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जनजातीय गौरव की पुनर्स्थापना, संस्कृति का संरक्षण और बजट की क्या है स्थिति
डॉ. दीपक राय, भोपाल
दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल
5 अक्टूबर 2024
भारत की धरती इस बात की गवाह है कि यहां जनजातीय वीरों ने अपने प्राण न्योंछावर कर दिया, लेकिन देश का आत्मसम्मान और निज गौरव को कभी न्योंछावर नहीं होने दिया। भगवान बिरसा मुण्डा, रायन्ना, सिद्धो संथाल, कान्हू संथाल, बाबा तिलका माँझी, अल्लूरी यांचाराम राज, गुण्डाधुर, सुरेन्द्र साय, शंकर शाह, झलकारी देवी, रघुनाथ शाह, शंकर शाह, टंट्या भील, खाज्या नायक, डेलन शाह, भीमा नायक, सीताराम कंवर, रघुनाथ सिंह मंडलोई, टूरिया शहीद मुड्डे बाई, मंशु ओझा जैसे कई और नाम हैं, जिनका नाम शायद मैं भूल जाउं, लेकिन उनके लहू की बूंद को देश नहीं भूल सकता। मध्य प्रदेश की धरती भी जनजातीय वीरों से भरी हुई है। प्रदेश का गोंडवाना साम्राज्य का पूरी दुनिया में अध्ययन किया जाता है। इनमें अग्रणी नाम वीरांगना रानी दुर्गावती का है, जिनकी आज 500वीं जयंती है। रानी दुर्गावती का नाम भारतीय स्वर्णिम इतिहास का एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है। अब सवाल यह उठता है कि जिस धरती का जनजातीय गौरव इतना समृद्ध हो, वहां की सरकार वर्तमान में जनजातियों के लिये क्या कर रही है?
8 दिन बाद अपने 10 महीने पूरे कर रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार के क्रियाकलापों पर गौर फरमाना बहुत जरूरी है। डॉ. मोहन यादव सरकार के गठन के बाद पहली कैबिनेट जनवरी 2024 को रानी दुर्गावती और वीरांगना रानी अवंतीबाई के नाम पर जबलपुर में हुई थी। अब आज 5 अक्टूबर 2024 को जन्म दिवस के अवसर पर वीरांगना रानी दुर्गावती की पहली राजधानी सिंग्रामपुर में मंत्रि-परिषद की बैठक हो रही है।
लेकिन क्या सिर्फ बैठकें और ऐसे आयोजन करने भर से जानजातियों का उद्धार हो जाएगा? इस सवाल के जवाब के लिए हमें मध्य प्रदेश सरकार का बजट देखना पड़ेगा। कुछ योजनाओं का विश्लेषण करना पड़ेगा कि जनजातीय वर्गों के विकास के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार ने आखिर क्या किया है?
