1500 रुपये की 'स्नेह राशि' और विकास की नई इबारत एवं नारी सशक्तिकरण का 'मोहन' मॉडल
प्रसंगवश
डॉ. दीपक राय, भोपाल
दैनिक मीडिया गैलरी
मो. 9424950144
12 नवंबर 2025
![]() |
| Ladli Behna Yojna Money Increase by Dr. Mohan Yadav |
लाड़ली बहना योजना महज एक 'स्कीम' नहीं है, बल्कि एक 'रिश्ता' है। यह केवल 1500 रूपये का हस्तांतरण नहीं है, यह एक 'आर्थिक महायज्ञ' है, जिसकी आहुति सीधे प्रदेश की अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत कर रही है। कई कार्यक्रमों में सार्वजनिक रूप से बहनें अपने 'भैया मोहन' का आभार जताते हुए कहती हैं कि "वे ठीक उसी प्रकार हमारा ध्यान रख रहे हैं, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा का ध्यान रखा था।" यह उपमा साधारण नहीं है। यह योजना को सरकारी फाइलों से निकालकर सीधे भारतीय संस्कृति और परिवार के भावनात्मक ताने-बाने से जोड़ देती है। यह 'मुख्यमंत्री' को 'परिवार के मुखिया' या 'बड़े भाई' के रूप में स्थापित करता है, जो अपनी बहनों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है...
मध्य प्रदेश के इतिहास के पन्नों में 12 नवंबर 2025 की तारीख एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में जुड़ रही है। यह तारीख केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं, बल्कि यह प्रदेश की 1.26 करोड़ से अधिक बहनों के विश्वास, आशा और सशक्तिकरण के उत्सव का दिन है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जिन्हें प्रदेश की बहनें स्नेह से 'मोहन भैया' कहती हैं, अपना एक बड़ा वादा पूरा करने जा रहे हैं।
1000 रूपये महीने से शुरू हुई लाड़ली बहना योजना को 1500 रूपये करने का कीर्तिमान रचने का यह डॉ. मोहन यादव को मिल रहा है। सिवनी का पॉलिटेक्निक कॉलेज मैदान भी उस पल का गवाह बनने वाला है जहां से 'सिंगल क्लिक' के माध्यम से, वे 'मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना' की 30वीं किस्त के रूप में 1857 करोड़ रुपये की राशि अंतरित होने जा रही है। आज की यह कोई सामान्य किस्त नहीं है। यह वह क्षण है जब योजना की राशि बढ़कर 1500 रुपये प्रति माह हो रही है। यह सिर्फ 250 रुपये की वृद्धि नहीं है; यह एक प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो दर्शाता है कि डॉ. मोहन के लिए 'नारी सशक्तिकरण' केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक दृढ़ संकल्प है।
राज्य-स्तरीय कार्यक्रम के लिए सिवनी का चयन अपने आप में एक गहरा संदेश देता है। यह दर्शाता है कि विकास और कल्याण का केंद्र अब केवल राजधानी भोपाल या बड़े महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकार की दृष्टि प्रदेश के हर कोने पर समान रूप से है। एक तरफ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से नागरिकों का तत्काल आर्थिक सशक्तिकरण, और दूसरी तरफ, बुनियादी ढाँचे (सड़कें, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा) में निवेश करके दीर्घकालिक विकास को गति देना। यह 'कल्याण' और 'विकास' का एक संतुलित मॉडल है, जिसे डॉ. मोहन यादव की सरकार आगे बढ़ा रही है।
जब 17 दिसंबर 2023 में डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला, तब कुछ लोगों ने इस योजना के भविष्य पर संदेह व्यक्त किया था। लेकिन डॉ. यादव ने न केवल इस योजना को पूरी दृढ़ता से जारी रखा, बल्कि इसे और अधिक मजबूती प्रदान की। राशि को क्रमिक रूप से बढ़ाने का वादा किया गया था, और अब 1500 रुपये की किस्त जारी करके, डॉ. यादव ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे अपने पूर्ववर्ती की विरासत को न केवल सहेज रहे हैं, बल्कि उसे एक नया आयाम भी दे रहे हैं।
यह कदम राजनीतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह 'भैया' के वादे की निरंतरता को दर्शाता है, जो प्रदेश की महिलाओं को आश्वस्त करता है कि सरकार बदलने से उनकी प्राथमिकताएँ नहीं बदली हैं।
इस योजना की सफलता का एक बड़ा कारण यह केवल एक 'स्कीम' नहीं है, बल्कि एक 'रिश्ता' है। कई कार्यक्रमों में सार्वजनिक रूप से बहनें अपने 'भैया मोहन' का आभार जताते हुए कहती हैं कि "वे ठीक उसी प्रकार हमारा ध्यान रख रहे हैं, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा का ध्यान रखा था।"
