जन्मदिवस विशेष : एक आईएएस की अनकही, अनसुनी सुशासन की कहानियां
प्रसंगवश
डॉ. दीपक राय,
डेली मीडिया गैलरी, भोपाल
9424950144
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IAS Bharat Yadav Best Work Doing his Service |
हमने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अक्सर यह कहते सुना है- 'अफसरों को अपने कैबिन से निकलकर जनता के बीच पहुंचना चाहिए, इससे सुशासन कायम होता है और शासन के प्रति जनता का विश्वास बढ़ता है।' कुछ अफसर ऐसा करते हैं, लेकिन अधिकांश नहीं करते। आज एक ऐसे ही आईएएस अफसर का जन्मदिवस है। नाम है- भरत यादव। वर्ष 2008 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के इस आईएएस अफसर के बारे में, मैं आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहा हूं- जिसे शायद आपने न पहले सुना होगा, न ही पढ़ा होगा। इससे पहले उनके बारे में कुछ जान लेते हैं। भरत यादव हाशिए पर पड़े समुदायों तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने के अपने अभिनव दृष्टिकोण के लिए पहचाने जाते हैं। 20 जून 1981 को दतिया जिले में जन्मे भरत यादव चांदी की चम्मच मुंह में लेकर नहीं आए थे। उन्होंने जीवन का हर मुकाम अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम के दम पर हासिल किया। बचपन से ही वे पढ़ाई में इतने होशियार थे कि 5वीं कक्षा में ही नवोदय विद्यालय प्रवेश की कठिन परीक्षा पास कर ली थी। बीए (इंग्लिश लिटरेचर), एमए राजनीति शास्त्र पढ़ने के बाद वे रेलवे में टीटीई रहे। पढ़ने की इतनी ललक कि रेलवे की कठिन नौकरी के दौरान समय निकालकर खूब पढ़ते थे। इसी मेहनत के दम पर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ। पहली पोस्टिंग सहायक कलेक्टर अलीराजपुर मिली। सहायक कलेक्टर होशंगाबाद, एसडीएम मुलताई, सीईओ जिला पंचायत नरसिंहपुर, उपसचिव नगरीय प्रशासन, प्रोजेक्ट डायरेक्टर उदय के पद पर कार्य किया। पहली कलेक्टरी सिवनी में मिली। यहां उन्होंने सुशासन और समाजहित के ऐसे कार्य किये जो इतिहास में दर्ज हो गए। संभवत: वह कार्य देश में कोई अन्य कलेक्टर नहीं कर पाया। सिवनी के बाद बालाघाट, मुरैना, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, नरसिंहपुर कलेक्टर रहे। उनकी कार्यशैली जनता और शासन को इतनी पसंद आई कि 7 जिलों में कलेक्टर रहे। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई बार सार्वजनिक मंच से भरत यादव के कार्यों की सराहना की। बाद में वे प्रबंध संचालक ऊर्जा विकास निगम रहे, आयुक्त मप्र गृह निर्माण मंडल, आयुक्त नगरीय प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री के सचिव पद का दायित्व भी संभाला। अब एमपीआरडीसी के एमडी के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
भरत यादव पहली बार सिवनी जिला कलेक्टर बनाए गए। उन्होंने कभी भी अपने उपर 'लालफीताशाही' हावी नहीं होने दिया। उनसे मिलने के लिए कभी किसी को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा। आफिस का दरवाजा आम आदमी के लिए हमेशा खुले रहता था। वे एक बार एक स्कूल पहुंचे, जो कि दृष्टिहीन बच्चों का था। वहां जाकर देखा तो तमाम अव्यवस्थाएं थीं। प्रबंधन ने आर्थिक समस्या बताई। वर्ष 2015 में कलेक्टर भरत यादव ने सामाजिक भागीदारी से एक एक चैरिटी शो करवाया और डेढ़ करोड़ रुपए जुट गए। इस नवाचार ने दिव्यांग बच्चों का जीवन संवार दिया। भरत यादव ने ऐसा ऐतिहासिक कार्य किया था जो शायद ही देश में कोई कलेक्टर कर पाया होगा! मीडिया की खबर पर संज्ञान लेकर 'सड़क पर घूम रहे मानसिक दिव्यांगों के लिए पुनर्वास' योजना बनाई थी। कईयों को उपचार के लिए ग्वालियर भेजा था। नतीजा यह रहा कि दो मानसिक दिव्यांग अब स्वस्थ हैं और अपने घर में रहकर अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं। उस समय सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक लोगों में लोकप्रिय थी। स्वयं कलेक्टर सक्रिय रहते थे। लोग अपनी समस्याएं लिखकर उन्हें मैंसेजर भेज देते थे, जिस पर वे तत्काल संबंधित अधिकारियों को घटनास्थल पर भेज देते थे, समस्याओं का निराकरण की फोटो भी पोस्ट करवाते थे। इन बातों को 9-10 साल बीत गए, लेकिन सिवनीवासी आज भी उन्हें याद करते हैं। भरत यादव की दूसरी पदस्थापना बालाघाट कलेक्टर के रूप में रही। वहां 151 दिव्यांग जोड़ों की शादी कराने का रिकॉर्ड बनाया था। वे जिले के उन दुर्गम गांवों में दौरा करने पहुंच जाते थे, जहां पर आजादी के बाद कोई अधिकारी नहीं पहुंचा था। वे जबलपुर कलेक्टर बनाए गए। कोविड-19 पैर पसार रहा था। एक ऐसा जिला जो देश के सबसे लंबे नेशनल हाइवे से जुड़ा था। इस दौरान उन्होंने एसपी अमित सिंह के साथ मिलकर सक्रिय लॉकडाउन उपाय और एसओपी अपनाया। बाद में अन्य जिलों में भी जबलपुर मॉडल लागू किया गया। पहली लहर में जबलपुर में जन सहयोग से एक लाख लोगों को राशन बांटने का रिकॉर्ड बनाया। जबलपुर राष्ट्रीय स्तर पर पांचवां और प्रदेश में पहला जिला माना गया था। लोगों ने माना था कि भरत यादव में जनसमर्थन की गजब अपील है, जिस कारण जनता उनसे जुड़ना पसंद करती है। मुरैना जिले में कलेक्टर रहने के दौरान वे स्कूल-कॉलेज जाते और वहां युवाओं को प्रेरित करते थे। उन्होंने आर्मी में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए लाइब्रेरी और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए कई संसाधन उपलब्ध करवाए थे। ग्वालियर में कलेक्टर रहते हुए भी उनके कई कार्य उल्लेखनीय रहे। कोरोना काल में जब कई जिलों के कलेक्टर फोन तक नहीं उठाते थे। तब नरसिंहपुर कलेक्टर रहते हुए भरत यादव ने मिसाल कायम की। स्वयं को खतरे में डालते हुए जिला पंचायत सीईओ केके भार्गव के साथ पीपीई किट पहनकर जिला चिकित्सालय पहुंच गए थे। कोरोना मरीजों का हाल जाना और मरीजों व मेडिकल स्टाफ का मनोबल बढ़ाया था।
आईएएस भरत यादव ने गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल म. प्र. के आयुक्त पद पर रहते हुए रिडेंसीफिकेशन (पुनर्घनत्वीकरण) का नवाचार किया। आज वह पुनर्घनत्वीकरण योजना राज्य के साथ ही देश में बहुत लोकप्रिय है। प्रदेश के सैकड़ों सरकारी कार्यालयों की सूरत बदल गई है, जबकि शासन का एक पैसा भी व्यय नहीं हो रहा। भरत यादव के नवाचारी मस्तिष्क और व्यावहारिक सरलता से प्रभावित होकर तत्कालीन शिवराज सरकार ने उन्हें नगरीय प्रशासन विभाग का आयुक्त बनाया। उनके कार्यकाल में 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2023' में मध्यप्रदेश को देश का दूसरा स्वच्छतम प्रदेश का पुरस्कार मिला। इंदौर सातवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना। पीएम स्वनिधि और पीएम आवास योजना योजनाओं में मध्यप्रदेश की रैंकिंग नंबर वन आई। एक बार नगरीय प्रशासन विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की अनुशासनहीनता की शिकायतें आई थीं। किसी अफसर ने उसे नौकरी से निकालने की अनुशंसा कर दी थी। जब यह फाइल आयुक्त भरत यादव के पास पहुंची तो उन्होंने एक संवेदनशील टिप्पणी लिखकर कर्मचारी की नौकरी बचा ली। हालांकि उन्होंने कर्मचारी को अनुशासनहीनता की सजा भी दी और उस कर्मचारी तबादला कर दिया गया था।
यूं तो आईएएस भरत यादव से जुड़ी सैकड़ों कहानियां हैं, लेकिन यहां जगह और समय की सीमाएं हैं। लेखनी को यहीं विराम देता हूं। संवेदनशीलता, सुशासन, नवाचार और सहृदयता वाले व्यक्तित्व आईएएस भरत यादव को जन्म दिवस की हार्दिक बधाईयां एवं शुभकामनाएं। बाबा महाकाल और बाबा कामतानाथ आपकी हर मनोकानाएं पूरी करें...
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