Tuesday, November 29, 2016

शिवराज सिंह चौहान के मुख्मंत्रित्व काल के 11 साल पूरे

Shivraj Singh Chouhan to complete 11 years as Madhya Pradesh CM


deepak rai, a news editor publish this news on 29nov 2016.


शिवराज के११ साल : एक विकासपुरुष, सर्वप्रिय जननेता 
दीपक राय, विशेष लेख
कहते हैं कि जिस वृक्ष पर जितने ज्यादा फल लदे होते हैं वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है। मध्य प्रदेश के हमारे मुखिया शिवराज सिंह चौहान इस कहावत के असल उदाहरण हैं। यही कारण है कि प्रदेश के सभी लोगों के बीच शिवराज सिंह चौहान बेहद लोकप्रिय हैं। ११ वर्षों से से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बाद भी सहजता ए सरलता और आत्मीयता ही उनके स्वभाव का असल आभूषण हैं। किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहने पर बेहतर योजनाओं ए अच्छे प्रशासन की उम्मीद जनता करती ही है, लेकिन शिवराज जी के रूप में मध्य प्रदेश को ऐसा जन नायक मिला है जो जनता से अपने रिश्ते बनाता भी है और उन रिश्तों को निभाता भी है। 
चाहे व्यक्तिगत जीवन का विषय हो या फिर सार्वजानिक जीवन, शिवराज जी ने मजबूती के साथ रिश्तों को नया आयाम दिया है। एक पुत्र के तौर पर माता-पिता की सेवा हो या फिर एक पिता के तौर पर बच्चों को दिए संस्कार, अपने मित्रों के प्रति आज भी उनका अधिकार और व्यवहार देखते ही बनता है। विदिशा के मां सुन्दरदेवी सेवा आश्रम 7 बेटियों को धर्मपुत्री के तौर पर न केवल शिवराज जी ने उन्हें  पिता का प्यार दिया है बल्कि अब बेटियों के विवाह भी एक पिता के तौर पर कन्यादान के साथ कर रहे हैं। यह तो बात है उनके व्यक्तिगत जीवन के रिश्तों की। लेकिन राजनैतिक जीवन में और बतौर मुख्यमंत्री शिवराज जी ने प्रदेश के हर वर्ग, हर उम्र के लोगों से रिश्ता मजबूत किया है। 
किसी भी सरकार या मुख्यमंत्री की कार्यशैली में व्यक्तिगत सोच की झलक दिखाई देती ही है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी सरकार की हर योजना मानो सामजिक रिश्तों को ध्यान में रखकर बनाई है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के जरिये उन्होंने प्रदेश में अपनी भांजियों के भविष्य को संवारा तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के जरिये बेटियों के विवाह की चिंता से उनके माता-पिता को मुक्त किया। नि: शुल्क साइकिल वितरण, लैपटॉप, स्मार्ट फोन वितरण से उन्होंने प्रदेश में अपनी भांजे भांजियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के जरिये उन्होंने श्रवण कुमार के तौर पर बुजुर्गों को तीर्थ पर भेजने का असाधारण कार्य किया है यह अपने मां बाप से दूर होती युवा पीढ़ी के लिए एक नजीर बना है। किसान के बेटे होने के नाते अपने किसान भाइयों की चिंता उन्होंने कदम-कदम पर की है। कोई भी आपदा आई हो, वे हमेशा से ही किसानों के बीच रहे।  
लेकिन रिश्तों को बनाना और उन्हें निभाना शिवराज जी ने एक दिन में नहीं सीखा। इसके पीछे उनका एक लम्बा संघर्ष और तपस्या है। पाव-पाव वाले भैया कहलाने वाले शिवराज ने लोगों की भावनाओं, उनकी समस्याओं को बेहद करीब से देखा और महसूस किया है। वे राजनीति में स्थापित होने के बाद आम आदमी के बीच जाने वाले नेताओं में नहीं है बल्कि वे आम आदमी के बीच से उठकर राजनीति के शिखर तक पहुंचे हैं। इसी वजह से वे प्रदेश के हित में जो भी कदम उठाते हैं तो उनकी सोच वही होती है जो अपने परिवार का ख्याल रखते समय परिवार के मुखिया की होती है। 
शिवराज जी के हर वर्ग, हर धर्म के लोगों के प्रति समरसता और सहिष्णुता के भाव भी उनकी शख्सियत को अलग मुकाम देते हैं।उनके इस भाव की वजह है विभिन्न विषयों का अध्ययन। जब भी युवाओं के हित की बात होती है तो उनके विचारों में स्वामी विवेकानंद का दर्शन देखने को मिलता है, जब बात जनता की भलाई की हो तो उनकी कार्यशैली में रामायण की चौपाइयां उद्धत होती नजर आती है। जब जरुरत सख्त प्रशासन की हो तो वे गीता पर अमल करते दीखते हैं और जब अंत्योदय की परिकल्पना को साकार करना हो तो पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के विचार उनके कृतित्व में नजर आते है। 
एक अच्छा इंसान ही अच्छी सोच के साथ काम कर सकता है। एक बेहतर इंसान के तौर पर मध्य प्रदेश को ऐसा मुखिया मिला है जिसकी सोच गांव, गरीब से शुरू होती है।



