Wednesday, October 9, 2024

मोहन मैजिक : देश में बढ़ता CM डॉ. मोहन यादव का कद




हरियाणा-कश्मीर चुनाव : डॉ. मोहन यादव के प्रचार वाली सीटों पर जीत के मायने?

 


त्वरित टिप्पणी

दीपक राय, 

भोपाल, 

दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल, 9 अक्टूबर 2024

9424950144


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चार दिन बाद अपनी 10 महीने की सरकार का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। इतने कम दिनों में ही उन्होंने लोकसभा में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडीशा, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में प्रचार करके विजय पताका फहरा दी। अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उनके प्रचार वाली सीटें जीत गए हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि डॉ. मोहन यादव की स्वीकार्यता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व तक बढ़ी है। अब उनका राजनीतिक दायरा सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित न होकर पूरे देशों में फैल रहा है...


उन नेताओं, अधिकारियों और कुछ पत्रकारों को अब अपने राजनीतिक चश्मे का नंबर की जांच करवानी चाहिए, जो कहते हैं- 'डॉ. मोहन यादव नए नेता हैं।' कांग्रेस के उन आलोचकों को भी अब गंभीर चिंतन करना होगा, जो कहते हैं- 'एमपी केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।' अब मैं कह रहा हूं- 'डॉ. मोहन यादव का केंद्र में दबदबा बढ़ गया है।' कुछ लोग इसे भले अतिश्योक्ति मान सकते हैं, लेकिन मैं  आगे तथ्यों के साथ अपनी बात रखूंगा। 


पहली परीक्षा में टॉप किया : 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव ने पहली परीक्षा तब पास कर ली थी, पास क्या की थी, वे टॉप आए थे। जबकि उन्होंने 3 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जितवा दीं। प्रदेश के ​इतिहास का यह पहला कीर्तिमान रचने वाले डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा को ढहा दिया था।


हरियाणा—कश्मीर की जीत : केंद्रीय भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ. मोहन यादव के अंदर छिपा राजनीतिक रणनीतिक कौशल का लाभ उठाया। हरियाणा और जम्मू—कश्मीर लोकसभा चुनाव में एमपी के सीएम ने  जहां—जहां प्रचार किया, वे सभी सीटें भाजपा जीत गई। स्टार प्रचारक डॉ. मोहन यादव ने हरियाणा की 5 विधानसभा सीटें भिवानी, दादरी, तोशाम, झज्जर और बवानी खेड़ा में रैलियां की थीं। एक छोड़कर यह सभी सीटों में भाजपा ने फतह कर ली है। जम्मू—कश्मीर की सांबा में भी जीत दर्ज की है। यादव यहां भी स्टार प्रचारक थे।


बढ़ती लोकप्रियता : डॉ. मोहन यादव की लोकप्रियता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व में भी बढ़ी है। भाजपा उनके ओबीसी यादव चेहरे का उचित लाभ ले रही है। मोहन यादव सभी जगह प्रभावी भी दिखे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, यूपी, हरियाणा, जम्मू—कश्मीर, झारखण्ड, महाराष्ट्र, ओडीशा में तक 'एम वाय' फैक्टर सफल रहा है।


लोकसभा में परचम : लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों के अलावा, देश के 12 राज्यों की 72 लोकसभा सीटों तक पहुंचे। यहां पर 180 जनसभाएं, 58 रोड शो किए थे। उन्होंने 12 राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार किया था।


एम मॉडल को ऐसे समझें : मेरा विश्लेषण यह कहता है कि डॉ. मोहन यादव सिर्फ स्टार प्रचारक तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने सभाएं, रोड शो तो किया है, लेकिन इन सीटों में कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय और बैठकें भी कीं। इसका ज्यादा असर दिखाई दिया है। हरियाणा में जो सीटें जीती हैं, वे सिर्फ ओबीसी बाहुल्य नहीं हैं, वहां पर एससी समुदाय मतदाता भी कम नहीं। डॉ. यादव ने पार्टी की तैयारी की समीक्षा बैठक भी की थी और उन्होंने यहां पर कार्यकर्ताओं को संगठन की सुझाव भी दिए थे।


