSAL worth thousands of crores were signed in these places. A special thing has been seen in Rewa RIC. Since this area is located on the border of Uttar Pradesh, due to this, small businessmen of UP also expressed their desire to invest in Vindhya region. There are two big benefits of small investment. One - industries will be established according to local needs. Second - local citizens will get employment. To provide facilities to investors in South India Now, MPIDC office has been opened outside the state in Coimbatore, Tamil Nadu. It is an unprecedented achievement to have an investment PROPOSAL of Rs 2 lakh 75 thousand crore and creation of more than 3 lakh 53 thousand jobs in just 11 months before the Global Investors Summit proposed in Indore in February 2025. This has never happened before in the history of the state. If we look at the past data, from the year 2007 to 2023, 13,388 proposals were received for investment in the Investors Summit, in which an investment of Rs 30,13,041.607 crore was announced, but only Rs 3,47,891.4039 crore was invested. Industries could not be established at the speed at which the investment proposals came. But an analysis of the initiative taken by the Dr. Mohan Yadav government for investment shows that in the RIC Ujjain held on 2 October 2024, 4 thousand investor representatives from 12 countries proposed an investment of Rs 10 thousand 64 crore. Land allotment orders were also provided to 283 large and MSME units for investment of more than Rs. 12,170 crore. Issuance of so many allotment letters also happened for the first time in MP.

Dialogue with industrialists for investment in Invest MP-Interactive session Mumbai on 13 July 2024, investment of Rs 17000 crore in RIC Jabalpur on 20 July, Rs 3500 crore in Invest MP-Interactive session Coimbatore on 25 July, Rs 3200 crore in Invest MP-Interactive session Bengaluru on 8 August, Rs 8 thousand crore in RIC Gwalior on 28 August, about Rs 19 thousand 270 crore in Invest MP-Interactive session Kolkata on 20 September, Rs 23 thousand 181 crore in RIC Sagar and Rs 30,814 crore in RIC Rewa on 23 October 2024. Meanwhile, a mining conclave was held in Bhopal on 18 October, in which investment proposals worth Rs 19,650 crore were received. Through all these summits, the 11-month-old Dr. Mohan Yadav government has signed investment proposals worth Rs 2 lakh 75 thousand crores, which will generate more than 3 lakh 53 thousand jobs. Madhya Pradesh, the only major diamond producer in the country, is now taking the initiative of gold exploration and investment in AI and space technology. After the 'investment innovation' initiative of Dr. Mohan Yadav government, it is in the womb of time how much investment will come from the Global Investors Summit proposed in February. But so far the investment efforts are pointing towards positive results.

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मध्य प्रदेश का 69वां स्थापना दिवस : उद्योगिक विकास और निवेश की स्थिति?

फ्यूचर के लिए कितना रेडी हुआ मध्य प्रदेश

फ्यूचर रेडी मध्य प्रदेश के लिए कितने रेडी डॉ. मोहन यादव

डॉ. दीपक राय, रिसर्च राइटर, भोपाल।

आज मध्य प्रदेश का 69वां स्थापना दिवस है। इतने वर्षों में राज्य कितने आगे बढ़ा है? 13 दिसंबर 2023 को शपथ लेेने वाले सीएम डॉ. मोहन यादव एक महीने 12 दिन बाद एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता के दिनों को छोड़ दें तो उन्हें काम करने के लिए सवा सात महीने मिले हैं। इस दौरान 5 रीजनल इन्वेस्टर्स समिट (आरआईसी) और 4 बड़े महानगरों में 'इन्वेस्टमेंट अर्पोच्यूनिटीज इन मध्यप्रदेश' इन्टरैक्टिव सेशन, रोड शो कर चुके हैं। वे अब मध्य प्रदेश को 'फ्यूचर रेडी प्रदेश' बनाना चाहते हैं।