शिवराज सिंह चौहान
जन्म    5 मार्च, 1959
जन्म भूमि     जैतगांव, सिहोर जिला, मध्य प्रदेश
अविभावक     पिता- प्रेमसिंह चौहान, माता- सुंदरबाई चौहान
पति/पत्नी     साधना सिंह
संतान    दो पुत्र, कार्तिकेय और कुणाल
नागरिकता    भारतीय
पार्टी     भारतीय जनता पार्टी, 
पद     मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, तीसरी बार
शिक्षा    एमए (दर्शनशास्त्र) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय

शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को हुआ। उनके पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और माता सुंदरबाई चौहान हैं। स्नातकोत्तर (दर्शनशास्त्र) तक स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा प्राप्त की। सन् 1975 में मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष। आपात काल का विरोध किया और 1976-77 में भोपाल जेल में बंद रहे। अनेक जन समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन किए और कई बार जेल गए। सन् 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। वर्ष 1992 में उनका विवाह हुआ।

संगठन के पद
-1977-78 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने
-1975 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री
-1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव,
-1982-83 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य
-1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव
1985 से 1988 तक महासचिव 
-1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
-2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए


विधायक-सांसद
-1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक 
-1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद
-1996 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद 
-1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार सांसद
-1999 में विदिशा से ही चौथी बार सांसद


लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री
-29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई
-12 दिसंबर 2008 को दूसरी बार ली सीएम पद की शपथ
-14 दिसंबर 2013 को तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली


जेल भी गए
जेल यात्रा  आपने आपात काल का विरोध किया और 1976-1977 के दौरान भोपाल जेल में निरूद्ध रहे। जन समस्याओं के लिए भी कई बार जेल यात्राएं कीं।

राजनैतिक शुरुआत
1972 में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और फिर इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 
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वंशवाद नहीं, कार्यकर्ता ने दिलाई पहचान
राजनैतिक वंशवाद के कारण नहीं एक कार्यकर्ता के तौर पर मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। उनके व्यक्तित्व में वे सारे गुण है जो उनको इस पद तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है।
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9 साल में पहली रैली, 16 में मिला पद
शिवराज की उम्र 9-10 साल थी। नर्मदा के तट पर एक दिन बूढ़े बाबा के चबूतरे पर उन्होंने हालियों (ग्रामीण मजदूरों) को इक_ा किया और उनसे बोले- दो गुना मजदूरी मिलने तक काम बंद कर दो। मजदूरों का जुलूस लेकर शिवराज नारे लगाते हुए सारे गांव में घूमे। जैत गांव में 20-25 मजदूरों के साथ एक बच्चा नारे लगाते घूम रहा था  मजदूरों का शोषण बंद करोÓ, ढाई पाई नहीं-पांच पाई दो।Ó घर लौटे तो चाचा आग-बबूला हो रहे थे क्योंकि शिवराज के भड़काने से परिवार के मजदूरों ने भी हड़ताल कर दी थी। शिवराज कि पिटाई करते हुए उन्हें पशुओं के बाड़े में ले गए और डांटते हुए बोले- अब तुम इन पशुओं का गोबर उठाओ, इन्हें चारा डालो, जंगल ले जाओ।Ó शिवराज ने ये सब काम पूरी लगन से किए पर मजदूरों को तब तक काम पर नहीं आने दिया जब तक सारे गांव ने उनकी मजदूरी नहीं बढ़ा दी।  उन दिनों देश की युवा शक्ति को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जोडऩे का अभियान चल रहा था। शिवराज जी विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। फिर उन्हें मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्र संघ के चुनाव लडऩे के निर्देश मिले। सन् 1975 में 16 वर्ष की किशोर उम्र में वे स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। छात्र हितों और समस्याओं के लिए लागतार संघर्ष  करते करते वे एक प्रखर छात्र  नेता बनने लगे। धारदार और धारा प्रवाह भाषण के बल पर उनकी लोकप्रियता भी बड़ी। वे राष्ट्रीय मुददों पर भी छात्र-छात्राओं के बीच ओजस्वी वाक-कला से जागरण करते थे। 