जब विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग पर अड़ा हो और चुनावी मुद्दा बना रहा हो तो क्या भाजपा शांत बैठेगी? इस सवाल का जवाब भले आसानी से न मिले, लेकिन जिस देश में मतदाता   अपना वोट विकास के मुद्दे के साथ ही जाति पर फोकस करता हो तो क्या किया जाये? डॉ. मोहन यादव उस ओबीसी समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी देश में करीब 54 प्रतिशत है। प्रदेश में यह संख्या 52 प्रतिशत करीब है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि डॉ. यादव ने सिर्फ ओबीसी की बात की हो। हरियाणा में उनके प्रचार वाली 4 सीटों के मतदाताओं का आंकलन किया जाये तो साफ हो जाता है कि यहां ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति के वोटर भी बहुतायत हैं। मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जिताने वाले डॉ. मोहन यादव आने वाले महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए शुभंकर साबित होंगे! वर्तमान हालातों को देखकर यह कहना अतिश्योक्ति बिल्कुल नहीं होगा।

Monday, October 7, 2024

जनजातीय वर्ग को क्या दे रही डॉ. मोहन सरकार?

 

Madhya pradesh tribals and its work for 







जनजातीय गौरव की पुनर्स्थापना, संस्कृति का संरक्षण और बजट की क्या है स्थिति

डॉ. दीपक राय, भोपाल
दैनिक मीडिया गैलरी, भोपाल
5 अक्टूबर 2024


भारत की धरती इस बात की गवाह है कि यहां जनजातीय वीरों ने अपने प्राण न्योंछावर कर दिया, लेकिन देश का आत्मसम्मान और निज गौरव को कभी न्योंछावर नहीं होने दिया। भगवान बिरसा मुण्डा, रायन्ना, सिद्धो संथाल, कान्हू संथाल, बाबा तिलका माँझी, अल्लूरी यांचाराम राज, गुण्डाधुर, सुरेन्द्र साय, शंकर शाह, झलकारी देवी, रघुनाथ शाह, शंकर शाह, टंट्या भील, खाज्या नायक, डेलन शाह, भीमा नायक, सीताराम कंवर, रघुनाथ सिंह मंडलोई, टूरिया शहीद मुड्डे बाई, मंशु ओझा जैसे कई और नाम हैं, जिनका नाम शायद मैं भूल जाउं, लेकिन उनके लहू की बूंद को देश नहीं भूल सकता। मध्य प्रदेश की धरती भी जनजातीय वीरों से भरी हुई है। प्रदेश का गोंडवाना साम्राज्य का पूरी दुनिया में अध्ययन किया जाता है। इनमें अग्रणी नाम वीरांगना रानी दुर्गावती का है, जिनकी आज 500वीं जयंती है। रानी दुर्गावती का नाम भारतीय स्वर्णिम इतिहास का एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है। अब सवाल यह उठता है कि जिस धरती का जनजातीय गौरव इतना समृद्ध हो, वहां की सरकार वर्तमान में जनजातियों के लिये क्या कर रही है?
8 दिन बाद अपने 10 महीने पूरे कर रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार के क्रियाकलापों पर गौर फरमाना बहुत जरूरी है। डॉ. मोहन यादव सरकार के गठन के बाद पहली कैबिनेट जनवरी 2024 को रानी दुर्गावती और वीरांगना रानी अवंतीबाई के नाम पर जबलपुर में हुई थी। अब आज 5 अक्टूबर 2024 को जन्म दिवस के अवसर पर वीरांगना रानी दुर्गावती की पहली राजधानी सिंग्रामपुर में मंत्रि-परिषद की बैठक हो रही है।
लेकिन क्या सिर्फ बैठकें और ऐसे आयोजन करने भर से जानजातियों का उद्धार हो जाएगा? इस सवाल के जवाब के लिए हमें मध्य प्रदेश सरकार का बजट देखना पड़ेगा। कुछ योजनाओं का विश्लेषण करना पड़ेगा कि जनजातीय वर्गों के विकास के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार ने आखिर क्या किया है?

जनजातीय वर्ग का बजट : वित्त वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रुपये का बजट पारित किया है। वित्त वर्ष 2023-24 से इसकी तुलना करें तो यह राशि 3,856 करोड़ रुपये (करीब 23.4 प्रतिशत) अधिक है। क्या बजट की यह राशि जनजातीय वर्ग को लाभांवित कर रहा है तो यहां यह गौर करने वाली बातें जान लें।

पेसा नियम : पेसा नियमों से एक करोड़ से अधिक जनजातीय आबादी को लाभ मिलने का दावा सरकार ने किया है। आपको बता दूं कि पेसा नियम प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 गावों में लागू है। इन नियमों में प्राप्त अधिकारों का उपयोग जनजातीय वर्ग के हितों के लिये अत्यंत प्रभावशाली साबित हो रहा है। वे अपनी क्षेत्रीय परम्पराओं, अपनी संस्कृति और जरूरतों के मुताबिक फैसले लेकर विकास की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

