Wednesday, June 4, 2025

मध्यप्रदेश में क्यों है अहिल्याबाई होल्कर का महत्व

देवी अहिल्याबाई के पथ पर मोहन सरकार

18वीं सदी की रानी की याद में 09 महीने तक मनाया जा रहा जश्न

डॉ. दीपक राय, डेली मीडिया गैलरी, 30 मई 2025 भोपाल। 

मध्यप्रदेश में इन दिनों नया माहौल देखने को मिल रहा है। यह जितना राजनीतिक दिखता है, उससे कहीं अधिक यह सामाजिक और सांस्कृतिक है। 18वीं सदी की मराठा रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर की याद में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार व्यापक आयोजन कर रही है। अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में 'महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन' को संबोधित करने आ रहे हैं। महासम्मेलन में दो लाख से अधिक महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है, जिनमें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्य, लाडली बहना योजना के लाभार्थी और उद्यमी शामिल होंगी। इसके कई महीनों पहले से ही राज्य में सांस्कृतिक स्मृतियों को संजोने के आयोजन लगातार हो रहे हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रखर चेहरा रहीं देवी अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द इस अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव ने ली है। उनकी कहानी को अपनी सरकार के विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण की योजनाओं से जोड़ा है। मुख्यमंत्री बने हुए एक वर्ष भी नहीं हुए थे और मुख्यमंत्री ने सितंबर 2024 से 9 महीने नौ महीने तक चलने वाले अभियान को प्रारंभ कर दिया था। ऐतिहासिक रूप से पूजनीय अहिल्याबाई को शोध, शैक्षणिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, विकासात्मक आयोजन से मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में पहुंचा दिया है। अहिल्याबाई, अपनी प्रशासनिक प्रतिभा के अलावा, कई मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए लिए एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं। सुशासन से 


राष्ट्रवाद से सुशासन की झलक भी उनके कार्यकाल में प्रमुख रूप से देखी गई। 9 महीनों के दौरान मध्यप्रदेश के महेश्वर, चित्रकूट, इंदौर, उज्जैन, ओंकारेश्वर और ओरछा जैसे शहरों में अहिल्याबाई पर आाधारित लोक और नृत्य प्रदर्शन, कला प्रदर्शनियाँ, नाट्य नाटक आयोजित किए हैं। शोध गोष्ठियां हुई हैं। उनके जीवन पर एक राज्य प्रायोजित फिल्म और एक स्मारक पुस्तक को मंजूरी दी गई है। नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर उनकी प्रतिमाएँ लगाने की योजना बना रही है।अहिल्या बाई द्वारा पुनर्स्थापित मंदिरों (वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर सहित) की 234 जल रंग चित्रों की प्रदर्शनी और उनके नाम पर एक प्रकाश और ध्वनि शो आयोजित किया। मराठी साहित्य अकादमी अहिल्याबाई से संबंधित दस्तावेजों का अनुवाद कर रही है। कुछ दिनों पहले इंदौर में अहिल्याबाई के सत्ता के केंद्र राजवाड़ा पैलेस में आयोजित कैबिनेट बैठक में सीएम डॉ. यादव ने अभियान से संबंधित 3,876 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी और ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करने के लिए उनके नाम पर एक युवा प्रशिक्षण कार्यक्रम को मंजूरी प्रदान की। महिला स्टार्ट-अप नीति पर काम चल रहा है, जिसमें अहिल्याबाई पर प्रदर्शनियों में महिला कारीगरों और उद्यमियों को प्रमुखता से दिखाया जाएगा। कई राज्यों में भाजपा शासित सरकारें हैं। भाजपा के पास देश में नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी ने अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव को दी है। यादव ने अहिल्याबाई की कहानी को अपनी सरकार के विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ा है। मध्यप्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में पहली बार ऐसा हो रहा है, जबकि बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहे हैं, खुद प्रधानमंत्री जिसका साक्षी बन रहे हैं। लंबे समय, करीब 17 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर भाजपा—राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन का चयन किया, यह कम आश्चर्यजनक नहीं था। यह संयोग है कि इंदौर, भाजपा के कद्दावर नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ है, जिन्हें पहले संभावित मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था। एक समय हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरी उमा भारती भी ऐसा कुछ नहीं कर पाईं थीं। सरकारी स्तर पर धार्मिक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक का उत्सव पहले कभी नहीं देखने को मिला। अब डॉ. मोहन यादव ने अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाकर, उन्हें विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ा है। हिंदुत्व के पंथ में अहिल्याबाई के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने वाले पहली बार मुख्यमंत्री बने व्यक्ति के लिए यह आयोजन एक अतिरिक्त बोनस है। महिला सशक्तिकरण का यह अभियान देश में डॉ. मोहन यादव के बढ़ते कद की ओर इशारा करता है। ​हिन्दुत्व, मंदिर पर जितना हमला मुगलों ने बोला, और उन मंदिरों की जिस तरह अहिल्याबाई ने पुनर्स्थापना कराई। खुद मोहन यादव कहते हैं कि मुगलों ने हमारे देवस्थानों को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया। अहिल्याबाई होल्कर को छोड़कर बड़े शासकों ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। सीएम की यह सोच भारत के सांस्कृतिक इतिहास को बनाए रखने के लिए "स्वदेशी" रियासतों की प्रशंसा करने के भाजपा के कथन से जोड़ता है। कुछ लोग कहते हैं कि देवी अहिल्याबाई का इस्तेमाल भाजपा और आरएसएस राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं। लेकिन संघ के कार्यकर्ता अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं कि हम देवी अहिल्याबाई के  सामाजिक और धार्मिक योगदान, उनके शासन मॉडल का जश्न मना रहे हैं। समाज को इन सबके बारे में पता चले, इसमें गलत क्या है?भाजपा के एक नेता कहते हैं कि हम डॉ. अंबेडकर, विवेकानंद और 1857 के विद्रोह जैसे राष्ट्रीय नायकों का जश्न मनाते हैं। संघ ने इन सभी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का स्मरण किया है। अब पूरे देश को अहिल्याबाई के सुशासन, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बारे में क्यों नहीं जानना चाहिए? वह सिर्फ इंदौर की रानी नहीं थीं। वह देश के लिए सुशासन का नया मॉडल कई वर्षों पहले ही गढ़कर चली गईं। भाजपा सीधे तौर पर अहिल्याबाई उत्सव को राजनीतिक लाभ कमाने की बात नकार रही है, लेकिन क्या यह मोहन यादव की महिला-केंद्रित शासन व्यवस्था का विस्तार है। आने वादे दिनों में भाजपा शासित सभी राज्यों में ऐसे ही उत्सव देखने को मिल सकते हैं। कई राज्यों में देवी अहिल्याबाई के सुशासन की कहानी का प्रसार हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला आधारित सुशासन को आगे बढ़ा रहे हैं, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता तैयार हो रहा है। आपरेशन सिंदूर में महिला नेतृत्व दिखा है। तो क्या यह कहा जा सकता है कि भोपाल में हो रहे महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के बाद मुख्यमंत्री और मजबूत होकर उभरेंगे? ऐसा लग रहा है डॉ. मोहन यादव का भाजपा और संघ में विस्तार का रास्ता भी यहीं से निकलेगा। 


