Tuesday, April 8, 2014

जरा सोचिए, विचारों को तो मत बेचिए...

जरा सोचिए, विचारों को तो मत बेचिए...
दीपक राय, उप संपादकीय (गांधी जी के सेवाग्राम आश्रम वर्धा से लौटकर)
केजरीवाल को उस वक्त भी बुरा कहा गया था जब उसने अन्ना से अलग होकर पार्टी बनाई थी। बाद में जब पार्टी 28 सीटें लाई तो फिर बुराई करने वाले तारीफें करने लगे थे।
याद तो होगा ही आपको गांधी जी को एक मामूली गार्ड ने थप्पड़ मारकर ट्रेन से फेंक दिया था। आज उन्हीं की फोटो है नोट पर। मलाला को तालिबानियों ने गोली मार दी थी, आज उसकी प्रसिद्धि चरम पर है। किसी ने वह जगह नहीं ले पाई। शहीद भगत सिंह ने गोली खाई थी देश के लिए याद है न..... मैं केजरीवाल की तुलना इनसे नहीं कर रहा, बस छोटा सा उदाहरण देने की कोशिश कर रहा हूं।
ये वही केजरीवाल है, जिसकी सरकार बनने के बाद पुलिस का हफ्ता बंद हो गया था। गुमठी वाले खुश थे, आटो वाले खुश थे। एलपीजी की महंगाई बढ़ाने वाले अंबानी, पूर्व मंत्रियों पर एफआईआर कराई थी, ताकि आम आदमी को सस्ते में गैस मिल सके। पानी में राहत दी थी, बिजली में राहत दी थी। अगर उस आदमी ने सत्ता छोड़ दी तो पक्का कुछ न कुछ प्लान होगा उसके दिमाग में, जो देश हित में होगा। भई केजरीवाल गंदे गटर जैसी राजनीति में उतरा है तो स्वाभाविक हैं कुछ गंदगी उसे भी घेरेगी। चाणक्य कहते थे, 100 चोरों से लडऩे के लिए एक ईमानदार को चोरों वाली हरकत करनी ही पड़ती है। माना कि कुछ कमियां हैं, लेकिन कमियां किसमें नहीं होतीं। मोदी की यह कमी है कि गोधरा का दाग लगा। राहुल में कमी यह है कि बेचारे देश के विचारों को नहीं समझ पाए। आपमें भी कमियां होंगी। मीडिया के क्या हाल हैं। सब जानते हैं। मैं कुछ भी नहीं कहूंगा। अपने अंदर झांककर एक बार तो देखो। जेड प्लस सिक्योरिटी में 36 जवानों के घेरे में घूमते हैं हमारे नेता, उन्हें थप्पड़ मारना तो दूर की बात, कोई शिकायत करने भी उन तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे में एक आम आदमी केजरीवाल पर थप्पड़ मारने से कोई तीस मार खां नहीं बन गया।

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