पीएम जन—मन : प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) के तहत पिछड़े, कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिये काम किया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, भारिया एवं सहरिया निवास क्षेत्रों में बहुउद्देश्यी केन्द्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, समग्र शिक्षा एवं विद्युतीकरण से जुडे कार्य कराये जा रहे हैं। इसके लिए 1,607 करोड़ रुपये का बजट अलग है।


शौर्य संकल्प योजना : इसके अंतर्गत बैगा, भारिया एवं सहरिया के लिये अलग से बटालियन गठित करने की प्रक्रिया अभी जारी है। समूह के इच्छुक युवाओं को पुलिस, सेना एवं होमगार्ड में भर्ती कराने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण दिये जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

आहार अनुदान योजना : जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया को 1,500 रुपये प्रतिमाह पोषण आहार अनुदान राशि दी जा रही है। बजट 2024-25 में इसके लिए 450 करोड़ रूपये आवंटित हैं। डॉ. मोहन सरकार बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातीय परिवारों के समग्र विकास के लिये 2024-25 में 100 करोड़ रूपये अतिरिक्त व्यय कर रही है।

रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी: जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिये फ्री-कोचिंग, सभी जनजातीय विकासखंडों में रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी स्थापित करने की तैयारी है। यहां पर जनजातीय विद्यार्थियों को जेईई, नीट, क्लेट और यूपीएससी जैसी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की बड़ी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग देकर इन्हें परीक्षाओं में सफल होने के गुर सिखाए जायेंगे।

आकांक्षा योजना : इसके तहत जनजातीय वर्ग के बच्चों को जेईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर में कोचिंग दी जा रही है।

जनजातीय सीएम राइज स्कूल: जनजातीय वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के लिये 667 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालयीन का छात्रवृत्ति के लिये 500 करोड़ रूपये प्रावधान किया हैं। नि:शुल्क कोचिंग के साथ सरकार जनजातीय विद्यार्थियों को टैबलेट भी देगी। टैबलेट के लिये डेटा प्लान भी सरकार नि:शुल्क उपलब्ध करायेगी। योजना के लिये सरकार ने बजट में 10.42 करोड़ रूपये आरक्षित किये हैं।

विकास प्राधिकरण : विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये योजना बनाने एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिये प्रदेश में बैगा, भारिया एवं सहरिया पीवीटीजी के लिये पृथक-पृथक विकास प्राधिकरणों सहित कुल 11 प्राधिकरण कार्यरत हैं।

शिक्षा के लिए पहल : जनजातीय गर्व के कक्षा पहली से आठवीं तक प्री-मेट्रिक राज्य छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 17 लाख 36 हजार 14 विद्यार्थियों को 56 करोड़ 59 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई है। कक्षा 9वीं और 10वीं केन्द्र प्रवर्तित प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 1 लाख 51 हजार 292 विद्यार्थियों को 52 करोड़ 15 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय में पढ़ रहे कुल 2 लाख 33 हजार 91 विद्यार्थियों को 356 करोड़ 95 लाख रूपये पोस्ट मेट्रिक छात्रवृति वितरित की गई।

अजजा विदेश अध्ययन छात्रवृति योजना : वित्त वर्ष 2023-24 में 10 होनहार विद्यार्थियों को 2 करोड़ 89 लाख रूपये की विदेश अध्ययन छात्रवृति राशि दी गई। आवास किराया सहायता योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा एक लाख 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 109 करोड़ 52 लाख रूपये की किराया प्रतिपूर्ति भुगतान की गई। सिविल सेवा परीक्षा के लिये निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग योजना में वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ 13 लाख रूपये व्यय कर 97 विद्यार्थियों को कोचिंग कराई गई। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 2023-24 में एक करोड़ से 497 अभ्यर्थियों को लाभ दिया गया। परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजना में 2023-24 में 18 लाख रूपये से 580 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया गया।
उक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि 40 हजार 804 करोड़ रुपये के बजट का कितनी योजनाओं पर खर्च हो रहा है। इन सभी योजनाओं का लाभ जनजातीय वर्ग के 100 प्रतिशत हिस्से तक पहुंचे? सरकार को इस दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे।