यूं तो मध्य प्रदेश में वर्ष 2007 से इन्वेस्टर्स समिट की पहल शुरू हुई। वर्ष 2023 तक हुईं 6  समिट इंदौर और खजुराहो में हुई। वर्ष 2018 में डेढ़ वर्ष के लिए बनी कांग्रेस सरकार में सीएम कमल नाथ ने 'मैग्निफिशेंट एमपी' भी इंदौर में ही आयोजित की। लेकिन वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव 'रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव'(आरआईसी) का नवाचार प्रदेश के सभी संभागों में कर रहे हैं। देश महानगरों में जाकर इन्वेस्टर्स सत्र करके निवेशकों को फ्यूचर रेडी मध्य प्रदेश का नक्शा दिखा रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि देश—दुनिया के उद्योगपति आरआईसी में शामिल होने रीवा, जबलपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर तक पहुंच गए। इन स्थानों में हजारों करोड़ों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। रीवा आरआईसी में खास बात दिखी है। चूंकि यह इलाका उत्तर प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित है, इस कारण यूपी के छोटे व्यापारियों ने भी विंध्य क्षेत्र में निवेश की इच्छा जताई। छोटे निवेश के दो बड़े फायदे हैं। एक— स्थानीय जरूरत के हिसाब से उद्योग स्थापित होंगे। दूसरा— स्थानीय नागरिकों को रोजगार मिलेगा। वहीं, अब प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में निवेश कार्यालय खोला गया है। फरवरी 2025 को इंदौर में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही महज 11 महीनों में 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए के निवेश अनुबंध और 3 लाख 53 हजार से अधिक रोजगार सृजन होना अभूतपूर्व उपलब्धि है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। पिछले आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2007 से 2023 तक इन्वेस्टर्स समिट में निवेश के लिए 13,388 प्रस्ताव मिले, जिनमें 30,13,041.607 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा हुई, लेकिन महज 3,47,891.4039 करोड़ रुपए का निवेश ही हो पाया। जिस गति से निवेश के प्रस्ताव आए थे, उस रफ्तार से उद्योग स्थापित नहीं हो पाये। लेकिन डॉ. मोहन यादव सरकार ने निवेश के लिए जो पहल की है, उसके विश्लेषण से पता चलता है कि 2 अक्टूबर 2024 को हुई आरआईसी उज्जैन में 12 देशों के 4 हजार निवेशक प्रतिनिधियों ने 10 हजार 64 करोड़ रुपये निवेश का प्रस्ताव दिया। 283 बड़ी और एमएसएमई इकाइयों को 12 हजार 170 करोड़ से अधिक निवेश के लिए भूमि आवंटन आदेश भी प्रदान किये। इतने आवंटन पत्र देना भी एमपी में पहली बार हुआ। 13 जुलाई 2024 को इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र मुंबई में उद्योगपतियों से एमपी में निवेश के लिए संवाद, 20 जुलाई को आरआईसी जबलपुर में 17000 करोड़ रुपए के निवेश, 25 जुलाई को इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र कोयंबटूर में 3500 करोड़ रुपए, 8 अगस्त के इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र बेंगलुरू में 3200 करोड़, 28 अगस्त को आरआईसी ग्वालियर में 8 हजार करोड़, 20 सितंबर को इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र कोलकाता में करीब 19 हजार 270 करोड़ रुपये, आरआईसी सागर 23 हजार 181 करोड़ रुपये और 23 अक्टूबर 2024 को आरआईसी रीवा में 30,814 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इस बीच, भोपाल में 18 अक्टूबर को माईनिंग कॉन्क्लेव हुई, जिसमें 19,650 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इन सभी समिट से 11 महीने की डॉ. मोहन यादव सरकार ने 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। जिनसे 3 लाख 53 हजार से अधिक रोजगार सृजित हो सकेंगे। देश का एकमात्र हीरा का बड़ा उत्पादक मध्य प्रदेश अब सोना की खोज और एआई, स्पेस टेक्नोलॉजी के निवेश की पहल कर रहा है। डॉ. मोहन यादव सरकार की 'निवेश का नवाचार' वाली पहल के बाद अब फरवरी में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से कितना निवेश आएगा, यह वक्त के गर्भ में है। लेकिन अब तक निवेश के प्रयास सकारात्मक परिणामों की ओर इशारा कर रहे हैं।

Thursday, October 24, 2024

chief minister of madhya pradesh Dr. Mohan Yadav Article

 













मन मोहने वाले मोहन : आठ महीने में सरकार ने कितना सफर तय किया



महीने 8, डॉ. मोहन यादव की नहीं कोई काट

 

डॉ. दीपक राय, मीडिया गैलरी, भोपाल, 15 अगस्त 2024

 

हमारे यहां एक कहावत है '8 (आट) की नहीं काट'। मुझे यह कहावत इसलिए याद आ गई क्योंकि 13 अगस्त 2024 को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पदभार ग्रहण किये 8 महीने हो गए हैं। उन्हें कामकाज करने के लिए सिर्फ सवा 5 महीने ही मिले हैं क्योंकि 13 दिसंबर 2023 को शपथ के बाद 16 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई, जो 6 जून को समाप्त हुई।

इन 8 महीनों में डॉ. मोहन यादव ने शासकीय कामकाज के अलावा राजनीतिक परिपक्वता का जो उदाहरण दिया है, उसका कोई काट नहीं है।