Devi Ahilya bai Holkar and information Dr. Deepak Rai


स्वावलंबी महिला, सशक्त राष्ट्र और मध्यप्रदेश

विश्लेषण लेख
डॉ. दीपक राय
डेली मीडिया गैलरी भोपाल
31 मई 2025
महिला सशक्तिकरण की शुरुआत महिला सुरक्षा से होती है। शारीरिक सुरक्षा, शैक्षणिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा। इन सभी के संयुक्त होने के बाद ही नारी सशक्त बनती है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लाखों महिलाओं की उपस्थिति। इसके अलग-अलग मायने निकाले जाने चाहिए। एक तो ये कि केंद्र की कई योजनाओं के संचालन में मप्र अव्वल है। दूसरे कुछ राजनीतिक पक्ष भी हैं। लोकमाता देवी अहिल्याबाई के नाम पर महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन संभवत: देश का ऐसा पहला आयोजन है, जहां से भाजपा नारी सशक्तिकरण का नया चैप्टर शुरू कर रही है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश को ही इस विशेष आयोजन के लिए चुना है? इस सवाल का जवाब हमें खोजना चाहिए। मध्यप्रदेश का इतिहास महिलाओं के मामले में समृद्धता से भरा रहा है, यह महिलाओं के शासन की भूमि है, महिला शौर्य की गाथा यहां की मिट्टी में सौंधी खुशबू बिखेरती है। रानी दुर्गावती, रानी अवंतिबाई, रानी कमलापति जैसे दर्जनों नाम हैं, जो प्रमाणित करते हैं कि मध्यप्रदेश नारी सशक्तिकरण का केंद्र रहा है। देवी अहिल्याबाई एक ऐसा नाम है जो मुगलों के आक्रमण के दौरान भी महिला शासन की मजबूत नींव बनी रही। उनके शासनकाल में महिला स्वावलंबन और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का नया अध्याय लिखा गया। 18वीं सदी के दौर में उनका सुशासन पूरी देश-दुनिया में चर्चित रहा।
वर्तमान मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार महिलाओं के लिए जो प्रयास कर रही है, उसमें देवी अहिल्याबाई के शासन की  झलक पेश करने की कोशिश है। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई बार सार्वजनिक मंचों से कहते रहे हैं कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता उनकी प्राथमिकता है। इस दावे की कितनी सच्चाई है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना : मध्यप्रदेश में जन्म लेने वाली बेटी के जन्म के बाद लखपति बन जाती है।  50 लाख 41 हजार 810 से ज्यादा बेटियां  पंजीकृत हैं।
सुपोषण की पहल : मप्र में कुपोषण की दर 60 प्रतिशत से घटकर 33 तक प्रतिशत आ गई है। 97 हजार से अधिक आंगनबाड़ी में 81 लाख बच्चे, महिलाएं, किशोरियां दर्ज हैं।
महिलाओं का बजट : मोहन सरकार ने वर्ष 2024- 25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 26560 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। पिछले वर्ष की तुलना यह 81 प्रतिशत ज्यादा है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ :  छात्रवृत्ति, साइकिल, स्कूटी, 12वीं के बाद शिक्षा हेतु 25 हजार रुपये सहित कई प्रोत्साहन सरकार दे रही है।
शक्ति रूपा : बेटी को सशक्त बनाने के लिए शक्तिशाली बनाना पड़ता है। सशक्त वाहिनी कार्यक्रम से 11 हजार बालिकाओं को कोचिंग आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया गया है।
लाड़ली बहना योजना :  योजना के लिए 18994 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य की 1.25 करोड़ महिलाएं इसका लाभ ले रही हैं।
सरकार हर माह 1250 रुपए की राशि भेज रही है। 1 करोड़ 27 लाख से अधिक बहनों के खातों में सीधे कुल 28 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अंतरित की जा चुकी है। 
मोहन यादव कहते हैं कि सरकार "भगवान श्रीराम की संस्कृति" में विश्वास करती है, जहां वचन निभाना ही धर्म होता है। यह योजना केवल पैसा देने की व्यवस्था नहीं, बल्कि बहनों - में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और गरिमा की भावना को भी - मजबूत कर रही है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना : इस योजना में गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है, मप्र योजना के संचालन में कई वर्षों से अग्रणी राज्य है।
2024-25 में लगभग 6 लाख 30 हजार 929 हितग्राही महिला पंजीकृत हैं।
पीएम उज्जवला योजना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना से महिलाओं को धुंआ से मुक्ति मिली है। मप्र में लाखों महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर दिए गए हैं। 26 लाख से अधिक बहनों को गैस रिफिलिंग के लिए 30 करोड़ 83 लाख रुपए की सहायता दी गई है। 
हर घर नल से जल : प्रदेश के हर घर तक नल से पीने का शुद्ध जल पहुंचाया जा रहा है। 
स्व सहायता समूह : स्व सहायता समूह ने प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया है।  उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद पूरी दुनिया में ऑनलाइन बिक रहे हैं। महिलाओं में उद्यमिता का गुण विकसित किया जा रहा है।
वन स्टॉप सेंटर : राज्य में 57 वन स्टाप सेंटर हैं जहां पर संकटग्रस्त महिलाओं को काउंसिलिंग, कानूनी सलाह, अस्थायी आश्रय मिल रहा है। 
सशक्त सुरक्षा प्रणाली : महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को इमरजेंसी सेवा 112 से जोड़ा गया है। एक कॉल पर तुरंत मदद मिलती है। एक वर्ष में ही 82552 महिलाओं को इसका लाभ मिला है।
शक्ति सदन : मप्र में 13 जिलों में 14 शक्ति सदन संचालित हैं, जहां पर कठिन परिस्थितियों में फंसी महिलाओं और बच्चियों को सुरिक्षत आश्रय मिलता है। यह सुविधा सभी संभागों में प्रारंभ होगी।
फांसी की सजा : महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश में आरोपियों को फांसी की सजा का प्रावधान है। 
लखपति दीदी : 
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी और आत्मनिर्भरता बढ़ी है। बीपीएल श्रेणी की लाखों महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है, वे लखपति बन चुकी हैं। 
देवी अहिल्याबाई नारी सशक्तिकरण मिशन : महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए एकीकृत प्रयास के तहत यह मिशन शुरू किया गया है। इससे का जीवन बेहतर और आत्मनिर्भर होगा।
लोकल से ग्लोबल : प्रदेश की 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य कर रही हैं। वे लोकल से ग्लोबल तक की यात्रा तय कर रही हैं।
हाइजीन और सैनिटेशन योजना : 19 लाख बालिकाओं को हाइजीन और सैनिटेशन योजना से आर्थिक संबल मिला है। इससे न केवल उनकी स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ी है।
सरकारी सेवाओं में आरक्षण : सरकारी सेवाओं में महिलाओं का आरक्षण 33% से बढ़ाकर 35% किया है। शिक्षा विभाग में भी 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। 
नेतृत्व के अधिक अवसर मिलने की दिशा में बड़ा कदम है।
नशामुक्त अभियान : महिला सम्मान और आध्यात्मिक मूल्यों की पवित्रता के लिए 19 स्थलों को पूर्ण नशामुक्त किया गया है।
महिला उद्यम क्रांति : एमएसएमई विकास नीति और ड्रोन दीदी योजना के अंतर्गत महिला उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन देने की नीति  है। वे आधुनिक उद्योगों में भागीदारी कर रही हैं।
मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना  से 30 हजार से अधिक एसएचजी को कम बयाज में 648 लाख रुपए का लोन अनुदान दिया है।
स्टार्टअप से सशक्तता : मध्यप्रदेश में वर्ष 2024-25 में महिला स्टार्ट-अप्स की संख्या में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 
संख्या 4012 से बढ़कर 5230 हो गई। "मध्यप्रदेश स्टार्ट-अप नीति एवं क्रियान्वयन योजना 2025" में सरकार ने महिलाओं के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है।
निकायों में महिला आरक्षण : 
निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण नारी शक्ति को दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना :  प्रदेश में 6 लाख बेटियों का विवाह या निकाह किया गया है। सरकार 55 हजार की राशि  प्रत्येक जोड़े को देती है।
वरिष्ठजन  : बुजुर्ग महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन का प्रावधान है। हर बुजुर्ग को आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जा रहा है।
इन योजनाओं को देखकर लगता है कि क्या मोहन यादव देवी अहिल्याबाई होल्कर के प्रशासकीय गुणों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
वैसे भी महिला आधारित योजनाओं के कारण, मध्यप्रदेश का महिला सशक्तिकरण मॉडल देशभर में चर्चित है। लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना योजनाओं को अन्य राज्यों ने जस की तस लागू किया है।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2 लाख महिलाओं की उपस्थिति वाला महासम्मेलन मप्र और सीएम मोहन यादव की राजनीतिक यात्रा की नई दिशा दशा तय करेगा। यह महासम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नारी सशक्तिकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उच्च प्राथमिकता का विषय है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महिलाओं को 33% आरक्षण और ऑपरेशन सिंदूर में महिला नेतृत्व इसका प्रबल उदाहरण है। महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर मोहन यादव देश के अन्य राज्यों से आगे निकलते दिख रहे हैं। अभी तो ऐसा ही दिख रहा है।



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Tuesday, May 20, 2025

ओपिनियन : मातृशक्ति के रास्ते सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सफर तय कर रहे डॉ. मोहन यादव

डॉ. दीपक राय

डेली मीडिया गैलरी,

भोपाल, 20 मई 2025


डॉ.ओपिनियन : मातृशक्ति के रास्ते सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सफर तय कर रहे डॉ. मोहन यादव

देवी अहिल्या बाई की त्रिशताब्दी पर मध्यप्रदेश में होते आयोजन


दीपक राय, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कुछ ऐसा करने के लिए ललायित दिख रहे हैं जो पहले नहीं हुआ। वे उन नायक और नायिकाओं के योगदान को उजागर करने के लिए काम कर रहे हैं, जिन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत को जमीन पर उतारा। खासकर उन महिलाओं के योगदान को सम्मान दिलाने का प्रयास हो रहा है जिन्हें इतिहास ने भुला दिया। अब उन्हें 'उचित स्थान दिलाया जाए' इसके लिए डॉ. मोहन यादव रोडमैप बना रहे हैं और चलना प्रारंभ भी कर दिया है। दरअसल, देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वी जयंती पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए रणनीति बनाई है। विश्वमांगल्य सभा नामक प्रकल्प के जरिये किया जा रहा यह आयोजन संघ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसका आदर्श वाक्य 'संस्कार, सामर्थ्य, सदाचार और सेवा' है। इसमें भारत का गौरवशाली इतिहास रहीं महिलाओं का इतिहास समाज के सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल, संघ मातृ शक्ति तक सीधा संपर्क बनाना चाहता है। यह संगठन महिलाओं को सनातन संस्कारों, सांस्कृतिक मूल्यों और अनदेखे नायकों की कहानी समाज के सामने लाना चाहता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत इस मुद्दे पर काफी गंभीर हैं। वे स्वयं विश्वमांगल्य की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में संघ के समर्पित कार्यकर्ता डॉ. मोहन यादव कैसे पीछे रह सकते हैं? 31 मार्च को विश्वमांगल्य और मध्यप्रदेश सरकार ने खरगोन के महेश्वर में देवी अहिल्या बाई होल्कर पर आधारित भव्य कार्य​क्रम किया। संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, संघ, भाजपा के कई बड़े नेता मौजूद रहे। डॉ. मोहन यादव, संघ की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की धारा के साथ समर्पित होकर उसी वेग में प्रवाहमान हैं। 


