Saturday, December 14, 2013

शिवराज सिंह चौहान जीवन परिचय

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शिवराज सिंह चौहान
जन्म    5 मार्च, 1959
जन्म भूमि     जैतगांव, सिहोर जिला, मध्य प्रदेश
अविभावक     पिता- प्रेमसिंह चौहान, माता- सुंदरबाई चौहान
पति/पत्नी     साधना सिंह
संतान    दो पुत्र
नागरिकता    भारतीय
पार्टी     'भारतीय जनता पार्टीÓ, 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघÓ
पद     मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, तीसरी बार

शिवराज सिंह चौहान वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के मुख्यमंत्री हैं। आप भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं।


शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को हुआ। उनके पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और माता सुंदरबाई चौहान हैं। उन्होंने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (दर्शनशास्त्र) तक स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा प्राप्त की। सन् 1975 में मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष। आपात काल का विरोध किया और 1976-77 में भोपाल जेल में बंद रहे। अनेक जन समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन किए और कई बार जेल गए। सन् 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। वर्ष 1992 में उनका श्रीमती साधना सिंह के साथ विवाह हुआ। उनके दो पुत्र कार्तिकेय और कुणाल हैं।
राजनीतिक कैरियर
सन् 1977-78 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने। सन् 1975 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे। सन् 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-83 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।

मुख्यमंत्री के रूप में
वे वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए। चौहान को 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर विजयश्री प्राप्त की। चौहान को 10 दिसंबर 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसमति से नेता चुना। उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को भोपाल के जंबूरी मैदान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।


जेल भी गए
जेल यात्रा     आपने आपात काल का विरोध किया और 1976-1977 के दौरान भोपाल जेल में निरूद्ध रहे। जन समस्याओं के लिए भी कई बार जेल यात्राएं कीं।
शिक्षा    एमए (दर्शनशास्त्र)

एमएलए    चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद।

समर्पित कार्यकर्ता हैं शिव
शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ताओं में गिना जाता है। वे मध्य प्रदेश के 29वें मुख्यमंत्री हैं।

परिवार
जैतगांव जिला, सिहोर के किरार राजपूत परिवार में जन्म। उनके पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और माता का नाम सुंदरबाई चौहान है। दर्शनशास्त्र से किया और स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा पूर्ण की।
राजनैतिक शुरुआत
1972 में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और फिर इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वैवाहिक जीवन
शिवराज सिंह चौहान का विवाह 1992 में साधना सिंह के साथ सम्पन्न हुआ।

सांसद
सन 1977-1978 में वे अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने और सन 1978 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे। शिवराज सिंह चौहान सन 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-1983 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। श्री चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधान सभा क्षेत्र से विधायक बने और 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बनाए गए। शिवराज सिंह चौहान 1991-1992 मे अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक तथा 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने। सन 1992 से 1994 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव नियुक्त हुए। सन 1992 से 1996 तक संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, 1993 से 1996 तक 'श्रम और कल्याण समिति तथा 1994 से 1996 तक हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रहे।

