Wednesday, October 9, 2024

मोहन मैजिक : देश में बढ़ता CM डॉ. मोहन यादव का कद




हरियाणा-कश्मीर चुनाव : डॉ. मोहन यादव के प्रचार वाली सीटों पर जीत के मायने?

 


त्वरित टिप्पणी

दीपक राय, 

भोपाल, 

दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल, 9 अक्टूबर 2024

9424950144


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चार दिन बाद अपनी 10 महीने की सरकार का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। इतने कम दिनों में ही उन्होंने लोकसभा में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडीशा, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में प्रचार करके विजय पताका फहरा दी। अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उनके प्रचार वाली सीटें जीत गए हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि डॉ. मोहन यादव की स्वीकार्यता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व तक बढ़ी है। अब उनका राजनीतिक दायरा सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित न होकर पूरे देशों में फैल रहा है...


उन नेताओं, अधिकारियों और कुछ पत्रकारों को अब अपने राजनीतिक चश्मे का नंबर की जांच करवानी चाहिए, जो कहते हैं- 'डॉ. मोहन यादव नए नेता हैं।' कांग्रेस के उन आलोचकों को भी अब गंभीर चिंतन करना होगा, जो कहते हैं- 'एमपी केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।' अब मैं कह रहा हूं- 'डॉ. मोहन यादव का केंद्र में दबदबा बढ़ गया है।' कुछ लोग इसे भले अतिश्योक्ति मान सकते हैं, लेकिन मैं  आगे तथ्यों के साथ अपनी बात रखूंगा। 


पहली परीक्षा में टॉप किया : 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव ने पहली परीक्षा तब पास कर ली थी, पास क्या की थी, वे टॉप आए थे। जबकि उन्होंने 3 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जितवा दीं। प्रदेश के ​इतिहास का यह पहला कीर्तिमान रचने वाले डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा को ढहा दिया था।


हरियाणा—कश्मीर की जीत : केंद्रीय भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ. मोहन यादव के अंदर छिपा राजनीतिक रणनीतिक कौशल का लाभ उठाया। हरियाणा और जम्मू—कश्मीर लोकसभा चुनाव में एमपी के सीएम ने  जहां—जहां प्रचार किया, वे सभी सीटें भाजपा जीत गई। स्टार प्रचारक डॉ. मोहन यादव ने हरियाणा की 5 विधानसभा सीटें भिवानी, दादरी, तोशाम, झज्जर और बवानी खेड़ा में रैलियां की थीं। एक छोड़कर यह सभी सीटों में भाजपा ने फतह कर ली है। जम्मू—कश्मीर की सांबा में भी जीत दर्ज की है। यादव यहां भी स्टार प्रचारक थे।


बढ़ती लोकप्रियता : डॉ. मोहन यादव की लोकप्रियता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व में भी बढ़ी है। भाजपा उनके ओबीसी यादव चेहरे का उचित लाभ ले रही है। मोहन यादव सभी जगह प्रभावी भी दिखे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, यूपी, हरियाणा, जम्मू—कश्मीर, झारखण्ड, महाराष्ट्र, ओडीशा में तक 'एम वाय' फैक्टर सफल रहा है।


लोकसभा में परचम : लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों के अलावा, देश के 12 राज्यों की 72 लोकसभा सीटों तक पहुंचे। यहां पर 180 जनसभाएं, 58 रोड शो किए थे। उन्होंने 12 राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार किया था।


एम मॉडल को ऐसे समझें : मेरा विश्लेषण यह कहता है कि डॉ. मोहन यादव सिर्फ स्टार प्रचारक तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने सभाएं, रोड शो तो किया है, लेकिन इन सीटों में कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय और बैठकें भी कीं। इसका ज्यादा असर दिखाई दिया है। हरियाणा में जो सीटें जीती हैं, वे सिर्फ ओबीसी बाहुल्य नहीं हैं, वहां पर एससी समुदाय मतदाता भी कम नहीं। डॉ. यादव ने पार्टी की तैयारी की समीक्षा बैठक भी की थी और उन्होंने यहां पर कार्यकर्ताओं को संगठन की सुझाव भी दिए थे।


जब विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग पर अड़ा हो और चुनावी मुद्दा बना रहा हो तो क्या भाजपा शांत बैठेगी? इस सवाल का जवाब भले आसानी से न मिले, लेकिन जिस देश में मतदाता   अपना वोट विकास के मुद्दे के साथ ही जाति पर फोकस करता हो तो क्या किया जाये? डॉ. मोहन यादव उस ओबीसी समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी देश में करीब 54 प्रतिशत है। प्रदेश में यह संख्या 52 प्रतिशत करीब है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि डॉ. यादव ने सिर्फ ओबीसी की बात की हो। हरियाणा में उनके प्रचार वाली 4 सीटों के मतदाताओं का आंकलन किया जाये तो साफ हो जाता है कि यहां ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति के वोटर भी बहुतायत हैं। मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जिताने वाले डॉ. मोहन यादव आने वाले महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए शुभंकर साबित होंगे! वर्तमान हालातों को देखकर यह कहना अतिश्योक्ति बिल्कुल नहीं होगा।

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