Tuesday, January 27, 2009

सड़क का कुत्ता करोड़पति

..a.वाकई और उची सोच के बलबूते पर ही हम आगे बढ़ते है इसी का ताज़ा उदहारण है '' स्लम डॉग मिलेनिएर '' इसके निर्देशन करने वाले डैनी बोयल ने उस सुब्जेक्ट पर सोचा जिस पर इंडिया के डारेक्टर सोचभी नही सकते
मुंबई सहित तमाम मेट्रो सिटी की हकीकत को दिखाने की हिम्मत किसी भारतीय ने क्यो नही की सायद उन्हें लगता रहा होगा की इतनी गन्दी फ़िल्म कौन देखना पसंद करेगा !
इसी बात की गहराई डैनी बोयले को समझ आ गई और यही नही इस फ़िल्म में उन्होंने इतने करीब से और इतनी गहराई का परिचय दिया की उसने अपनी अलग पहचान बनेई भारतीय फ़िल्म निर्माता किसी फ़िल्म के निर्माण करने में इतनी गहराई तक नही जाते
मै तो ये भी मानता हु की भारत के बड़े प्रोड्यूसर और दिरेक्टोर सिर्फ़ बड़ी बड़ी सोच के चलते कभी स्लम डॉग जैसे सुब्जेक्ट पर सोचते भी नही या फिर इतनी गहराई तक उनका दिमाग चलता ही नही तभी तो आस्कर अभी तक दूर है फिर भी उम्मीद की जा रही है की ''सड़क का कुत्ता '' करोड़पति ''चायवाला '' ''स्लम डॉग ''ये तमाम नाम एक ही फ़िल्म के है यही फ़िल्म ''गोल्डन ग्लोब '' अवार्ड दिलाने के बाद अब आस्कर दिलाने की उम्मीद जगा रही मै भगवन से दुआ करता हु की ये जरुर से आस्कर जीते देव पटेल का अभिनय भी काबीले तारीफ है

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