GYAN की बात : गरीब, युवा, अन्नदाता की शक्ति, नारी को मिली श्रापमुक्ति
त्वरित टिप्पणी
डॉ. दीपक राय, दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल, 25 जनवरी, 2025
Liquor ban in select places in MP... Dr. Deepak Rai |
कुछ महत्वपूर्ण, बड़े निर्णय लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति से कहीं ज़्यादा स्वयं की इच्छाशक्ति मायने रखती है। कुछ सरकारें जब सिर्फ और सिर्फ राज्य की आर्थिक स्थिति को देखकर निर्णय लेती हैं तो सामाजिक पक्ष हासिए में चला जाता है। लेकिन कुछ लोग सत्ता में रहकर भी राजनीतिक भाव से दूर, स्वयं की इच्छाशक्ति के साथ दमदारी से निर्णय लेते हैं। उनमें आर्थिक विकास के साथ सामाजिक पक्ष में संतुलन बनाने की अद्भुत क्षमता होती है। वर्ष 2025 में एक ऐसा ही दमदार चेहरा हमारे सामने है। नाम है- डॉ. मोहन यादव। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के एक निर्णय के बाद मैं एक ही वाक्य कहूंगा- 'यह मुख्यमंत्री तो दमदार निकले।'
डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के शासन को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। सरकार चलाते हुए अभी एक वर्ष ही हुआ है और राज्य में शराबबंदी जैसा बहुत बड़ा फैसला ले लिया। बालिका दिवस और लोकमाता अहिल्याबाई की जयंती के मौके पर कितना शानदार निर्णय है।
लोकमाता देवी अहिल्या बाई ने जिस महेश्वर से सुशासन के साथ सत्ता चलाई थी, उन्हीं की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में, उसी महेश्वर से GYAN की बात को आगे बढ़ा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए GYAN मंत्र को ध्येय बना दिया। महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक में गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी शक्ति को श्रापमुक्ति दिला दी। शराब किसी श्राप से कम थोड़े है। शराब के नशे से गरीब और गरीबी के दलदल में फंसता है। शराब पीकर युवा का भविष्य तबाह होता है। शराब के नशे से अन्नदाता भी कहां बच पाता है। इन सभी के बीच में नारी शक्ति का जीवन सबसे ज्यादा दुखदायी होता है। क्योंकि गरीब, युवा, अन्नदाता कोई भी हो। नारी शक्ति कभी मां के रूप में, कभी बहन, कभी पत्नी के रूप में हमारे साथ रहती है।
शराब का दुरुपयोग अक्सर घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाओं और बिगड़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य का कारण बनता है। एनसीआरबी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लगभग 30% हिंसक अपराध शराब के नशे में किए जाते हैं। इस संदर्भ में, शराबबंदी केवल एक नीति नहीं है, बल्कि परिवार और समाज की पवित्रता को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।
डॉ. मोहन यादव द्वारा प्रदेश के 19 धार्मिक नगरों में शराब से पूरी तरह प्रतिबंध लगाना एक अनुपम उदाहरण है। देश में ऐसी शुरुआत पहली बार हुई है। इससे गरीब, युवा, अन्नदाता को जहां शक्ति मिलेगी, वहीं नारी को बड़े श्राप से मुक्ति मिलेगी।
देवी अहिल्या बाई की नगरी महेश्वर में सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा लिया गया निर्णय स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है।
कई लोगों के मन में यह संशय है कि सिर्फ एक साल के शासनकाल में कोई मुख्यमंत्री सुशासन की दिशा में इतना बड़ा फैसला लेने की हिम्मत कैसे कर सकता है।
शराबबंदी के इस फैसले को कोई साहसिक कह रहा है, कोई प्रसंशनीय बोल रहा है, कछ लोग आदर्श कह रहे हैं, कुछ लोग ऐतिहासिक बता रहे हैं। कई लोग इसे दुस्साहस करना भी कह रहे हैं।
लेकिन मैं शराबबंदी के फैसले को डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शी राजनीतिक छवि के रूप में देख रहा हूं। यह फैसला डॉ. मोहन यादव के सुशासन मॉडल का विस्तार है।
डॉ. मोहन यादव का यह निर्णय आवेगपूर्ण नहीं है, बल्कि यह एक दूरदर्शी, सावधानीपूर्वक, नियोजित रणनीति का परिणाम प्रतीत होता है।
आने वाले 4 वर्षों तक हम डॉ. मोहन यादव के सुशासन विस्तार में पूर्ण शराबबंदी का फैसला के गवाह भी बन सकते हैं। यह बात को कहने में, मैं बिल्कुल भी संशय महसूस नहीं कर रहा हूं।
डॉ. मोहन यादव के बयान को गौर से पढ़िए- 'घर में बहन, बेटी, भाई मेहनत से अपना काम करते हैं, लेकिन शराब पीकर आए तो घर बिगड़ जाता है। शराब श्राप के बराबर है। हमने मध्यप्रदेश में 19 धार्मिक शहरों, ग्रामों में शराबबंदी का निर्णय लिया है, इसका धीरे-धीरे विस्तार करेंगे।'
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण का अधिकांश हिस्सा महिला सशक्तिकरण पर फोकस रखा। उन्होंने कहा है कि प्रदेश की महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण सहित हर क्षेत्र में समर्थ बनाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। सीएम ने ऐलान किया है कि पहले चरण में 19 धार्मिक नगरों, ग्रामों से शराब की दुकानें पूरी तरह हटा ली जाएंगी, उन्हें कहीं भी शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इस हिसाब से शुरुआती चरण में 1 नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायतों से शराब की दुकान हटा ली जाएंगी।
डॉ. मोहन यादव का विजन स्वामी विवेकानंद के विचारों से मेल खाते दिख रहा है- "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।" मुझे 'लक्ष्य' का अर्थ भविष्य में पूर्ण शराबबंदी के रूप में दिखाई दे रहा है।
19 स्थानों से शुरू हुई यह शराबबंदी कब 55 जिलों में पहुंच जाएगी, पता भी नहीं चलेगा। जो लोग डॉ. मोहन यादव को हल्के में ले रहे हैं, उन्हें फिर बता दूं- डॉ. मोहन यादव ने एक वर्ष में सिर्फ ट्रेलर ही दिखाया है, दमदार मुख्यमंत्री की पूरी पिक्चर तो अभी बाकि है, मेरे दोस्त।
(लेखक डॉ. दीपक राय मध्यप्रदेश में पत्रकार हैं, वे विगत 15 वर्षों से लेखन कार्य कर रहे हैं। माय मध्यप्रदेश और सोशल मीडिया राजनीति समाज किताब के लेखक हैं)
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