प्रदेश में चहुंओर विकास
बिजली
-2003 में विद्युत उत्पादन मात्र 5173 मेगावॉट था, आज 16 हजार 116 मेगावॉट

पानी
सिंचाई का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 36 लाख हेक्टेयर हुआ

गेहूं
-गेहूं का उत्पादन मात्र 73.65 मीट्रिक टन था, जो आज 184.80 लाख मीट्रिक टन हुआ

सकल घरेलू उत्पाद
-वर्ष 2003 में सकल घरेलू उत्पाद 1,02,839 करोड़ था जो आज 5,08,006 करोड़ हुआ

ेलगातार 4 बार मिला कृषि कर्मण अवार्ड

-पिछले ग्यारह वर्ष में शिवराज सिंह चौहान ने जो फैसले लिए वो 60 साल में कभी नहीं लिए गए। यही कारण है कि आज प्रदेश बीमारू राज्य से विकाशील राज्य बन गया है।

खाद्यान उत्पादन
-2004-05 में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 1.43 करोड़ मीट्रिक टन था। वर्ष --2014-15 में यह 3.21 करोड़ मीट्रिक टन हो गया।
-12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से एक दशक तक वृद्धि प्राप्त करना देश में अप्रत्याशित घटना
-2004-05 में दलहन फसलों का उत्पादन मात्र 33 लाख 51 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2014-15 में लाख 47 लाख 63 हजार मीट्रिक टन हो गया। मप्र आज देश में कुल दलहन उत्पादन का 28 प्रतिशत उत्पादित करता है। 

-प्रदेश का कुल कृषि क्षेत्र बढ़कर 2 करोड़ 23 लाख हेक्टेयर हो गया है
-वर्ष 2006-07 में जैविक कृषि का क्षेत्रफल मात्र एक लाख 60 हजार हेक्टेयर था। वर्तमान में यह 17 लाख 58 हजार हेक्टेयर है।  जैविक खेती के क्षेत्रफल में 10 गुना वृद्धि कर मध्यप्रदेश देश की कुल जैविक खेती का 40 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है।

देश का पहला शौर्य स्मारक मप्र में
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश का पहला शौय स्मारक बनाया गया है, जहां विशिष्ट रूप से शहीदों को स्मरण किया गया है। सीमा पर रक्षा करने में चुनौतियाँ क्या हैं, उसके संघर्ष की गाथा बताई जाती है।

- 24 घंटे बिजली आपूर्ति हर नागरिक को। कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली प्रदाय 

पर्यटन क्षेत्र में शिखर पर 
पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 10 साल में अब तक तकरीबन 80 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त कर अदभुत उपलब्धि हासिल की है।
इसी वर्ष जुलाई में ही मिले एक साथ 5 प्रतिष्ठित अवार्ड 



डिजिटल योजना से किसानों को फायदा
प्रदेश में 55 हजार 393 ग्राम के 1 करोड़ 40 लाख भू-धारकों के 4 करोड़ 17 लाख अभिलेख का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है। भूमि नक्शों के डिजिटाइजेशन का काम भी किया जा रहा है। किसानों को खसरा, नक्शा एवं बी-1 की अद्यतन नकल 21 जिले की 134 तहसील में इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन दी जा रही है। 

