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Modi Govt Poicy for North Eastern State, Mizoram Connect First Time Railway line, Sairong-Bairabi Rail Line |
पूर्वोत्तर सीमांत राज्य से आंखों देखा हाल : मिजोरम की राजधानी का रेल नेटवर्क से जुड़ना
डॉ. दीपक राय, 9424950144
भारत को आज पूर्वोत्तर संपर्क के साथ ही सामरिक तौर पर बड़ी उपलब्धि मिलने जा रही है। मिजोरम राज्य की राजधानी आइजोल के सायरंग स्टेशन से ट्रेनें आज से दौड़ने लगेंगी। पहली बार रेल नेटवर्क से जुड़ा यह राज्य यातायात, संपर्क, अर्थव्यवस्था और पयर्टन के मानचित्र पर तो आएगा ही। साथ ही साथ सुरक्षा सामरिक दृष्टि से यह बेहद महत्वपूर्ण है। यह आलेख मैंने स्वयं के अनुभव के आधार पर लिखा है। मैं पिछले दिनों इस राज्य का भ्रमण करके आया हूं और इस दौरान संपूर्ण रेल लाइन का दौरा भी किया है। आपको बता दूं कि देश के किसी भी हिस्से से मिजोरम पहुंचने का सड़क मार्ग काफी संकरा, लंबा और 'खतरनाक' है। नई दिल्ली से 50 घंटे यानि 2 दिन 2 रात यात्रा करके यहां पहुंचा जाता है। हवाई यात्रा भी बहुत सीमित और काफी महंगी है। वर्ष 2030 तक उत्तर पूर्वी सीमांत 7 राज्यों की की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में यह बड़ा कदम है। बइरबी—साइरंग 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन ने 'मिजोरम से अब दिल्ली दूर नहीं' को पुष्ट किया है। अब मिजोरम के लोग भारत की राजधानी नई दिल्ली के साथ सभी राज्यों से रेल मार्ग से जुड़ गए हैं। इस रेल लाइन से जहां आवाजाही बहुत तेज़, सुरक्षित और सस्ती होगी, आंतरिक सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी। चूंकि मिजोरम राज्य की सीमा बांग्लादेश और म्यामांर से सटी हुई है। यह रेल लाइन राष्ट्रीय सुरक्षा की लाइफ लाइन बनेगी। चूंकि मिजोर में 8 से 10 महीने मानसून चलता है, सड़क मार्ग बहुत बाधित रहता है। रेल से अब यहां सफर सुहाना होगा। जैसा कि हम जानते हैं मिज़ोरम लंबे समय से एक अनदेखा पर्यटन रत्न रहा है। अब देश के अन्य हिस्सों से लोग रेल मार्ग से मिजोरम की अनछुए पहाड़, पारंपरिक उत्सव और इको-टूरिज्म का आनंद ले सकते हैं। आइए इस रेल लाइन के बारे में जानते हैं। फरवरी 2011 में भारतीय रेलवे ने इस परियोजना को पूरा करने के लिए वर्ष 2015 तक लक्ष्य रखा था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया। 29 नवंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लाइन की आधारशिला रखी थी। 21 मार्च 2016 को असम बॉर्डर से सटे मिजोरम के बइरबी तक रेल मार्ग को ब्रॉड गेज में परिवर्तित किया था। अब 13 सितंबर 2025 को यहां से राजधानी एक्सप्रेस सहित तीन यात्री ट्रेनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाएंगे। उत्तर पूर्व के 7 राज्यों को '7 सिस्टर्स स्टेट इन इंडिया' कहा जाता है। अभी असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में ट्रेनें चल रही हैं। मिज़ोरम में ट्रेनें आज से दौड़ने लगेंगी। जबकि मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम रेल नेटवर्क से बाहर हैं। 'मिजोरम का देश से जुड़ना' सरकारी के 'संकल्प से सिद्धी' का उदाहरण है क्योंकि उत्तर पूर्वी राज्य की सिर्फ 51.30 किमी दूरी की लाइन बिछाने के लिए 8071 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। आमतौर पर मैदानी इलाके में 1 किलोमीटर तक रेले लाइन बिछाने में लगभग 10 से 12 करोड़ का खर्च आता है। लेकिन यह रेल लाइन इतनी चुनौती भरी है कि इसमें लंबी—लंबी टनल और ऊंचे-ऊंचे ब्रिज बनाए गए हैं। अधिकांश रेलमार्ग टनल—पुल से गुजरता है। इस लिहाज बइरबी—सायरंग रेल लाइन के एक किलो मीटर लाइन बिछाने में औसत 157 करोड़ रुपये खर्च हुए। यह लागत हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाने के बराबर है। यहां रेल पटरी बिछाने का काम जोखिम भरा रहा। पूरी लाइन घने जंगल से होकर गुजरती है जिसमें गहरी खाइयां, खड़ी पहाड़ियां हैं। यहां 70 मीटर से अधिक और 114 मीटर तक की अधिकतम ऊंचाई वाले छह ऊंचे पुल हैं। एक ब्रिज 114 मीटर उंचा है, जो कि दिल्ली के कुतुबमीनार (72 मीटर) से 42 मीटर अधिक उंचा है। कुल लंबाई का 23 प्रतिशत मार्ग पुलों से होकर गुजरता है, 55 बड़े पुल, जबकि छोटे पुलों की संख्या 88 है। सभी सुरंगों में बलास्ट रहित ट्रैक बिछाया गया है। इस रेल लाइन में 45 सुरंगें हैं, जो कुल ट्रैक की 31% हैं। सबसे लंबी सुरंग 1.868 कि.मी. लंबाई वाली है। सुरंगों और पुलों के अलावा, 23.715 किलोमीटर (46%) ट्रैक खुला है। ज़्यादातर हिस्सा गहरी कटाई के ज़रिए तैयार किया गया है। आपको बता दूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक्ट ईस्ट नीति' की शुरुआत की। इसका लक्ष्य पूर्वोत्तर राज्यों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना है। मोदी ने कहा था कि पूर्व अर्थात ईस्ट का अर्थ है- एम्पॉवर (सशक्त बनाना), एक्ट (कार्य करना), स्ट्रेंथन (मजबूत बनाना) और ट्रांसफॉर्म (बदलना)। ये शब्द पूर्वोत्तर के प्रति सरकार के दृष्टिकोण का सार बताते हैं। आज से मिजोरम के लोग असम के सिलचर, गुवाहाटी और दिल्ली तक आसानी से पहुंचेंगे। मालगाड़ियों की आवाजाही से व्यापार और लॉजिस्टिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। आइज़ोल के बाज़ारों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें कम होंगी। “गुवाहाटी से आगे पूर्वोत्तर की खोज” के तहत एक स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन यहां तक पहुंच पाएगी। रणनीतिक रूप से अहम इसलिए है क्योंकि पूर्वोत्तर के मिजोरम राज्य की सीमा बांग्लादेश और म्यांमार से जुड़ती है। वहीं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के जरिये चीन, नेपाल, भूटान तक सीमा पहुंचती है। यहां तक रेलवे लाइन बिछने से रणनीतिक सुरक्षा की दृष्टि से सरकार मजबूत होगी।
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