Saturday, August 6, 2011

ये कैसी स्वतंत्रता

  आजादी के 64 साल बीत गए हैं। भारत की जनता ने खोया ज्यादा है, पाया कम। हां लेकिन यह सच है कि खोने-पाने के इस गणित में कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने बहुत कुछ पा लिया। उनमें से एक हैं हमारे देश के नेता और अफसर। इन दोनों की जुगलबंदी का ही नतीजा है कि अब जिसके घर भी छापा पड़ता है करोड़पति निकलता है। भले ही भारत में लाखों लोग दो वक्त की रोटी को तरसते हों, पर ये नेता-अफसरों को कोई चिंता नहीं। उन्हें तो रहने को बंगला, खाने में 56 भोग हर दिन मिलता है। अब देखिए हम में से भी 90 फीसदी लोग ऐसे मिल जाएंगे जो गरीबी पर बात नहीं करना चाहते। गरीब, झुग्गीझोपड़ी वालों की तस्वीर दिखाना पसंद नहीं करते। हमें तो सिर्फ अपनों से मतलब हो गया है। अपनी नौकरी करो, वेतन पाओ, किसी से क्या करना है। ऐसी मानसिकता कहां ले जाएगी, जरा सोचिए। कुछ दिनों पहले की बात है इंदौर संभाग में पदस्थ एक इंजीनियर के घर छापा पड़ा तो उसके पास 5 करोड़ रुपए की दौलत मिली, बंगला 80 लाख से कम का नहीं, कार भी दो-दो। भोपाल में भी ऐसे आईएएस अधिकारी सामने आए जिन्होंने जिंदगी भर रिश्वत ली, बस और कुछ नहीं। पकड़े जाने के बाद भी उन्हें जेल नहीं हुई। बेबसी देखिए देश के विभिन्न जेलों में कैद कुल 70 फीसदी व्यक्ति विचाराधीन कैदी की श्रेणी में आते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनपर मामूली अपराध दर्ज हैं या फिर बेकसूर हैं। पर क्या करें, कई दिनों से जेल में सड़ रहे हैं। ऐसा देश है मेरा। हमारे देश को जितना अंग्रेजों ने नहीं लूटा उतना हमारे नेता और अफसरों ने लूटा है। मैं विश्वास से कह सकता हूं कि  मप्र के सभी सरकारी इंजीनियर जो 90 से पूर्व में भर्ती हुए हैं, उनकी इमानदारी से तलाशी ली जाए तो 50 प्रतिशत से अधिक अनुपातहीन संपत्ति के मालिक हैं। ऐसे ही हैं आईएएस व अन्य अधिकारी। नेताओं की बात करना ही बेकार है, सांप के बिल में कौन हाथ डाल सकता है। साहब यह कोई बकवास नहीं है। हो सकता है कई लोगों को यह पढ़ने में बोझ लग रहा हो पर क्या करें। सच्चाई से रूबरू कराना तो काम ही है हमारा। अगर भारत को वाकई स्वतंत्र कराना है तो हमें लड़ना होगा उन नेताओं से जो भ्रष्टाचार के पितामह है, उन अफसरों से जो विभागों को अपने पिता की संपत्ति समझने की गलती कर बैठे हैं। याद दिला दूं 16 अगस्त से भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना हजारे भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं। सरकारी लोकपाल पास हो गया तो गलत हो जाएगा। इसलिए इतना दबाव बनाना होगा कि जनलोकपाल ही पास हो। इस 15 अगस्त पर प्रतिज्ञा लें कि अन्ना का सहयोग करेंगे। सड़कों पर उतरेंगे। वैसे ही जैसे कि मिस्र में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को हटाने जनता सड़कों पर उतरी थी। वैसे ही जैसे कि यमन में जनता सड़कों पर आई थी, सीरीया, लीबिया (खाड़ी देश) से भी हम सीख सकते हैं। आइए शामिल होते हैं अन्ना के जन आंदोलन में, ताकि आने वाले कल में हम वाकई स्वतंत्रता की सांसें ले सकें और गर्व से कह सकें कि ‘हम आजाद हैं’।
  ‘जन लोकपाल कानून कोई पूरी व्यवस्था को ठीक कर देने का दावा नहीं है..यह तो सिर्फ इतनी सी पहल है भ्रष्टाचार करने वाले अफसर और नेताओं को जेल भेजा जाए....बस इतना सा है ये अभियान...... आइए इसमें साथ चलें..शायद हम और आप मिलकर इसे आन्दोलन बना सकें... जिससे वह भारत निकल सके जो हम आजादी के 63 साल बाद होना चाहते हैं...’

अन्ना के अभियान  से जुड़ने के लिए इस नंबर पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं
02261550789

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