जनजातीय वर्ग का बजट : वित्त वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रुपये का बजट पारित किया है। वित्त वर्ष 2023-24 से इसकी तुलना करें तो यह राशि 3,856 करोड़ रुपये (करीब 23.4 प्रतिशत) अधिक है। क्या बजट की यह राशि जनजातीय वर्ग को लाभांवित कर रहा है तो यहां यह गौर करने वाली बातें जान लें।
पेसा नियम : पेसा नियमों से एक करोड़ से अधिक जनजातीय आबादी को लाभ मिलने का दावा सरकार ने किया है। आपको बता दूं कि पेसा नियम प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 गावों में लागू है। इन नियमों में प्राप्त अधिकारों का उपयोग जनजातीय वर्ग के हितों के लिये अत्यंत प्रभावशाली साबित हो रहा है। वे अपनी क्षेत्रीय परम्पराओं, अपनी संस्कृति और जरूरतों के मुताबिक फैसले लेकर विकास की राह में आगे बढ़ रहे हैं।
पीएम जन—मन : प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) के तहत पिछड़े, कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिये काम किया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, भारिया एवं सहरिया निवास क्षेत्रों में बहुउद्देश्यी केन्द्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, समग्र शिक्षा एवं विद्युतीकरण से जुडे कार्य कराये जा रहे हैं। इसके लिए 1,607 करोड़ रुपये का बजट अलग है।
शौर्य संकल्प योजना : इसके अंतर्गत बैगा, भारिया एवं सहरिया के लिये अलग से बटालियन गठित करने की प्रक्रिया अभी जारी है। समूह के इच्छुक युवाओं को पुलिस, सेना एवं होमगार्ड में भर्ती कराने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण दिये जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
आहार अनुदान योजना : जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया को 1,500 रुपये प्रतिमाह पोषण आहार अनुदान राशि दी जा रही है। बजट 2024-25 में इसके लिए 450 करोड़ रूपये आवंटित हैं। डॉ. मोहन सरकार बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातीय परिवारों के समग्र विकास के लिये 2024-25 में 100 करोड़ रूपये अतिरिक्त व्यय कर रही है।
रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी: जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिये फ्री-कोचिंग, सभी जनजातीय विकासखंडों में रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी स्थापित करने की तैयारी है। यहां पर जनजातीय विद्यार्थियों को जेईई, नीट, क्लेट और यूपीएससी जैसी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की बड़ी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग देकर इन्हें परीक्षाओं में सफल होने के गुर सिखाए जायेंगे।
आकांक्षा योजना : इसके तहत जनजातीय वर्ग के बच्चों को जेईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर में कोचिंग दी जा रही है।
जनजातीय सीएम राइज स्कूल: जनजातीय वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के लिये 667 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालयीन का छात्रवृत्ति के लिये 500 करोड़ रूपये प्रावधान किया हैं। नि:शुल्क कोचिंग के साथ सरकार जनजातीय विद्यार्थियों को टैबलेट भी देगी। टैबलेट के लिये डेटा प्लान भी सरकार नि:शुल्क उपलब्ध करायेगी। योजना के लिये सरकार ने बजट में 10.42 करोड़ रूपये आरक्षित किये हैं।
विकास प्राधिकरण : विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये योजना बनाने एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिये प्रदेश में बैगा, भारिया एवं सहरिया पीवीटीजी के लिये पृथक-पृथक विकास प्राधिकरणों सहित कुल 11 प्राधिकरण कार्यरत हैं।
शिक्षा के लिए पहल : जनजातीय गर्व के कक्षा पहली से आठवीं तक प्री-मेट्रिक राज्य छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 17 लाख 36 हजार 14 विद्यार्थियों को 56 करोड़ 59 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई है। कक्षा 9वीं और 10वीं केन्द्र प्रवर्तित प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 1 लाख 51 हजार 292 विद्यार्थियों को 52 करोड़ 15 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय में पढ़ रहे कुल 2 लाख 33 हजार 91 विद्यार्थियों को 356 करोड़ 95 लाख रूपये पोस्ट मेट्रिक छात्रवृति वितरित की गई।
अजजा विदेश अध्ययन छात्रवृति योजना : वित्त वर्ष 2023-24 में 10 होनहार विद्यार्थियों को 2 करोड़ 89 लाख रूपये की विदेश अध्ययन छात्रवृति राशि दी गई। आवास किराया सहायता योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा एक लाख 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 109 करोड़ 52 लाख रूपये की किराया प्रतिपूर्ति भुगतान की गई। सिविल सेवा परीक्षा के लिये निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग योजना में वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ 13 लाख रूपये व्यय कर 97 विद्यार्थियों को कोचिंग कराई गई। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 2023-24 में एक करोड़ से 497 अभ्यर्थियों को लाभ दिया गया। परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजना में 2023-24 में 18 लाख रूपये से 580 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया गया।
उक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि 40 हजार 804 करोड़ रुपये के बजट का कितनी योजनाओं पर खर्च हो रहा है। इन सभी योजनाओं का लाभ जनजातीय वर्ग के 100 प्रतिशत हिस्से तक पहुंचे? सरकार को इस दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे।

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