Saturday, September 7, 2013

जहां लेन-देन हुआ वह शिक्षा नहीं

pp singh sir


एमसीयू भोपाल के पत्रकारिता विभाग से दीपक राय लाइव...
आज शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं और रोहित वर्मा पीपी सर से मिलने यूनिवर्सिटी पहुंचे। हमारे साथियों ने एक भाषण गोष्ठी का आयोजन किया। हम पहुंचे तब सर बच्चों को संबोधित कर रहे थे-
शिक्षक और छात्र के बीच सार्थक रिश्ते को उन्हीं के शब्दों में यहां बताना चाहूंगा।
सर ने कहा- शिक्षा सिर्फ सिद्धांतिक नहीं हो, उसे निजी जीवन में उतारा जाए। सिर्फ पुस्तकी ज्ञान ही महत्वपूर्ण नहीं होता।
1. गिव एंड टेक (लेन-देन) जैसा रिश्ता कभी शिक्षक-छात्र में नहीं होना चाहिए।
2. क्लास रूम शिक्षा बेकार- सिर्फ क्लास रूम में पुस्तकी ज्ञान बांट देने से विद्यार्थी संपूर्ण शिक्षा नहीं पा सकता। उसे दुनियाभरी का ज्ञान, अनुभव, और आचरण सिखाना भी अच्छे शिक्षक का कत्र्तव्य है।
3. स्वछंदता- छात्र के मन में बेवजह डर नहीं होना चाहिए। शिक्षक-छात्र में स्वछंदता का वातावरण भी हो, तभी शिक्षक छात्र के टेलेंट को जान सकता है।
4. सर्वगुण संपन्न कोई नहीं- दुनिया में सर्वगुण संपन्न कोई नहीं हो सकता। कोई पत्रकार है तो हो सकता है वह लिखता अच्छा हो, कोई अच्छा वक्ता हो, कोई अच्छा संपादन जानता हो।
5. अपने गुणों को पहचानें- हमेशा अपनी कमियों को ही नहीं देखना चाहिए। अपनी ऊर्जा सकारात्मकता में लगाएं। सोचें कि हमारे अंदर कौन सा गुण है जो अच्छा है।

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