5 अक्टूबर 2024 की तारीख याद कीजिए, जब मध्यप्रदेश की पूरी सरकार दमोह के सिंग्रामपुर पहुंच गई। सिंगौरगढ़ के किला के पास मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। यह क्षेत्र वीरांगना रानी दुर्गावती की राजधानी है। एक और तारीख है, 24 जनवरी 2025, खरगोन जिले के महेश्वर में मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। महेश्वर यानि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की पावन नगरी। सुशासन की राजधानी। न्यायप्रियता, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण, महिला स्वावलंबन का आदर्श स्थापित करने वाला नाम है— अहिल्या बाई। आज फिर इंदौर में मंत्रिपरिषद की बैठक हो रही है।  यह केवल श्रृद्धांजलि मात्र का अवसर नहीं है, बल्कि संघ का समर्थन हासिल करने का माध्यम भी है, जो कि डॉ. मोहन को पहले से हासिल है। यह संघ और मप्र सरकार के बीच परस्पर तालमेल की रणनीति की बानगी है। स्पष्ट संकेत है— देवी अहिल्याबाई, रानी दुर्गावती जैसे चरित्रों से वैचारिक जमीन तैयार की जा रही है। हमें यह याद रहना चाहिए कि संघ के सांस्कृतिक एजेंडे में महिलाएं केंद्र में हैं। अब विश्वमांगल्य संगठन द्वारा, संघ की रणनीति में महिला भागीदारी को नई तरीके से परिभाषित किया जा रहा है। संघ का उद्देश्य स्पष्ट है— महिलाएं सिर्फ संरक्षण की पात्र नहीं हैं, वे सांस्कृतिक प्रचार की वाहक भी हैं। यही कारण है कि अहिल्या बाई का नाम सिर्फ इतिहास ही नहीं, मध्यप्रदेश की सत्ता और राजनीतिक सुशासन का प्र​तीक बन गया है। अहिल्या बाई अब एक ऐसा नाम बनकर उभर रहा है जो सत्ता के समीकरण के साथ—साथ नई ​वैचारिक धुरी भी है। मुखिया मोहन यादव अहिल्या बाई के साथ ही रानी दुर्गावती, रानी झलकारी बाई जैसी विभूतियों को जनता के मन और मस्तिष्क में स्थापित करने का प्रयास कर रही है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि यह नाम देश की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक हैं। अब महाराष्ट्र सरकार भी मध्यप्रदेश से प्रेरणा लेकर लोकमाता देवी अहिल्या के जन्म स्थान में कैबिनेट बैठक करना चाहती है।

आपको बता दूं कि अहिल्याबाई होलकर ने वर्ष 1767 से 1795 तक होलकर वंश के शाही परिवार की सत्ता संभाली और मध्यप्रदेश के महेश्वर से अपना शासन चलाया। देवी अहिल्या बाई का शासन सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए सुशासन का प्रतीक है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, सुशासन, क्षेत्रीय विकास, न्याय प्रबंधन की जब बात की जाती है तो सबसे पहला नाम देवी अहिल्याबाई का आता है। महिलाओं में स्वावलम्बन की सीख देने वाली अहिल्याबाई ने देश भर में धर्म और संस्कृति के उत्थान के कार्यों के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पताका फहराई। अहिल्याबाई का सुशासन मॉडल 'न्यायप्रियता और प्रशासनिक दक्षता', 'पंच परिवर्तन से लोककल्याण', 'सांस्कृतिक पुनर्निर्माण से राष्ट्रजागरण', 'नारी स्वाभिमान-जागरण से समाज उत्थान' और 'सामाजिक कुरीतियों को चुनौतियों और उनका समाधान' को विस्तार रूप देता है।अनुशासनप्रिय शासिका अहिल्याबाई का रणनीतिक दृष्टिकोण दूरदृष्टि से भरा था। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार के साथ ही पुनर्निर्माण को कौन भूल सकता है। सामाजिक भेदभाव समाप्त किया, उनके दरबार में हर जाति और समुदाय के लोग थे। अब मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हीं विषयों पर कार्य करने के लिए एक वर्ष का रोडमैप भी बनाया है। देवी अहिल्या बाई होल्कर के अवदान पर अध्ययन और शोध के​ लिए कार्य किये जा रहे हैं। उनके महाराष्ट्र स्थित मूल गांव चौड़ी में विशेष दल भेजकर शोध कार्य करवाए जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसका नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे दूरदृष्टि, सुशासन, न्याय, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण और संवर्धन, निष्पक्षता का मॉडल लागू करके सीएम डॉ. मोहन यादव एक आदर्श राज्य की संकल्पना तैयार कर रहे हैं।




Wednesday, March 26, 2025

RSS, समाज और समरता का प्रगतिशील मॉडल

'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' स्थापना के 100 वां वर्ष तक कहां पहुंचा?


त्वरित विश्लेषण
डॉ. दीपक राय,
दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल
25 मार्च 2025
9424950144

Dr. Deepak Rai Article About RSS


दुनिया का सबसे बड़ा और पवित्र स्वयंसेवी संगठन 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के स्थापना का यह 100 वां वर्ष है। इतने दिनों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सफर कैसा रहा है? इसपर विश्लेषण की महती आवश्यकता है। हाल ही में बेंगलुरू में हुई तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने जो जानकारियां दी हैं, वह उत्साह से भरने वाली हैं।  संघ कार्य में युवाओं की रुचि बढ़ने के कारण उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है। हर वर्ष लाखों युवा, विशेषकर 14-25 आयु वर्ग के संघ से जुड़ रहे हैं। आरएसएस ने 100 वर्षों में अथक अनुशासन के साथ जो सफर तय किया है उसी का परिणाम है कि देश में 51 हजार570 स्थानों पर प्रतिदिन शाखाएं संचालित की जा रही हैं। गत वर्ष जहां देश में 73,646 शाखाएं संचालित होती थीं, वहीं इस वर्ष 10 हजार बढ़कर 83,129 हो चुकी है। साप्ताहिक मिलन में पिछले वर्ष की तुलना में 4,430 की वृद्धि हुई है, जहां शाखाओं और मिलन की कुल संख्या 1,15,276 है। दैनिक शाखाओं की संख्या 83,129, साप्ताहिक मिलन 32,147, मासिक  मंडली 12,091 हैं। कुल मिलाकर यह संख्या 1,27,367 पहुंचना हर्ष का विषय है। संघ अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कार्य के विस्तार में ग्रामीण मंडलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। संघ ने संगठनात्मक योजना के तहत देश को 58,981 ग्रामीण मंडलों में विभाजित किया है, जिनमें से 30,717 मंडलों में दैनिक शाखाएँ और 9,200 मंडलों में साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं। इस वर्ष देश भर में कुल 4,415 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए। इन वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवक शामिल हुए, जिनमें से 1,63,000 स्वयंसेवक 14-25 आयु वर्ग और 20,000 से अधिक स्वयंसेवक 40 वर्ष से अधिक आयु के थे। यह युवा संख्या उत्साहित करने वाली है। संघ वेबसाइट (www.rss.org) पर ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से साल 2012 से अब तक 12,72,453 से अधिक लोगों ने संघ से जुड़ने में रुचि दिखाई है, जिनमें से 46,000 से अधिक महिलाएं हैं। हजारों महिला कार्यकर्ता विभिन्न क्षेत्रों में संघ की विभिन्न गतिविधियों में कार्य कर रही हैं।

संघ ने हमेशा ही सामाजिक समरसता का मॉडल प्रस्तुत किया है। 1084 स्थानों पर स्वयंसेवकों ने मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध तथा एक ही स्रोत से पीने का पानी लेने पर रोक जैसी गलत सामाजिक प्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया है। प्रयागराज महाकुम्भ में आने वाले लोगों के लिए निशुल्क नेत्र परीक्षण, चश्मे का वितरण तथा आवश्यकता पड़ने पर मोतियाबिंद की सर्जरी की व्यवस्था की गई। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में भी संघ कार्यकर्ताओं ने बड़ी भूमिका अदा की है।  थर्मोकोल प्लेट या पॉलीथिन बैग मुक्त बनाने के लिए अनेक संगठनों के सहयोग से “एक थाली-एक थैला अभियान” चलाया जा रहा है। संघ द्वारा आज न केवल भारतीय हिंदू समाज को एकता के सूत्र में पिरोए जाने का कार्य किया जा रहा है बल्कि पूरे विश्व में अन्य देशों में निवासरत भारतीय मूल के हिंदू समाज के नागरिकों को भी एक सूत्र में पिरोए जाने का प्रयास किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह कार्य संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संघ की शाखा में प्राप्त प्रशिक्षण के बाद सम्पन्न किया जाता है। आज संघ का देश के कोने कोने में विस्तार हो रहा है। संघ द्वारा विभिन्न श्रेणियों यथा चिकित्सक, अधिवक्ता, शिक्षक, सेवा निवृत अधिकारी एवं कर्मचारी, पत्रकार,  प्रोफेसर, युवा उद्यमी जैसी श्रेणीयों के लिए साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने का नवाचार भी किया जा रहा है।  आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू सनातन संस्कृति को भारत के जन जन के मानस में प्रवाहित करने का कार्य करने का प्रयास कर रहा है ताकि प्रत्येक भारतीय के मन में राष्ट्रीयता की भावना जागृत हो एवं उनके लिए भारत प्रथम प्राथमिकता बन सके। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने जिस आदर्शवाद का उदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत किया है, उससे समाज के हर वर्ग में ग्राहता में तेजी से वृद्धि हो रही है। आने वाले वर्षों में इसके और भी उजले परिणाम हमारे सामने देखने को मिलेंगे।

(लेखक डॉ. दीपक राय "MY मध्यप्रदेश", "सोशल मीडिया राजनीति और समाज" पुस्तक के लेखक हैं, 16 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।)

जन्म दिवस विशेष : चीते की रफ्तार दौड़ते डॉ. मोहन यादव

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कितना सफर तय किया है?