सफेद बाघ बना गौरव
रीवा में शुरू की गई सफेद बाघ की सफारी
-2016 के सिंहस्थ महाकुंभ को सफलता पूर्वक संपन्न कराने का श्रेय भी मुख्यमंत्री को ही जाता है

दीपक राय
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योजनाएं
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना
लाडली लक्ष्मी योजना
मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना
मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना
मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना
मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर-कान्ट्रेक्टर योजना
नि:शुल्क पैथालॉजी जाँच योजना
मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना
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मामा ने बदली भांजियों की तकदीर
7 राज्यों ने अपनाई योजना
1 अप्रैल 2007 को प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू हुई थी। यह योजना हर बेटी को युवा होते तक लखपति बनाने की थी। प्रदेश में आज 23 लाख लाडली लक्ष्मी हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ मिल रहा है। योजना के जरिये बेटी के जन्म, उसकी शिक्षा से लेकर विवाह तक परवरिश का जिम्मा सरकार निभाती है। 
योजना: 1 अप्रैल, 2008 को जन्मी बालिका की तकदीर और भाग्य उसी वक्त चमक जाता है जब वह प्रदेश की धरती पर जन्म लेती है। योजना में यह जरूरी है कि बालिका के माता-पिता मध्यप्रदेश के मूल निवासी हों। योजना में बेटी के जन्म लेने के बाद जब वह पाने स्कूल में जाती है और छठवीं में प्रवेश लेती है तो उसे 2000 रुपये, 9वीं में 4000, 11वीं तथा 12वीं कक्षा में प्रवेश पर 6000-6000 मिलते हैं। 21 वर्ष होने पर एक लाख 18 हजार रुपये का ही भुगतान होगा। 
योजना का प्रभाव
-लड़कों की चाह छोड़कर 16 लाख से ज्यादा परिवार ने परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाया
-पोषण आहार से 17 लाख बालिका लाभान्वित हुई
-पिछले शैक्षणिक सत्र में लगभग 7 लाख बालिका ने स्कूल में प्रवेश लिया
-आँगनवाड़ी के जरिये 17 लाख बालिका का टीकाकरण हुआ

ई-लाडली
योजना को ई-लाडली का स्वरूप मिलने से यह पूरी व्यवस्था और भी आसान हो गयी है। अब इच्छुक और पात्र अभिभावक महिला-बाल विकास के कार्यालय के अलावा किसी भी इंटरनेट कैफे या लोक सेवा केन्द्र से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना के जरिये सभी भुगतान ई-बेंकिंग से सीधे हितग्राही के खाते में जमा होंगे।


मिला प्लेटिनम अवार्ड
योजना की पारदर्शी बनाने के लिये जन-सामान्य के लिये डब्लयूडब्ल्यू लाडलीलक्ष्मी डॉटकॉम  पर सभी जानकारी अपडेट भी गई। इसके जरिये हितग्राही हर जानकारी, समस्या का निराकरण पा सकते हैं। ई-लाली को स्कॉच प्लेटिनम अवार्ड देकर सराहा गया है। 

7 राज्य ने अपनाई योजना
हरियाणा, उत्तरप्रदेश, दिल्ली झारखण्ड, राजस्थान, बिहार और कर्नाटक राज्य ने इसे अपनाया, वहीं बंगलादेश से एक अध्ययन दल विशेष रूप से मध्यप्रदेश आया, जिसने योजना की पूरी जानकारी हासिल की। यूनाइटेड नेशन ऑफ वूमेन ने भी इस योजना की प्रशंसा की।




किसानों की आय दोगुनी करेंगे 
१८ फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सीहोर जिले के शेरपुर में किसानों के हित की दो महत्वपूर्ण घोषणाएं की। पहली घोषणा थी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करना और दूसरी थी किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दुगना करने का संकल्प। प्रधानमंत्री का किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव के लिए इन दो अहम कदमों का ऐलान करने के लिये मध्यप्रदेश के चयन से यह साफ था कि यह वह राज्य है जहां 11 वर्ष पहले खेती-किसानी करना दूभर था। न बिजली थी, न सिंचाई थी और न ही वातावरण। 11 वर्षों में स्थिति पलट गई थी और वे सभी चीज यहां मौजूद हैं जिनसे किसानों का खेती करना आसान हुआ है।


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