 

राजनीतिक सफलता

राजनीतिक सफलता की बात करें तो लोकसभा की सभी 29 की 29 सीटें केंद्र को भेंट कर दिया, छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा में भाजपा का कमल खिला दिया। एक दिन में 3—3 जिलों में यात्राएं कीं। मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड सहित दर्जनों राज्यों में वे स्टार प्रचारक बनकर गए, उनमें से अधिकांश सीटें भाजपा जीती भी। 71 दिनों के चुनाव के दौरान डॉ. मोहन यादव ने राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया है। उन्होंने 180 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया, 47-48 डिग्री तापमान में मोहन यादव ने उर्जा के साथ रोड शो किया। सीएम ने 58 रोड शो किए, देश के 12 राज्यों की 72 लोकसभा सीटों पर 'दमदार' प्रचार किया। वे मध्य प्रदेश के हर संभाग तक पहुंचे, अधिकांश जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। डॉ. मोहन यादव ने समन्वय की राजनीति के नए युग का सूत्रपात किया। ​इस लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की सदस्यता लेने वाले अन्य दलों के नेताओं की संख्या ने भी नया इतिहास रच दिया। डॉ. मोहन यादव के फैसलों की तारीफ सिर्फ आरएसएस, भाजपा ही नहीं, विपक्ष के नेता भी करते दिख रहे हैं।

शासकीय कामकाज

सरकार से शुसासन की शुरुआत करने वाले डॉ. मोहन यादव ने शासकीय कामकाज में परिपक्वता को जो उदाहरण पेश किया है, इसके पहले के कोई भी मुख्यमंत्री इतने कम समय में नहीं कर पाया। पूर्व की सरकारें मं​त्रियों पर करोड़ों रुपये खर्च करती थीं। लेकिन अब मंत्रियों का इनकम टैक्स अब मंत्री भरेंगे, डॉ. मोहन के फैसले ने जनता का मन मोहन लिया।

धार्मिक स्थलों के लाउड स्पीकरों को उतारने का आदेश, खुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा है।

 

इंदौर हुकुमचंद मिल के 4 हजार 800 मजदूरों को अधिकार दिलाना हो या पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना का समझौता हो। मोदी सरकार द्वारा 10 हजार करोड़ रुपए की सड़क परियोजनाओं, 24 हजार 500 करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मिला है।

 

पहले प्रापर्टी खरीदी बिक्री में रजिस्ट्री के बाद नामांतरण जटिल प्र​क्रिया थी। दो महीने से ज्यादा समय लगता था, भ्रष्टाचार से अलग परेशान होना पड़ता था। लेकिन डॉ. मोहन यादव द्वारा शुरू की गई साइबर तहसील से रजिस्ट्री के तत्काल बाद अपने आप नामांतरण, सीएम डॉ. मोहन यादव की उस प्रतिबद्धता को प्रदर्शित कर रही है, जिसमें उन्होंने शपथ ग्रहण करने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में कहा था — 'सुशासन सिर्फ कहने की चीज न हो, मध्य प्रदेश की जमीन पर सुशासन दिखना भी चाहिए, मैं ऐसा काम करना चाहता हूं।' 29 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'विकसित भारत, विकसित मध्य प्रदेश' कार्यक्रम  में साइबर तहसील परियोजना की तारीफ भी कर चुके हैं।

 

ग्वालियर एयरपोर्ट का शुभारंभ, "पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा, पीएम श्री एयर एंबुलेंस सेवा विकास की नई कहानी लिख रही है।

 

कुछ दिनों पहले आए मप्र के बजट 2024-25 में मुख्यमंत्री ने विकास का विजन दिखाया है। बजट में विकास का रोड मैप औद्योगिक विकास और कृषि के माध्यम से दिखाया गया है। प्रदेश में इंडस्ट्री कैसे आकर्षित हों? इसके लिए 6 एक्सप्रेस-वे भारत विकास पथ, नर्मदा प्रगति पथ, बुंदेलखंड विकास पथ, अटल प्रगति पथ, विंध्य एक्सप्रेस वे और मालवा-निमाड़ विकास पथ का रोड मैप सामने आया है।

 

