देवी अहिल्याबाई के पथ पर मोहन सरकार
18वीं सदी की रानी की याद में 09 महीने तक मनाया जा रहा जश्न
डॉ. दीपक राय, डेली मीडिया गैलरी, 30 मई 2025 भोपाल।
मध्यप्रदेश में इन दिनों नया माहौल देखने को मिल रहा है। यह जितना राजनीतिक दिखता है, उससे कहीं अधिक यह सामाजिक और सांस्कृतिक है। 18वीं सदी की मराठा रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर की याद में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार व्यापक आयोजन कर रही है। अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में 'महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन' को संबोधित करने आ रहे हैं। महासम्मेलन में दो लाख से अधिक महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है, जिनमें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्य, लाडली बहना योजना के लाभार्थी और उद्यमी शामिल होंगी। इसके कई महीनों पहले से ही राज्य में सांस्कृतिक स्मृतियों को संजोने के आयोजन लगातार हो रहे हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रखर चेहरा रहीं देवी अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द इस अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव ने ली है। उनकी कहानी को अपनी सरकार के विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण की योजनाओं से जोड़ा है। मुख्यमंत्री बने हुए एक वर्ष भी नहीं हुए थे और मुख्यमंत्री ने सितंबर 2024 से 9 महीने नौ महीने तक चलने वाले अभियान को प्रारंभ कर दिया था। ऐतिहासिक रूप से पूजनीय अहिल्याबाई को शोध, शैक्षणिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, विकासात्मक आयोजन से मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में पहुंचा दिया है। अहिल्याबाई, अपनी प्रशासनिक प्रतिभा के अलावा, कई मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए लिए एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं। सुशासन से
राष्ट्रवाद से सुशासन की झलक भी उनके कार्यकाल में प्रमुख रूप से देखी गई। 9 महीनों के दौरान मध्यप्रदेश के महेश्वर, चित्रकूट, इंदौर, उज्जैन, ओंकारेश्वर और ओरछा जैसे शहरों में अहिल्याबाई पर आाधारित लोक और नृत्य प्रदर्शन, कला प्रदर्शनियाँ, नाट्य नाटक आयोजित किए हैं। शोध गोष्ठियां हुई हैं। उनके जीवन पर एक राज्य प्रायोजित फिल्म और एक स्मारक पुस्तक को मंजूरी दी गई है। नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर उनकी प्रतिमाएँ लगाने की योजना बना रही है।अहिल्या बाई द्वारा पुनर्स्थापित मंदिरों (वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर सहित) की 234 जल रंग चित्रों की प्रदर्शनी और उनके नाम पर एक प्रकाश और ध्वनि शो आयोजित किया। मराठी साहित्य अकादमी अहिल्याबाई से संबंधित दस्तावेजों का अनुवाद कर रही है। कुछ दिनों पहले इंदौर में अहिल्याबाई के सत्ता के केंद्र राजवाड़ा पैलेस में आयोजित कैबिनेट बैठक में सीएम डॉ. यादव ने अभियान से संबंधित 3,876 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी और ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करने के लिए उनके नाम पर एक युवा प्रशिक्षण कार्यक्रम को मंजूरी प्रदान की। महिला स्टार्ट-अप नीति पर काम चल रहा है, जिसमें अहिल्याबाई पर प्रदर्शनियों में महिला कारीगरों और उद्यमियों को प्रमुखता से दिखाया जाएगा। कई राज्यों में भाजपा शासित सरकारें हैं। भाजपा के पास देश में नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी ने अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव को दी है। यादव ने अहिल्याबाई की कहानी को अपनी सरकार के विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ा है। मध्यप्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में पहली बार ऐसा हो रहा है, जबकि बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहे हैं, खुद प्रधानमंत्री जिसका साक्षी बन रहे हैं। लंबे समय, करीब 17 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर भाजपा—राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन का चयन किया, यह कम आश्चर्यजनक नहीं था। यह संयोग है कि इंदौर, भाजपा के कद्दावर नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ है, जिन्हें पहले संभावित मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था। एक समय हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरी उमा भारती भी ऐसा कुछ नहीं कर पाईं थीं। सरकारी स्तर पर धार्मिक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक का उत्सव पहले कभी नहीं देखने को मिला। अब डॉ. मोहन यादव ने अहिल्याबाई के इर्द-गिर्द अभियान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाकर, उन्हें विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ा है। हिंदुत्व के पंथ में अहिल्याबाई के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने वाले पहली बार मुख्यमंत्री बने व्यक्ति के लिए यह आयोजन एक अतिरिक्त बोनस है। महिला सशक्तिकरण का यह अभियान देश में डॉ. मोहन यादव के बढ़ते कद की ओर इशारा करता है। हिन्दुत्व, मंदिर पर जितना हमला मुगलों ने बोला, और उन मंदिरों की जिस तरह अहिल्याबाई ने पुनर्स्थापना कराई। खुद मोहन यादव कहते हैं कि मुगलों ने हमारे देवस्थानों को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया। अहिल्याबाई होल्कर को छोड़कर बड़े शासकों ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। सीएम की यह सोच भारत के सांस्कृतिक इतिहास को बनाए रखने के लिए "स्वदेशी" रियासतों की प्रशंसा करने के भाजपा के कथन से जोड़ता है। कुछ लोग कहते हैं कि देवी अहिल्याबाई का इस्तेमाल भाजपा और आरएसएस राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं। लेकिन संघ के कार्यकर्ता अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं कि हम देवी अहिल्याबाई के सामाजिक और धार्मिक योगदान, उनके शासन मॉडल का जश्न मना रहे हैं। समाज को इन सबके बारे में पता चले, इसमें गलत क्या है?भाजपा के एक नेता कहते हैं कि हम डॉ. अंबेडकर, विवेकानंद और 1857 के विद्रोह जैसे राष्ट्रीय नायकों का जश्न मनाते हैं। संघ ने इन सभी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का स्मरण किया है। अब पूरे देश को अहिल्याबाई के सुशासन, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बारे में क्यों नहीं जानना चाहिए? वह सिर्फ इंदौर की रानी नहीं थीं। वह देश के लिए सुशासन का नया मॉडल कई वर्षों पहले ही गढ़कर चली गईं। भाजपा सीधे तौर पर अहिल्याबाई उत्सव को राजनीतिक लाभ कमाने की बात नकार रही है, लेकिन क्या यह मोहन यादव की महिला-केंद्रित शासन व्यवस्था का विस्तार है। आने वादे दिनों में भाजपा शासित सभी राज्यों में ऐसे ही उत्सव देखने को मिल सकते हैं। कई राज्यों में देवी अहिल्याबाई के सुशासन की कहानी का प्रसार हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला आधारित सुशासन को आगे बढ़ा रहे हैं, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता तैयार हो रहा है। आपरेशन सिंदूर में महिला नेतृत्व दिखा है। तो क्या यह कहा जा सकता है कि भोपाल में हो रहे महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के बाद मुख्यमंत्री और मजबूत होकर उभरेंगे? ऐसा लग रहा है डॉ. मोहन यादव का भाजपा और संघ में विस्तार का रास्ता भी यहीं से निकलेगा।
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Devi Ahilya bai Holkar and information Dr. Deepak Rai |