Wednesday, December 3, 2025

राजनीति में सादगी का शिखर हैं डॉ. मोहन यादव

 


आडंबर के दौर में सुचिता का नया प्रतिमान, सामूहिक विवाह में बेटे की शादी

डॉ. दीपक राय, भोपाल, मो. 9424950144

सीएम डॉ. मोहन यादव के छोटे बेटे डॉ. अभिमन्यु यादव और डॉ.इशिता पटेल का विवाह



देश की सांस्कृतिक राजधानी, महाकाल की नगरी उज्जैन के क्षिप्रा तट ने रविवार को एक ऐसा ऐतिहासिक पल देखा, जो भारतीय राजनीति ही नहीं, समाज के मौजूदा परिदृश्य को गहरा संदेश दे रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने बेटे, जो स्वयं एक एमबीबीएस पीजी डॉक्टर हैं, का विवाह किसी भव्य 'इवेंट' या निजी समारोह में नहीं, बल्कि एक सामूहिक विवाह समारोह में संपन्न कराया। यह पहल केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि यह भारतीय राजनीति में दशकों से उपेक्षित रही सादगी और सामाजिक सुचिता की वापसी का उद्घोष है। आज के दौर में, विवाह समारोह निजी शक्ति, वैभव और आर्थिक सामर्थ्य के प्रदर्शन का मंच बन चुके हैं। राजनेताओं के बच्चों की शादियाँ अक्सर अपार धन, चकाचौंध और असाधारण भव्यता की कहानियाँ बनती हैं। दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक, नेताओं के बच्चों के विवाहों में करोड़ों रुपए खर्च करना और सोने-चांदी के आभूषणों का प्रदर्शन एक स्थापित 'परंपरा' बन चुका है। हाल के वर्षों में, मध्य प्रदेश में भी कई दलों के नेताओं के यहाँ ऐसे भव्य और खर्चीले विवाह देखने को मिले हैं। ऐसे समय में, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह निर्णय एक कठोर सामाजिक हस्तक्षेप है। उनके बेटे का एक अन्य डॉक्टर, डॉ. इशिता, से सामूहिक विवाह समारोह में विवाह कराना, समाज को सीधे यह संदेश देता है कि विवाह प्रेम, संबंध और सादगी का उत्सव है, कि कर्ज और दिखावे का बोझ। यह पहल फिजूलखर्ची रोकने और सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। डॉ. मोहन यादव की इस पहल में सादगी केवल विवाह समारोह तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि हर छोटे विवरण में यह झलकती है। आमंत्रण पत्र मात्र ₹12 की कीमत का था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि मुख्यमंत्री होने के बावजूद, डॉ. यादव ने अपने पद का उल्लेख नहीं किया। कार्ड पर केवल "मोहन यादव और यादव परिवार" लिखा था, जो उनके निजी और सार्वजनिक जीवन को अलग रखने के सिद्धांत को दर्शाता है। हमानों से यह अनुरोध किया गया कि वे किसी भी तरह का उपहार लाएँ। यह कदम उस संस्कृति पर रोक लगाता है जहाँ विवाह, उपहारों के लेन-देन और प्रदर्शन का माध्यम बन जाता है। सगाई के दौरान, दूल्हा और दुल्हन किसी महंगी या विदेशी कार के बजाय बैलगाड़ी से कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे। यह भारतीय संस्कृति और ग्रामीण सादगी के प्रति उनके गहरे सम्मान को प्रदर्शित करता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस सामूहिक विवाह समारोह में शामिल सभी 21 जोड़ों के विवाह का खर्च और उनके घर-गृहस्थी के सामान की व्यवस्था भी स्वयं की। यह दर्शाता है कि यह कदम केवल अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज को एक दिशा देने के लिए उठाया गया था। ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री ने दिखावा करने के लिए यह किया है। डॉ. मोहन यादव की सादगी केवल सामूहिक विवाह तक सीमित नहीं है; यह उनके निजी जीवन और राजनीतिक आचरण की पहचान है। वे एक सच्चे राजनीतिक सुचिता के रोल मॉडल हैं। यह सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने सरकारी निवास में अकेले रहते हैं। उनका परिवारपत्नी श्रीमती सीमा यादव, बेटा और बेटीउनके साथ मुख्यमंत्री निवास में नहीं रहते। उनका एमबीबीएस के बाद एमएस कर रहा बेटा हॉस्टल में रहता है, जबकि उनकी पत्नी अपने पैतृक आवास उज्जैन में परिवार के साथ रहती हैं। डॉ. यादव ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह अपने परिवार को मुख्यमंत्री पद के आडंबर और दिखावे से बचाना चाहते हैं। उनकी पत्नी, श्रीमती सीमा यादव, की शालीनता और सरल व्यवहार भी इस पारिवारिक दर्शन को पुष्ट करता है।मुख्यमंत्री का यह मानना है कि वे भाग्यशाली हैं कि उनके बच्चे उनकी बात को सुनते हैं और उनकी सादगी की इच्छा का सम्मान करते हैं। वर्तमान समय में, जब राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ अक्सर संतानों को भी राजनीति में खींच लाती हैं, डॉ. मोहन यादव ने अपने परिवार को राजनीति के आडंबर से दूर रखा है। उनकी एक बेटी डॉक्टर हैं और दूसरा बेटा अपना पुस्तैनी कृषि व्यवसाय करते हैं। सीएम ने कभी भी अपने परिवार के सदस्यों को राजनीतिक पदों या प्रभाव के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया। राजनीतिक सुचिता की ऐसी मिसालें आधुनिक भारतीय राजनीति में दुर्लभ हैं।  डॉ. मोहन यादव की यह जीवनशैली उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित सिपाही होने के गहरे संस्कारों से उपजी है। संघ की विचारधारा सादगी, अनुशासन और त्याग पर केंद्रित रही है, जिसे डॉ. यादव अपने जीवन में अक्षरशः लागू करते हैं। वे उन नेताओं की श्रेणी में आते हैं जो सिर्फ बातें नहीं करते, बल्कि अपने सिद्धांतों को जीते हैं। भारतीय जनता पार्टी में दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे कुछ शीर्ष नेताओं को छोड़कर, व्यक्तिगत जीवन में ऐसी निस्वार्थ सादगी कम ही देखने को मिलती है। संघ के प्रमुख मोहन भागवत, वरिष्ठ प्रचारक रहे स्वर्गीय शालिगराम तोमर, सुरेश सोनी जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं के जीवन में यह सादगी एक सामान्य बात हो सकती है, लेकिन एक मुख्यमंत्री के स्तर पर इस तरह का त्याग और सादगी दिखाना एक बेजोड़ राजनीतिक साहस है। डॉ. मोहन यादव का यह कदम सरकार के काम की परिभाषा को भी विस्तृत करता है। सरकार का कार्य केवल सड़क, बिजली, पानी जैसे भौतिक विकास कार्य करवाना ही नहीं है, बल्कि समाज सुधार करना भी है। अपने बेटे का सामूहिक विवाह कराकर और निजी जीवन में सादगी का प्रतिमान स्थापित करके, डॉ. यादव ने यह सिद्ध किया है कि उनका राजनीतिक नेतृत्व गहरे सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ है। उज्जैन में रचा गया यह इतिहास आने वाले समय में देश के सभी राजनेताओंपार्षद से लेकर विधायक और मंत्री तकको कर्जभरे खर्च की चकाचौंध से बाहर निकलने और समाज को सही दिशा देने के लिए प्रेरित करेगा। डॉ. मोहन यादव वास्तव में एक सोशल रिफॉर्मर हैं जिन्होंने एक मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए भी सादा जीवन और उच्च विचार के दर्शन को पुनर्स्थापित किया है। डॉ. दीपक राय, भोपाल, मो. 9424950144

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