निवेश

प्रदेश में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का नवाचार हुआ है। उज्जैन, जबलुपर के बाद अब ग्वालियर में इंडस्ट्री कॉन्क्लेव ने प्रदेश में औद्योगिक विकेंद्रीकरण का मॉडल पेश किया है। निवेशकों के साथ मुंबई, कोयंबटूर, बैंगलुरू का इंटरैक्टिव सेशन के बाद प्रदेश में तकनीकी कंपनियों ने हजारों करोड़ रुपये के निवेश के लिए अनुबंध किया है। यह राज्य में डिजिटल इंडिया के उद्योगिक विकास का परिचायक है। आशा है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के भागीरथी प्रयास 'इन्वेस्ट मध्यप्रदेश : रोड टू जीआईएस 2025' के लिए शुभंकर साबित होंगी?  7-8 फरवरी 2025 को भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेश को लेकर नया कीर्तिमान रचा जा सकेगा।

 

'4 वीआईपी और 4 जातियां'

'4 वीआईपी और 4 जातियां' गरीब, किसान, युवा और नारी के कल्याण के का रोड़ मैप अभी सामने आना बाकि है।

Wednesday, October 9, 2024

मोहन मैजिक : देश में बढ़ता CM डॉ. मोहन यादव का कद




हरियाणा-कश्मीर चुनाव : डॉ. मोहन यादव के प्रचार वाली सीटों पर जीत के मायने?

 


त्वरित टिप्पणी

दीपक राय, 

भोपाल, 

दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल, 9 अक्टूबर 2024

9424950144


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चार दिन बाद अपनी 10 महीने की सरकार का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। इतने कम दिनों में ही उन्होंने लोकसभा में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडीशा, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में प्रचार करके विजय पताका फहरा दी। अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उनके प्रचार वाली सीटें जीत गए हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि डॉ. मोहन यादव की स्वीकार्यता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व तक बढ़ी है। अब उनका राजनीतिक दायरा सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित न होकर पूरे देशों में फैल रहा है...


उन नेताओं, अधिकारियों और कुछ पत्रकारों को अब अपने राजनीतिक चश्मे का नंबर की जांच करवानी चाहिए, जो कहते हैं- 'डॉ. मोहन यादव नए नेता हैं।' कांग्रेस के उन आलोचकों को भी अब गंभीर चिंतन करना होगा, जो कहते हैं- 'एमपी केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।' अब मैं कह रहा हूं- 'डॉ. मोहन यादव का केंद्र में दबदबा बढ़ गया है।' कुछ लोग इसे भले अतिश्योक्ति मान सकते हैं, लेकिन मैं  आगे तथ्यों के साथ अपनी बात रखूंगा। 


पहली परीक्षा में टॉप किया : 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव ने पहली परीक्षा तब पास कर ली थी, पास क्या की थी, वे टॉप आए थे। जबकि उन्होंने 3 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जितवा दीं। प्रदेश के ​इतिहास का यह पहला कीर्तिमान रचने वाले डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा को ढहा दिया था।


हरियाणा—कश्मीर की जीत : केंद्रीय भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ. मोहन यादव के अंदर छिपा राजनीतिक रणनीतिक कौशल का लाभ उठाया। हरियाणा और जम्मू—कश्मीर लोकसभा चुनाव में एमपी के सीएम ने  जहां—जहां प्रचार किया, वे सभी सीटें भाजपा जीत गई। स्टार प्रचारक डॉ. मोहन यादव ने हरियाणा की 5 विधानसभा सीटें भिवानी, दादरी, तोशाम, झज्जर और बवानी खेड़ा में रैलियां की थीं। एक छोड़कर यह सभी सीटों में भाजपा ने फतह कर ली है। जम्मू—कश्मीर की सांबा में भी जीत दर्ज की है। यादव यहां भी स्टार प्रचारक थे।


बढ़ती लोकप्रियता : डॉ. मोहन यादव की लोकप्रियता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व में भी बढ़ी है। भाजपा उनके ओबीसी यादव चेहरे का उचित लाभ ले रही है। मोहन यादव सभी जगह प्रभावी भी दिखे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, यूपी, हरियाणा, जम्मू—कश्मीर, झारखण्ड, महाराष्ट्र, ओडीशा में तक 'एम वाय' फैक्टर सफल रहा है।


लोकसभा में परचम : लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों के अलावा, देश के 12 राज्यों की 72 लोकसभा सीटों तक पहुंचे। यहां पर 180 जनसभाएं, 58 रोड शो किए थे। उन्होंने 12 राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार किया था।


एम मॉडल को ऐसे समझें : मेरा विश्लेषण यह कहता है कि डॉ. मोहन यादव सिर्फ स्टार प्रचारक तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने सभाएं, रोड शो तो किया है, लेकिन इन सीटों में कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय और बैठकें भी कीं। इसका ज्यादा असर दिखाई दिया है। हरियाणा में जो सीटें जीती हैं, वे सिर्फ ओबीसी बाहुल्य नहीं हैं, वहां पर एससी समुदाय मतदाता भी कम नहीं। डॉ. यादव ने पार्टी की तैयारी की समीक्षा बैठक भी की थी और उन्होंने यहां पर कार्यकर्ताओं को संगठन की सुझाव भी दिए थे।