यह उपमा साधारण नहीं है। यह योजना को सरकारी फाइलों से निकालकर सीधे भारतीय संस्कृति और परिवार के भावनात्मक ताने-बाने से जोड़ देती है। यह 'मुख्यमंत्री' को 'परिवार के मुखिया' या 'बड़े भाई' के रूप में स्थापित करता है, जो अपनी बहनों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह भावनात्मक जुड़ाव ही इस योजना की आत्मा है, जो इसे किसी भी अन्य कल्याणकारी योजना से अलग और अधिक प्रभावशाली बनाता है।
आंकड़ों के आईने में: इस योजना का पैमाना और इसका वित्तीय प्रभाव चकित करने वाला है। 30वीं किस्त को मिलाकर, जून 2023 से अब तक 44,917.92 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे महिलाओं के खातों में अंतरित की जा चुकी है। इसमें रक्षा बंधन पर तीन बार दी गई 250 रुपये की विशेष सहायता राशि भी शामिल है। प्रदेश के सभी 52 जिलों में 1 करोड़ 26 लाख 36 हजार से अधिक लाभार्थी, यह संख्या दर्शाती है कि शायद ही कोई ऐसा गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार हो, जो इस योजना के सकारात्मक प्रभाव से अछूता हो।
व्यापक पहुंच: इंदौर जिले में सर्वाधिक 4.40 लाख लाभार्थी हैं, तो सागर में 4.19 लाख और रीवा में 4.03 लाख। यह दिखाता है कि योजना ने शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में समान रूप से अपनी पैठ बनाई है।
हर कोने तक लाभ: दूसरी ओर, निवाड़ी जैसे छोटे जिले में भी 80 हजार से अधिक बहनें लाभान्वित हो रही हैं। छिंदवाड़ा (3.90 लाख), जबलपुर (3.81 लाख), और ग्वालियर (3.05 लाख) जैसे प्रमुख केंद्रों से लेकर अलीराजपुर (1.23 लाख) और श्योपुर (1.08 लाख) जैसे आदिवासी बहुल जिलों तक, इसका विस्तार अभूतपूर्व है।
आर्थिक आत्मनिर्भरता:
यह योजना सिर्फ 1500 रुपये देने से कहीं आगे निकल गई है। इसके बहुआयामी प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। जो आर्थिक स्वतंत्रता से पारिवारिक निर्णय तक फैले हैं। यह राशि महिलाओं को अपनी छोटी-छोटी वित्तीय आवश्यकताओं के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहने देती। चाहे वह बच्चों की स्कूल की फीस हो, घर के लिए कोई जरूरी सामान हो, या खुद के लिए दवाइयाँ हों, अब उनके पास अपना पैसा है।
बैंकिंग प्रणाली से जुड़ाव: इस योजना ने लाखों महिलाओं को पहली बार औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है। अपने खाते का संचालन करना, डिजिटल भुगतान सीखना और बचत की आदत डालना, यह एक मूक वित्तीय क्रांति है।
उद्यमिता को बल: कई महिलाओं ने इस राशि का उपयोग 'पूंजी' के रूप में किया है। सिलाई मशीन खरीदना, सब्जी की दुकान लगाना या कोई छोटा-मोटा घरेलू व्यापार शुरू करना—यह पैसा उन्हें 'उद्यमी' बनने का आत्मविश्वास दे रहा है।
पारिवारिक निर्णयों में भूमिका: जब एक महिला आर्थिक रूप से योगदान देती है, तो परिवारिक निर्णयों में उसकी आवाज का वजन बढ़ जाता है। यह योजना महिलाओं के 'सामाजिक सम्मान' को सुदृढ़ कर रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 1500 रुपये की किस्त जारी करना एक वादे को निभाने से कहीं अधिक है। यह 'आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश' के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है। यह इस विश्वास की पुष्टि है कि जब प्रदेश की आधी आबादी (महिलाएं) आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर होंगी, तभी राज्य सही मायनों में प्रगति कर सकता है।
लाड़ली बहना योजना अब केवल एक योजना नहीं है; यह मध्य प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य का एक स्थायी हिस्सा बन चुकी है। यह एक ऐसा 'सुरक्षा कवच' है, जो बहनों को विश्वास दिलाता है कि उनका 'भैया' उनके साथ खड़ा है। सिवनी से जलने वाली यह विकास की लौ, निश्चित रूप से पूरे मध्य प्रदेश को 'आत्मनिर्भरता' के प्रकाश से आलोकित करेगी।
(लेखक डॉ. दीपक राय "MY मध्यप्रदेश" , "सोशल मीडिया राजनीति और समाज" पुस्तक के लेखक हैं।)

No comments:
Post a Comment