विदेश दौरे का हासिल : ग्लोबल एप्रोच से परफॉर्म, रिफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के प्रयास
डॉ. दीपक राय, भोपाल (Mb. 9424950144)
Dr. Deepak Rai Journalist Article About CM Dr. Mohan Yadav
“परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” के मूलमंत्र को आधार बनाकर ही कोई राज्य आत्म-निर्भर बन सकता है। उद्योगों की स्थापना और निवेश को बढ़ाकर इस मूलमंत्र को जमीन पर उतारा जा सकता है। इन दिनों मध्यप्रदेश की संभावनाओं को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए 'उद्योग एवं रोजगार वर्ष 2025' के तहत 'लोकल से ग्लोबल' प्रयास किये जा रहे हैं। हमें यह समझना चाहिए कि संभावनाएं कितनी भी क्यों न हों? लेकिन जब तक 'आकर्षण' नहीं होगा, कोई यूं की खिंचा नहीं चला आएगा। आकर्षण होने बाद अगर कोई पास आता भी जाता है तो वह ज्यादा समय टिक पाएगा? इसकी गारंटी सुविधाओं और 'ईज ऑफ डूइंग' से तय होती है। यह बातें मैं किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं कह रहा हूं। उपरोक्त सभी बातें एक राज्य से संबंधित हैं, जो कि संभावनाओं और सुविधाओं से युक्त है। मध्यप्रदेश औद्योगिक, सांस्कृतिक और पर्यटन संभावनाओं वाला प्रदेश है, यह बात किसी से नहीं छिपी नहीं है। लेकिन संभावनाओं के प्रसार का जो कार्य पिछले डेढ़ वर्ष में होते दिख रहा है, वह चौंकाता है। सिर्फ अफसरों के भरोसे रहने वाली'निवेश की रणनीति' में बदलाव हुआ है। अब नए किरदार के रूप में राज्य के मुखिया भागीरथी प्रयास करते दिख रहे हैं। एक वर्ष 7 महीने के छोटे से कार्यकाल में सीएम डॉ. मोहन यादव तीन बार में 5 देशों की यात्रा कर चुके हैं। यह यात्रा निवेशकों को आकर्षित करने, प्रदेश को वैश्विक व्यापार के केंद्र के रूप में स्थापित करने और राज्य में रोजगार सृजन की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है। हाल ही में दुबई और स्पेन में निवेशकों से संवाद करके भोपाल लौटे सीएम आशाओं से भरे और उत्साह युक्त दिखाई दिए। राज्य में उद्योग विस्तार और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सीएम की विदेश यात्रा क्यों जरूरी है? इसका जवाब भी जानना होगा। एक बेहतर प्रशासक की पहचान यह है कि वह ‘कुंए का मेंढक़’ बनकर न रहे। एक अच्छे प्रशासक को, देश-दुनिया में क्या चल रहा है? इसका प्रथम दृष्ट्या जमीनी अनुभव होना चाहिए। सीएम डॉ. मोहन यादव उन देशों के तौर-तरीके, वहां की संभावनाएं, उन देशों से नवाचार सीखकर आ रहे हैं। इतिहास गवाह है- दुनिया की तरक्की, एक दूसरे देशों की अच्छी बातों और नवाचारों को ग्रहण करने के कारण हुई है। हमें यह जान लेना चाहिए कि अमेरिका, जर्मनी, दुबई, जापान और स्पेन ही क्यों न हो? सभी के विकास का मूल आधार वहां के उद्योग-धंधे ही हैं। यू.के. और जर्मनी नगर-नियोजन, सभ्यता, औद्योगिक तरक्की और ट्रैफिक व्यवस्था मध्यप्रदेश में अपनाने योग्य है। आने वाले समय में यह मध्यप्रदेश में भी अपनाए जा सकते हैं। मेरी सलाह है कि ‘सरकारों को लगातार इस तरह देश और विदेशों के विकसित इलाकों का दौरा करते रहना चाहिए, क्योंकि सुनने की बजाए ‘यात्रा करके' लिया गया अनुभव ज्यादा असरकारक होता है।