विशेष लेख

डॉ. दीपक राय, भोपाल

दैनिक मीडिया गैलरी
25 मार्च 2025
9424950144



Dr. Deepak Rai Article for CM Dr. Mohan Yedav


मध्यप्रदेश के फुर्तीले, फिट, युवा, हंसमुख, सौम्यता से भरे, 13 चुनाव लड़कर अपराजेय रहने वाले, सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आज जन्म दिन है। देश का एकमात्र चीता स्टेट मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी चीते की रफ्तार से सफर तय कर रहे हैं। कुछ लोग यह पढ़कर सोचेंगे कि मैं अतिशयोक्ति के साथ लिख रहा हूं। तो फिर चलिए, आपको प्रमाण भी दिये देते हैं। 13 दिसंबर 2023 को शपथ लेने के बाद क्या आपने ऐसा एक भी दिन देखा है कि जब डॉ. मोहन यादव ने छुट्टी ली हो? संवेदनशीलता की पराकाष्ठा देखिए जिस दिन उज्जैन में उनके पिता पूनम चंद यादव आखिरी सांसें ले रहे थे, तब भी डॉ. मोहन भोपाल के मंत्रालय में काम कर रहे थे।  यह कोई संयोग नहीं था, यह तो जीवन का प्रयोग था। समाज के लिए काम करने की यह जीवटता खुद पूनम चंद यादव ने अपने मोहन यादव को विरासत में सौंपी थी। 'काम करते रहो, जो दायित्व मिला है, उसे पूरा करो। आखिरी समय में सामने आईं पिता-बेटे के बीच हंसी-ठिठौली में भी पिता ने बेटे से कहा था- चलो जाओ अपना काम करो।' दायित्व के प्रति जुनूनी डॉ. मोहन यादव ने एक वर्ष तीन महीने 12 दिन के छोटे से कार्यकाल में कम कीर्तिमान नहीं रचे हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव खुद तो सुबह से लेकर देर रात तक काम करते ही हैं, साथ ही साथ अपनी सरकार के मंत्रियों और विधायकों से भी खूब काम करवाते हैं। कल ही समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान दो बार कैबिनेट हुई हैं। एक बार तो दिनभर विधानसभा की कार्यवाही, रात में कैबिनेट बैठक हुई। कर्त्तव्य पथ पर चलने का नया उदाहरण है। एक साल के संक्षिप्त कार्यकाल में तीन देशों की निवेश यात्रा हो, या फिर हर संभाग में रीजनल इन्वेस्टर्स समिट। फिर भोपाल भी तो पहली बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का साक्षी बना है।  

प्रदेश को सबसे बड़ी राशि वाला बजट मिला है। दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाले जीव चीता मध्यप्रदेश में फल फूल रहे हैं। डॉ. मोहन यादव भी तो चीता की तरह की रफ्तार से दौड़कर कामकाज कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन '4 वीआईपी और 4 जातियां' को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन ने मिशन बना लिया है।

Dr. Mohan Yadav Historical Photo


उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए और उससे भी पहले यूडीए, पर्यटन विभाग, शिक्षा विभाग में रहकर कई ऐसे निर्णय लिये हैं, जो बदलाव की बयार लेकर आए हैं। एक वर्ष में उन्होंने ऐसे कई क्रांतिकारी निर्णय लिए हैं, जो पूर्व की सरकारों ने कभी इतनी तेजी से नहीं लिये। सुशासन के लिए साइबर तहसील हो या हुकुमचंद मिल विवाद निपटारा या फिर नदी जोड़ो परियोजना। डॉ. मोहन यादव ने फ्यूचर रेडी मध्यप्रदेश की नींव रख दी है। विकास की इमारत दिखने में थोड़ा समय जरूर लग सकता है। उन्होंने इतने कार्य किये हैं कि सबकुछ जानने के लिए आपको मेरी किताब 'MY मध्यप्रदेश' पढ़नी होगी।

यह तो महज मील का एक पत्थर है, लेकिन मोहन यादव के लिए मंजिल पाने की राह उतनी भी आसान नहीं है। जैसे भारत में चीता प्रोजेक्ट कई चुनौतियां के वाबाजूद आज फल फूल रहा है। ऐसे ही राजनीति में चमकने के लिए डॉ. मोहन यादव के लिए यह साल परीक्षा की घड़ी होगा। इस साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में डॉ. मोहन यादव पिछड़ा वर्ग और यादव समाज के लिए देश का सबसे बड़ा चेहरा होंगे। बिहार में लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और उत्तर प्रदेश में सपा के अखिलेश यादव का गढ़ ढहाने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खाटू, अनुशासित कार्यकर्ता डॉ. मोहन यादव के जिम्मे है। बिहार में सफलता मिली तो मोहन यादव भाजपा नेतृत्व के सबसे बड़े  राजनीतिक चहरों में एक होंगे। वे यह करने में सक्षम भी हैं क्योंकि

चुनावी और राजनीतिक रणनीति बनाने में वह माहिर दिखते हैं।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का छिंदवाड़ा का किला ढहाकर सभी 29 सीटें जिता चुके हैंं। हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा में प्रचार करके भाजपा की सरकार बनवाने में अहम भूमिका अदा की। जम्म-कश्मीर में भाजपा को जबरदस्त बढ़त दिलाई। हरियाणा में तो गृहमंत्री अमित शाह के साथ डॉ. मोहन को सीएम चुनने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया था। यह मोहन यादव के बढ़ते कद की निशानी है। अब, बिहार एक निर्णायक मील का पत्थर साबित होगा। देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले पिछड़ा वर्ग के लिए डॉ. मोहन यादव सबसे बड़ा चेहरा बन सकते हैंं। मोहन की मंजिल उन्हें कहां ले जाएंगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अब तक के कार्यकाल को देखने के बाद मैं इन पंक्तियों के साथ अपनी बात खत्म करना चाहूंगा...


कर्म की कलम से जिसने

खुद लिख्खी तकदीर,

इंसानियत जिसका धर्म,

सेवा उसकी आस्था,

शिक्षा का परचम थाम,

जिसने हर लक्ष्य को साधा।

महाकाल के भाल पर

गौरव तिलक लगाने वाला।

वो है ऐसा कर्मवीर...

वो है डॉ. मोहन यादव...

मुख्यमंत्री जी आपको जन्म दिवस शुभ हो... आप निरंतर प्रगति करें।

(लेखक डॉ. दीपक राय "MY मध्यप्रदेश", "सोशल मीडिया राजनीति और समाज" पुस्तक के लेखक हैं, 16 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।)

Monday, March 24, 2025

मध्यप्रदेश की आशाओं, आकांक्षाओं का बजट

Dr. Deepak Rai Mohan Yadav Article



मध्यप्रदेश विकास और जनकल्याण की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है आगे


विशेष टिप्पणी

डॉ. दीपक राय


मध्य प्रदेश की डॉ मोहन यादव सरकार ने अपना बजट प्रस्तुत किया है। इसमें गांव, गरीब सहित सभी वर्गों के लिए व्यवस्थित योजना से मध्यप्रदेश विकास और जनकल्याण की झलक दिख रही है। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत@2047 के संकल्प को पूरा करने के लिए राज्य सरकार विकसित मध्यप्रदेश के लक्ष्य के साथ कार्य कर रही है। इस बजट में यह बात भी इंगित हुई है। बजट 2025-26 इसी संकल्प की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम दिखता है। डॉ. मोहन यादव सरकार ने 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया। यह बजट प्रावधान विगत वर्ष 2024-25 की अपेक्षाकृत 15 प्रतिशत अधिक है। कोई टैक्स नहीं लगाया गया है और न ही कोई कटौती की गई है। मुख्यमंत्री का कहना है कि नई सरकार बनते ही अगले 5 साल में बजट को दोगुना करने का लक्ष्य तय कर लिया गया था। बजट में राज्य के गरीब, युवा, अन्नदाता किसान और नारी (ज्ञान) सहित सभी वर्गों की बेहतरी के संकल्प को पूरा किया गया है। वर्ष- 1956 में मध्यप्रदेश का गठन हुआ, लेकिन वर्ष 2003-04 तक मात्र 20 हजार करोड़ रुपये का बजट था, अब इसे 21 गुना बढ़ाते हुए सरकार 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। मध्यप्रदेश, भारत के सभी राज्यों में सबसे तेज गति से बढ़ने वाला प्रदेश बनेगा, ऐसा इस बजट में परिलक्षित हुआ है। यह, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा (वित्त) का सर्व-व्यापक, सर्व-स्पर्शी, सर्व-समावेशी बजट है। सरकार, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष@2047 तक 2 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 250 लाख करोड़) बनाने की बात कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के संकल्पों के आधार पर राज्य सरकार का यह दूरदर्शी बजट सशक्त-समृद्ध-शक्तिशाली और खुशहाल मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है। बजट में महिलाओं, गरीब, किसान, अनुसूचित जाति और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए विशेष कदम उठाए गये हैं।