मध्य प्रदेश में पहली बार 'महिला सत्ता' , 10 महिला कलेक्टर संभाल रहीं जिले

Women ias in madhya pradesh

 






लाव की बयार : प्रशासनिक कामकाज में महिलाओं को मिले ज्यादा मौके

डॉ. मोहन यादव सरकार में 5 महिला मंत्री भी कर रही हैं कामकाज

डॉ. दीपक राय भोपाल। मध्य प्रदेश में अब सत्ता का सिरमौर महिलाएं बन रही हैं। सरकार में जहां 5 महिला मंत्री हैं, वहीं 10 महिला कलेक्टर जिले की बागडोर संभाले हुए हैं। प्रशासनिक मुखिया मुख्य ​सचिव वीरा राणा भी महिला थीं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुई हैं। सीएम मोहन यादव ने उन्हें 6 महीने का अतिरिक्त प्रसार भी दिलाया था। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जबकि प्रशासन की बागडोर एक साथ इतनी महिलाओं के हाथ में सौंपी गई है। सीएम डॉ. मोहन यादव के 10 महीने से भी कम के कार्यकाल में इतनी संख्या में महिला कलेक्टर की तैनाती के कदम के पीछे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एक अलग नजरिया है। जबकि पूर्व की सरकारों में सिर्फ 3-4 जिलों में ही महिला कलेक्टर होती थीं। सिर्फ एक बार में अधिकतम 7 जिलों में एक साथ महिला कलेक्टर रहीं हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार सीएम डॉ. मोहन यादव सोचते हैं कि महिलाएं किसी भी काम को जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ ही तीव्र गति से करती हैं, महिलाएं ज्यादा अनुशासित भी होती हैं। आने वाले ​समय में कई जिलों में और भी महिला आईएएस कलेक्टर बनाई जाएंगी। आपको बता दें कि प्रदेश में 55 जिले हैं।


​महिला शासकों ने रचा है इतिहास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती मनाई है। अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती वर्ष पर कई आयोजन हो रहे हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री लगातार प्रदेश में महिला शासकों और प्रशासकों के गुणों का बखान कर रहे हैं।

इस मॉडल पर चल रही सरकार
डॉ. मोहन यादव ने राजा विक्रमादित्य के प्रशासन, रानी अहिल्याबाई, रानी दुर्गावती के शासनकाल की प्रशासनिक व्यवस्था के रोल मॉडल को प्रदेश में लागू कर रहे हैं। यही वजह है कि महिला कलेक्टरों की संख्या 3 से बढ़कर 10 पहुंच गई है। आने वाले दिनों में कई ​संभागों में कमिश्नर की कुर्सी में भी महिलाएं दिखाई देंगी।

सरकार में भी महिला राज
डॉ. मोहन यादव सरकार में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्रियों सहित 32 मंत्री हैं। इनमें 5 महिला मंत्री संपत्तिया उइके, निर्मला भूरिया, कृष्णा गौर, प्रतिमा बागरी, राधा सिंह शामिल हैं।

10 कलेक्टर : कौन कहां कार्यरत

1. रुचिका चौहान (ग्वालियर)
2. प्रतिभा पाल (रीवा)
3. सोनिया मीणा (नर्मदापुरम)
4. नेहा मीणा (झाबुआ)
5. भव्या मित्तल (बुरहानपुर)
6. रिजु बाफना (शाजापुर)
7. शीतला पटले (नरसिंहपुर)
8. संस्कृति जैन (सिवनी)
9. रानी बातड़ (मैहर)
10. अदिति गर्न (मंदसौर)

मध्य प्रदेश में बदलाव की बयार
पर पढ़िए डॉ. दीपक राय की खबर
(डेली मीडिया गैलरी भोपाल, 7 अक्टूबर 2024)
#आईएएस
#IAS
#DrMohanYadav 

Wednesday, September 4, 2024

स्व. पूनम चंद यादव : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता जी को विनम्र नमन

 *संघर्ष से सफलता की कहानी गढ़ गए 'बाबूजी'*

Poonamchandra yadav father of cm mohan yadav


डॉ. दीपक राय, भोपाल, दैनिक मीडिया गैलरी, (04 सितंबर 2024)

धर्म, कर्म, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति, मजबूती के आधार स्तंभ और जीवंत कर्म चेतना के प्रतीक, साहस और संघर्ष ही जिनके जीवन का इष्ट रहा। ऐसे थे— बाबूजी स्व. पूनम चंद यादव। 100 वर्ष की उम्र तक जीवंत जीवन जीकर इस दुनिया से विदा ले गए। जाते—जाते जीवन को प्रेरणा देने वाली ऐसा अतीत छोड़ गए, जिसे किताबों में पढ़ाया जा सकता है। युवाओं में प्रेरणा निर्माण के लिए स्व. पूनम चंद यादव का जीवन संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा...

