Thursday, November 22, 2018

राम से दूर क्यों भागते हैं शिव


  • भाजपा के लिए अभिशप्त है चित्रकूट
  • कैसे पूरी होगी कामना : राम की वनवास स्थली में ही 'वनवास' काट रही भाजपा

दीपक राय, चित्रकूट की खास रिपोर्ट...
राम के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राम से दूरी बना रहे हैं। चित्रकूट में भाजपा कई वर्षों से सत्ता का वनवास काट रही है, लेकिन मुख्यमंत्री कभी चित्रकूट नहीं गए। घोर उपेक्षित क्षेत्र को शिव 'राज' ने विकास के एजेंडे में कभी शामिल नहीं किया। 40 प्रतिशत ब्राम्हण वोट वाले इस क्षेत्र में शिवराज के प्रति घोर आक्रोश है। पिछले उपचुनाव में करारी शिकस्त खा चुकी भाजपा इस बार भी कमजोर है, बावजूद मुख्यमंत्री ने इस सीट को उपेक्षित छोड़ दिया। शिवराज मझगंवा से आगे नहीं बढ़े, जबकि चित्रकूट वहां से महज 30 किमी दूर ही है। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चित्रकूट पहुंचकर कामतानाथ का आशीर्वाद ले चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो कामतानाथ की पूजा करने के बाद ही इस चुनाव में विंध्य का दौरा शुरू किया है। लेकिन शिवराज सिंह चौहान चित्रकूट नहीं पहुंचे।
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राम का अभिशाप ऐसा कि...!
28 वर्षों में सिर्फ एक बार ही जीती भाजपा
पिछले 28 सालों में इस सीट पर हुए 7 चुनावों में भाजपा एक बार ही जीत पाई। 2008 के चुनाव में सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कांग्रेस के प्रेम सिंह को महज 722 वोटों से हरा दिया था। 2013 के चुनावों में गहरवार को 10,970 मतों से हराकर कांग्रेस के प्रेमसिंह ने फिर वापसी की थी। पे्रम सिंह के निधन के बाद 2017 में हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज भाजपा उम्मीदवार शंकर दयाल त्रिपाठी के लिए प्रचार करने मझगवां क्षेत्र से आगे नहीं बढ़े। मुख्यमंत्री अर्जुनपुर, बरौधा, प्रतापगंज, हिरौधी, पिडरा, मझगवा में चुनावी सभा करने पहुंचे। इन सभी जगहों पर भाजपा प्रत्याशी को करारी हार मिली।
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आदिवासी के घर रात बिताई, लेकिन विश्वास न जीत पाए
उपचुनाव में मुख्यमंत्री लगातार तीन चित्रकूट क्षेत्र में रहे। इस दौरान वे तुर्रा गांव में आदिवासी लालमन सिंह गोंड के घर रात में रुके, खाना खाया। प्रशासन ने लालमन के घर जल्दबाजी में शौचालय बनवा दिया। मुख्यमंत्री के लौटते ही शौचालय का सारा सामान ले गए, इससे भी मुख्यमंत्री की खूब आलोचना हुई थी। रात रुकने और साथ खाने के बाद भी मुख्यमंत्री लोगों का विश्वास नहीं जीत पाये, भाजपा को महज 243 वोट मिल पाये, जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस के की झोली में 413 वोट आये। भाजपा के प्रत्याशी शंकर दयाल त्रिपाठी को अपने गृह ग्राम में ही हार का सामना करना पड़ा। त्रिपाठी को अपने ससुराल में 196 वोट ही मिल पाये, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी को यहां से 519 वोट हासिल हुए। भाजपा की यह हालत तब हुई, जबकि भाजपा ने पूरा तन-मन-धन लगा दिया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 29 सभाएं, 11 रोड शो किए। तीन दिन चित्रकूट में रुके। 29 मंत्री समेत संगठन के दिग्गज नेताओं की फौज मैदान में थी। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी चुनाव प्रचार के लिए आए थे। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण उत्तरप्रदेश के ओबीसी चेहरा व उप मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य ने भी चित्रकूट में रोड शो किया।  750 से ज्यादा सभाओं के बाद भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी।
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अधूरे वादे बने शिव की समस्या
भाजपा या शिवराज का नाम लेते ही चित्रकूटवासी भड़क जाते हैं। वे कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने चित्रकूट के लिए 13 सालों में कई घोषणाएं की, लेकिन वे अब तक अधूरी हैं। मतदाता रोष जताते हुए कह रहे हैं कि हमारे क्षेत्र में न सड़क हैं, न बिजली, न ही पीने योग्य पानी। जंगली क्षेत्र होने के बावजूद पशुओं द्वारा फसलों की नुकसानी की शिकायत तक नहीं लिखी जाती।
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राम पथ गमन : 11 साल पहले ऐलान, काम सून-सपाट
मुख्यमंत्री ने चित्रकूट में राम पथ गमन का निर्माण कराने की घोषणा 2007 में की थी, लेकिन आज तक यह योजना जमीन पर नहीं उतरी। भगवान राम मध्य प्रदेश के जिन रास्तों से होकर गुजरे, वहां राम वन गमन पथ बनाया जाना था। इस कारण यहां लोगों में राम के प्रति आत्याधिक आस्था है। राम पथ गमन के अधूरे वादे के कारण के साधु, संत और ब्राम्हणों के वोट भी भाजपा के खिलाफ पड़ते हैं।
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न शिक्षा, न सुविधाएं 
चित्रकूट विधान सभा के दर्जनों गांव आज भी सड़क को तरस रहे हैं। ग्राम पंचायत देवरा के बारा अमराई गांव में सड़क ही नहीं है। यही हाल क्षेत्र के दर्जनों गांवों का है।
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रोजगार का संकट 
वन संपदा से परिपूर्ण व पर्यटन संभावनाओं से भरपूर चित्रकूट में रोजगार का संकट है। यहां के लोग उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में पलायन कर जीवन यापन कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि 15 साल से शिवराज सरकार ने रोजगार के लिए कुछ नहीं किया।