मैं बजट के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करना चाहूंगा।

यह बजट अनुमानित राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 4 प्रतिशत अनुमानित रखते हुए वर्ष 2029-30 तक बजट के आकार एव प्रदेश की जीएसडीपी को दो गुना करने के लक्ष्य पर केन्द्रित है। कुल विनियोग की राशि 4,21,032 करोड़ रुपए है, जो विगत वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। अनुमानित राजस्व प्राप्तियां 2,90,879 करोड़ रुपए है, जिसमें राज्य के स्वयं के कर की राशि 1,09,157 करोड़ रुपए, केन्द्रीय करों में प्रदेश का हिस्सा 1,11,662 करोड़ , करेत्तर राजस्व 21,399 करोड़ रुपए और केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदान 48,661 करोड़ रुपए शामिल हैं । वर्ष 2025-26 में वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान की तुलना में राज्य के कर राजस्व में 7 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। वर्ष 2025-26 में वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान की तुलना में पूंजीगत परिव्यय में लगभग 31 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। बजट में राज्य सरकार की उपलब्धियां भी गिनाई गई हैं। नीति आयोग द्वारा जारी राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक प्रतिवेदन में राज्य को व्यय की गुणवत्ता में प्रथम स्थान दिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में राज्य की इस उपलब्धि का उल्लेख किया है। आपको बता दूं - वर्ष 2025-26 के बजट में विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले व्यय के प्रतिशत में सर्वाधिक 17 प्रतिशत अधोसंरचना क्षेत्र के लिए प्रावधान है। अधोसंरचना क्षेत्र में वर्ष 2025-26 में विगत वर्ष 2024-25 की तुलना में 31 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।

राज्य शासन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये प्रतिबद्ध दिखाई दी है। 6 वर्षों में जेण्डर बजट का आकार दोगुना हुआ है। कृषि और संबद्ध क्षेत्र में, विगत 6 वर्षों में दोगुना से अधिक की वृद्धि हुई है। विगत 6 वर्षों में बाल-बजट का प्रावधान दोगुना से अधिक हुआ। नारी सशक्तिकरण की दिशा में भी बड़ा ऐलान हुआ हैं। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में 18,669 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत 1,183 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता के अंतर्गत 720 करोड़ रुपए का प्रावधान है। जल जीवन मिशन नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वॉटर मिशन में 17,136 करोड़ रुपए का प्रावधान है।

किसानों के लिए कई प्रयास इस बजट में दिखते हैं। अटल कृषि ज्योति योज‌ना में 13,909 करोड़ रुपए का प्रावधान है। प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना के अंतर्गत 447 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 5,220 करोड़ रुपए का प्रावधान है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2,001 करोड़ रुपए का प्रावधान है मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना के अंतर्गत 1,000 करोड़ रुपए का प्रावधान है। समर्थन मूल्य पर किसानों से फसल उपार्जन पर बोनस भुगतान के अंतर्गत 1,000 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत 850 करोड़ रुपए का प्रावधान है। गौ-संर्वधन एवं पशुओं का संवर्धन के अंतर्गत 505 करोड़ रुपए का प्रावधान है।

गरीब कल्याण के लिए विशेष पहल की गई हैं। अटल गृह ज्योति योजना में 7132 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल द्वारा 5 एच.पी. के कृषि पम्पों तथा एक बत्ती कनेक्शन को निःशुल्क विद्युत प्रदाय के लिए प्रतिपूर्ति के अंतर्गत 5299 करोड़ रुपए का प्रावधान शामिल हैं । मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में 700 करोड़ रुपए का प्रावधान है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के अंतर्गत 1,277 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पीएम जनमन योजना (आवास) के अंतर्गत 1,100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

युवा कल्याण की दिशा में बड़े प्रावधान इस बजट में हैं। निवेश प्रोत्साहन योजना में 2,000 करोड़ रुपए का प्रावधान है। एम.एस.एम.ई. प्रोत्साहन व्यवसाय निवेश संवर्धन/सुविधा प्रदाय योजना के अंतर्गत 1,250 करोड़ रुपए का प्रावधान है। व्यावसायिक प्रशिक्षण का सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के अंतर्गत 902 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है। इसबजट में हर वर्ग का कल्याण समाहित है। बजट में अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिए 47,296 करोड़ रुपए (23.5 प्रतिशत) है। अनुसूचित जाति (उप योजना) के लिए 32,633 करोड़ रुपए (16.2 प्रतिशत) है। स्वशासी तकनीकी संस्थाओं को सहायता के अंतर्गत 247 करोड़ रुपए का प्रावधान है। पॉलीटेक्निक संस्थाएं के अंतर्गत 232 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री कौशल अप्रेंटिसशिप योजना के अंतर्गत 150 करोड़ रुपए का प्रावधान है। खेलो इंडिया एम.पी. के अंतर्गत 180 करोड़ रुपए का प्रावधान है। खेल अकादमियों की स्थापना के अंतर्गत 170 करोड़ रुपए का प्रावधान है। स्टेडियम एवं खेल अधोसंरचना निर्माण के अंतर्गत 159 करोड़ रुपए का प्रावधान है।

प्रदेश में आई.टी. पार्क की स्थापना के अंतर्गत 129 करोड़ रुपए का प्रावधान है। इसके अलावा आध्यात्मिक धार्मिक सांस्कृतिक मदों के लिए भी बजट का प्रावधान किया गया है। सिंहस्थ-2028 के अंतर्गत 2,005 करोड़ रुपए का प्रावधान है। वेदान्त पीठ की स्थापना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है। सी.एम. राइज के अंतर्गत 4,686 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मेट्रो रेल के अंतर्गत 850 करोड़ रुपए का प्रावधान है। कर्मचारियों के हितलाभ का भी ख्याल रखा गया है। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि शासकीय सेवकों को वर्तमान में देय भत्तों का पुनरीक्षण, 1 अप्रैल, 2025 से 7वें वेतनमान के सुसंगत स्तरों के अनुसार किया जाएगा। इस वर्ष से लोक कल्याणकारी योजनाओं को प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। श्रीकृष्ण पाथेय के लिए 10 करोड़ प्रावधान है। मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना के लिए 850 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना के लिए 50 करोड़ रुपए का प्रावधान है। अविरल निर्मल नर्मदा के लिए 25 करोड़ रुपए का प्रावधान है। गीता भवन के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रुपए का प्रावधान है। सी.एम. युवाशक्ति योजना में 25 करोड़ रुपए का प्रावधान है। देवी अहिल्याबाई कौशल विकास कार्यक्रम में 25 करोड़ रुपए का प्रावधान है। कामकाजी महिलाओं के लिये छात्रावास निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा के लिए 80 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री समग्र परिवार समृद्ध योजना के अंतर्गत 125 करोड़ रुपए का प्रावधान है। निजी निवेश से संपत्ति का निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार सभी क्षेत्रों में समान रूप से आगे बढ़ रही है। कृषकों की आय बढ़ाने के लिए गोपालन और दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। गावों और शहरों में सुगम परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के लिए बजट में विशेष व्यवस्था कीगई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा नदी जोड़ो अभियान के अंतर्गत दी गई सौगातों से प्रदेश एक लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।

कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रारंभिक तौर पर बजट में कई बड़े और अच्छे ऐलान किए गए हैं। इसके परिणाम आने वाले दिनों में जमीनी तौर पर दिखाई दे सकते हैं।

डॉ. मोहन यादव कर रहे धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक गौरव की पुनर्स्थापना

 







ईमानदारी और दमदारी के साथ पेश किया 'विकसित मध्यप्रदेश @2047' का खाका

बजट 2025-26 विश्लेषण

डॉ. दीपक राय, भोपाल,

9424950144


मध्यप्रदेश के इतिहास में अब तक जो नहीं हुआ, वह 12 मार्च 2025 को घटित हुआ है। पहली बार किसी सरकार और मुख्यमंत्री ने खुलकर संस्कृति, धर्म-आध्यात्म के साथ विकास को रफ्तार देने का खाका पेश किया। मध्यप्रदेश सरकार के बजट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ईमानदारी के साथ दमदारी दिखाकर 'विकसित मध्यप्रदेश @2047' के निर्माण की संकल्पना प्रस्तुत की है। इस बजट के विश्लेषण के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत @2047' के संकल्प के लिए मध्यप्रदेश की यह बड़ी आहुति है। ऐसा लगा है जैसे मुख्यमंत्री के भेष में कोई धर्मपुरुष अपने देश, अपने प्रदेश की गौरवशाली धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की पुनर्स्थापना करने का संकल्प ले लिया है। 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ के इस बजट में प्रदेश के हर गांव, शहर के विकास के प्रावधान किये गए हैं। लेकिन बइस बार सांस्कृति, धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व पर पर डॉ. मोहन यादव का विजन स्पष्ट रूप से सामने आया है। महाकाल की नगरी के पुत्र और मध्यप्रदेश के 'सेवक धर्मपुत्र' डॉ. मोहन यादव कितनी दमदारी से निर्णय लेते हैं! इस बजट में स्पष्ट हो गया है।