निवेश यात्राओं से इन्वेस्टमेंट की राह तो खुलेंगी ही, प्रदेश के विकास के लिए नई दृष्टि मिल सकेगी। प्रदेश के विकास के लिए यह यात्रा आगे उपयोगी सिद्ध होगी ही, साथ ही साथ 'विकसित भारत @2047' के निर्माण में मध्यप्रदेश की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मध्यप्रदेश की संभावनाओं को समझने के लिए यह दो बयान बहुत महत्वपूर्ण है। सीएम के तत्कालीन यू.के. दौरा के दौरान ब्रिटिश सांसद लॉर्ड रमिन्दर रेंजर ने कहा था- ''यूरोप और यूएसए की ग्रोथ की अपेक्षा भारत में 8 प्रतिशत से ज्यादा की ग्रोथ मौजूद है। भारत में इन्वेस्ट किया गया धन सेफ है।'' एक अन्य सांसद लॉर्ड कुलवीर रेंजर की बात भी गौर फरमाइए- ''मध्यप्रदेश उभरता हुआ राज्य है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने निवेशकों के साथ की वन-ऑन-वन मीटिंग्स के सकारात्मक परिणाम आएंगे।'' तीन बार में पांच देशों की यात्राओं से मध्यप्रदेश को क्या हासिल हुआ है? यह जानना भी जरूरी है।
पहली यात्रा: 24 से 30 नवंबर 2024 तक यूके और जर्मनी का दौरा किया। वहां से लगभग 78 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। जर्मनी के मात्र डेढ़ दिन के प्रवास में 18 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव मिल गए। कई प्रस्तावों पर कार्य आगे बढ़ चुके हैं।
दूसरी यात्रा : 27 जनवरी से 31 जनवरी 2024 तक जापान की निवेश यात्रा की। ऑटोमोबाइल, कपास उत्पादन, रेडीमेड गारमेंट से निवेश के प्रस्ताव मिले। जापान के सबसे अमीर उद्योगपति ने मध्यप्रदेश में निवेश पर रुचि दिखाई।
तीसरी यात्रा : अब मुख्यमंत्री 20 जुलाई 2025 को भोपाल पहुंचे हैं। 13 से 19 जुलाई तक दुबई और स्पेन में शीर्ष व्यापारिक प्रतिनिधियों से मिले। यहां से 11 हजार 119 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। जिससे 14 हजार से अधिक व्यक्तियों को रोजगार भी मिलने की उम्मीद है।
विदेश यात्राओं के अलावा देश में आरआईसी, इंटरएक्टिव सेशन, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जैसे भव्य आयोजन हुए हैं, जिनके जरिये राज्य में निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार होता दिख रहा है। लेकिन क्या मध्यप्रदेश निवेशकों के लिए एक पारदर्शी और भरोसेमंद राज्य है? यह निवेशकों के लिए कितना अनुकूल है? आखिर यहां निवेशक उद्योग धंधे क्यों लगाने आएंगे? इसके जवाब में हमें पता चलता है- एमपी में 18 नई औद्योगिक नीतियां लांच की गई हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, जनविश्वास अधिनियम, सिंगल विंडो सिस्टम, पर्याप्त लैंड बैंक, हाथों-हाथ अनुमतियां, पानी और बिजली की पर्याप्त उपलब्धता, उद्योगपतियों को सब्सिडी (वर्ष 2024-25 में 5260 करोड़ रुपये), छोटे निवेशकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन की सुविधा। कुशल मानव श्रम, सड़क-हवाई-रेलवे मार्ग से पूरे देश से आसान कनेक्टिविटी, पर्यटन, फार्मा, माइनिंग, कृषि, डेयरी, नवकरणीय ऊर्जा, कम संचालन लागत, प्रशिक्षित युवा प्रतिभा की उपलब्धता वैश्विक निवेशकों की पसंद बन सकते हैं। तमिलनाडु के कोयंबटूर और गुजरात के अहमदाबाद में उद्योग कार्यालय प्रारंभ करने के लिए सरकार ने नवाचार प्रदर्शित किया है।
ऐसे में, सीएम डॉ. मोहन यादव के द्वारा निवेश के लिए की जाने वाली यात्राएं न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। यात्राओं से वैश्विक मंच पर राज्य की विकास योजनाओं और संभावनाओं को प्रस्तुत किया जाता है। खुद राज्य के मुखिया का अन्य देशों में निवेश की संभावनाओं को तलाशने पहुंच जाना, यह विजन और डेडिकेशन नहीं तो और क्या है? मुख्यमंत्री की सक्रियता और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण ने न केवल राज्य में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी छवि को मजबूत किया है। यह यात्रा मध्य प्रदेश को वैश्विक निवेश के नक्शे पर और मजबूती से स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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