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  • 14,133 मतों का अंतर कैसे दूर होगा?
  • 9 नवंबर 2017 को हुआ था उपचुनाव (कांग्रेस विधायक प्रेमसिंह के निधन पर)
  • 12 नवंबर 2017 को आए उपचुनाव परिणाम में कांगे्रस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी जीते
  • 14,133 मतों से जीते थे नीलांशु
  • 66,810 वोट मिले कांगे्रस को
  • 52,677 वोट मिले भाजपा को

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2013 के हारे प्रत्याशी के भरोसे भाजपा
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्यशी प्रेम सिंह ने भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह गहरवाल को 10,970 मतों के अंतर से परास्त किया था। प्रेम सिंह के निधन के बाद उपचुनाव में भाजपा ने संघ के कार्यकर्ता शंकर दयाल त्रिपाठी को कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी से लड़ाया था। वहीं, अब पार्टी ने गहरवार पर फिर भरोसा जाताया है।
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40 प्रतिशत ब्राम्हण मतदाताओं में आक्रोश
भाजपा को हराना है, चाहे फिर कोई भी जीते...
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के एक प्रोफसर ने एक्सप्रेस न्यूज को बताया कि चित्रकूट क्षेत्र में 40 प्रतिशत के करीब ब्राम्हण मतदाता हैं। इन सभी में राम को लेकर आस्था है। सरकार द्वारा राम पथ गमन सहित विकास के कई वादे किये गए, लेकिन वह आज तक अधूरे हैं। चित्रकूट आए बगैर लोगों की चारधाम यात्रा पूरी नहीं होती, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई सालों से चित्रकूट नहीं आए। ऐसे में लोगों के मन में आक्रोश उपजा है। मतदाता इस सोच के साथ वोट करता है कि भाजपा को हराना है, भले ही फिर कोई भी जीत जाये।
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संघ का केंद्र, नानाजी का नाम, लेकिन वोट नहीं
संघ के ख्यातिप्राप्त चेहरा नानाजी देशमुख ने चित्रकूट को ही अपनी कर्मभूमि चुना था और अपने मित्र दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर एक शोध संस्थान शुरू किया। ग्रामीण विकास के मॉडल पर विकास को विकसित करने वाले संघ नेता के निधन के बाद अब भी यह शोध संस्थान कार्यरत है। इस संस्थान के होते हुए भी यहां भाजपा का खाली हाथ रहना आश्चर्य की बात है।
Deepak Rai Sepcial Report About CHITRAKOOT

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