बजट में सिंहस्थ, श्रीकृष्ण पाथेय, राम गमन पथ, गीता भवन, वृंदावन ग्राम योजना जैसे ऐसे नवाचार दिखे हैं, जो पहले कभी सरकारों ने नहीं किये।

वर्ष 2028 में आ रहे सिंहस्थ कुंभ की तैयारी के लिए इस वर्ष 2 हजार 5 करोड़ रुपये का प्रावधान एक क्रांतिकारी कदम है। राम पथ गमन योजना के लिए भी 30 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है। इस राशि से श्रीराम जी के वन गमन पथ अंचल का विकास तथा धार्मिक नगरी चित्रकूट का विकास किया जाएगा। श्रीकृष्ण पाथेय के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान है। गीता भवन और वृंदावन ग्राम योजना के लिये 100-100 करोड़ रुपये तय किये गए हैं।

गीता भवन बनाने और वहां पर पुस्तकालय, ई लायब्रेरी, सभागार बनाने से हमारी नई पीढ़ी भारत की गौरवशाली धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा से परिचित हो सकेेगी। वेदान्त पीठ की स्थापना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है। पशुपालकों के लिए सरकार ने बड़ा दिल दिखाया है। मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना के लिए बजट में 50 करोड़ रुपए दिये गए हैं। गौ संर्वधन एवं पशुओं का संवर्धन के अंतर्गत 505 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं।  नर्मदा नदी को अविरल बनाए रखने के लिए 25 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।


वरिष्ठ नागरिकों को धार्मिक यात्राएं करवाने के लिए भी सरकार ने दिख खोलकर पैसा दिया है। यह दिलचस्प बात है कि प्रदेश में अब तक 8 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरीक इस योजना के तहत तीर्थ यात्रा पर जा चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई GYAN (गरीब, युवा, अन्नदाता, नारीशक्ति) की अवधारणा इस बजट में स्पष्ट दिखाई दी है।

नारी सशक्तिकरण : मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के लिए 18,669 करोड़ रुपए, लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत 1,183 करोड़, मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता के अंतर्गत 720 करोड़,जल जीवन मिशन नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वॉटर मिशन में 17,136 करोड़ रुपए का प्रावधान।

अन्नदाता (किसान) : अटल कृषि ज्योति योज‌ना में 13,909 करोड़ रुपए का प्रावधान, प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना के अंतर्गत 447 करोड़, मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 5,220 करोड़, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2,001 करोड़, मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना के अंतर्गत 1,000 करोड़, समर्थन मूल्य पर किसानों से फसल उपार्जन पर बोनस भुगतान के अंतर्गत 1,000 करोड़,  मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत 850 करोड़, गौ-संर्वधन एवं पशुओं का संवर्धन के अंतर्गत 505 करोड़ रुपए का प्रावधान।

गरीब कल्याण : अटल गृह ज्योति योजना के लिए 7132 करोड़ रुपए, 5 एच.पी. के कृषि पम्पों तथा एक बत्ती कनेक्शन को निःशुल्क विद्युत प्रदाय के लिए प्रतिपूर्ति के अंतर्गत 5299 करोड़ रुपए, मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में 700 करोड़, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के अंतर्गत 1,277 करोड़, पीएम जनमन योजना (आवास) के अंतर्गत 1,100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

युवा कल्याण : निवेश प्रोत्साहन योजना में 2,000 करोड़ रुपए का प्रावधान है। एम.एस.एम.ई. प्रोत्साहन व्यवसाय निवेश संवर्धन/सुविधा प्रदाय योजना के अंतर्गत 1,250 करोड़, व्यावसायिक प्रशिक्षण का सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के अंतर्गत 902 करोड़ रुपए, मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संस्कृति, आध्यात्म और धर्म के रास्ते विकास का नया मॉडल प्रस्तुत है। हालांकि कुछ लोगों को इस बजट से 'ईर्ष्या' हो सकती है, लेकिन इसका वैज्ञानिक तथ्य को समझना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) कहता है कि जो व्यक्ति सामाजिक आध्यात्म नहीं मानता, वह स्वस्थ व्यक्ति की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। ऐसे लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि डॉ. मोहन यादव की सरकार ने जो 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया है, उसमें कई जनकल्याणकारी प्रावधान हैं। 

Saturday, January 25, 2025

दमदार मुख्यमंत्री का ऐतिहासिक फैसला


GYAN  की बात : गरीब, युवा, अन्नदाता की शक्ति, नारी को मिली श्रापमुक्ति 

त्वरित टिप्पणी

डॉ. दीपक राय, दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल, 25 जनवरी, 2025 

Liquor ban in select places in MP... Dr. Deepak Rai


कुछ महत्वपूर्ण, बड़े निर्णय लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति से कहीं ज़्यादा स्वयं की ​इच्छाशक्ति मायने रखती है। कुछ सरकारें जब सिर्फ और सिर्फ राज्य की आर्थिक स्थिति को देखकर निर्णय लेती हैं तो सामाजिक पक्ष हासिए में चला जाता है। लेकिन कुछ लोग सत्ता में रहकर भी राजनीतिक भाव से दूर, स्वयं की इच्छाशक्ति के साथ दमदारी से​ निर्णय लेते हैं। उनमें आर्थिक विकास के साथ सामाजिक पक्ष में संतुलन बनाने की अद्भुत क्षमता होती है। वर्ष 2025 में एक ऐसा ही दमदार चेहरा हमारे सामने है। नाम है- डॉ. मोहन यादव। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के एक निर्णय के बाद मैं एक ही वाक्य कहूंगा- 'यह मुख्यमंत्री तो दमदार निकले।' 

डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के शासन को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। सरकार चलाते हुए अभी एक वर्ष ही हुआ है और राज्य में शराबबंदी जैसा बहुत बड़ा फैसला ले लिया। बालिका दिवस और लोकमाता अहिल्याबाई की जयंती के मौके पर कितना शानदार निर्णय है।

लोकमाता देवी अहिल्या बाई ने जिस महेश्वर से सुशासन के साथ सत्ता चलाई थी, उन्हीं की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में, उसी महेश्वर से GYAN  की बात को आगे बढ़ा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए GYAN  मंत्र को ध्येय बना दिया। महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक में गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी शक्ति को श्रापमुक्ति दिला दी। शराब किसी श्राप से कम थोड़े है। शराब के नशे से गरीब और गरीबी के दलदल में फंसता है। शराब पीकर युवा का​ भविष्य तबाह होता है। शराब के नशे से अन्नदाता भी कहां बच पाता है। इन सभी के बीच में नारी शक्ति का जीवन सबसे ज्यादा दुखदायी होता है। क्योंकि गरीब, युवा, अन्नदाता कोई भी हो। नारी शक्ति कभी मां के रूप में, कभी बहन, कभी पत्नी के रूप में हमारे साथ रहती है।

शराब का दुरुपयोग अक्सर घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाओं और बिगड़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य का कारण बनता है। एनसीआरबी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लगभग 30% हिंसक अपराध शराब के नशे में किए जाते हैं। इस संदर्भ में, शराबबंदी केवल एक नीति नहीं है, बल्कि परिवार और समाज की पवित्रता को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।

डॉ. मोहन यादव द्वारा प्रदेश के 19 धार्मिक नगरों में शराब से पूरी तरह प्रतिबंध लगाना एक अनुपम उदाहरण है। देश में ऐसी शुरुआत पहली बार हुई है। इससे गरीब, युवा, अन्नदाता को जहां शक्ति मिलेगी, वहीं नारी को बड़े श्राप से मुक्ति मिलेगी।

देवी अहिल्या बाई की नगरी महेश्वर में सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा लिया गया निर्णय स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है। 

कई  लोगों के मन में यह संशय है कि सिर्फ एक साल के शासनकाल में कोई मुख्यमंत्री सुशासन की दिशा में इतना बड़ा फैसला लेने की हिम्मत कैसे कर सकता है। 

शराबबंदी के इस फैसले को कोई साहसिक कह रहा है, कोई प्रसंशनीय बोल रहा है, कछ लोग आदर्श कह रहे हैं, कुछ लोग ऐतिहासिक बता रहे हैं। कई लोग इसे दुस्साहस करना भी कह रहे हैं। 

लेकिन मैं शराबबंदी के फैसले को डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शी राजनीतिक छवि के रूप में देख रहा हूं। यह फैसला डॉ. मोहन यादव के सुशासन मॉडल का विस्तार है। 

डॉ. मोहन यादव का यह निर्णय आवेगपूर्ण नहीं है, बल्कि यह एक दूरदर्शी, सावधानीपूर्वक, नियोजित रणनीति का परिणाम प्रतीत होता है।  

आने वाले 4 वर्षों तक हम डॉ. मोहन यादव के सुशासन​ विस्तार में पूर्ण शराबबंदी का फैसला के गवाह भी बन सकते हैं। यह बात को कहने में, मैं बिल्कुल भी संशय महसूस नहीं कर रहा हूं। 