जब विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग पर अड़ा हो और चुनावी मुद्दा बना रहा हो तो क्या भाजपा शांत बैठेगी? इस सवाल का जवाब भले आसानी से न मिले, लेकिन जिस देश में मतदाता   अपना वोट विकास के मुद्दे के साथ ही जाति पर फोकस करता हो तो क्या किया जाये? डॉ. मोहन यादव उस ओबीसी समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी देश में करीब 54 प्रतिशत है। प्रदेश में यह संख्या 52 प्रतिशत करीब है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि डॉ. यादव ने सिर्फ ओबीसी की बात की हो। हरियाणा में उनके प्रचार वाली 4 सीटों के मतदाताओं का आंकलन किया जाये तो साफ हो जाता है कि यहां ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति के वोटर भी बहुतायत हैं। मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जिताने वाले डॉ. मोहन यादव आने वाले महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए शुभंकर साबित होंगे! वर्तमान हालातों को देखकर यह कहना अतिश्योक्ति बिल्कुल नहीं होगा।

Monday, October 7, 2024

जनजातीय वर्ग को क्या दे रही डॉ. मोहन सरकार?

 

Madhya pradesh tribals and its work for 







जनजातीय गौरव की पुनर्स्थापना, संस्कृति का संरक्षण और बजट की क्या है स्थिति

डॉ. दीपक राय, भोपाल
दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल
5 अक्टूबर 2024


भारत की धरती इस बात की गवाह है कि यहां जनजातीय वीरों ने अपने प्राण न्योंछावर कर दिया, लेकिन देश का आत्मसम्मान और निज गौरव को कभी न्योंछावर नहीं होने दिया। भगवान बिरसा मुण्डा, रायन्ना, सिद्धो संथाल, कान्हू संथाल, बाबा तिलका माँझी, अल्लूरी यांचाराम राज, गुण्डाधुर, सुरेन्द्र साय, शंकर शाह, झलकारी देवी, रघुनाथ शाह, शंकर शाह, टंट्या भील, खाज्या नायक, डेलन शाह, भीमा नायक, सीताराम कंवर, रघुनाथ सिंह मंडलोई, टूरिया शहीद मुड्डे बाई, मंशु ओझा जैसे कई और नाम हैं, जिनका नाम शायद मैं भूल जाउं, लेकिन उनके लहू की बूंद को देश नहीं भूल सकता। मध्य प्रदेश की धरती भी जनजातीय वीरों से भरी हुई है। प्रदेश का गोंडवाना साम्राज्य का पूरी दुनिया में अध्ययन किया जाता है। इनमें अग्रणी नाम वीरांगना रानी दुर्गावती का है, जिनकी आज 500वीं जयंती है। रानी दुर्गावती का नाम भारतीय स्वर्णिम इतिहास का एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है। अब सवाल यह उठता है कि जिस धरती का जनजातीय गौरव इतना समृद्ध हो, वहां की सरकार वर्तमान में जनजातियों के लिये क्या कर रही है?
8 दिन बाद अपने 10 महीने पूरे कर रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार के क्रियाकलापों पर गौर फरमाना बहुत जरूरी है। डॉ. मोहन यादव सरकार के गठन के बाद पहली कैबिनेट जनवरी 2024 को रानी दुर्गावती और वीरांगना रानी अवंतीबाई के नाम पर जबलपुर में हुई थी। अब आज 5 अक्टूबर 2024 को जन्म दिवस के अवसर पर वीरांगना रानी दुर्गावती की पहली राजधानी सिंग्रामपुर में मंत्रि-परिषद की बैठक हो रही है।
लेकिन क्या सिर्फ बैठकें और ऐसे आयोजन करने भर से जानजातियों का उद्धार हो जाएगा? इस सवाल के जवाब के लिए हमें मध्य प्रदेश सरकार का बजट देखना पड़ेगा। कुछ योजनाओं का विश्लेषण करना पड़ेगा कि जनजातीय वर्गों के विकास के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार ने आखिर क्या किया है?

