Monday, September 6, 2010

रिहाई पर राजनीति, मां पत्नी से तो पूछो



लखीसराय में कुछ दिनों पहले पुलिस से माओवादियों की मुठभेड़ हो गई जनाब पुलिस की फटके हाथ में आ गई कई पुलिसवाले मारे गए और चार को माओ ने अपने गिरफ्त में ले लिया। अब माओवादियों ने सरकार के सामने शर्त रख दी कि आप लोग हमारे सात साथियों को छोड़ दो वरना हम इन चार पुलिस वालों को मार डालेंगे, लेकिन बिहार की नितीश सरकार ने कहा हम तो माओ के साथियों को नहीं छोड़ेगे। इतना सुनते ही माओवादियों ने एक एएसआई लुकास टेटे को मार डाला अब बचे तीन पुलिस वाले वे बेचारे डरे सहमे से थे, पुलिसवालों के परिजन मुख्यमंत्री के निवास पर पहुंच गए, लेकिन पता नहीं सात दिन बाद यानि रविवार रात को माओवादियों ने तीन पुलिस वालों को छोड़ दिया इसके बाद शुरू हो गई बिहार में राजनीति यानि वोट की बातें आपको बता दें बिहार में विधानसभा के चुनाव की तारीखें तय हो गई हैं। तीन पुलिस वाले जिंदा वापस लौटे तो उन्हें देखकर सरकार ने अपना मुंह मीठा किया वहीं विपक्ष ने भी सरकार पर निशाना साधा। खबरें भी खूब दिखाई गर्इं, पेपरों पर भी खबरें छपीं लेकिन गुमनाम था वह पुलिस वाला लुकास जिसकी मौत माओवादियों ने कर दी क्या कसूर था उस पुलिस वाले का
कुछ सवाल हैं जिनके जवाब कौन देगा-
पहला सवाल-
क्या बिहार में हो रहे चुनावों के चलते जानबूझकर किसी नेता ने माओवादियों से मिलकर पुलिसकर्मियों का अपहरण कराया था।
दूसरा सवाल-
क्या जानबूझकर एक पुलिसवाले को मारने के लिए किसी राजनेता ने खेल खेला
तीसरा सवाल-
क्या कसूर था उस पत्नी का जिसके पति को माओवादियों ने मार डाला
चौथा सवाल-
माओवादी तो अपने आप को जनता के रखवाले माने जाते हैं उनका विरोध तो भ्रष्टाचारी सरकार का विरोध है पर वे निर्दोषों को क्यों मार देत हैं
पांचवा सवाल-
क्या बिहार सरकार ने जानबूझकर घिरे हुए माओवादियों को भागने का मौका दिया है
जवाब आप भी दे सकते हैं

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