डॉ. दीपक राय
भोपाल। जिस राज्य में दूरदृष्टि, सुशासन, न्याय, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण और संवर्धन, निष्पक्षता पर अद्भुत कार्य किये जाते हैं, वही राज्य आदर्श स्थापित कर पाते हैं। ऐसे शासकों द्वारा गढ़े गये प्रतिमान आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श बनते हैं। एक ऐसा ही नाम है— पुण्य-श्लोका लोकमाता देवी अहिल्या बाई का। उनकी पावन नगरी थी महेश्वर। खरगोन जिले के महेश्वर में सुशासन की झलक आज भी दिखाई देती है। अहिल्याबाई होलकर ने वर्ष 1767 से 1795 तक होलकर वंश के शाही परिवार की सत्ता संभाली और मध्यप्रदेश के महेश्वर से अपना शासन चलाया। इतिहास गवाह है अहिल्या बाई ने अपने राज्य के लोगों की भलाई के लिए कई सुधार किए।
अहिल्याबाई के राज में किसान कल्याण, व्यापार विकास, सड़क, जल आपूर्ति, शिक्षा पर अभूतपूर्व कार्य तो किये ही गए, साथ ही किले, मंदिरों और अन्य धार्मिक—आध्यात्मिक, सांस्कृतिक समृद्धता को नए आयाम तक पहुंचाया। अनुशासनप्रिय शासिका अहिल्याबाई का रणनीतिक दृष्टिकोण दूरदृष्टि से भरा था। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार के साथ ही पुनर्निर्माण को कौन भूल सकता है। सामाजिक भेदभाव समाप्त किया, उनके दरबार में हर जाति और समुदाय के लोग थे।
आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई की पावन नगरी महेश्वर में पूरी सरकार मौजूद है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में यहां कैबिनेट बैठक हो रही है। इस निर्णय के पीछे निश्चित ही कोई मकसद छिपा होगा। डॉ. मोहन यादव के शासन में अहिल्याबाई की कितनी छाप दिखती है? इस पर विश्लेषण करना बहुत जरूरी है। वे प्रदेश को लेकर क्या विजन रखते हैं, कितने दूरदृष्टा हैं?
लेकिन क्या सिर्फ अहिल्याबाई की तरह शासन चलाने की बात भर कर लेने से राज्य में सुधार दिख सकते हैं? कोई भी शासन तभी उतकृष्ट माना जाता है जबकि वहां सिर्फ सुशासन की बात न हो, सुशासन की पहल दिखनी भी चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को राज्य की बागडोर संभाले अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। एक वर्ष एक महीने के कामकाज में उन्होंने कुछ ऐसे आदर्श प्रस्तुत किये हैं, जिससे लगता है कि सरकार संतुलित ढंग से संचालित हो रही है।
शिक्षा : मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव का पहला निर्णय शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने वाला था, जिसके तहत प्रदेश में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज की स्वीकृति दी गई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हर प्रावधान को एमपी में लागू किया गया है। सीएम राइज स्कूल उन्नत शिक्षा व्यवस्था का उदाहरण हैं।
सुशासन : डॉ. मोहन यादव ने सुशासन के लिए भी कई बड़े निर्णय लिये। साइबर तहसील, ईएफआईआर से लेकर कई फैसले शामिल हैं।
धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक संरक्षक : डॉ. मोहन यादव ने पूर्व के मुख्यमंत्रियों से अलग एक परिपाटी पेश की है। वह है— धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक संरक्षण। श्रीकृष्ण पाथेय,
राम वन गमन पथ, महाकाल लोक विस्तार, उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
जल संरक्षण और संवर्धन : देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना मध्यप्रदेश में शुरू की गई है। बेहतर जल प्रबंधन का श्रेय भी सीएम डॉ. मोहन यादव को जाता है। खास बात है कि प्रदेश में दो नदी जोड़ो परियोजना पार्वती—कालिसिंध—चंबल लिंक और केन—बेतवा परियोजना ने पूरी दुनिया का ध्यान मध्यप्रदेश की तरफ खींचा है।
दयालुता : इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्णय भी संवेदनशील रहे हैं। सरकार बनने के बाद सबसे पहले निर्णयों में हुकुमचंद मिल के मजदूरों को बकाया दिलाया। करीब 20 साल से फंसे पेंच को उन्होंने समन्वय से दूर कर दिया।
कानून व्यवस्था : एक वर्ष में ही मध्यप्रदेश में अपराधियों पर सख्त कार्रवाई देखी गई है। नए कानूनों को सफलता पूर्वक लागू करने की व्यवस्था हमने देखा है।
भ्रष्टाचार नियंत्रण : प्रदेश में लगातार कई काली कमाई करने वाले चेहरे उजागर हो रहे हैं। नित नई कार्रवाई हो रही हैं। कमाल की बात है कि नेता हो या फिर सरकार में शामिल कोई भी विधायक, मंत्री या अफसर। डॉ. मोहन यादव ने भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को रही झंडी दे दी है। जल्द ही उसके परिणाम हमारे सामने होंगे।
आज की कैबिनेट में भले जो भी निर्णय हों, लेकिन ऐसा लगता है कि डॉ. मोहन यादव सरकार कुछ अलग करने के मूड में आ चुकी है। देवी अहिल्याबाई के कार्यों को आदर्श मानकर उसी पथ पर चलने का जो लक्ष्य डॉ. मोहन यादव ने तय किया है, आने वाले वर्षों में निश्चित ही उसकी झलक देखने को मिल सकती है। प्रदेश के धार्मिक नगरों में पूर्ण शराबबंदी का प्रस्ताव आज कैबिनेट में स्वीकृत होने वाला है! इस निर्णय से आप मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आत्मविश्वास का आंकलन तो कर ही सकते हैं। आइए, हम सभी मध्य प्रदेश एक नए कलेवर में रंगते हुए देखने के साक्षी बनते हैं/आगे भी बनते रहेंगे।
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