जनजातीय वर्ग का बजट : वित्त वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रुपये का बजट पारित किया है। वित्त वर्ष 2023-24 से इसकी तुलना करें तो यह राशि 3,856 करोड़ रुपये (करीब 23.4 प्रतिशत) अधिक है। क्या बजट की यह राशि जनजातीय वर्ग को लाभांवित कर रहा है तो यहां यह गौर करने वाली बातें जान लें।

पेसा नियम : पेसा नियमों से एक करोड़ से अधिक जनजातीय आबादी को लाभ मिलने का दावा सरकार ने किया है। आपको बता दूं कि पेसा नियम प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 गावों में लागू है। इन नियमों में प्राप्त अधिकारों का उपयोग जनजातीय वर्ग के हितों के लिये अत्यंत प्रभावशाली साबित हो रहा है। वे अपनी क्षेत्रीय परम्पराओं, अपनी संस्कृति और जरूरतों के मुताबिक फैसले लेकर विकास की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

पीएम जन—मन : प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) के तहत पिछड़े, कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिये काम किया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, भारिया एवं सहरिया निवास क्षेत्रों में बहुउद्देश्यी केन्द्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, समग्र शिक्षा एवं विद्युतीकरण से जुडे कार्य कराये जा रहे हैं। इसके लिए 1,607 करोड़ रुपये का बजट अलग है।


शौर्य संकल्प योजना : इसके अंतर्गत बैगा, भारिया एवं सहरिया के लिये अलग से बटालियन गठित करने की प्रक्रिया अभी जारी है। समूह के इच्छुक युवाओं को पुलिस, सेना एवं होमगार्ड में भर्ती कराने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण दिये जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

आहार अनुदान योजना : जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया को 1,500 रुपये प्रतिमाह पोषण आहार अनुदान राशि दी जा रही है। बजट 2024-25 में इसके लिए 450 करोड़ रूपये आवंटित हैं। डॉ. मोहन सरकार बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातीय परिवारों के समग्र विकास के लिये 2024-25 में 100 करोड़ रूपये अतिरिक्त व्यय कर रही है।

रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी: जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिये फ्री-कोचिंग, सभी जनजातीय विकासखंडों में रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी स्थापित करने की तैयारी है। यहां पर जनजातीय विद्यार्थियों को जेईई, नीट, क्लेट और यूपीएससी जैसी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की बड़ी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग देकर इन्हें परीक्षाओं में सफल होने के गुर सिखाए जायेंगे।

आकांक्षा योजना : इसके तहत जनजातीय वर्ग के बच्चों को जेईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर में कोचिंग दी जा रही है।

जनजातीय सीएम राइज स्कूल: जनजातीय वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के लिये 667 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालयीन का छात्रवृत्ति के लिये 500 करोड़ रूपये प्रावधान किया हैं। नि:शुल्क कोचिंग के साथ सरकार जनजातीय विद्यार्थियों को टैबलेट भी देगी। टैबलेट के लिये डेटा प्लान भी सरकार नि:शुल्क उपलब्ध करायेगी। योजना के लिये सरकार ने बजट में 10.42 करोड़ रूपये आरक्षित किये हैं।

विकास प्राधिकरण : विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये योजना बनाने एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिये प्रदेश में बैगा, भारिया एवं सहरिया पीवीटीजी के लिये पृथक-पृथक विकास प्राधिकरणों सहित कुल 11 प्राधिकरण कार्यरत हैं।

शिक्षा के लिए पहल : जनजातीय गर्व के कक्षा पहली से आठवीं तक प्री-मेट्रिक राज्य छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 17 लाख 36 हजार 14 विद्यार्थियों को 56 करोड़ 59 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई है। कक्षा 9वीं और 10वीं केन्द्र प्रवर्तित प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 1 लाख 51 हजार 292 विद्यार्थियों को 52 करोड़ 15 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय में पढ़ रहे कुल 2 लाख 33 हजार 91 विद्यार्थियों को 356 करोड़ 95 लाख रूपये पोस्ट मेट्रिक छात्रवृति वितरित की गई।

अजजा विदेश अध्ययन छात्रवृति योजना : वित्त वर्ष 2023-24 में 10 होनहार विद्यार्थियों को 2 करोड़ 89 लाख रूपये की विदेश अध्ययन छात्रवृति राशि दी गई। आवास किराया सहायता योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा एक लाख 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 109 करोड़ 52 लाख रूपये की किराया प्रतिपूर्ति भुगतान की गई। सिविल सेवा परीक्षा के लिये निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग योजना में वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ 13 लाख रूपये व्यय कर 97 विद्यार्थियों को कोचिंग कराई गई। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 2023-24 में एक करोड़ से 497 अभ्यर्थियों को लाभ दिया गया। परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजना में 2023-24 में 18 लाख रूपये से 580 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया गया।
उक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि 40 हजार 804 करोड़ रुपये के बजट का कितनी योजनाओं पर खर्च हो रहा है। इन सभी योजनाओं का लाभ जनजातीय वर्ग के 100 प्रतिशत हिस्से तक पहुंचे? सरकार को इस दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे।

