Wednesday, March 26, 2025

RSS, समाज और समरता का प्रगतिशील मॉडल

'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' स्थापना के 100 वां वर्ष तक कहां पहुंचा?


त्वरित विश्लेषण
डॉ. दीपक राय,
दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल
25 मार्च 2025
9424950144

Dr. Deepak Rai Article About RSS


दुनिया का सबसे बड़ा और पवित्र स्वयंसेवी संगठन 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के स्थापना का यह 100 वां वर्ष है। इतने दिनों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सफर कैसा रहा है? इसपर विश्लेषण की महती आवश्यकता है। हाल ही में बेंगलुरू में हुई तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने जो जानकारियां दी हैं, वह उत्साह से भरने वाली हैं।  संघ कार्य में युवाओं की रुचि बढ़ने के कारण उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है। हर वर्ष लाखों युवा, विशेषकर 14-25 आयु वर्ग के संघ से जुड़ रहे हैं। आरएसएस ने 100 वर्षों में अथक अनुशासन के साथ जो सफर तय किया है उसी का परिणाम है कि देश में 51 हजार570 स्थानों पर प्रतिदिन शाखाएं संचालित की जा रही हैं। गत वर्ष जहां देश में 73,646 शाखाएं संचालित होती थीं, वहीं इस वर्ष 10 हजार बढ़कर 83,129 हो चुकी है। साप्ताहिक मिलन में पिछले वर्ष की तुलना में 4,430 की वृद्धि हुई है, जहां शाखाओं और मिलन की कुल संख्या 1,15,276 है। दैनिक शाखाओं की संख्या 83,129, साप्ताहिक मिलन 32,147, मासिक  मंडली 12,091 हैं। कुल मिलाकर यह संख्या 1,27,367 पहुंचना हर्ष का विषय है। संघ अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कार्य के विस्तार में ग्रामीण मंडलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। संघ ने संगठनात्मक योजना के तहत देश को 58,981 ग्रामीण मंडलों में विभाजित किया है, जिनमें से 30,717 मंडलों में दैनिक शाखाएँ और 9,200 मंडलों में साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं। इस वर्ष देश भर में कुल 4,415 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए। इन वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवक शामिल हुए, जिनमें से 1,63,000 स्वयंसेवक 14-25 आयु वर्ग और 20,000 से अधिक स्वयंसेवक 40 वर्ष से अधिक आयु के थे। यह युवा संख्या उत्साहित करने वाली है। संघ वेबसाइट (www.rss.org) पर ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से साल 2012 से अब तक 12,72,453 से अधिक लोगों ने संघ से जुड़ने में रुचि दिखाई है, जिनमें से 46,000 से अधिक महिलाएं हैं। हजारों महिला कार्यकर्ता विभिन्न क्षेत्रों में संघ की विभिन्न गतिविधियों में कार्य कर रही हैं।

संघ ने हमेशा ही सामाजिक समरसता का मॉडल प्रस्तुत किया है। 1084 स्थानों पर स्वयंसेवकों ने मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध तथा एक ही स्रोत से पीने का पानी लेने पर रोक जैसी गलत सामाजिक प्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया है। प्रयागराज महाकुम्भ में आने वाले लोगों के लिए निशुल्क नेत्र परीक्षण, चश्मे का वितरण तथा आवश्यकता पड़ने पर मोतियाबिंद की सर्जरी की व्यवस्था की गई। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में भी संघ कार्यकर्ताओं ने बड़ी भूमिका अदा की है।  थर्मोकोल प्लेट या पॉलीथिन बैग मुक्त बनाने के लिए अनेक संगठनों के सहयोग से “एक थाली-एक थैला अभियान” चलाया जा रहा है। संघ द्वारा आज न केवल भारतीय हिंदू समाज को एकता के सूत्र में पिरोए जाने का कार्य किया जा रहा है बल्कि पूरे विश्व में अन्य देशों में निवासरत भारतीय मूल के हिंदू समाज के नागरिकों को भी एक सूत्र में पिरोए जाने का प्रयास किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह कार्य संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संघ की शाखा में प्राप्त प्रशिक्षण के बाद सम्पन्न किया जाता है। आज संघ का देश के कोने कोने में विस्तार हो रहा है। संघ द्वारा विभिन्न श्रेणियों यथा चिकित्सक, अधिवक्ता, शिक्षक, सेवा निवृत अधिकारी एवं कर्मचारी, पत्रकार,  प्रोफेसर, युवा उद्यमी जैसी श्रेणीयों के लिए साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने का नवाचार भी किया जा रहा है।  आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू सनातन संस्कृति को भारत के जन जन के मानस में प्रवाहित करने का कार्य करने का प्रयास कर रहा है ताकि प्रत्येक भारतीय के मन में राष्ट्रीयता की भावना जागृत हो एवं उनके लिए भारत प्रथम प्राथमिकता बन सके। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने जिस आदर्शवाद का उदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत किया है, उससे समाज के हर वर्ग में ग्राहता में तेजी से वृद्धि हो रही है। आने वाले वर्षों में इसके और भी उजले परिणाम हमारे सामने देखने को मिलेंगे।

(लेखक डॉ. दीपक राय "MY मध्यप्रदेश", "सोशल मीडिया राजनीति और समाज" पुस्तक के लेखक हैं, 16 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।)

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