लोकसभा सदस्य
ग्यारहवीं लोक सभा में वर्ष 1996 में शिवराज सिंह विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद चुने गए। सांसद के रूप में 1996-1997 में नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति तथा नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य रहे। श्री चौहान वर्ष 1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार बारहवीं लोक सभा के लिए सांसद चुने गए। वह 1998-1999 में प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे। शिवराज सिंह 1999 में विदिशा से ही चौथी बार तेरहवीं लोक सभा के लिये सांसद निर्वाचित हुए। वे 1999-2000 में कृषि समिति के सदस्य तथा वर्ष 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे।
अन्य महत्त्वपूर्ण पद
सन 2000 से 2003 तक शिवराज सिंह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इस दौरान वे सदन समिति (लोक सभा) के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रहे। श्री चौहान 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। शिवराज सिंह पॉचवी बार विदिशा से चौदहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2004 में कृषि समिति, लाभ के पदों के विषय में गठित संयुक्त समिति के सदस्य, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव, केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव तथा नैतिकता विषय पर गठित समिति के सदस्य और लोक सभा की आवास समिति के अध्यक्ष रहे। उन्हें वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान को 29 नवम्बर, 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। प्रदेश की तेरहवीं विधान सभा के निर्वाचन में श्री चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर विजयश्री प्राप्त की। शिवराज सिंह को 10 दिसम्बर, 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसमति से अपना नेता चुना। श्री चौहान ने 12 दिसम्बर, 2008 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की थी। शनिवार को वे लगातार तीसरी बार जंबूरी मैदान पर आयोजित ऐतिहासिक समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
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राजनैतिक वंशवाद नहीं, कार्यकर्ता ने दिलाई पहचान
राजनैतिक वंशवाद के कारण नहीं एक कार्यकर्ता के तौर पर मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। उनके व्यक्तित्व में वे सारे गुण है जो उनको इस पद तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है।
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9 साल में पहली रैली, 16 में मिला पद
शिवराज की उम्र 9-10 साल थी। नर्मदा के तट पर एक दिन बूढ़े बाबा के चबूतरे पर उन्होंने हालियों (ग्रामीण मजदूरों) को इक_ा किया और उनसे बोले- दो गुना मजदूरी मिलने तक काम बंद कर दो। मजदूरों का जुलूस लेकर शिवराज नारे लगाते हुए सारे गांव में घूमे। जैत गांव में 20-25 मजदूरों के साथ एक बच्चा नारे लगाते घूम रहा था  'मजदूरों का शोषण बंद करोÓ, 'ढाई पाई नहीं-पांच पाई दो।Ó घर लौटे तो चाचा आग-बबूला हो रहे थे क्योंकि शिवराज के भड़काने से परिवार के मजदूरों ने भी हड़ताल कर दी थी। शिवराज कि पिटाई करते हुए उन्हें पशुओं के बाड़े में ले गए और डांटते हुए बोले- 'अब तुम इन पशुओं का गोबर उठाओ, इन्हें चारा डालो, जंगल ले जाओ।Ó शिवराज ने ये सब काम पूरी लगन से किए पर मजदूरों को तब तक काम पर नहीं आने दिया जब तक सारे गांव ने उनकी मजदूरी नहीं बढ़ा दी।  उन दिनों देश की युवा शक्ति को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जोडऩे का अभियान चल रहा था। शिवराज जी विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। फिर उन्हें मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्र संघ के चुनाव लडऩे के निर्देश मिले। सन् 1975 में 16 वर्ष की किशोर उम्र में वे स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। छात्र हितों और समस्याओं के लिए लागतार संघर्ष  करते करते वे एक प्रखर छात्र  नेता बनने लगे। धारदार और धारा प्रवाह भाषण के बल पर उनकी लोकप्रियता भी बड़ी। वे राष्ट्रीय मुददों पर भी छात्र-छात्राओं के बीच ओजस्वी वाक्कला से जागरण करते थे।

एक साल के विधायक
सन् 1990 में शिवराज सिंह को भाजपा संगठन ने बुधनी से चुनाव लडऩे की अनुमति दी। पिछले 13 सालों से लोकसभा, विधानसभा के अलावा स्थानीय चुनावों में पार्टी का धुआंधार प्रचार करने वाले शिवराज सिंह को पहली बार अपने लिए मत मांगने के लिए अपने मन को तैयार करना पड़ा। प्रचार के दौरान जहां दोपहर हो जाती व गांव के दा-चार घरों से रोटी,प्याज, मिर्ची इकट्ठी करवा लेते और पेट भरकर उनकी प्रचार टोली आगे बढ़ जाती। शिवराज सिंह ने मतदाताओं से एक वोट और एक नोट मांगा। इस नारे को ऐसा समर्थन मिला कि सारा चुनाव खर्च निकल आया।

स्वर्णिम मध्यप्रदेश के दृष्टा
गांव में पले शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था का नजदीक से समझा है। उन्होंने प्रदेश में विकास व सुशासन को गति देकर ऐसा माहौल बनाया कि देश व दुनिया के औद्योगिक घरानों के एजेण्डों में मध्यप्रदेश शामिल हो गया। अब तेजी से प्रदेश में उद्योग धंधे लग रहे है। आओ मध्यप्रदेश बनाए अभियान के जरिये वे आमजन को भी स्वर्णिम मध्यप्रदेश के उद्देश्य में शामिल कर रहे हैं। बीमारू मध्य्रपदेश को जुझारू प्रदेश बनाया जो सुचारू हुआ और अब विकसित प्रदेश के सपने को सकार करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। उनकी मेहनत का परिणाम है कि सन्  2011-12 में मध्यप्रदेश विकस दर 10 प्रतिशत से अधिक होकर देश में सर्वश्रेष्ठ हैं। कृषि विकास दर 18 प्रतिशत हुई। जो म.प्र. के इतिहास में पहली बार हुई।

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