डॉ. मोहन यादव के बयान को गौर से पढ़िए- 'घर में बहन, बेटी, भाई मेहनत से अपना काम करते हैं, लेकिन शराब पीकर आए तो घर बिगड़ जाता है। शराब श्राप के बराबर है। हमने मध्यप्रदेश में 19 धार्मिक शहरों, ग्रामों में शराबबंदी का निर्णय लिया है, इसका धीरे-धीरे विस्तार करेंगे।' 

मुख्यमंत्री ने अपने भाषण का अधिकांश हिस्सा महिला सशक्तिकरण पर फोकस रखा। उन्होंने कहा है कि प्रदेश की महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण सहित हर क्षेत्र में समर्थ बनाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। सीएम ने ऐलान किया है कि पहले चरण में 19 धार्मिक नगरों, ग्रामों से शराब की दुकानें पूरी तरह हटा ली जाएंगी, उन्हें कहीं भी शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इस हिसाब से शुरुआती चरण में 1 नगर निगम, 6 नगर पालिका,  6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायतों से शराब की दुकान हटा ली जाएंगी। 

डॉ. मोहन यादव का विजन स्वामी विवेकानंद के विचारों से मेल खाते दिख रहा है-  "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।" मुझे 'लक्ष्य' का अर्थ भविष्य में पूर्ण शराबबंदी के रूप में दिखाई दे रहा है।

19 स्थानों से शुरू हुई यह शराबबंदी कब 55 जिलों में पहुंच जाएगी, पता भी नहीं चलेगा। जो लोग डॉ. मोहन यादव को हल्के में ले रहे हैं, उन्हें फिर बता दूं- डॉ. मोहन यादव ने एक वर्ष में सिर्फ ट्रेलर ही दिखाया है, दमदार मुख्यमंत्री की पूरी पिक्चर तो अभी बाकि है, मेरे दोस्त।

(लेखक डॉ. दीपक राय मध्यप्रदेश में पत्रकार हैं, वे विगत 15 वर्षों से लेखन कार्य कर रहे हैं। माय मध्यप्रदेश और सोशल मीडिया राजनीति समाज किताब के लेखक हैं)

देवी अहिल्या बाई के सुशासन में मोहन पास या फेल?

डॉ. दीपक राय




भोपाल। जिस राज्य में दूरदृष्टि, सुशासन, न्याय, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण और संवर्धन, निष्पक्षता पर अद्भुत कार्य किये जाते हैं, वही राज्य आदर्श स्थापित कर पाते हैं। ऐसे शासकों द्वारा गढ़े गये प्रतिमान आने वाली पी​ढ़ी के लिए आदर्श बनते हैं। एक ऐसा ही नाम है—  पुण्य-श्लोका लोकमाता देवी अहिल्या बाई का। उनकी पावन नगरी थी महेश्वर। खरगोन जिले के महेश्वर में सुशासन की झलक आज भी दिखाई देती है। अहिल्याबाई होलकर ने वर्ष 1767 से 1795 तक होलकर वंश के शाही परिवार की सत्ता संभाली और मध्यप्रदेश के महेश्वर से अपना शासन चलाया। इतिहास गवाह है अहिल्या बाई ने अपने राज्य के लोगों की भलाई के लिए कई सुधार किए।  

अहिल्याबाई के राज में किसान कल्याण, व्यापार विकास, सड़क, जल आपूर्ति, शिक्षा पर अभूतपूर्व कार्य तो किये ही गए, साथ ही किले, मंदिरों और अन्य धार्मिक—आध्यात्मिक, सांस्कृतिक समृद्धता को नए आयाम ​तक पहुंचाया। अनुशासनप्रिय शासिका अहिल्याबाई का रणनीतिक दृष्टिकोण दूरदृष्टि से भरा था। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार के साथ ही पुनर्निर्माण को कौन भूल सकता है। सामाजिक भेदभाव समाप्त किया, उनके दरबार में हर जाति और समुदाय के लोग थे।  


आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई की पावन नगरी महेश्वर में पूरी सरकार मौजूद है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में यहां कैबिनेट बैठक हो रही है। इस निर्णय के पीछे निश्चित ही कोई मकसद छिपा होगा। डॉ. मोहन यादव के शासन में अहिल्याबाई की कितनी छाप दिखती है? इस पर विश्लेषण करना बहुत जरूरी है। वे प्रदेश को लेकर क्या विजन रखते हैं, कितने दूरदृष्टा हैं?

लेकिन क्या सिर्फ अहिल्याबाई की तरह शासन चलाने की बात भर कर लेने से राज्य में सुधार दिख सकते हैं? कोई भी शासन तभी उतकृष्ट माना जाता है जबकि वहां सिर्फ सुशासन की बात न हो, सुशासन की पहल दिखनी भी चाहिए। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को राज्य की बागडोर संभाले अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। एक वर्ष एक महीने के कामकाज में उन्होंने कुछ ऐसे आदर्श प्रस्तुत किये हैं, जिससे लगता है कि सरकार संतुलित ढंग से संचालित हो रही है।

शिक्षा : मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव का पहला निर्णय शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने वाला था, जिसके तहत प्रदेश में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज की स्वीकृति दी गई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हर प्रावधान को एमपी में लागू किया गया है। सीएम राइज स्कूल उन्नत शिक्षा व्यवस्था का उदाहरण हैं।

सुशासन : डॉ. मोहन यादव ने सुशासन के लिए भी कई बड़े निर्णय लिये। साइबर तहसील, ईएफआईआर से लेकर कई फैसले शामिल हैं।

धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक संरक्षक : डॉ. मोहन यादव ने पूर्व के मुख्यमंत्रियों से अलग एक परिपाटी पेश की है। वह है— धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक संरक्षण। श्रीकृष्ण पाथेय, 

राम वन गमन पथ, महाकाल लोक विस्तार, उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। 

जल संरक्षण और संवर्धन : देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना मध्यप्रदेश में शुरू की गई है। बेहतर जल प्रबंधन का श्रेय भी सीएम डॉ. मोहन यादव को जाता है। खास बात है कि प्रदेश में दो नदी जोड़ो परियोजना पार्वती—कालिसिंध—चंबल लिंक और केन—बेतवा परियोजना ने पूरी दुनिया का ध्यान मध्यप्रदेश की तरफ खींचा है।

दयालुता : इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्णय भी संवेदनशील रहे हैं। सरकार बनने के बाद सबसे पहले निर्णयों में हुकुमचंद मिल के मजदूरों को बकाया दिलाया। करीब 20 साल से फंसे पेंच को उन्होंने समन्वय से दूर कर दिया।

कानून व्यवस्था : एक वर्ष में ही मध्यप्रदेश में अपराधियों पर सख्त कार्रवाई देखी गई है। नए कानूनों को सफलता पूर्वक लागू करने की व्यवस्था हमने देखा है। 

भ्रष्टाचार नियंत्रण : प्रदेश में लगातार कई काली कमाई करने वाले चेहरे उजागर हो रहे हैं। नित नई कार्रवाई हो रही हैं। कमाल की बात है कि नेता हो या फिर सरकार में शामिल कोई भी विधायक, मंत्री या अफसर। डॉ. मोहन यादव ने भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को रही झंडी दे दी है। जल्द ही उसके परिणाम हमारे सामने होंगे।

आज की कैबिनेट में भले जो भी निर्णय हों, लेकिन ऐसा लगता है कि डॉ. मोहन यादव सरकार कुछ अलग करने के मूड में आ चुकी है। देवी अहिल्याबाई के कार्यों को आदर्श मानकर उसी पथ पर चलने का जो लक्ष्य डॉ. मोहन यादव ने तय किया है, आने वाले वर्षों में निश्चित ही उसकी झलक देखने को मिल सकती है। प्रदेश के धार्मिक नगरों में पूर्ण शराबबंदी का प्रस्ताव आज कैबिनेट में स्वीकृत होने वाला है! इस निर्णय से आप मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आत्मविश्वास का आंकलन तो कर ही सकते हैं। आइए, हम सभी मध्य प्रदेश एक नए कलेवर में रंगते हुए देखने के साक्षी बनते हैं/आगे भी बनते रहेंगे।

Dr. Mohan Yadav : Damdar Chief Minister Bold Decision

GYAN Ki Baat: Poor, youth, farmers, women got freedom from curse

Quick Comment

Devi Ahilya Bai Cabinet in Maheshwer


Dr. Deepak Rai, Bhopal, 25 January, 2025

To take some important, big decisions, one's own willpower matters more than political willpower. When some governments take decisions only by looking at the economic condition of the state, the social aspect gets marginalized. But some people, even while being in power, take strong decisions with their own willpower, away from political sentiments. They have the amazing ability to balance economic development with social aspects. In the year 2025, one such strong face is in front of us. His name is- Dr. Mohan Yadav. After a decision of the Chief Minister of Madhya Pradesh, I will say only one sentence- 'This Chief Minister turned out to be strong.'