मध्य प्रदेश में पहली बार 'महिला सत्ता' , 10 महिला कलेक्टर संभाल रहीं जिले

Women ias in madhya pradesh

 






लाव की बयार : प्रशासनिक कामकाज में महिलाओं को मिले ज्यादा मौके

डॉ. मोहन यादव सरकार में 5 महिला मंत्री भी कर रही हैं कामकाज

डॉ. दीपक राय भोपाल। मध्य प्रदेश में अब सत्ता का सिरमौर महिलाएं बन रही हैं। सरकार में जहां 5 महिला मंत्री हैं, वहीं 10 महिला कलेक्टर जिले की बागडोर संभाले हुए हैं। प्रशासनिक मुखिया मुख्य ​सचिव वीरा राणा भी महिला थीं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुई हैं। सीएम मोहन यादव ने उन्हें 6 महीने का अतिरिक्त प्रसार भी दिलाया था। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जबकि प्रशासन की बागडोर एक साथ इतनी महिलाओं के हाथ में सौंपी गई है। सीएम डॉ. मोहन यादव के 10 महीने से भी कम के कार्यकाल में इतनी संख्या में महिला कलेक्टर की तैनाती के कदम के पीछे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एक अलग नजरिया है। जबकि पूर्व की सरकारों में सिर्फ 3-4 जिलों में ही महिला कलेक्टर होती थीं। सिर्फ एक बार में अधिकतम 7 जिलों में एक साथ महिला कलेक्टर रहीं हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार सीएम डॉ. मोहन यादव सोचते हैं कि महिलाएं किसी भी काम को जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ ही तीव्र गति से करती हैं, महिलाएं ज्यादा अनुशासित भी होती हैं। आने वाले ​समय में कई जिलों में और भी महिला आईएएस कलेक्टर बनाई जाएंगी। आपको बता दें कि प्रदेश में 55 जिले हैं।


​महिला शासकों ने रचा है इतिहास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती मनाई है। अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती वर्ष पर कई आयोजन हो रहे हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री लगातार प्रदेश में महिला शासकों और प्रशासकों के गुणों का बखान कर रहे हैं।

इस मॉडल पर चल रही सरकार
डॉ. मोहन यादव ने राजा विक्रमादित्य के प्रशासन, रानी अहिल्याबाई, रानी दुर्गावती के शासनकाल की प्रशासनिक व्यवस्था के रोल मॉडल को प्रदेश में लागू कर रहे हैं। यही वजह है कि महिला कलेक्टरों की संख्या 3 से बढ़कर 10 पहुंच गई है। आने वाले दिनों में कई ​संभागों में कमिश्नर की कुर्सी में भी महिलाएं दिखाई देंगी।

सरकार में भी महिला राज
डॉ. मोहन यादव सरकार में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्रियों सहित 32 मंत्री हैं। इनमें 5 महिला मंत्री संपत्तिया उइके, निर्मला भूरिया, कृष्णा गौर, प्रतिमा बागरी, राधा सिंह शामिल हैं।

10 कलेक्टर : कौन कहां कार्यरत

1. रुचिका चौहान (ग्वालियर)
2. प्रतिभा पाल (रीवा)
3. सोनिया मीणा (नर्मदापुरम)
4. नेहा मीणा (झाबुआ)
5. भव्या मित्तल (बुरहानपुर)
6. रिजु बाफना (शाजापुर)
7. शीतला पटले (नरसिंहपुर)
8. संस्कृति जैन (सिवनी)
9. रानी बातड़ (मैहर)
10. अदिति गर्न (मंदसौर)

मध्य प्रदेश में बदलाव की बयार
पर पढ़िए डॉ. दीपक राय की खबर
(डेली मीडिया गैलरी भोपाल, 7 अक्टूबर 2024)
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Wednesday, September 4, 2024

स्व. पूनम चंद यादव : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता जी को विनम्र नमन

 *संघर्ष से सफलता की कहानी गढ़ गए 'बाबूजी'*

Poonamchandra yadav father of cm mohan yadav


डॉ. दीपक राय, भोपाल, दैनिक मीडिया गैलरी, (04 सितंबर 2024)

धर्म, कर्म, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति, मजबूती के आधार स्तंभ और जीवंत कर्म चेतना के प्रतीक, साहस और संघर्ष ही जिनके जीवन का इष्ट रहा। ऐसे थे— बाबूजी स्व. पूनम चंद यादव। 100 वर्ष की उम्र तक जीवंत जीवन जीकर इस दुनिया से विदा ले गए। जाते—जाते जीवन को प्रेरणा देने वाली ऐसा अतीत छोड़ गए, जिसे किताबों में पढ़ाया जा सकता है। युवाओं में प्रेरणा निर्माण के लिए स्व. पूनम चंद यादव का जीवन संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा...