आज एक ऐसे पिता का देवलोक गमन हो गया, जिसने अपने अथक परिश्रम और खून—पसीने से बच्चों का बचपन सींचा। उनमें से एक बच्चा बड़ा होकर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना। जी हां, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता श्री पूनम चंद यादव ने मंगलवार को अंतिम सासें लीं। जब वे उज्जैन में आखिरी सांसें ले रहे थे तब उनका होनहार बेटा भोपाल के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रदेश की जनता के हित के लिए कामकाज में लगा हुआ था। करीब साढ़े 8 महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव अपने मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे। इसके पीछे उनके पिता बाबूजी पूनम चंद यादव के संघर्षों की लंबी दास्तान थी। हमेशा खुशमिजाजी में जीने वाले पूनम चंद यादव पिछले करीब एक हफ्ते से अस्वस्थ थे। स्व. पूनम चंद यादव अपने पीछे तीन बेटे नंदू यादव, नारायण यादव और डॉ. मोहन यादव के साथ दो बेटियां श्रीमती कलावती यादव एवं शांति देवी को छोड़ गए हैं। स्व. यादव जीवट इंसान रहे और अंतिम समय तक 100 वर्ष की आयु होने पर भी उन्होंने अपना कार्य स्वयं किया। उनकी एक बेटी कलावती यादव नगर निगम में अध्यक्ष हैं। स्व. पूनमचंद यादव रतलाम से आकर उज्जैन में बसे थे, उन्होंने पहले हीरा मिल में मजदूरी की नौकरी की, बाद में खुदका छोटा कामधंधा शुरू किया, चाय भजिए की दुकान खोली। मोहन यादव भी उस दुकान में अपने पिता और चाचा का हाथ बंटाते थे। वो दुकान पर भी बैठते थे और स्कूल भी जाते थे। उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। स्व. पूनम चंद यादव की जीवटता ऐसी थी कि अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी खुद मंडी में उपज बेचने जाते थे। खुदका जीवन भले संघर्षमय रहा हो, लेकिन पूनम चंद यादव ने बच्चों में संस्कार कूट—कूटकर भरे थे। वर्ष 1984 का वाकया है, उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज में छात्र संघ का शपथ विधि समारोह हुआ था, इसमें डॉ. मोहन यादव सहसचिव बनाए गए थे। सभी प्रतिनिधियों ने ब्लेजर पहनकर शपथ ली थी, लेकिन मोहन यादव यादव सिर्फ शर्ट पेंट में शपथ लेते दिखाई दिये थे। बाद में यह बात सामने आई थी कि मोहन यादव ने पिता के कहने कॉलेज में लगने वाली विवेकानंद की मूर्ति के लिए पैसे दान कर दिये थे। इस कारण वे ब्लेजर नहीं खरीद पाये थे। दान की ऐसी संस्कृति के जनक पिता का चले जाना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जीवन की अब तक की सबसे बड़ी क्षति होगी। हमने कई बार देखा है कि जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल से अपने पैतृक निवास उज्जैन जाते थे तब अपने पिता से आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे भी लेते थे। पिछले दिनों पिता दिवस के मौके पर पिता से आशीर्वाद लेने के बाद डॉ. मोहन यादव ने पिता से पैसे मांगे तो पिता ने 500 रुपए के नोटों की गड्डी निकालकर सीएम बेटे के हाथों में थमा दी थी। इस पर सीएम मोहन यादव ने एक नोट रखा था और पूरी गड्डी लौटा दी। हालांकि पिता पूनम चंद यादव ने भी टैक्टर रिपेयरिंग का खर्च मोहन यादव से मांग लिया था, तब पिता—बेटा के बीच खूब हंसी—ठिठौली हुई थी। आज स्व. पूनम चंद यादव जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी अनगिनत कहानियां हमेशा अमर रहेंगी। आइए, पुण्य आत्मा की शांति और उनके परिवार को यह दर्द सहने की शक्ति प्रदान करने के लिए हम सभी भगवान से प्रार्थना करते हैं।

ओम् शांति, शांति, शांति...

Wednesday, August 28, 2024

Science related news written by Dr. Deepak Rai

 

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