Dr. Mohan Yadav is redefining the governance of Madhya Pradesh. It has been just a year since the government started and a big decision like prohibition of liquor has been taken in the state. What a wonderful decision on the occasion of Girl Child Day and birth anniversary of Lokmata Ahilyabai. On the occasion of the 300th birth anniversary of Lokmata Devi Ahilyabai, from Maheshwar where she had run the government with good governance, the matter of GYAN has been taken forward. The GYAN mantra given by Prime Minister Narendra Modi has been made the goal. In the cabinet meeting held in Maheshwar, the poor, youth, farmers, women power have been freed from the curse. Alcohol is no less than a curse. The poor gets trapped in the quagmire of poverty due to the addiction of alcohol. The future of the youth is ruined by drinking alcohol. How can the farmers also escape from the addiction of alcohol. In the midst of all this, the life of women power is the most painful. Because be it poor, youth, farmers, anyone. Women power sometimes stays with us as a mother, sometimes as a sister, sometimes as a wife. Alcohol abuse often leads to domestic violence, road accidents and deteriorating public health. An NCRB report states that about 30% of violent crimes in India are committed under the influence of alcohol. In this context, prohibition is not just a policy, but a step towards regaining the sanctity of family and society. The complete ban on alcohol in 19 religious places of the state by Dr. Mohan Yadav is a unique example. Such a beginning has been made for the first time in the country. This will give strength to the poor, youth, farmers, and women will get freedom from a big curse. The decision taken by CM Dr. Mohan Yadav in Maheshwar, the city of Goddess Ahilya Bai, has been recorded in golden letters. Many people have doubts that how can a Chief Minister dare to take such a big decision in the direction of good governance in just one year of rule. Some are calling this decision of prohibition bold, some are calling it praiseworthy, some are calling it ideal, some are calling it historic. Many people are calling it an act of daring. But I see the decision of liquor ban as a farsighted political image of Dr. Mohan Yadav. This decision is an extension of Dr. Mohan Yadav's good governance model.

This decision of Dr. Mohan Yadav is not impulsive, rather it seems to be the result of a farsighted, careful, planned strategy. For the next 4 years, we can also witness the decision of complete prohibition of liquor in the expansion of good governance by Dr. Mohan Yadav. I do not feel any hesitation in saying this. Read Dr. Mohan Yadav's statement carefully - 'Sisters, daughters, brothers work hard in the house, but if they come home drunk, the house gets ruined. Alcohol is equal to a curse. We have decided to ban liquor in 19 religious places in Madhya Pradesh, we will gradually expand it.' The Chief Minister focused most of his speech on women empowerment. He has said that the government is making efforts to enable the women of the state in every field including education, health, nutrition, security and economic empowerment. The CM has announced that in the first phase, liquor shops will be completely removed from 19 religious cities-villages, they will not be shifted anywhere.  ccording to this, in the initial phase, liquor shops will be removed from 1 Municipal Corporation, 6 Municipal Councils, 6 Municipal Councils and 6 Gram Panchayats. Dr. Mohan Yadav's vision seems to match the thoughts of Swami Vivekananda - "Arise, awake and do not stop till the goal is achieved." I see the meaning of 'goal' as complete prohibition in the future. No one will know when this prohibition, which started from 19 places, will reach 55 districts. Those who are taking Dr. Mohan Yadav lightly, let me tell them again - Dr. Mohan Yadav has shown only the trailer in one year, the full picture of a strong chief minister is yet to come, my friend.

(Author Dr. Deepak Rai is a journalist in Madhya Pradesh, he has been writing for the last 15 years. He is the author of the book My Madhya Pradesh and Social Media Politics Society)

Wednesday, January 22, 2025

Damdar Mukhyamantri : Redefining Governance with Liquor Ban

 Dr. Deepak Rai, Bhopal
Dr. Deepak Rai Author


In a state that thrives on traditions, spirituality, and vibrant cultures, the idea of banning liquor seems both ambitious and audacious. Madhya Pradesh's Chief Minister, Dr. Mohan Yadav, recently made headlines with his bold proclamation: “Liquor ban will be implemented at many places in Madhya Pradesh.” Coming at a time when the state's Excise Department has projected a staggering revenue target of ₹16,000 crore from liquor sales for the fiscal year 2025–26, this statement is nothing short of revolutionary.


The move signifies a dramatic shift in governance philosophy, one that prioritizes societal and spiritual well-being over fiscal dependencies. The policy, although not entirely novel, evokes a sense of déjà vu. Former Chief Minister Shivraj Singh Chouhan once ventured into moral prohibitions—banning public drinking and closing liquor vends near schools and temples. But where Chouhan stopped short of full prohibition, Dr. Yadav is charting a far more radical path.


Dr. Mohan Yadav’s stance isn’t impulsive but appears to be a culmination of a meticulously planned strategy. The seeds of this movement were sown as early as February 2024, merely two months after Yadav assumed office. Under his direction, a crackdown on illegal liquor trade swept across the state. Illegal shops were shuttered, illicit distilleries dismantled, and violators prosecuted under stringent sections of the Indian Penal Code, including Section 272 (adulteration of food or drink intended for sale). This initial wave of action not only showcased the administration's resolve but also laid the groundwork for a broader societal shift.


The CM’s choice to start this ambitious plan from Ujjain—the city synonymous with religion, spirituality, and historical significance—is emblematic. As the epicenter of the Mahakal Corridor and a city that thrives on tourism and pilgrimage, Ujjain’s symbolic value cannot be overstated. Critics who once mocked Yadav for Ujjain’s high liquor revenues—up by nearly 20% in 2024—now find themselves silenced.


It’s not just rhetoric. The new excise policy being crafted for 2025–26 is likely to include provisions to close liquor shops in key religious hubs like Ujjain, Amarkantak, and Omkareshwar. This move resonates with Gandhiji’s vision, who once said, “Alcohol makes a man forget himself. It is a disease, not a necessity.” The Chief Minister appears to embody this principle, recognizing that good governance goes beyond financial gains.


Historically, excise revenues have been a financial cornerstone for many states. Madhya Pradesh, for instance, earned ₹13,914 crore from liquor sales in 2024, a 12.63% increase from the previous year. Such figures are compelling, often dissuading governments from pursuing prohibition. After all, this revenue funds critical infrastructure, healthcare, and education projects. However, Dr. Yadav’s conviction stems from a deeper understanding of societal cost versus financial gain. The social fabric of Madhya Pradesh, home to revered spiritual traditions, cannot be compromised for economic expediency.


Opposition parties, unsurprisingly, have seized the opportunity to question the practicality of prohibition. Detractors argue that banning liquor will drive its trade underground, leading to a surge in bootlegging and spurious alcohol—an issue that has plagued dry states like Gujarat and Bihar. But Dr. Yadav’s administration appears prepared to counter these challenges. By strengthening law enforcement and community awareness campaigns, the government aims to minimize the loopholes that illicit traders exploit.


One cannot ignore the cultural and moral dimensions of this initiative. Prohibition, if executed effectively, can lead to profound societal transformation. Alcohol abuse is often linked to domestic violence, road accidents, and deteriorating public health. A report from the National Crime Records Bureau (NCRB) highlights that nearly 30% of violent crimes in India are committed under the influence of alcohol. In this context, prohibition is not just a policy but a step toward reclaiming the sanctity of family and society.


Dr. Yadav’s bold move has rekindled memories of earlier attempts at liquor bans in India. Bihar’s Chief Minister Nitish Kumar implemented a similar prohibition in 2016, which reportedly led to a significant drop in crime rates but also invited criticism for its enforcement challenges. Madhya Pradesh now stands at a similar crossroads, and the lessons from other states will undoubtedly inform its strategy.


However, the success of prohibition hinges on more than just political will. Public support is crucial. Madhya Pradesh’s diverse demographic—ranging from tribal communities to urban elites—presents a unique challenge. Awareness campaigns must address the root causes of alcohol dependence while offering viable alternatives for recreational and social activities. Rehabilitation centers, skill development programs, and counseling services must complement the prohibition policy.


It is also essential to consider the economic ripple effects of this decision. The closure of liquor shops will impact thousands employed in the sector, from shop workers to supply chain professionals. For this, the government must devise a robust transition plan. Perhaps incentives for industries like tourism, handicrafts, and agriculture can fill the economic void. As Mahatma Gandhi once said, “The best way to find yourself is to lose yourself in the service of others.” Dr. Yadav’s government must channel resources into uplifting those affected by the ban, ensuring that prohibition becomes an instrument of empowerment rather than deprivation.


While cynics might dismiss this move as political posturing, there is no denying its transformative potential. If successful, Madhya Pradesh could become a model for other states grappling with similar dilemmas. Imagine a state where religious sanctity coexists with progressive governance, where the health and happiness of citizens are prioritized over excise profits.


Dr. Mohan Yadav’s vision for Madhya Pradesh aligns with the words of Swami Vivekananda: “Arise, awake, and stop not till the goal is reached.” This is a clarion call not just for governance but for societal introspection. The journey toward prohibition will be fraught with challenges, but as history has shown, great leaders are defined by their ability to navigate uncharted waters.


If Madhya Pradesh implements a complete liquor ban, starting with its religious cities, it will mark a historic milestone. Dr. Mohan Yadav’s name may indeed be etched in golden letters, not just in state history but in the annals of Indian governance.


For now, the CM stands as a beacon of hope, reminding us that courage and conviction can pave the way for a better tomorrow. As the policy unfolds, the entire nation watches with bated breath. Will Madhya Pradesh set the stage for a social renaissance? Only time will tell.