आज एक ऐसे पिता का देवलोक गमन हो गया, जिसने अपने अथक परिश्रम और खून—पसीने से बच्चों का बचपन सींचा। उनमें से एक बच्चा बड़ा होकर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना। जी हां, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता श्री पूनम चंद यादव ने मंगलवार को अंतिम सासें लीं। जब वे उज्जैन में आखिरी सांसें ले रहे थे तब उनका होनहार बेटा भोपाल के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रदेश की जनता के हित के लिए कामकाज में लगा हुआ था। करीब साढ़े 8 महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव अपने मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे। इसके पीछे उनके पिता बाबूजी पूनम चंद यादव के संघर्षों की लंबी दास्तान थी। हमेशा खुशमिजाजी में जीने वाले पूनम चंद यादव पिछले करीब एक हफ्ते से अस्वस्थ थे। स्व. पूनम चंद यादव अपने पीछे तीन बेटे नंदू यादव, नारायण यादव और डॉ. मोहन यादव के साथ दो बेटियां श्रीमती कलावती यादव एवं शांति देवी को छोड़ गए हैं। स्व. यादव जीवट इंसान रहे और अंतिम समय तक 100 वर्ष की आयु होने पर भी उन्होंने अपना कार्य स्वयं किया। उनकी एक बेटी कलावती यादव नगर निगम में अध्यक्ष हैं। स्व. पूनमचंद यादव रतलाम से आकर उज्जैन में बसे थे, उन्होंने पहले हीरा मिल में मजदूरी की नौकरी की, बाद में खुदका छोटा कामधंधा शुरू किया, चाय भजिए की दुकान खोली। मोहन यादव भी उस दुकान में अपने पिता और चाचा का हाथ बंटाते थे। वो दुकान पर भी बैठते थे और स्कूल भी जाते थे। उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। स्व. पूनम चंद यादव की जीवटता ऐसी थी कि अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी खुद मंडी में उपज बेचने जाते थे। खुदका जीवन भले संघर्षमय रहा हो, लेकिन पूनम चंद यादव ने बच्चों में संस्कार कूट—कूटकर भरे थे। वर्ष 1984 का वाकया है, उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज में छात्र संघ का शपथ विधि समारोह हुआ था, इसमें डॉ. मोहन यादव सहसचिव बनाए गए थे। सभी प्रतिनिधियों ने ब्लेजर पहनकर शपथ ली थी, लेकिन मोहन यादव यादव सिर्फ शर्ट पेंट में शपथ लेते दिखाई दिये थे। बाद में यह बात सामने आई थी कि मोहन यादव ने पिता के कहने कॉलेज में लगने वाली विवेकानंद की मूर्ति के लिए पैसे दान कर दिये थे। इस कारण वे ब्लेजर नहीं खरीद पाये थे। दान की ऐसी संस्कृति के जनक पिता का चले जाना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जीवन की अब तक की सबसे बड़ी क्षति होगी। हमने कई बार देखा है कि जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल से अपने पैतृक निवास उज्जैन जाते थे तब अपने पिता से आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे भी लेते थे। पिछले दिनों पिता दिवस के मौके पर पिता से आशीर्वाद लेने के बाद डॉ. मोहन यादव ने पिता से पैसे मांगे तो पिता ने 500 रुपए के नोटों की गड्डी निकालकर सीएम बेटे के हाथों में थमा दी थी। इस पर सीएम मोहन यादव ने एक नोट रखा था और पूरी गड्डी लौटा दी। हालांकि पिता पूनम चंद यादव ने भी टैक्टर रिपेयरिंग का खर्च मोहन यादव से मांग लिया था, तब पिता—बेटा के बीच खूब हंसी—ठिठौली हुई थी। आज स्व. पूनम चंद यादव जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी अनगिनत कहानियां हमेशा अमर रहेंगी। आइए, पुण्य आत्मा की शांति और उनके परिवार को यह दर्द सहने की शक्ति प्रदान करने के लिए हम सभी भगवान से प्रार्थना करते हैं।

ओम् शांति, शांति, शांति...